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साम्यवाद अर्थात कम्युनिज्म का काला स्वरूप। प्रथम अंक:- कार्ल हेनरिक मार्क्स!

29 मई 2023

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आइये इस कम्युनिज्म के काले, भयानक और अंधेरी दुनिया का तथ्यात्मक विश्लेषण करते हैँ। आरम्भ करते हैँ जर्मनी के उस छोटे से कस्बे से जंहा पर इस भयानक और समाजविरोधी सिद्धांत का जन्म हुआ था।

आइये इस कम्युनिज्म के काले, भयानक और अंधेरी दुनिया का तथ्यात्मक विश्लेषण करते हैँ। आरम्भ करते हैँ जर्मनी के उस छोटे से कस्बे से जंहा पर इस भयानक और समाजविरोधी सिद्धांत का जन्म हुआ था।आइये इस कम्युनिज्म के काले, भयानक और अंधेरी दुनिया का तथ्यात्मक विश्लेषण करते हैँ। आरम्भ करते हैँ जर्मनी के उस छोटे से कस्बे से जंहा पर इस भयानक और समाजविरोधी सिद्धांत का जन्म हुआ था।

मित्रों श्रीमान हेनरिक मार्क्स एक यहूदी थे जो जर्मनी के एक जाने माने वकील और अंगूरो के सफल व्यवसायी थे। श्रीमान हेनरिक की शादी हेनरीट प्रेसबर्ग के साथ हुई थी। हेनरीट प्रेसबर्ग एक समृद्ध व्यापारिक परिवार से जुड़ी एक डच यहूदी थीं, जिन्होंने बाद में फिलिप्स इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी की स्थापना की । हेनरीट प्रेसबर्ग की बहन सोफी प्रेसबर्ग  ने लायन फिलिप्स से शादी की थी, लायन फिलिप्स हालैंड (डच) के एक धनवान तंबाकू निर्माता और उद्योगपति थे।मित्रों श्रीमान हेनरिक मार्क्स एक यहूदी थे जो जर्मनी के एक जाने माने वकील और अंगूरो के सफल व्यवसायी थे। श्रीमान हेनरिक की शादी हेनरीट प्रेसबर्ग के साथ हुई थी। हेनरीट प्रेसबर्ग एक समृद्ध व्यापारिक परिवार से जुड़ी एक डच यहूदी थीं, जिन्होंने बाद में फिलिप्स इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी की स्थापना की । हेनरीट प्रेसबर्ग की बहन सोफी प्रेसबर्ग  ने लायन फिलिप्स से शादी की थी, लायन फिलिप्स हालैंड (डच) के एक धनवान तंबाकू निर्माता और उद्योगपति थे।

दिनांक ५ मई १८१८ को जर्मनी के राइन प्रांत के ट्रियर नगर में  इन्हीं हेनरिक मार्क्स  और हेनरीट प्रेसबर्ग  के घर तीसरे पुत्र के रूप में एक ऐसे लड़के का जन्म हुआ जिसके द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों कि आड़ में इंसानियत शर्मशार होती रही और खुन के घूंट पीती रही जो आज भी अनवरत जारी है। इस लड़के का नाम कार्ल हेनरिक मार्क्स रखा  गया। इनके पिता के कुल ९ संताने थी।दिनांक ५ मई १८१८ को जर्मनी के राइन प्रांत के ट्रियर नगर में  इन्हीं हेनरिक मार्क्स  और हेनरीट प्रेसबर्ग  के घर तीसरे पुत्र के रूप में एक ऐसे लड़के का जन्म हुआ जिसके द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों कि आड़ में इंसानियत शर्मशार होती रही और खुन के घूंट पीती रही जो आज भी अनवरत जारी है। इस लड़के का नाम कार्ल हेनरिक मार्क्स रखा  गया। इनके पिता के कुल ९ संताने थी।

पिता ने अपने व्यावसायिक हितों और तत्कालीन परिस्थितियों को देखते हुए कार्ल हेनरिक मार्क्स के जन्म के चार वर्षो के पश्चात हि यहूदी धर्म को छोड़कर ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया।पिता ने अपने व्यावसायिक हितों और तत्कालीन परिस्थितियों को देखते हुए कार्ल हेनरिक मार्क्स के जन्म के चार वर्षो के पश्चात हि यहूदी धर्म को छोड़कर ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया।

शिक्षा:-शिक्षा:-

मित्रों अब हम शैक्षणिक योग्यता पर थोड़ी सी दृष्टि डालकर आगे कार्ल हेनरिक मार्क्स के चरित्र का चित्रण करेंगे।

प्रारंभिक शिक्षा एक स्थानीय स्कूल जिमनेजियम में पूरी हुई। अपने पिता के सलाह पर बोन विश्वविद्यालय से उन्होंने कानून की शिक्षा प्राप्त की। तत्पश्चात् बर्लिन विश्वविद्यालय से दर्शन एवं इतिहास का अध्ययन किया और जेना विश्वविद्यालय से उन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

विवाह:-विवाह:-

उन्होंने वर्ष १८४३ ई में जर्मन थिएटर समीक्षक और राजनीतिक कार्यकर्ता जेनी वॉन वेस्टफेलन से शादी की, जिनसे इन्हें ७ बच्चे पैदा हुए। साम्यवाद अर्थात सर्वहारा का सिद्धांत देने वाले कार्ल हेनरिक मार्क्स के चरित्र पर एक दृष्टि डालते हैँ:-

उन्होंने वर्ष १८४३ ई में जर्मन थिएटर समीक्षक और राजनीतिक कार्यकर्ता जेनी वॉन वेस्टफेलन से शादी की, जिनसे इन्हें ७ बच्चे पैदा हुए।साम्यवाद अर्थात सर्वहारा का सिद्धांत देने वाले कार्ल हेनरिक मार्क्स के चरित्र पर एक दृष्टि डालते हैँ:-

