मित्रों आज हम इस लेख में कट्टर ईमानदार और क्रांतिकारी शिक्षा मंत्री आदरणीय श्री मनीष सिसोदिया जी के विषय में चर्चा और परिचर्चा करेंगे।
मित्रों शिक्षा के विषय में हमारे शास्त्र कहते हैँ:-
विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम् ।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम् ॥
विद्या विनय देती है; विनय से पात्रता, पात्रता से धन, धन से धर्म, और धर्म से सुख प्राप्त होता है ।अर्थात भौतिक, सांसारिक और अध्यात्मिक सुख का माध्यम ये विद्यार्जन या शिक्षा हि है।
इसी प्रकार मित्रों स्वास्थ्य के विषय में हमारे शास्त्र कहते हैँ:-
व्यायामात् लभते स्वास्थ्यं दीर्घायुष्यं बलं सुखं।
आरोग्यं परमं भाग्यं स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम्॥
व्यायाम से स्वास्थ्य, लंबी आयु, शक्ति और प्रसन्नता प्राप्त होती है। स्वस्थ रहना परम नियति है और अन्य सभी कार्य स्वास्थ्य द्वारा सिद्ध होते हैं। अर्थात एक स्वस्थ मनुष्य हि समस्त सुखो का उपभोग कर सकता है, यादी आप मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ हैँ तो कोई भी लक्ष्य आपके लिए असाध्य नहीं।
मित्रों हमारे शास्त्रों ने मदिरा अर्थात शराब के विषय में भी कुछ कहते हैँ :-
हृत्सु पीतासो युध्यन्ते दुर्मदासो न सुरायाम्"
अर्थात सुरापान करने या नशीले पदार्थों को पीने वाले अक्सर युद्ध, मार-पिटाई या उत्पात मचाया करते हैं।
अब आइये हम मनीष सिसोदिया जी के बारे में थोड़ी सी जानकारी प्राप्त कर ले।
मनीष सिसोदिया का जन्म उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के फगौता गांव के एक हिंदू परिवार में दिनांक ५ जनवरी १९७२ को हुआ था । इनके पिताजी एक पब्लिक स्कूल में शिक्षक थे, इन्होंने अपने गाँव के सरकारी स्कूल में दाखिला लिया और प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त कर लेने के पश्चात पत्रकारिता में डिप्लोमा पूरा करने के बाद एक पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया,और फिर वर्ष १९९७ से वर्ष २००५ के बीच एक रिपोर्टर, समाचार निर्माता और समाचार पाठक के रूप में ज़ी न्यूज़ के लिए काम किया ।
अरविन्द केजरीवाल से मित्रता:-
पत्रकारिता के दौरान हि मनीष सिसोदिया की मुलाक़ात श्री अरविन्द केजरीवाल से हुई और फिर उन्होंने पत्रकारिता छोड़ने के पश्चात, केजरीवाल के साथ मिलकर एक "कबीर' नामक गैर लाभकारी गैर सरकारी संगठन की स्थापना की। आपको बताते चले कि श्री अरविन्द केजरीवाल जी ने स्वयं स्वीकार किया की उनके "कबीर" नामक संगठन को जार्ज सोरोस नामक अमेरिकन व्यवसायी से फंड मिलता था, मित्रो ये वाही जार्ज सोरोस है, जिसने भारत की अर्थव्यवस्था को चौपट करने और माफी सरकार को गिराकर कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए १ बिलियन डालर खर्च करने की बात कही है।
यह जार्ज सोरोस भारत के उन सभी NGO को अपने Ford Foundation और Open Society Foundation से फंडिंग करता है, जो भारत विरोधी गतिविधियों में संलग्न रहते हैँ, तो आप स्वयं समझ सकते हैँ कि फिर "कबीर" को पैसे देर के पीछे क्या उद्देश्य हो सकता है।यही नहीं मनीष जी, श्री अरविन्द केजरीवाल के साथ 'सार्वजनिक हित अनुसन्धान फाउण्डेशन' (Public Cause Research Foundation) नामक गैर सरकारी संगठन के सह-संस्थापक भी हैं। वे 'अपना पन्ना' नामक हिन्दी मासिक पत्र के सम्पादक हैं।
