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हाँ तुम सावरकर कभी नहीं हो सकते क्योंकि:- "सावरकर बनने के लिए"

29 मई 2023

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१:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा;

१:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा;१:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा;

२:+ राष्ट्रद्रोही नहीं राष्ट्रवादी बनना पड़ेगा;

३:- अंधकार नहीं प्रकाश फैलाना पड़ेगा;

४:-अधर्म के साथ नहीं धर्म के साथ खड़ा रहना पड़ेगा;

५:+ असत्य या झूठ नहीं सत्य के साथ जीना पड़ेगा;

६:- दुराचारी और भ्र्ष्टाचारी नहीं सदाचारी बनना पड़ेगा;

७:- आराम और ऐश का जीवन नहीं दो काला पानी की क्रूर सजा से युक्त कंटकयुक्त जीवन जीना पड़ेगा;

८:- पिता की कमाई पर नहीं, अपनी योग्यता, बुद्धि और कौशल के बल पर देश्-विदेश में ज्ञान प्राप्त करना पड़ेगा;

९:-"तुष्टिकरण" नहीं "सभी समान हैँ" वाले भाव को अपनाना होगा;

१०:-नशे में नहीं सदैव होश में रहना होगा;

११:- अपनी संस्कृति, भाषा, सभ्यता और परम्परा से नफरत नहीं परम स्नेह और प्यार करना होगा;

१२:- विदेशोयों से हाथ मिलाकर देश की अस्मिता का सौदा करना नहीं अपितु उसकी रक्षा करना होगा;

१३:- नकारात्मकता और हिन भावना की चादर में नहीं अपितु सकारतमकता और स्वाभिमान के प्राकृतिक आवरण में रहना होगा;

१४:- अहंकारी नहीं  सरल बनना पड़ेगा;

१५:- काम, क्रोध, मद, लोभ और मोह से भरा जीवन नहीं अपितु त्याग, तप, परिश्रम, कर्तव्यपरायणता और प्रेम से भरा जीवन जीना होगा;

१६:- परिवारवादी नहीं अपितु राष्ट्रवादी बन सम्पूर्ण राष्ट्र को अपना परिवार मानना पड़ेगा;

१७:- दुश्मन कितना भी क्रूर और शक्तिशाली क्यों ना हो, अपने राष्ट्र की रक्षा के लिए उससे लड़ना होगा;

१८:-सेना से सबूत नहीं मांगना होगा अपितु भारतीय सेना पर विश्वाश रख उसे उचित सम्मान देना होगा;

१९:- किसी के चरित्र की महानता पर झूठा कलंक लगाने का प्रयास नहीं करना होगा अपितु उसकी महानता को स्वीकार कर उससे भी महान बनने का प्रयास करना होगा;

२०:- राष्ट्र के विकास को रोकने का कुप्रयास करने के स्थान पर  उसमें सहयोग करना होगा;

२१:- विदेशी आक्रांताओ के द्वारा परोसे गये झूठे इतिहास पर नहीं अपितु अपने देश के असली इतिहास को अपनाना होगा;

२२:- वर्ष १८५७ ई में अंग्रेजो के प्रति किये गये सशस्त्र आंदोलन को "सिपाही विद्रोह" नहीं अपितु "प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम" मानना होगा;

२३:- तेजस्वी, ओजस्वी और विशेषयोग्यताधारी  भारत माता का सपूत बनना पड़ेगा;

२४:- अपने बाप दादाओ और माता पिता के बनाये आभामंडल से बाहर निकल अपने ज्ञान, गुण, योग्यता और चरित्र की सदाचारिता से राष्ट्र के हृदय में अमिट स्थान बनाना पड़ेगा और

२५:- स्वयं की दृष्टि में महान बनना पड़ेगा ।

पर हे मेरे लाल, क्या तुम्हारे अंदर इस प्रकार का ज्ञान, योग्यता, कुशलता, राष्ट्रप्रेम, सदाचारी चरित्र, त्याग और तपस्या का अंश मात्र भी है, नहीं ना, इसीलिए ये कड़वा सत्य है कि तुम "स्वातंत्र्यवीर सावरकर के पैर की धूल भी नहीं बन सकते।