साम्यवाद अर्थात सर्वहारा का सिद्धांत देने वाले कार्ल हेनरिक मार्क्स के चरित्र पर एक दृष्टि डालते हैँ:-साम्यवाद अर्थात सर्वहारा का सिद्धांत देने वाले कार्ल हेनरिक मार्क्स के चरित्र पर एक दृष्टि डालते हैँ:-

परजीवी व्यक्ति:- परजीवी व्यक्ति:-

कार्ल हेनरिक मार्क्स, जीवन भर परजीवियों की भांति हि जीते रहे, इन्होंने इंसानियत का खुन पिने वाले सिद्धांतो को देने वाली किताबों, कविताओं, थिसिस, लेखों इत्यादि को लिखने के अलावा कभी कोई कार्य नहीं किया। इनके आकर्मण्यता का शिकार इनके परिवार और बच्चों को भी  बनना पड़ा। इनके सात बच्चोँ जेनी कैरोलिन ; जेनी लौरा ; एडगर; हेनरी एडवर्ड गाय; जेनी एवलिन फ्रांसिस; जेनी जूलिया एलेनोर  और एक और जिनका नाम लेने से पहले ही मृत्यु हो गई  में से केवल तिन हि जिंदा बच पाए बाकी सभी अपने पिता के कारण असमय मृत्यु को प्राप्त हो गये।कार्ल हेनरिक मार्क्स, जीवन भर परजीवियों की भांति हि जीते रहे, इन्होंने इंसानियत का खुन पिने वाले सिद्धांतो को देने वाली किताबों, कविताओं, थिसिस, लेखों इत्यादि को लिखने के अलावा कभी कोई कार्य नहीं किया। इनके आकर्मण्यता का शिकार इनके परिवार और बच्चों को भी  बनना पड़ा। इनके सात बच्चोँ जेनी कैरोलिन ; जेनी लौरा ; एडगर; हेनरी एडवर्ड गाय; जेनी एवलिन फ्रांसिस; जेनी जूलिया एलेनोर  और एक और जिनका नाम लेने से पहले ही मृत्यु हो गई  में से केवल तिन हि जिंदा बच पाए बाकी सभी अपने पिता के कारण असमय मृत्यु को प्राप्त हो गये।

अपनी पुरी शिक्षा दीक्षा अपने मां बाप के मेहनत की कमाई पर की। शादी भी इनके मां बाप के खर्चों पर हि हुई।अपनी पुरी शिक्षा दीक्षा अपने मां बाप के मेहनत की कमाई पर की। शादी भी इनके मां बाप के खर्चों पर हि हुई।

जब इस व्यक्ति के समाज विरोधी सिद्धांतों के लिए लंदन से भी भगा दिया गया तब ये अपनी जीविका के लिए अपनी मौसी सोफी प्रेसबर्ग और मौसा लायन फिलिप्स से पैसे उधार लेकर अपना जीवन यापन करते रहे।जब इस व्यक्ति के समाज विरोधी सिद्धांतों के लिए लंदन से भी भगा दिया गया तब ये अपनी जीविका के लिए अपनी मौसी सोफी प्रेसबर्ग और मौसा लायन फिलिप्स से पैसे उधार लेकर अपना जीवन यापन करते रहे।

फ्रेडरिक एंगेल्स' जो कि  एक जर्मन समाजशास्त्री एवं दार्शनिक थे, ने १८४५ ई में इंग्लैंड के मजदूर वर्ग की स्थिति पर "द कंडीशन ऑफ वर्किंग क्लास इन इंग्लैंड" नामक पुस्तक लिखी। उन्होंने मार्क्स के साथ मिलकर १८४८ ई में कम्युनिस्ट घोषणापत्र की रचना की और बाद में आधारहीन पुस्तक "पूंजी" दास कैपिटल को लिखने के लिये मार्क्स की आर्थिक तौर पर सहायता की। कार्ल हेनरिक मार्क्स के बाकी कि पुरी जिंदगी इसी एंगेल्स के दिये गये पैसों के आधार पर बीती। इसी एंगेल्स ने कार्ल हेनरिक मार्क्स और उसके परिवार का पूरा खर्च उठाया।फ्रेडरिक एंगेल्स' जो कि  एक जर्मन समाजशास्त्री एवं दार्शनिक थे, ने १८४५ ई में इंग्लैंड के मजदूर वर्ग की स्थिति पर "द कंडीशन ऑफ वर्किंग क्लास इन इंग्लैंड" नामक पुस्तक लिखी। उन्होंने मार्क्स के साथ मिलकर १८४८ ई में कम्युनिस्ट घोषणापत्र की रचना की और बाद में आधारहीन पुस्तक "पूंजी" दास कैपिटल को लिखने के लिये मार्क्स की आर्थिक तौर पर सहायता की। कार्ल हेनरिक मार्क्स के बाकी कि पुरी जिंदगी इसी एंगेल्स के दिये गये पैसों के आधार पर बीती। इसी एंगेल्स ने कार्ल हेनरिक मार्क्स और उसके परिवार का पूरा खर्च उठाया।

और यही नहीं मार्क्स की मौत हो जाने के बाद एंगेल्स ने "पूंजी के दूसरे और तीसरे खंड का संपादन भी किया। एंगेल्स ने अतिरिक्त पूंजी के नियम पर मार्क्स के लेखों को जमा करने की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाई और अंत में इसे पूंजी के चौथे खंड के तौर पर प्रकाशित किया गया।और यही नहीं मार्क्स की मौत हो जाने के बाद एंगेल्स ने "पूंजी के दूसरे और तीसरे खंड का संपादन भी किया। एंगेल्स ने अतिरिक्त पूंजी के नियम पर मार्क्स के लेखों को जमा करने की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाई और अंत में इसे पूंजी के चौथे खंड के तौर पर प्रकाशित किया गया।