अन्ना हजारे का आंदोलन:-
मित्रों वर्ष २०११ तक दिल्ली हि नहीं पुरा देश कांग्रेस के लूटपाट और भ्र्ष्टाचार से त्राहि त्राहि कर रहा था उस पर से फिल्ली में हुए कमानवेल्थ खेल घोटाले ने जन आक्रोश का सैलाब ला दिया। इसी भ्र्ष्टाचार के विरुद्ध और लोकपाल बिल की मांग को लेकर महाराष्ट्र के अन्ना हजारे ने दिल्ली में एक धरना प्रदर्शन और भूख हड़ताल भी किया। यही से अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने मिलकर दिल्ली के सत्ता पर बैठने का ताना बाना तैयार कर लिया। वो पूरे तन और मन से इस आंदोलन में कुड़ पड़े और सही मौका देखते हि एक "आम आदमी पार्टी" की रचनाकर दिल्ली की सत्ता को हथियाने का कार्यक्रम शुरु किया और अंतत: सर्वप्रथम जिस कांग्रेस के भ्र्ष्टाचार के विरुद्ध उन्होंने आंदोलन शुतु किया था उसी कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली।वह आम आदमी पार्टी (आप) की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति के सदस्य हैं और आप के संस्थापक सदस्य भी हैं।
मित्रों आपको याद होगा की पहली बार जीतकर जब अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने दिल्ली में कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनायीं तो पुराने भ्र्ष्टों का नये भ्र्ष्टों के साथ यह मेल ज्यादा लम्बा नहीं चला। अत:पहली सरकार जो आम आदमी पार्टी ने बनायीं वो गिर गयी और फिर से मध्यवाधि विधानसभा के चुनाव हुआ, जिसमे आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी प्रती के रूप में सामने आयी और दिल्ली में उन्होंने बहुमत के आधार पर सरकार बना ली।मनीष सिसोदिया जी को पार्टी ने २०१३ के दिल्ली विधान सभा चुनाव के लिए पटपड़गंज विधान सभा क्षेत्र का उम्मीदवार बनाया और् इस चुनाव में वे विजयी रहे।
मनीष सिसोदिया जी दिनांक १४ फरवरी २०१५ से २८ फरवरी २०२३ ई तक लगातार दिल्ली के उपमुख्यमंत्री रहे और इनके पास, शिक्षा, स्वास्थ्य और अबकारी (शराब) विभाग सहित कुल १८ विभाग रहे! इसके अतिरिक्त वो सभी विभाग भी इन्ही के हाथों में थे जो किसी अन्य मंत्री को नहीं दिये गये थे।
अब आइये शिक्षा मंत्री के रूप में इनके कार्य को देख लेते हैँ।
मित्रों आपको याद होगा कि जून २०२२ में मनीष सिसोदिया के विरुद्ध स्कूलों और कक्षाओं के निर्माण को लेकर दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) में शिकायत दर्ज कराई गई थी। जुलाई २०२२ में भ्रष्टाचार निरोधक प्राधिकरण दिल्ली लोकायुक्त भी जांच कर रहा है। आइये देखते हैँ पुरा मामला क्या है:-
:-मित्रों शिक्षा मंत्रालय का कार्यभार हाथ में आते हि मनीष सिसोदिया जी ने क्रांतिकारी कदम उठाना शुरु कर दिया। सर्वप्रथम उन्होंने सर्वें कराकर यह पता लगाया की स्कूलों में बच्चों को बैठने के लिए पर्याप्त कक्षाओं की व्यवस्था है नहीं