जिस सावरकर की प्रसंशा तुम्हारी दादी ने की, जिस सावरकर का सामना तुम्हारे नाना कभी नहीं कर पाये, जिस सावरकर को तुम्हारे चाचा  सम्मानित करने हेतु सदैव तैयार रहते थे, जिस सावरकर को स्वयं महात्मा गाँधी " राष्ट्र का सपूत" मानते थे और जिस सावरकर को गोरे (अंग्रेज) भारत का सबसे योग्य, ज्ञानी और अपने साम्राज्य के लिए सबसे खतरनाक व्यक्ति मानते थे, उस सावरकर जैसा बनना तो दूर आप ऐसी सोच भी नहीं रख सकते।जिस सावरकर की प्रसंशा तुम्हारी दादी ने की, जिस सावरकर का सामना तुम्हारे नाना कभी नहीं कर पाये, जिस सावरकर को तुम्हारे चाचा  सम्मानित करने हेतु सदैव तैयार रहते थे, जिस सावरकर को स्वयं महात्मा गाँधी " राष्ट्र का सपूत" मानते थे और जिस सावरकर को गोरे (अंग्रेज) भारत का सबसे योग्य, ज्ञानी और अपने साम्राज्य के लिए सबसे खतरनाक व्यक्ति मानते थे, उस सावरकर जैसा बनना तो दूर आप ऐसी सोच भी नहीं रख सकते।

वो सावरकर हि थे, जिनके क्रांतिकारी और राष्ट्रवाद से परिपूर्ण लेखो और विचारों से प्रेरित होकर हजारों युवाओं ने भारत माता को स्वतंत्र कराने हेतु क्रांति की राह पकड़ ली थी और ब्रिटिश साम्राज्यवाद कु चूले हिला दी थी और अंतत: भारत की पवित्र भूमि से अपने नापाक कदमो को लेकर अपने मुल्क वापस लौटना पड़ा था।वो सावरकर हि थे, जिनके क्रांतिकारी और राष्ट्रवाद से परिपूर्ण लेखो और विचारों से प्रेरित होकर हजारों युवाओं ने भारत माता को स्वतंत्र कराने हेतु क्रांति की राह पकड़ ली थी और ब्रिटिश साम्राज्यवाद कु चूले हिला दी थी और अंतत: भारत की पवित्र भूमि से अपने नापाक कदमो को लेकर अपने मुल्क वापस लौटना पड़ा था।

वर्ष १९१९ के पश्चात और स्वतन्त्रता से पूर्व  स्व श्री मोहनदास कर्मचंद गाँधी से बड़ा व्यक्तित्व और चरित्र कोई था तो वो सावरकर, भगत सिंह और सुभाषचंद्र बोस का हि चरित्र था।वर्ष १९१९ के पश्चात और स्वतन्त्रता से पूर्व  स्व श्री मोहनदास कर्मचंद गाँधी से बड़ा व्यक्तित्व और चरित्र कोई था तो वो सावरकर, भगत सिंह और सुभाषचंद्र बोस का हि चरित्र था।

नाभिषेको न संस्कारः सिंहस्य क्रियते वने।नाभिषेको न संस्कारः सिंहस्य क्रियते वने।

विक्रमार्जितसत्त्वस्य स्वयमेव मृगेंद्रता।।

सिंह को जंगल का राजा नियुक्त करने के लिए न तो कोई राज्याभिषेक किया जाता है, न कोई संस्कार । अपने गुण और पराक्रम से वह खुद ही मृगेंद्रपद प्राप्त करता है। अर्थात सिंह अपनी विशेषताओं और वीरता (‘पराक्रम’) से जंगल का राजा बन जाता है। और सावरकर उसी सिंह की तरह थे, हैँ और रहेंगे।सिंह को जंगल का राजा नियुक्त करने के लिए न तो कोई राज्याभिषेक किया जाता है, न कोई संस्कार । अपने गुण और पराक्रम से वह खुद ही मृगेंद्रपद प्राप्त करता है। अर्थात सिंह अपनी विशेषताओं और वीरता (‘पराक्रम’) से जंगल का राजा बन जाता है। और सावरकर उसी सिंह की तरह थे, हैँ और रहेंगे।