मीडिया में उपलब्ध लेखों और अन्य सामग्रियों से ये जानकारी प्राप्त होती है कि ये कार्ल मार्क्स दार्शनिक ही नहीं, अपितु ‘दुसरे का माल अपना मानकर उपयोग करने वाले’  अर्थशास्त्री भी थे। रिश्तेदारों  और मित्रों से उधार लेकर खा जाने के पश्चात उसे लौटाने के बदले उन्हें कोसने-धिक्कारने लगते थे, ताकि कोई उनसे दिया गया उधार ना वापस मांग ले । मीडिया में उपलब्ध लेखों और अन्य सामग्रियों से ये जानकारी प्राप्त होती है कि ये कार्ल मार्क्स दार्शनिक ही नहीं, अपितु ‘दुसरे का माल अपना मानकर उपयोग करने वाले’  अर्थशास्त्री भी थे। रिश्तेदारों  और मित्रों से उधार लेकर खा जाने के पश्चात उसे लौटाने के बदले उन्हें कोसने-धिक्कारने लगते थे, ताकि कोई उनसे दिया गया उधार ना वापस मांग ले ।

इस कार्ल हेनरिक मार्क्स ने खुद के स्वार्थ की पूर्ति के लिए अपनी  मां की रही-सही बचत पर भी हाथ साफ़ कर दिया। ऐसे रिश्तेदारों  को ये कार्ल हेनरिक मार्क्स  ‘विरासत की राह का अड़ंगा’ कहा करता था, जो जल्दी मरते नहीं थे।इस कार्ल हेनरिक मार्क्स ने खुद के स्वार्थ की पूर्ति के लिए अपनी  मां की रही-सही बचत पर भी हाथ साफ़ कर दिया। ऐसे रिश्तेदारों  को ये कार्ल हेनरिक मार्क्स  ‘विरासत की राह का अड़ंगा’ कहा करता था, जो जल्दी मरते नहीं थे।

ज्ञात सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इसने अपने परम मित्र फ्रीड्रिश एंगेल्स के नाम एक पत्र में अपने एक बीमार नज़दीकी रिश्तेदार के बारे में लिखते हुए कहा कि , ‘यह कुत्ता यदि अब मर जाता, तो मेरा काम बन जाता।’ तीन साल बाद जब वह मर गया, तो मार्क्स ने अपनी खुशी को शब्दों में उतारते हुए लिखा, ‘कितनी खुशी की बात है!’ज्ञात सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इसने अपने परम मित्र फ्रीड्रिश एंगेल्स के नाम एक पत्र में अपने एक बीमार नज़दीकी रिश्तेदार के बारे में लिखते हुए कहा कि , ‘यह कुत्ता यदि अब मर जाता, तो मेरा काम बन जाता।’ तीन साल बाद जब वह मर गया, तो मार्क्स ने अपनी खुशी को शब्दों में उतारते हुए लिखा, ‘कितनी खुशी की बात है!’

चरित्र:

-इनके कामचोरी वाले व्यक्तित्व से तो आप परिचित हो गये, अब आइये इनके चरित्र से भी दो चार कर लेते है। इस कार्ल हेनरिक मार्क्स ने अपनी मां समान नौकरानी हेलेना देमुट से अनैतिक रूप से सम्भोग करके एक गर्भवती कर दिया और समय आने पर हेलेना देमुट ने जून १८५१ में एक बच्चे को जन्म दिया जिसका नाम हेनरी फ्रेडरिक था। ये मार्क्स इतना डरपोक और कायर था की इसने जीवन भर अपने अवैध बच्चे हेनरिक फ्रेडरिक को ना तो अपना नाम दिया और ना हि उसका पालन पोषण किया। और अपने जीवन में उन्होंने ऐसे एक नहीं कम से कम ६ कारनामे किये और किसी की भी जिम्मेदारी नहीं ली। वही ये हेलेना देमुट इस कार्ल मार्क्स के मरने तक( दिनांक १४ मार्च १८८३) सेवा करती रही।इनके कामचोरी वाले व्यक्तित्व से तो आप परिचित हो गये, अब आइये इनके चरित्र से भी दो चार कर लेते है। इस कार्ल हेनरिक मार्क्स ने अपनी मां समान नौकरानी हेलेना देमुट से अनैतिक रूप से सम्भोग करके एक गर्भवती कर दिया और समय आने पर हेलेना देमुट ने जून १८५१ में एक बच्चे को जन्म दिया जिसका नाम हेनरी फ्रेडरिक था। ये मार्क्स इतना डरपोक और कायर था की इसने जीवन भर अपने अवैध बच्चे हेनरिक फ्रेडरिक को ना तो अपना नाम दिया और ना हि उसका पालन पोषण किया। और अपने जीवन में उन्होंने ऐसे एक नहीं कम से कम ६ कारनामे किये और किसी की भी जिम्मेदारी नहीं ली। वही ये हेलेना देमुट इस कार्ल मार्क्स के मरने तक( दिनांक १४ मार्च १८८३) सेवा करती रही।