:- मित्रो इस सर्वें से ज्ञात हुआ कि दिल्ली के १९३ स्कूलों में करीब २४०५ अतिरिक्त कक्षाओं की आवश्यकता है। अत: लोक कल्याण विभाग (PWD) को उन कक्षाओ के निर्माण का निर्देश दिया गया। विदित हो की PWD और वित्त मंत्रालय भी आदरणीय मनीष सिसोदिया जी के पास हि था।
:- लोक निर्माण विभाग (PWD) ने भी सोचा, क्यों ना हम भी एक सर्वें करा ले। और जब इन्होंने सर्वें कराया तो पता चला कि दिल्ली के १९४ स्कूलों में कुल ७१८० कक्षाओं (ECR अर्थात Equivalent Class Room) की आवश्यकता है, जो की पहले के सर्वेक्षण से तिन गुना अधिक संख्या बतलाती है।
:- इसके पश्चात मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष शिशोदिया के आदेश पर युद्धस्तर पर कार्य आरम्भ कर दिया गया और कक्षाए तैयार होने लगी और इधर श्री मनीष सिसोदिया जी एक क्रांतिकारी शिक्षक के रूप में प्रचारित किये जाने लगे।
:- पर Central Vigilance Commission (CVC) अपना कार्य करती रही और दिनांक १७ फरवरी २०२० को एक रिपोर्ट तैयार करके करीब १३०० करोड़ रुपये के घोटाले का PWD पर आरोप लगाते हुए दिल्ली के Vigilance Department अर्थात सतर्कता विभाग को यह रिपोर्ट सौप कर उनकी टिप्पणी मांगी।
:- अब मित्रो सतर्कता विभाग अर्थात Vigilance Department भी सिसोदिया जी के हि हाथ में था अत: CVC की यह रिपोर्ट पूरे ढाई वर्ष तक दबा के रखी गयी।
:-इसके बाद अगस्त २०२२ में दिल्ली के LG (उप राजयपाल) ने मुख्य सचिव को निर्देश देकर इस २.५ बर्ष कि की गयी देरी की जांच करके रिपोर्ट देने को कहा।
:- दिल्ली के मुख्य सचिव द्वारा जाँच की बात सुन, सतर्कता विभाग जाग उठा और उसने CVC की रिपोर्ट पर अपनी मुहर लगाते हुए स्वीकार किया कि जम के घोटाला हुआ है।दिल्ली सरकार के विजिलेंस डिपार्टमेंट (DoV) ने मुख्य सचिव को अपनी रिपोर्ट सौपते हुए दावा किया कि राजधानी के १९३ सरकारी स्कूलों में २४०५ कक्षाओ के निर्माण के दौरान जमकर भ्रष्टाचार किया गया।
DoV की रिपोर्ट में क्या बताया गया:-
१:- टेंडर प्रोसेस में उलटफेर करने के लिए नियमों का उल्लंघन हुआ।
२:- बेहतर सुविधाएं बढ़ाने के नाम पर 205.45 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च किया गया।
३:-गैर संवैधानिक एजेंसियां/व्यक्ति (जैसे मैसर्स बब्बर एंड बब्बर एसोसिएट्स) प्रसाशन चला रहे थे और सरकारी अधिकारियों के लिए नियम और शर्तें बना रहे थे और फिर दिल्ली का पुरा प्रशासन इन नियमों का पालन करवा रहा था।
:-बेहतर सुविधाओं के नाम पर कंस्ट्रक्शन कॉस्ट ९०% तक बढ़ाई गई। दिल्ली सरकार ने बिना टेंडर के ५०० करोड़ रुपए की बढ़ोतरी को मंजूरी भी दे दी।
:- जीएफआर Manual अर्थात Manual for the Procurement of Goods के नियमों अछूत माना गया।
:-सीपीडब्ल्यूडी वर्क्स मैनुअल( CENTRAL PUBLIC WORKS DEPARTMENT) का जमकर उल्लंघन करते हुए घटिया क्वालिटी का अधूरा काम किया गया।
:-१९४ स्कूलों में १६० टॉयलेट्स बनाए जाने थे, लेकिन ३७ करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च करके १२१४ टॉयलेट बनाए दिये गये।
:- इन १२१४ टॉयलेट को Class-Room बताया गया।
:-इस प्रोजेक्ट के लिए शुरु में कुल ९८९.२६ करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, जबकी टेंडर की वैल्यू ८६०.६३ करोड़ रुपये थी।