हे सावरकर जैसे तपस्वी और राष्ट्रवादी का अपनी मूर्खता से तिरस्कार करने वाले अज्ञानी सुनो:-हे सावरकर जैसे तपस्वी और राष्ट्रवादी का अपनी मूर्खता से तिरस्कार करने वाले अज्ञानी सुनो:-

यौवनं धनसंपत्ति प्रभुत्वमविवेकिता ।

एकैकमप्यनर्थाय किमु यत्र चतुष्टयम् ॥

अर्थात युवानी, धन, सत्ता और अविवेक ये हर अपने आप में ही अनर्थकारी है, तो फिर जहाँ (एक के पास) चारों चार इकट्ठे हो, तब तो पूछना ही क्या ? अत: स्पष्ट है की तुम इन सबसे पीड़ित हो और जब तक इनके जाल से बाहर नहीं निकल जाते तब तक तुम्हारे आँखों के सामने छाया अंधेरा कभी दूर नहीं हो सकता और तुम यूँ हि अपने कुल पर कलंक लगाते विचरण करते रहोगे।

हे मेरे लाल सुनो अपने आस पास के वातावरण को शुद्ध करो, चम्मचतोड़ चमचों की कुसंगती से बाहर निकलो, सत्य को पहचानों, धर्म और सत्य के साथ खड़े हो, किसी के विरोध के लिए देश का विरोध ना करो, क्योंकि हमारे शास्त्रों ने तुम्हारे जैसे लोगों को सही राह दिखाने हेतु कहा है:हे मेरे लाल सुनो अपने आस पास के वातावरण को शुद्ध करो, चम्मचतोड़ चमचों की कुसंगती से बाहर निकलो, सत्य को पहचानों, धर्म और सत्य के साथ खड़े हो, किसी के विरोध के लिए देश का विरोध ना करो, क्योंकि हमारे शास्त्रों ने तुम्हारे जैसे लोगों को सही राह दिखाने हेतु कहा है:

दूरीकरोति कुमतिं विमलीकरोतिदूरीकरोति कुमतिं विमलीकरोति

चेतश्र्चिरंतनमधं चुलुकीकरोति ।

भूतेषु किं च करुणां बहुलीकरोति

संगः सतां किमु न मंगलमातनोति ॥

कुमति को दूर करता है, चित्त को निर्मल बनाता है । लंबे समय के पाप को अंजलि में समा जाय एसा बनाता है, करुणा का विस्तार करता है; सत्संग मानव को कौन सा मंगल नहीं देता ? अत: कुमति का त्याग कर सुमति को अपनाकर सत्संग करो ताकि अपने हृदय में पाल बैठे अनेक बुराइयों और नकारात्मकता से मुक्त हो सको और एक अच्छा नागरिक बन सको।

स्वातंत्र्यवीर सावरकर का मानना था ;-स्वातंत्र्यवीर सावरकर का मानना था ;-

महान लक्ष्य के लिए किया गया कोई भी बलिदान व्यर्थ नहीं जाता है।अपने देश की, राष्ट्र की, समाज की स्वतंत्रता- हेतु प्रभु से की गई मूक प्रार्थना भी सबसे बड़ी अहिंसा का द्योतक है।महान लक्ष्य के लिए किया गया कोई भी बलिदान व्यर्थ नहीं जाता है।अपने देश की, राष्ट्र की, समाज की स्वतंत्रता- हेतु प्रभु से की गई मूक प्रार्थना भी सबसे बड़ी अहिंसा का द्योतक है।