घृणा, राग, द्वेष, झूठ, फरेब और ईर्ष्या:-

कार्ल हेनरिक मार्क्स में ये सारे अवगुण कुट कूट कर भरे थे।कार्ल मार्क्स के एक मित्र थे अर्नोल्ड रूगे। उनके नाम एक पत्र में मार्क्स ने लिखा कि उनके लिए "यहूदी धर्म बहुत घृणित है।यहूदी धर्म का लौकिक आधार है स्वार्थीपन! यहूदियों की सांसारिक संस्कृति है शतरंजी मात देना! उनका लौकिक भगवान है पैसा!यहूदी धर्म कला, इतिहास और मानवीयता के प्रति दुर्भावना से भरा है। उसमें तो औरत भी शतरंज का मोहरा है।" इस पत्र में मार्क्स ने यहूदियों के बारे में जो कुछ लिखा है, वह  हिटलर की नाज़ी पार्टी के किसी घृणा-प्रचार से कम नहीं है।

एक घर या फ्लैट किराए पर लेते समय,कार्ल  मार्क्स अक्सर छद्म अर्थात नकली नामों का इस्तेमाल करते थे। पेरिस में रहते हुए, उन्होंने अपने लिए "महाशय रामबोज़" नाम का इस्तेमाल किया, जबकि लंदन में, उन्होंने "ए विलियम्स" के रूप में अपने पत्रों पर हस्ताक्षर किए। उनके दोस्तों ने उनके काले रंग और काले घुंघराले बालों के कारण उन्हें "मूर" कहा, जबकि उन्होंने अपने बच्चों को "ओल्ड निक" और "चार्ली" कहने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने अपने दोस्तों और परिवार को उपनाम और छद्म नाम भी दिए, फ्रेडरिक एंगेल्स को "जनरल" के रूप में संदर्भित करते हुए, उनके हाउसकीपर हेलेन को "लेनचेन" या "निम" के रूप में संदर्भित किया, जबकि उनकी बेटियों में से एक जेनीचेन को "जनरल" के रूप में संदर्भित किया गया था। (स्त्रोत विकिपीडिया)!

स्वास्थ्य:-

ट्रायर टैवर्न क्लब ड्रिंकिंग सोसाइटी में शामिल होने के पश्चात कार्ल मार्क्स ने अपनी मृत्यु तक जमकर शराब पी। कार्ल मार्क्स खराब स्वास्थ्य से पीड़ित थे (जिसे उन्होंने स्वयं "अस्तित्व की दयनीयता" के रूप में वर्णित किया था)। उनके जीवनी लेखक वर्नर ब्लूमेनबर्ग ने कार्ल मार्क्स के इस अवस्था के लिए एक अनुपयुक्त जीवन शैली के कारण हुए जिगर और पित्त की समस्याओं को जिम्मेदार ठहराया, जो कार्ल मार्क्स को वर्ष १८४९ ई में हुई थी और जिससे वे बाद में कभी मुक्त नहीं हुए। कार्ल मार्क्स अक्सर सिरदर्द, आंखों की सूजन, सिर में नसों का दर्द और आमवाती दर्द से पीड़ित रहते थे।

वर्ष १८७७ ई में कार्ल मार्क्स एक गंभीर तंत्रिका संबंधी विकार से पीड़ित हो गये और इसके पीछे दीर्घकालीन अनिद्रा एक कारण था और इससे उबरने के लिए कार्ल  मार्क्स ने नशीले पदार्थों का सहारा लिया।  रात में अत्यधिक काम और दोषपूर्ण आहार से बीमारी बढ़ गई थी। मार्क्स मसालेदार व्यंजन, स्मोक्ड फिश, कैवियार, मसालेदार खीरे के शौकीन थे जबकी "इनमें से कोई भी लिवर के रोगियों के लिए अच्छा नहीं है"। उन्हें शराब और लिकर भी पसंद थे और एक बड़ी मात्रा में धूम्रपान करते थे "और चूंकि उनके पास पैसे नहीं थे, यह आमतौर पर कार्ल हेनरिक मार्क्स खराब गुणवत्ता वाले सिगार का सेवन करते थे"। वर्ष १८६३ ई से, मार्क्स ने फोड़ों के बारे में बहुत शिकायत की उनके शरीर में उग आये फोड़े इतने खराब थे कि मार्क्स न तो सीधे बैठ सकते थे और न ही सीधे काम कर सकते थे। ब्लूमेनबर्ग के अनुसार, मार्क्स का चिड़चिड़ापन अक्सर लिवर के रोगियों में पाया जाता है।( स्त्रोत विकिपीडिया)

जलन:-

फेर्डिनांड लसाल मार्क्स के समय के एक ऐसे यहूदी थे, जिसने जर्मन श्रमिकों को एकजुट करने की एक संस्था बना रखी थी। वर्ष १८६२ में वे मार्क्स से लंदन में मिले थे। क्योंकि मार्क्स भी अपने आप को जर्मन मज़दूर वर्ग का एक बड़ा नेता मानते थे, इसलिए वे लसाल से बहुत जलते थे। एंगेल्स के नाम अपने पत्रों में वे लसाल के लिए ‘यहूदी नीग्रो’ (हब्शी) जैसे शब्दों का प्रयोग करते थे।

मार्क्स और एंगेल्स का मार्क्सवाद चाहे जितना तार्किक लगे, किंतु पूंजीवाद में अंतर्निहित विरोधाभासों की तरह ही न तो मार्क्सवाद और न ही  इन दोनों का निजी जीवन विरोधाभासों से मुक्त था।