:- प्रोजेक्ट में कुल १३१५.५७ करोड़ रुपए खर्च हुए।
:-कोई नया टेंडर दिए बिना अतिरिक्त कार्य किया जा रहा था, जिसके परिणामस्वरूप इस प्रोजेक्ट की कीमत ३२६.२५ करोड़ रुपए तक बढ़ गई, जो टेंडर के लिए सेंक्शन अमाउंट से ५३% ज्यादा है।
:- प्रोजेक्ट की कीमत तो ५३% बढ़ गयी परन्तु Class -Room केवल ४०२७ हि बनाये गये।
अब इस प्रकार देखें तो शिक्षा विभाग, PWD और वित्त मंत्रालय अभी इस घोटाले में डुबकी लगा हि रहा था कि शराब घोटाले कि नई पृष्ठभूमि तैयार हो गयी। मित्रों आपको ज्ञात होगा कि अभी कुछ दिन पूर्व हि दिल्ली के शिक्षकों को "फिनलैंड" भेजकर भारतीय बच्चों को कैसे शिक्षा दे इसका प्रशिक्षण लेने के लिए मनीष सिसोदिया जी द्वारा प्रेषित फाईल को मंजूरी देने से उप राज्यपाल जी ने मना कर दिया। अब मित्रों अब यह समझ से परे है की मनीष सिसोदिया जैसा क्रांतिकारी शिक्षक होने के बावजूद भी दिल्ली के शिक्षक फिनलैंड वालों से क्या सीखना चाहते थे। अत: संभव है की एक और घोटाला होते होते रह गया।
मित्रों हमारे शास्त्र शिक्षक अर्थात गुरु के बारे में निम्न विचार प्रस्तुत करते हैँ:-
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।
अर्थात गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु हि साक्षात् परब्रह्म है, उन सद्गुरु को प्रणाम करता हूँ। अब सोंचने वाली बात ये है कि क्या मनीष सिसोदिया या फिर बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव के बारे में ऐसा सोचा जा सकता है।
अब शिक्षा मंत्री ने किस प्रकार अपनी प्रतिभा का उपयोग अबकारी विभाग में किया और एक नया घोटाला सामने आया, आइये देखें इसमे कैसे और क्या क्या हुआ?
दिल्ली के अबकारी विभाग ने श्री अरविन्द केजरीवाल जी के निर्देश पर और श्री मनीष सिसोदिया के नेतृत्व में नई और क्रांतिकारी अबकारी नीति के निर्माण का कार्य शुरु हुआ। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने अत्यंत हि उत्साह और उमंग से बताया कि इस नयी अबकारी नीति के द्वारा दिल्ली के राजस्व में कुल ३५०० करोड़ रुपये का लाभ होगा।
१:- नवंबर २०२१ में बनकर तैयार की गयी नई अबकारी नीति के तहत दिल्ली में शराब की दुकानों कि संख्या बढ़ा दी गयी और अब ये ८४९ हो गयी।
२:-इस अबकारी (शराब) नीति से पूर्व दिल्ली कि ६०% दुकानें सरकार के कब्जे में थी परन्तु इस नई नीति के अंतर्गत १००% दुकाने Private Sector को दे दी गयी अत: इससे सरकार को सीधे राजस्व प्राप्त होता था उसके दरवाज़े बंद कर दिये गये।
३:-नई अबकारी नीति के अंतर्गत शराब बेचने के लिए दिये जाने वाले लाइसेंस की फीस में अभूतपूर्व वृद्धि कर दी गयी। L-1 लाइसेंस पहले २५ लाख रुपए में दे दिया जाता था इस नई शराब नीति लागू होने के पश्चात इसकी राशि ५ करोड़ रुपए कर दी गयी। इस वृद्धि से छोटे ठेकेदार लाइसेंस नहीं ले सके, जिसका सीधा लाभ बड़े व्यपारियों को मिला।
४:-उप मुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री श्री मनीष सिसोदिया के हि निर्देश पर आबकारी विभाग द्वारा L-1 लाइसेंस प्राप्त करने वाले बिडर को ३० करोड़ रुपए वापस कर दिए,जबकि दिल्ली एक्साइज पॉलिसी में किसी भी बिडर का पैसा वापस करने का नियम नहीं है।