उन्होंने इतिहास लिखने वाले ज्ञानियों और बुध्द्धजीवियों को प्रेरित करते हुए कहा था कि " वर्तमान परिस्थिति पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, इस तथ्य की चिंता किये बिना ही इतिहास लेखक को इतिहास लिखना चाहिए और समय की जानकारी को विशुद्ध और सत्य रूप में ही प्रस्तुत करना चाहिए।"उन्होंने इतिहास लिखने वाले ज्ञानियों और बुध्द्धजीवियों को प्रेरित करते हुए कहा था कि " वर्तमान परिस्थिति पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, इस तथ्य की चिंता किये बिना ही इतिहास लेखक को इतिहास लिखना चाहिए और समय की जानकारी को विशुद्ध और सत्य रूप में ही प्रस्तुत करना चाहिए।"

समाज मे फैली छुवाछूत जैसी कुप्रथा के विषय में स्पष्टवादिता के साथ उन्होंने माना था कि " हमारे देश और समाज के माथे पर एक कलंक है – अस्पृश्यता। हिन्दू समाज के, धर्म के, राष्ट्र के करोड़ों हिन्दू बन्धु इससे अभिशप्त हैं। जब तक हम ऐसे बनाए हुए हैं, तब तक हमारे शत्रु हमें परस्पर लड़वाकर, विभाजित करके सफल होते रहेंगे। इस घातक बुराई को हमें त्यागना ही होगा।"समाज मे फैली छुवाछूत जैसी कुप्रथा के विषय में स्पष्टवादिता के साथ उन्होंने माना था कि " हमारे देश और समाज के माथे पर एक कलंक है – अस्पृश्यता। हिन्दू समाज के, धर्म के, राष्ट्र के करोड़ों हिन्दू बन्धु इससे अभिशप्त हैं। जब तक हम ऐसे बनाए हुए हैं, तब तक हमारे शत्रु हमें परस्पर लड़वाकर, विभाजित करके सफल होते रहेंगे। इस घातक बुराई को हमें त्यागना ही होगा।"

कर्तव्यनिष्ठ होने की प्रेरणा देते हुए उन्होंने कहा था कि "कर्तव्य की निष्ठा संकटों को झेलने में, दुःख उठाने में और जीवनभर संघर्ष करने में ही समाविष्ट है। यश अपयश तो मात्र योगायोग की बातें हैं।"कर्तव्यनिष्ठ होने की प्रेरणा देते हुए उन्होंने कहा था कि "कर्तव्य की निष्ठा संकटों को झेलने में, दुःख उठाने में और जीवनभर संघर्ष करने में ही समाविष्ट है। यश अपयश तो मात्र योगायोग की बातें हैं।"

दो काले पानी की सजा के कष्टकर जीवन को जीते हुए उन्होंने लाखो युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा था कि " कष्ट ही तो वह शक्ति है जो इंसान को कसौटी पर परखती है और उसे आगे बढ़ाती है।"दो काले पानी की सजा के कष्टकर जीवन को जीते हुए उन्होंने लाखो युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा था कि " कष्ट ही तो वह शक्ति है जो इंसान को कसौटी पर परखती है और उसे आगे बढ़ाती है।"

वे संस्कृत भाषा की महानता और उसके विस्तार से परिचित थे अत: वो संस्कृत की महानता पर अपने अनमोल विचार प्रस्तुत करते हुए कहते हैँ कि "महान हिन्दू संस्कृति के भव्य मन्दिर को आज तक पुनीत रखा है संस्कृत ने। इसी भाषा में हमारा सम्पूर्ण ज्ञान, सर्वोत्तम तथ्य संगृहीत हैं। एक राष्ट्र, एक जाति और एक संस्कृति के आधार पर ही हम हिन्दुओं की एकता आश्रित और आघृत है।"वे संस्कृत भाषा की महानता और उसके विस्तार से परिचित थे अत: वो संस्कृत की महानता पर अपने अनमोल विचार प्रस्तुत करते हुए कहते हैँ कि "महान हिन्दू संस्कृति के भव्य मन्दिर को आज तक पुनीत रखा है संस्कृत ने। इसी भाषा में हमारा सम्पूर्ण ज्ञान, सर्वोत्तम तथ्य संगृहीत हैं। एक राष्ट्र, एक जाति और एक संस्कृति के आधार पर ही हम हिन्दुओं की एकता आश्रित और आघृत है।"