मार्क्स और एंगेल्स दोनों  महानुभाव बात तो करते हैं सर्वहारा के उद्धार की, पर उन्होंने खुद मेहनत-मज़दूरी कभी नहीं की। इन्हीं तथ्यों को रेखांकित करते हुए, मई २०१७ में, जर्मनी के दो भाइयों ब्यौर्न और सीमोन अक्स्तीनात ने, कार्ल हेनरिक मार्क्स के द्वारा लिखे गये ऐसे ही पत्र आदि जुटा कर उन्हें पॉकेट-बुक के रूप में प्रकाशित किया। पुस्तक को नाम दिया, ’मार्क्स और एंगेल्स अंतरंग’ (मार्क्स उन्ट एंगेल्स इन्टीम)।सीमोन अक्स्तीनात के हाथ अचानक कुछ ऐसे उद्धरण लगे, थे, जो काफी घटिया क़िस्म के थे।

मजदूरों का अपमान:-

पुस्तक के लोकार्पण के दिन जर्मन मीडिया के साथ बातचीत में ब्यौर्न अक्स्तीनात ने कहा कि लोग यही मानते हैं कि मार्क्स सर्वहारा वर्ग के मसीहा थे और पूंजीपतियों, कुलीनों और सामंतों से लड़ने का आह्वान करते थे परन्तु, हम पाते हैं कि "कहने को तो वे मेहनत-मज़दूरी करने वालों को शोषण से मुक्ति दिलाना चाहते थे, किंतु मूलतः उन्हें ‘महामूर्ख’ ही मानते थे।" अपनी कई चिट्ठियों में उन्होंने मज़दूरों को अपमानित किया है।

ब्यौर्न और सीमोन अक्स्तीनात की पुस्तक मार्क्स और एंगेल्स अंतरंग’ (मार्क्स उन्ट एंगेल्स इन्टीम) में इसकी पुष्टि करता मार्क्स एक घटिया उद्धरण इस प्रकार है, "‘इन मज़दूरों से भी बड़ा संपूर्ण गधा तो कोई हो ही नहीं सकता।"’

दो खंडों वाली अपनी भारी-भरकम पुस्तक ‘दास कैपिटल’ के एक खंड के बारें में कार्ल हेनरिक मार्क्स ने खुद टिप्पणी की है, "मैं इस खंड को और लंबा खींच रहा हूं, क्योंकि जर्मन कुत्ते किताबों की क़ीमत वॉल्यूम में आंकते हैं...।" उन्हें इस बात पर भी काफ़ी गर्व था कि वे जर्मन हैं।

अतीत में जर्मन और फ्रांसीसी एक-दूसरे से ख़ूब लड़ा करते थे। इसी बात को लेकर मार्क्स ने एक पत्र में लिखा, "इन फ़्रांसीसियों को तो ख़ूब कूटा जाना चाहिये।" इस्लाम से भी उन्हें शिकायत थी उनका कहना था, "इस्लाम मुसलमानों और नास्तिकों के बीच एक सतत शत्रुता की स्थिति पैदा कर रहा है।"

कार्ल मार्क्स हीगेल के विचारों से प्रभावित थे।

कार्ल मार्क्स ने ‘होली फैमिली’ नामक पुस्तक प्रकाशित करवाई जिसमें उन्होंने सर्वहारा वर्ग और भौतिक दर्शन की सैद्धांतिक विचारधारा पर सर्वाधिक प्रकाश डाला परन्तु इसमें लिखी बातों को कार्ल हेनरिक मार्क्स ने अपने जीवन में कभी नहीं अपनाया। वे परजीवी बनकर जिये और परजीवी बनकर मरे।

मार्क्स ने अपने साम्यवादी घोषणा-पत्र में पूंजीवाद को समाप्त करने का संकल्प लिया था, परन्तु जिंदगी भर पूँजीपतियों के फेंके गये टुकड़ो लर पलते रहे। दूसरों की सम्पत्ति का उपभोग करना हि इनका मुख्य उद्देश्य था।

मार्क्स के अनुसार विश्व में अशांति एवं असंतोष का कारण गरीबों एवं अमीरों के मध्य का वर्ग संघर्ष ही है, पर मार्क्स के लिए यह संघर्ष कभी था हि नहीं, क्योंकि उधार पर जिंदगी जिने वाले के पास ना गरीबों की जिंदगी होती है और ना अमीरों की।

उन्होंने कहा कि उत्तराधिकार की प्रथा का अंत किया जाना चाहिये, इसके पीछे इनका एकमात्र उद्देश्य ये था इनके जैसे जान्गरचोर लोग केवल दूसरे की कमाई पर आसानी से जीवन यापन करते रहें, लोग कमाकर अपने वंशजो के लिए कुछ ना करें अपितु मार्क्स और एंगेल्स जैसे कामचोर लोगों को दान कर जाएँ।

मार्क्स का मत था कि आर्थिक एवं सामाजिक समानता हेतु शांतिपूर्वक क्रांति की जानी चाहिये और यदि इससे बदलाव न हो तो सशस्त्र क्रांति की जानी चाहिये।

मार्क्सवाद के नाम पर पिछले सौ वर्षों में दुनिया भर में जो दमन और अत्याचार हुए हैं, ख़ून और आंसू बहे हैं, उनके कारण जर्मनी के ट्रीयर के निवासियों को ही नहीं, जर्मनों के व्यापक बहुमत को भी इस बात पर गर्व की जगह शर्म महसूस होती है कि कार्ल मार्क्स एक जर्मन थे।

लेखन और संकलन:- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)

aryan_innag@yahoo.co.in

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NASA  द्वारा प्राप्त किया गया चित्र, तनिक ध्यान से देखें।NASA  द्वारा प्राप्त किया गया चित्र, तनिक ध्यान से देखें। जी हाँ कई आसमानी किताबों में आपको निम्नलिखित बाते मिल जाएंगी जैसे:-जी हाँ कई आसम

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अरे अदालते तो उस समय भी थी संविधान तो उस समय भी था।

29 मई 2023
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मित्रों जब से अतिक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की हत्या होने पर  तथा उसके बेटे असद अहमद का पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने पर, इस देश के तथाकथित संविधानवादी (जिनका संविधान से कोई लेना देना नहीं) और अदालतवाद

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हाँ तुम सावरकर कभी नहीं हो सकते क्योंकि:- "सावरकर बनने के लिए"

29 मई 2023
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१:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा; १:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा;१:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा; २:+ राष्ट्रद्रोही नहीं राष्ट्रवादी बनना पड़ेगा; ३:- अंधकार नहीं प्रकाश फैलाना पड़ेगा; ४:-अधर्म के साथ नहीं

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कैसा भगवान है तुम्हारा, जिसकी १६१०८ पत्नियां है, कैसे तुम इन्हें GOD कह सकते हो?