५:- मित्रों कोरोना काल से शिक्षा, स्वास्थ्य, लघु और कुटीर उद्योग, किसान, मजदूर और बेरोजगार वर्ग को लाभ पहुंचाने की कोशिश की जर रही थी, केंद्र तथा अन्य राज्य सरकारों के द्वारा परन्तु दिल्ली की बात हि कुछ और थी, कोरोना काल में दिल्ली में सबसे ज्यादा परेशान शराब व्यवसायी हुए थे केजरीवाल और सिसोदिया की दृष्टि में अत: शराब कंपनियों को हुए नुकसान की भरपाई करने के नाम पर केजरीवाल सरकार ने लाइसेंस फीस में बड़ी छूट दी, जिसके तहत सरकार ने कंपनियों की १४४.३६ करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस माफ कर दी थी।
६:- मनीष सिसोदिया जी ने विदेशी शराब और बियर पर मनमाने ढंग से ५० रुपए प्रति बोतल की छूट दी। यह छूट इन विदेशी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए दी गई थी। दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति के तहत राज्य को ३२ जोन में बाँटा थाऔर् इसमें से २ जोन के ठेके एक ऐसी कंपनी को दिए गए जो ब्लैक लिस्टेड थी।
७:- मनीष सिसोदिया जी यही नहीं रुके, उन्होंने शराब बेचने वाली कंपनियों के बीच कार्टेल पर प्रतिबंध होने के बाद भी इन शराब विक्रेता कंपनियों के कार्टेल को लाइसेंस दिये और् इसके तहत शराब कंपनियों को शराब पर डिस्काउंट देने और एमआरपी पर बेचने के बजाय खुद कीमत तय करने की छूट मिल गई और बताने की आवश्यकता नहीं कि इसका लाभ भी शराब बेचने वालों को हि हुआ।
८:-नियमों को ताक पर रखते हुए कैबिनेट नोट सर्कुलेशन के बिना ही प्रस्ताव पास करा दिए गए और नई शराब नीति को लेकर कैबिनेट की बैठकों में मनमाने ढंग से फैसले लिए गए। यही नहीं, शराब विक्रेताओं को फायदा पहुँचाने के उद्देश्य से ड्राई डे की संख्या घटा दी गई अर्थात वर्ष में जंहा ड्राई डे की संख्या पहले २१ थी, वहीं नई शराब नीति के तहत दिल्ली में ड्राई डे केवल 3 दिनों तक ही सिमित कर दिया गया। इससे शिक्षा मंत्री ने अबकारी विभाग के अंतर्गत दिल्लिवासियों खासकर युवा पीढ़ी को १९ दिन ज्यादा शराब पिने का मौका दिया।
९:-मनीष सिसोदिया जी ने शराब ठेकेदारों को मिलने वाले कमीशन का प्रतिशत ५ से बढ़ाकर १२ कर दिया परन्तु यह किस नियम के अनुसार किया गया, क्यों किया गया और इससे सरकार को कैसे लाभ हुआ यह बताने में पूर्णतया असफल हो गये।
१०:-नियम यह है कि शराब को बनाने वाली कम्पनी अर्थात निर्माता कंपनी और शराब के रिटेल विक्रेता अलग-अलग होते हैँ परन्तु सिसोदिया के नेतृत्व में केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के ३२ में से २ जोन में शराब निर्माता कंपनी को हि रिटेल में शराब बेचने की अनुमति दी। यही नहीं उपराज्यपाल को धता बताकर और उन्हे नगण्य समझकर उपराज्यपाल से अनुमति लिए बिना ही दो बार आबकारी नीति को आगे बढ़ाया गया। साथ ही मनमाने ढंग से छूट दी गई, जी हाँ मित्रों कैबिनेट की बैठक बुलाकर ही सारे फैसले ले लिए गए और इसका शराब कंपनियों ने जमकर लाभ उठाया।