कांग्रेसियों को देशभक्ति का पाठ पढ़ाते हुए उन्होंने कहा था कि कांग्रेसियों को देशभक्ति का पाठ पढ़ाते हुए उन्होंने कहा था कि

"देशभक्ति का अर्थ यह कदापि नहीं है कि आप उसकी हुडियाँ भुनाते रहें। यदि क्रांतिकारियों को देशभक्ति की हुडियाँ भुनानी होतीं तो वीर हुतात्मा धींगरा, कन्हैया कान्हेरे और भगत सिंह जैसे देशभक्त फांसी पर लटककर स्वर्ग की पूण्य भूमि में प्रवेश करने का साहस न करते। वे ‘ए’ क्लास की जेल में मक्खन,

डबलरोटी और मौसम्बियों का सेवन कर, दो-दो माह की जेल यात्रा से लौट कर अपनी हुडियाँ भुनाते दिखाई देते।"

वीर सावरकर ने कभी भी अपनी आलोचना होने की परवाह नहीं की अपितु वो सत्य को डंके की चोट पर कहते थे, उनका स्पष्ट मानना था कि "हिन्दू जाति की गृहस्थली है, भारत; जिसकी गोद में महापुरूष, अवतार, देवी-देवता और देवजन खेले हैं। यही हमारी पितृभूमि और पुण्यभूमि है। यही हमारी कर्मभूमि है और इससे हमारी वंशगत और सांस्कृतिक आत्मीयता के सम्बन्ध जुड़े हैं।" सावरकर ने कहा था, 'हिंदू धर्म कोई ताड़पत्र पर लिखित पोथी नहीं जो ताड़पत्र के चटकते ही चूर चूर हो जायेगा, आज उत्पन्न होकर कल नष्ट हो जायेगा। यह कोई गोलमेज परिषद का प्रस्ताव भी नहीं, यह तो एक महान जाति का जीवन है; यह एक शब्द-भर नहीं, अपितु सम्पूर्ण इतिहास है। अधिक नहीं तो चालीस सहस्त्राब्दियों का इतिहास इसमें भरा हुआ है।'वीर सावरकर ने कभी भी अपनी आलोचना होने की परवाह नहीं की अपितु वो सत्य को डंके की चोट पर कहते थे, उनका स्पष्ट मानना था कि "हिन्दू जाति की गृहस्थली है, भारत; जिसकी गोद में महापुरूष, अवतार, देवी-देवता और देवजन खेले हैं। यही हमारी पितृभूमि और पुण्यभूमि है। यही हमारी कर्मभूमि है और इससे हमारी वंशगत और सांस्कृतिक आत्मीयता के सम्बन्ध जुड़े हैं।" सावरकर ने कहा था, 'हिंदू धर्म कोई ताड़पत्र पर लिखित पोथी नहीं जो ताड़पत्र के चटकते ही चूर चूर हो जायेगा, आज उत्पन्न होकर कल नष्ट हो जायेगा। यह कोई गोलमेज परिषद का प्रस्ताव भी नहीं, यह तो एक महान जाति का जीवन है; यह एक शब्द-भर नहीं, अपितु सम्पूर्ण इतिहास है। अधिक नहीं तो चालीस सहस्त्राब्दियों का इतिहास इसमें भरा हुआ है।'