30 मई 2023
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एक वामपंथी से सनातनी का शास्त्रार्थ:-एक वामपंथी से सनातनी का शास्त्रार्थ:- मित्रों जैसा की आपको पता है कि मेरे एक मित्र हैँ जो जन्म से ब्राह्मण पर कर्म और सोच से वामपंथी हैँ और वामपंथी होकर सनातन

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आदरणीय न्यायालयों ने भी "The Kerla Story" का सम्मान किया:-

30 मई 2023
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मित्रों शांतिदूतो से पैसा मिलने पर पाकिस्तानी आतंकवादियों का भी केस लड़ने का हुनर रखने वाले सर्वोच्च न्यायालय के तथाकथित वकील ने अपने मस्तिष्क के पश्च भाग का सम्पूर्ण बल प्रयोग कर लिया अपनी समस्त ज

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अनपढ़ कौन:- प्रधानमंत्री या दिल्ली का मुख्यमंत्री।

30 मई 2023
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मित्रों आपने यादी ध्यान दिया होगा तो अबकारी (शराब) मंत्री श्री मनीष सिसोदिया के तुरूंगवासित होते हि,( वर्ष २०१६ के पश्चात )श्री अरविन्द केजरीवाल ने एक बार फिर हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दाम

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भगत सिंह कम्युनिस्ट नहीं थे।

30 मई 2023
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वामपंथी के साथ एक सनातनी का शास्त्रार्थ। मित्रों जैसा कि आप जानते हैँ कि  हमारे एक, जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी मित्र हैँ, जो सनातन धर्म की आलोचना करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते। आज उन्होंन

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खुशबु सुंदर के पिता तो यौन शोषण कर सकते हैँ पर स्वाति मालीवाल के पिता कैसे?

30 मई 2023
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पितृन्नमस्येदिवि ये च मूर्त्ताः स्वधाभुजः काम्यफलाभिसन्धौ ॥ प्रदानशक्ताः सकलेप्सितानां विमुक्तिदा येऽनभिसंहितेषु ॥ अर्थात :-मैं अपने पिता को नमन करता हूँ जो सभी देवताओं का प्रत्यक्ष रूप हैं,

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हिन्दू जातिवाद :- संविधान बनाम मनुस्मृति |

30 मई 2023
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मित्रों विधर्मियों और कुपढो ने सर्वप्रथम सनातन धर्म के जिस पुस्तक पर अपनी ओछी दृष्टि डाली उसे हम मनुस्मृति के नाम से जानते हैं | मनुस्मृति सम्पूर्ण मनवा सभ्यता को सुसंकृत और सुशिक्षित बनाने के लिए

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क्या आपने कभी सुना है कि, प्यार और युद्ध में सबकुछ उचित है"!

30 मई 2023
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मित्रों कलयुग में अनेक घटनाये ऐसी घटित होती हैं, जिनसे मानवता और संस्कृति शर्मशार हो उठती है। कुछ उदाहरण देख लें: - १:-क्षणिक आकर्षण के मोहपाश में बंधकर एक बेटी ने अपने पिता कि पगड़ी उछाल कर अपने प्रे

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बापे पूत परापत घोड़ा बहुत नहीं तो थोड़ा थोड़ा। अतिक अहमद और असद अहमद।

6 जून 2023
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हर आदमी और जानवर में अपने बाप की मिज़ाजी ख़ुसूसीयात पाई जाती है, अपनी नसल का असर ज़रूर आता है, तुख़्म की तासीर फ़ित्री होती है। जी हाँ मित्रों  आज भारत के सबसे खूंखार आतंकी अतिक अहमद और उसके पुत्र असद

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वलोडिमिर ऑलेक्ज़ेंड्रोविच ज़ेलेंस्की :- एक मसखरा जो अपने अहंकार के कारण यूक्रेन के लिए बना शॉप |

6 जून 2023
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जी हाँ मित्रों यदि राजा देश और देश की प्रजा से अधिक स्वयं के अहंकार को महत्व देता है तो वह  देश पाकिस्तान या फिर यूक्रेन जैसी भयानक परिस्थितियों का शिकार हो जाता है | यूक्रेन में २०१९ से पूर्व एक संजी

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स्वास्थ्य, शराब, शिक्षा और सिसोदिया।

6 जून 2023
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मित्रों आज हम इस लेख में कट्टर ईमानदार और क्रांतिकारी शिक्षा मंत्री आदरणीय श्री मनीष सिसोदिया जी के विषय में चर्चा और परिचर्चा करेंगे। मित्रों शिक्षा के विषय में हमारे शास्त्र कहते हैँ:- विद्य

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एक सनातनी का एक वामपंथी तर्कवादी के साथ शास्त्रार्थ भाग-१० " चार्ल्स डार्विन और दशावतार"।

6 जून 2023
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हे मित्रों जैसा की आप जानते हैं की हमारे  एक जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथी मित्र हैं और उनकी सबसे बड़ी विशेषता ये है कि वो सनातन धर्म के धुर विरोधी हैं और सनातन धर्म को निचा दिखने का कोई अवसर

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एक नेता जिसने किया कुछ भी नहीं पर पाया सब कुछ!