११:- हमारे शिक्षा मंत्री अबकारी विभाग में इस प्रकार रच बस गये की उनके नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने बिना किसी ठोस आधार के टेंडर में नई शर्त जोड़ते हुए कहा था कि हर वार्ड में कम से कम दो दुकानें खोलनी पड़ेंगीं। इसके लिए दिल्ली के आबकारी विभाग ने भी केंद्र सरकार से अनुमति लिए बिना ही अतिरिक्त दुकानें खोलने की अनुमति दे दी। इसका शराब निर्माता कंपनियों ने फायदा उठाया और दिल्ली के युवाओं को शराब की कमी ना हो इसके लिए सम्पूर्ण प्रबंध करा दिया।
१२:- जब शिक्षा मंत्री के नेतृत्व में दिल्ली की सरकार स्वयं ज्यादा से ज्यादा मात्र में शराब की खपत बढ़ाने में लगी थी तो फिर शराब बेचने वाले लोग पीछे क्यों रहते उन्होंने भी दिल्ली एक्साइज नियम २०१० के २६ और २७ नियमो की धज्जियाँ उड़ाते हुए सोशल मीडिया, बैनर्स और होर्डिंग्स के जरिए शराब को बढ़ावा देने लगे और नई अबकारी नीति की आड़ में दिल्ली सरकार ने कोई कार्रवाई भी नहीं की।
१३:- इस प्रकार मित्रों क्रांतिकारी शिक्षा मंत्री जी ने शराब के माध्यम से क्रांति लाने हेतु नई आबकारी नीति लागू करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991(जीएनसीटी एक्ट-१९९१), ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स १९९३, दिल्ली एक्साइज एक्ट २००९ और दिल्ली एक्साइज रूल्स २०१० का सीधे तौर पर उल्लंघन किया।
अब शिक्षा मंत्री पर गाज कैसे गिरी?
हे मित्रों जुलाई २०२२ में दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली सरकार की एक्साइज पॉलिसी २०२१-२२ की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की सिफारिश की थी । आदरणीय उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की कार्रवाई दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव नरेश कुमार द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट पर आधारित थी।
विदित हो कि दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने उपराज्यपाल के कार्यालय को एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें अबकारी नीति के कार्यान्वयन में प्रक्रियात्मक खामियों का आरोप लगाया गया था और दावा किया गया था कि लाइसेंसधारियों को निविदा के बाद के लाभ दिए गए थे। सीबीआई मामले की जांच कर रही है।
सीबीआई ने जो पहली FIR दर्ज कराई थी उसमें दिनेश अरोड़ा का भी नाम था।दिनेश अरोड़ा दिल्ली के रेस्तरां इंडस्ट्री का जाना-माना नाम हैं । FIR में राधा इंडस्ट्रीज के डायरेक्टर दिनेश अरोड़ा के अलावा रिटेल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर अमित अरोड़ा और अर्जुन पांडे का नाम शामिल किया गया है। इन्हें डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया का करीबी बताया गया था।
नवंबर २०२२ में दिनेश अरोड़ा ने खुद दिल्ली की अदालत में अर्जी दाखिल कर सरकारी गवाह बनने और मामले से जुड़ी सारी बातें बताने के लिए अर्जी दी थी। दिनेश अरोड़ा ने कोर्ट में बताया था उन पर किसी तरह का दबाव नहीं है और न ही CBI के कहने पर ऐसा किया है।
दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और शराब नीति बनाने वाले आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर आम आदमी पार्टी हँगामा कर रही है। कहा जा रहा है कि चार्जशीट में नाम न होने के बाद भी उन्हें गिरफ्तार क्यों किया गया। दरअसल, सिसोदिया की गिरफ्तारी में दिल्ली के इसी बड़े कारोबारी दिनेश अरोड़ा की भूमिका अहम मानी जा रही है।मनीष सिसोदिया को २६ फरवरी २०२३ को ८ घंटे चली पूछताछ के बाद सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया! सिसोदिया पर आईपीसी की धारा 120-B(अपराधिक षड्यंत्र) और 47 -A (सबूत को नष्ट करने का अपराध) लगाई गई है!दरअसल, शराब घोटाले के आरोपितों ने १७० फोन बदले थे। इसमें से सिसोदिया ने ४ फोन बदले थे। जाँच एजेंसियों का मानना है कि इन फोन में ही अहम सबूत थे। इसलिए सिसोदिया समेत अन्य आरोपितों ने या तो इन्हें बदल दिया या तोड़/ नष्ट कर दिया। अब सीबीआई तमाम सबूतों को इकट्ठा करने के बाद सिसोदिया से पूछताछ कर रही है।
प्राथमिकी में कहा गया है कि सिसोदिया, दिल्ली के पूर्व आबकारी आयुक्त अरावा गोपी कृष्णा और दो अन्य वरिष्ठ आबकारी विभाग के अधिकारियों ने "वर्ष २०२१-२२ के लिए आबकारी नीति से संबंधित निर्णय लेने और सिफारिश करने में सहायक प्राधिकारी की मंजूरी के बिना विस्तार करने के इरादे तथा निविदा के बाद लाइसेंसधारी को अनुचित लाभ" पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ।
शिक्षा मंत्री ने गिरफ्तारी के बाद, २८ फरवरी २०२३ को अपने कैबिनेट सहयोगी, श्री सत्येंद्र जैन (जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया था) के साथ केजरीवाल मंत्रालय से अपने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया ।
दिल्ली के शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार आरोपित मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया। जहाँ सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उन्हें ५ दिन की रिमांड में भेज दिया है। इसका मतलब साफ है कि अब सीबीआई सिसोदिया से और कड़ी पूछताछ करेगी।
हालांकि दिल्ली के शराब नीति को लेकर केजरीवाल सरकार ने दावा किया था कि इससे राजस्व में ३५०० करोड़ रुपए का लाभ होगा। हालाँकि इस पूरे मामले की जाँच करते हुए ईडी ने पाया है कि इस शराब घोटाले से राजस्व में २८७३ करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
निष्कर्ष:-
शिक्षा मंत्री ने शिक्षा मंत्रालय में हुए घोटाले के अंतर्गत १२१४ टॉयलेट्स को class room बताया था और शराब घोटाले में हर जोन में २ शराब की दुकाने खोलने का शर्तिया प्रावधान दिया था अत: उनका पुरा कार्यक्रम ये था की एक विद्यार्थी टॉयलेट के कम्बोड पर बैठ के फिनलैंड वाली पढ़ाई करेगा और स्कूल से छूटते हि पास की दुकान से बिल्कुल ताजी शराब की बोतल खरीदेगा और फिर नई शिक्षा नीति और अबकारी नीति के तहत बाकी लोगों को नौकरी देगा।
अब आप स्वयं सोचे यदी शिक्षक शराब बेचकर राजस्व कमाने की सोचने लगे तो फिर कुछ बचता हि नहीं।
विद्वत्त्वं दक्षता शीलं सङ्कान्तिरनुशीलनम् ।
शिक्षकस्य गुणाः सप्त सचेतस्त्वं प्रसन्नता ॥
अर्थात विद्वत्व, दक्षता, शील, संक्रांति, अनुशीलन, सचेतत्व, और प्रसन्नता – ये सात शिक्षक के गुण हैं , तो क्या ये शिक्षा मंत्री के गुण नहीं।
लेखन और संकलन :- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)
aryan_innag@yahoo.co.in