"छदम अहिंसावाद से युवाओं को सचेत करते हुए वीर सावरकर ने अपनी ओजस्वी भाषा शैली में कहा था कि "अन्याय का जड़ से उन्मूलन कर सत्य धर्म की स्थापना हेतु क्रांति, प्रतिशोध आदि प्रकृतिप्रदत्त साधन ही हैं। अन्याय के परिणामस्वरूप होने वाली वेदना और उद्दण्डता ही तो इन साधनों का नियन्त्रण करती है।""छदम अहिंसावाद से युवाओं को सचेत करते हुए वीर सावरकर ने अपनी ओजस्वी भाषा शैली में कहा था कि "अन्याय का जड़ से उन्मूलन कर सत्य धर्म की स्थापना हेतु क्रांति, प्रतिशोध आदि प्रकृतिप्रदत्त साधन ही हैं। अन्याय के परिणामस्वरूप होने वाली वेदना और उद्दण्डता ही तो इन साधनों का नियन्त्रण करती है।"

स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी के शब्दों में "सावरकर जी एक व्यक्ति नहीं हैं, एक विचार हैं। एक चिनगारी नहीं हैं, एक अंगार हैं। सीमित नहीं हैं, एक विस्तार हैं। मन, वचन और कर्म में जैसा तादात्म्य (मेल-जोल), जैसी एकरूपता सावरकर जी ने अपने जीवन में प्रकट की, वो अनूठी है, अलौकिक है। उनका व्यक्तित्व, उनका कृतित्व, उनका वक्तृत्व और उनका कवित्व सावरकर जी के जीवन को ऐसा आयाम प्रदान करते हैं कि विश्व के इतिहास में हमेशा याद किए जाएंगे।"(मुंबई स्थित सावरकर दर्शन प्रतिष्ठान में  दिये गये भाषण का अंश)स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी के शब्दों में "सावरकर जी एक व्यक्ति नहीं हैं, एक विचार हैं। एक चिनगारी नहीं हैं, एक अंगार हैं। सीमित नहीं हैं, एक विस्तार हैं। मन, वचन और कर्म में जैसा तादात्म्य (मेल-जोल), जैसी एकरूपता सावरकर जी ने अपने जीवन में प्रकट की, वो अनूठी है, अलौकिक है। उनका व्यक्तित्व, उनका कृतित्व, उनका वक्तृत्व और उनका कवित्व सावरकर जी के जीवन को ऐसा आयाम प्रदान करते हैं कि विश्व के इतिहास में हमेशा याद किए जाएंगे।"(मुंबई स्थित सावरकर दर्शन प्रतिष्ठान में  दिये गये भाषण का अंश)

स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी ने २० मई १९०८ को पंडित बाखले, सचिव, स्वतंत्रवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के नाम से संबोधित चिट्ठी में सावरकर के योगदान का जिक्र किया था। इस पत्र में इंदिरा ने लिखा है, 'मुझे आपका पत्र 8 मई 1980 को मिला था। वीर सावरकर का ब्रिटिश सरकार के खिलाफ मजबूत प्रतिरोध हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के लिए काफी अहम है। मैं आपको देश के महान सपूत ( Remarkable Son of India) के शताब्दी समारोह के आयोजन के लिए बधाई देती हूं।'स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी ने २० मई १९०८ को पंडित बाखले, सचिव, स्वतंत्रवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के नाम से संबोधित चिट्ठी में सावरकर के योगदान का जिक्र किया था। इस पत्र में इंदिरा ने लिखा है, 'मुझे आपका पत्र 8 मई 1980 को मिला था। वीर सावरकर का ब्रिटिश सरकार के खिलाफ मजबूत प्रतिरोध हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के लिए काफी अहम है। मैं आपको देश के महान सपूत ( Remarkable Son of India) के शताब्दी समारोह के आयोजन के लिए बधाई देती हूं।'

तो हे पथभृष्टों " सावरकर एक विचार है, जो सतत, अनवरत और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में व्याप्त है"!तो हे पथभृष्टों " सावरकर एक विचार है, जो सतत, अनवरत और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में व्याप्त है"!