6 जून 2023
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हे मित्रों आप सोच रहे होंगे कि मैं ये क्या कह रहा रहूँ या किस नेता के बारे में बात कर रहा हूँ? आइये ये लेख जैसे जैसे आगे बढ़ता जाएगा आपको अपने आप उस नेता का चेहरा दिखलाई देना शुरू कर देगा। जी हाँ

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एक सनातनी का वामपंथी से शस्त्रार्थ्-६ प्रसंग:- गुरु द्रोण - एकलव्य और गुरु दक्षिणा।

6 जून 2023
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हे मित्रों कैसे हैं आप लोग, आप तो जानते हैं कि हमारे एक मित्र हैं जो जनम से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हैं। आज एक बार पुन: मेरे आवास पर आ बिराजे और वामपन्थ के एक और झूठ को हथियार बना मुझसे शास्रा

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मनुस्मृति को बदनाम और अपमानित क्यों किया?

6 जून 2023
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हे मित्रों, कार्ल मार्क्स के उलूल जुलूल और आधारहीन सिद्धांतो के अँधेरी और भयावह दुनिया में फांसकर कई व्यक्तियों ने ना केवल अपना सम्पूर्ण जीवन नष्ट कर दिया अपितु करोड़ो लोगों कि हत्या भी उन्होंने कर

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हमारा देश "धर्म निरपेक्ष" है या "पंथ निरपेक्ष"। एक सनातनी का एक वामपंथी से शास्त्रार्थ भाग्-५

6 जून 2023
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हे मित्रों, नमस्कार जैसा कि आप जानते हैं कि सनातन धर्म का विरोध करने वाले तथा जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हमारे एक मित्र हैं,  और अक्सर हमारे जैसे सनातनी के साथ वो शास्त्रार्थ के लिए आते रहत

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वामपन्थियों का जीता जगता झूठ:- "लाल कोट शाहजंहा नामक किसी मुग़ल ने बनवाया। हा हा हा"

6 जून 2023
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हे मित्रों वामपंथी और मुसलिम इतिहासकारो ने अपने झूठ बोलने और लिखने कि कला का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किया और झूठ को बार बार लिखकर बोलकर उसे सच साबित करने का प्रयास किया। पर मित्रों या जितने तथाकथि

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Bhar OS भारत का अपना ओपरेटिंग सिस्टम।

6 जून 2023
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हे मित्रों आत्मनिर्भर भारत कि दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए हमारे देश ने अपना एक ओपरेटिंग सिस्टम विकसित कर लिया है, जो अतिशीघ्र Android और IOS को टक्कर देने और बाजार में उनके एकाधिकार को

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अंग्रेजी वैज्ञानिक सर आईजैक न्यूटन के संदर्भ में एक सनातनी और वामपंथी के मध्य शास्त्रार्थ भाग-९

6 जून 2023
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मित्रों जैसा कि आप जानते हि हैं कि हमारे एक मित्र हैं जो जनम से ब्राह्मण है पर कर्म से वामपंथी है। अब वामपंथी लोगों का कर्म कैसा होता है, ये बताने की अवश्यक्ता नहीं है। मित्रों वामपंथी मित्र हमारे

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दहेज प्रथा। वामपंथी और सनातन धर्मी में शास्त्रार्थ भाग्-६

6 जून 2023
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मित्रों मेरा और मेरे वामपंथी मित्र (जो जनम से ब्राह्मण और कर्म से पूरे वामपंथी हैं) के मध्य शास्त्रार्थ तो चलता हि रहता है।  मेरे वामपंथी मित्र बुराइयाँ ढूंढ ढूंढ कर लाते हैं पर जब उसका उदगम उन्हीं

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सतीप्रथा सनातन धर्मी और वामपन्थी में शास्त्रार्थ भाग्-५

6 जून 2023
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मित्रों एक बार पुन: जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथ अनुगामी मेरे मित्र मार्ग में मुझे देखते ही मेरे साथ हो लिए  कुशलक्षेम का आदान प्रदान करने के पश्चात तुरंत अपने मुख्य उद्देश्य " सनातन धर्म की अ

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निंदक नियरे राखिये आंगन कुटी छवाये। बिन साबुन पानी बिना, निर्मल करत सुभाय।।"

6 जून 2023
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हे मित्रों जब महाकवि कबीरदास जी ने उक्त दोहे की रचना कि थी, तब निंदा करने वाले व्यक्ति भी कुछ मर्यादा के साथ गुण और अवगुण पर विचार कर निंदा या आलोचना करते थे। उस वक़्त के म्लेच्छ वर्ग को छोड़ दिया जाए

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मनुस्मृति में नारी का स्थान! सनातन धर्मी का एक वामपंथी से शास्त्रार्थ भाग्-४

6 जून 2023
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मित्रों जैसा कि आप अब तक हमारे वामपंथी मित्र को जान चुके होंगे, जो कि जन्म से तो ब्राह्मण है, परन्तु कर्म से  वामपंथी हैं ।उन्हें एक बार पुन: सनातन धर्म में बुराई दिखाने कि महत्वकान्छा और उनकी प्रवृ

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सनातन धर्म और विज्ञान। एक सनातन धर्मी का वामपन्थि के मध्य शास्त्रार्थ -८(क)

6 जून 2023
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हे मित्रों मेरे मित्र के विष्य में तो आप जानते हि होंगे, जी हाँ वहीं मित्र जो जनम से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी और धुर सनातन विरोधी हैं। वो सदैव कि भांति एक बार पुन: मेरे घर आ धमके और शास्त्रार्थ