लेखन और संकलन:- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)

aryan_innag@yahoo.co.in

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रचनाएँ
परिस्थितिकीय लेख
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ये पुस्तक परिस्थितयो के द्वारा उत्पन्न स्थितियों पर विचारों की एक श्रृंखला है, जिसे पढ़ने के पश्चात आपका आकर्षण और भी सशक्त और दृढ हो जायेगा।
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हिन्दू जातिवाद :- संविधान बनाम मनुस्मृति |

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मित्रों आपने यादी ध्यान दिया होगा तो अबकारी (शराब) मंत्री श्री मनीष सिसोदिया के तुरूंगवासित होते हि,( वर्ष २०१६ के पश्चात )श्री अरविन्द केजरीवाल ने एक बार फिर हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दाम

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भगत सिंह कम्युनिस्ट नहीं थे।

30 मई 2023
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वामपंथी के साथ एक सनातनी का शास्त्रार्थ। मित्रों जैसा कि आप जानते हैँ कि  हमारे एक, जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी मित्र हैँ, जो सनातन धर्म की आलोचना करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते। आज उन्होंन

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खुशबु सुंदर के पिता तो यौन शोषण कर सकते हैँ पर स्वाति मालीवाल के पिता कैसे?

30 मई 2023
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पितृन्नमस्येदिवि ये च मूर्त्ताः स्वधाभुजः काम्यफलाभिसन्धौ ॥ प्रदानशक्ताः सकलेप्सितानां विमुक्तिदा येऽनभिसंहितेषु ॥ अर्थात :-मैं अपने पिता को नमन करता हूँ जो सभी देवताओं का प्रत्यक्ष रूप हैं,

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हिन्दू जातिवाद :- संविधान बनाम मनुस्मृति |

30 मई 2023
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मित्रों विधर्मियों और कुपढो ने सर्वप्रथम सनातन धर्म के जिस पुस्तक पर अपनी ओछी दृष्टि डाली उसे हम मनुस्मृति के नाम से जानते हैं | मनुस्मृति सम्पूर्ण मनवा सभ्यता को सुसंकृत और सुशिक्षित बनाने के लिए

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क्या आपने कभी सुना है कि, प्यार और युद्ध में सबकुछ उचित है"!

30 मई 2023
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मित्रों कलयुग में अनेक घटनाये ऐसी घटित होती हैं, जिनसे मानवता और संस्कृति शर्मशार हो उठती है। कुछ उदाहरण देख लें: - १:-क्षणिक आकर्षण के मोहपाश में बंधकर एक बेटी ने अपने पिता कि पगड़ी उछाल कर अपने प्रे

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बापे पूत परापत घोड़ा बहुत नहीं तो थोड़ा थोड़ा। अतिक अहमद और असद अहमद।

6 जून 2023
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हर आदमी और जानवर में अपने बाप की मिज़ाजी ख़ुसूसीयात पाई जाती है, अपनी नसल का असर ज़रूर आता है, तुख़्म की तासीर फ़ित्री होती है। जी हाँ मित्रों  आज भारत के सबसे खूंखार आतंकी अतिक अहमद और उसके पुत्र असद

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वलोडिमिर ऑलेक्ज़ेंड्रोविच ज़ेलेंस्की :- एक मसखरा जो अपने अहंकार के कारण यूक्रेन के लिए बना शॉप |

6 जून 2023
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जी हाँ मित्रों यदि राजा देश और देश की प्रजा से अधिक स्वयं के अहंकार को महत्व देता है तो वह  देश पाकिस्तान या फिर यूक्रेन जैसी भयानक परिस्थितियों का शिकार हो जाता है | यूक्रेन में २०१९ से पूर्व एक संजी

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स्वास्थ्य, शराब, शिक्षा और सिसोदिया।

6 जून 2023
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मित्रों आज हम इस लेख में कट्टर ईमानदार और क्रांतिकारी शिक्षा मंत्री आदरणीय श्री मनीष सिसोदिया जी के विषय में चर्चा और परिचर्चा करेंगे। मित्रों शिक्षा के विषय में हमारे शास्त्र कहते हैँ:- विद्य

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एक सनातनी का एक वामपंथी तर्कवादी के साथ शास्त्रार्थ भाग-१० " चार्ल्स डार्विन और दशावतार"।

6 जून 2023
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हे मित्रों जैसा की आप जानते हैं की हमारे  एक जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथी मित्र हैं और उनकी सबसे बड़ी विशेषता ये है कि वो सनातन धर्म के धुर विरोधी हैं और सनातन धर्म को निचा दिखने का कोई अवसर

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एक नेता जिसने किया कुछ भी नहीं पर पाया सब कुछ!