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सनातन धर्म और विज्ञान एक सनातनी और वामपंथी के मध्य शस्त्रार्थ्- ८(ख)

6 जून 2023
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मित्रों पिछले अंक में आपने देखा था कि जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हमारे मित्र ने सनातन धर्मीयो को अनपढ़, अंधविश्वासी, कर्मकांडी और विज्ञान से परे बताते हुए जबरदस्त आलोचना कि थी। उन्होंने सनात

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सनातन धर्म और विज्ञान सनातन धर्मी और वामपन्थ के मध्य शास्त्रार्थ भाग-८(ग)

6 जून 2023
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हे मित्रों, जब हमारे जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथी मित्र तुलसी के पौधे और नीम के वृक्ष में सनातन धर्मीयों के आस्था का मजाक उड़ाने में जब असफल हो गए तो एक दिन फिर हमारे घर पर उपस्थित हुए और इस ब

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सत्य की जीत:- श्री एकनाथ शिंदे।

6 जून 2023
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जी हाँ मित्रों, दिनांक १९जुन १९६६ को जब स्व. बाळासाहेब ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना का गठन हुआ, तो इसके पीछे केवल २ उद्देश्य थे, जिसमें से एक था भूमिपूत्रों का विकास और दूसरा था हिंदुत्व की अवधारणा।

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सनातनी और वामपंथी के मध्य मनुस्मृति को लेकर शास्त्रार्थ। भाग्-१

6 जून 2023
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मित्रों मैं एक सनातनी हूँ कल अंग्रेजी वर्ष २०२२ का अंतिम दिन था और अचानक मार्क्स को अपना पिता, लेनिन को अपना मार्गदर्शक और माओ को अपना सगा मानकर उनका गुणगान करने वाला एक वामपंथी मित्र मुझसे टकरा गये

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हिंदू नूतनवर्ष:- वामपंथी और सनातन धर्मी के मध्य शास्त्रार्थ भाग-२

6 जून 2023
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मित्रों मैं सनातन धर्मी हूँ और मेरे एक मित्र हैं जो केवल जनम से ब्राह्मण हैं और कर्म से वामपंथी हैं,  अंग्रेजी मान्यता के अनुसार नए वर्ष के आगमन पर मुझसे पुन:  शास्त्रार्थ की अभिलाषा से आ टपके और आत

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श्रीरामचरितमानस: - सनातन धर्मी और वामपंथी के मध्य शास्त्रार्थ भाग्-३

6 जून 2023
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मित्रों आज मेरे मित्र जो जनम से तो ब्राह्मण हैं परन्तु कर्म से महा वामपंथी, आज अपने चेहरे पर कुटिल मुस्कान लेकर आए और अपने सिकुड़ चुके छाती को फुलाने का असफल प्रयास करते हुए मुझे ललकारा कि अब बोलो बड़

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पीसा कि मीनार विश्व धरोहर पर रत्नेश्वर मंदिर का कोई स्थान नहीं।

7 जून 2023
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मित्रों हमारे शास्त्रों ने हमें शिक्षित करते हुए बताया है कि:- न विश्वसेदविश्वस्ते विश्वस्ते नातिविश्वसेत्। विश्वासाद् भयमभ्येति नापरीक्ष्य च विश्वसेत्।। अर्थात जो विश्वसनीय नहीं है, उस पर कभी

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परम बलिदानी बच्चे :- कोटी कोटी नमन।

7 जून 2023
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🌹🌸🌻🌼🙏 शुभप्रभात 🙏🌹🌸🌻🌼 दो बच्चे निर्भीकता से उस स्थान पर अपने तेज और शौर्य का प्रकाश फैलाये खड़े थे।उनको चारों ओर से म्लेच्छ प्रजाति के भयानक और डरवाने लोगों ने घेर रखा था। वे सैकड़ो कि संख्या

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हाँ तुम सावरकर कभी नहीं हो सकते क्योंकि:- "सावरकर बनने के लिए"

7 जून 2023
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१:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा; २:+ राष्ट्रद्रोही नहीं राष्ट्रवादी बनना पड़ेगा; ३:- अंधकार नहीं प्रकाश फैलाना पड़ेगा; ४:-अधर्म के साथ नहीं धर्म के साथ खड़ा रहना पड़ेगा; ५:+ असत्य या झूठ नहीं सत्य क

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भारत और विश्व कि अर्थव्यवस्था।

7 जून 2023
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हे मित्रों, ईश्वर की असीम अनुकम्पा है हम भारतीयों के ऊपर कि हमने सही समय पर सही निर्णय लिया और किसी के बहकावे में ना आकर हम अपने निर्णय पर अडिग रहे। आइये हम एक विश्लेषण करते हैं कि, हमारा निर्णय

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जार्ज सोरोस, कांग्रेस और इनके पालतू भारत विद्रोही।

7 जून 2023
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मित्रों शीर्षक से हि आपको लेख के तथ्यों के विषय में आभाष हो गया होगा, आइये देखते हैँ की किस प्रकार जार्ज सोरोस और कांग्रेस तथा उनके पालतू भारत विद्रोही, भारत की बढ़ रही वैश्विक साख और विश्वसनीयता क

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कौन सा पठान?

8 जून 2023
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मित्रों हमारे बॉलीवुड को घटिया, अश्लील और् अतिहिन्सक बनाकर उसे हम सनातन धर्मीयों की दृष्टि से पूर्णतया गिरा देने वालो में से एक शाहरुख़ खान, एक "पठान" नामक चलचित्र लेकर आ रहा है, सुना है ये चलचित्र प

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