6 जून 2023
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हे मित्रों आप सोच रहे होंगे कि मैं ये क्या कह रहा रहूँ या किस नेता के बारे में बात कर रहा हूँ? आइये ये लेख जैसे जैसे आगे बढ़ता जाएगा आपको अपने आप उस नेता का चेहरा दिखलाई देना शुरू कर देगा। जी हाँ

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एक सनातनी का वामपंथी से शस्त्रार्थ्-६ प्रसंग:- गुरु द्रोण - एकलव्य और गुरु दक्षिणा।

6 जून 2023
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हे मित्रों कैसे हैं आप लोग, आप तो जानते हैं कि हमारे एक मित्र हैं जो जनम से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हैं। आज एक बार पुन: मेरे आवास पर आ बिराजे और वामपन्थ के एक और झूठ को हथियार बना मुझसे शास्रा

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मनुस्मृति को बदनाम और अपमानित क्यों किया?

6 जून 2023
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हे मित्रों, कार्ल मार्क्स के उलूल जुलूल और आधारहीन सिद्धांतो के अँधेरी और भयावह दुनिया में फांसकर कई व्यक्तियों ने ना केवल अपना सम्पूर्ण जीवन नष्ट कर दिया अपितु करोड़ो लोगों कि हत्या भी उन्होंने कर

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हमारा देश "धर्म निरपेक्ष" है या "पंथ निरपेक्ष"। एक सनातनी का एक वामपंथी से शास्त्रार्थ भाग्-५

6 जून 2023
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हे मित्रों, नमस्कार जैसा कि आप जानते हैं कि सनातन धर्म का विरोध करने वाले तथा जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हमारे एक मित्र हैं,  और अक्सर हमारे जैसे सनातनी के साथ वो शास्त्रार्थ के लिए आते रहत

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वामपन्थियों का जीता जगता झूठ:- "लाल कोट शाहजंहा नामक किसी मुग़ल ने बनवाया। हा हा हा"

6 जून 2023
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हे मित्रों वामपंथी और मुसलिम इतिहासकारो ने अपने झूठ बोलने और लिखने कि कला का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किया और झूठ को बार बार लिखकर बोलकर उसे सच साबित करने का प्रयास किया। पर मित्रों या जितने तथाकथि

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Bhar OS भारत का अपना ओपरेटिंग सिस्टम।

6 जून 2023
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हे मित्रों आत्मनिर्भर भारत कि दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए हमारे देश ने अपना एक ओपरेटिंग सिस्टम विकसित कर लिया है, जो अतिशीघ्र Android और IOS को टक्कर देने और बाजार में उनके एकाधिकार को

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अंग्रेजी वैज्ञानिक सर आईजैक न्यूटन के संदर्भ में एक सनातनी और वामपंथी के मध्य शास्त्रार्थ भाग-९

6 जून 2023
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मित्रों जैसा कि आप जानते हि हैं कि हमारे एक मित्र हैं जो जनम से ब्राह्मण है पर कर्म से वामपंथी है। अब वामपंथी लोगों का कर्म कैसा होता है, ये बताने की अवश्यक्ता नहीं है। मित्रों वामपंथी मित्र हमारे

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दहेज प्रथा। वामपंथी और सनातन धर्मी में शास्त्रार्थ भाग्-६

6 जून 2023
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मित्रों मेरा और मेरे वामपंथी मित्र (जो जनम से ब्राह्मण और कर्म से पूरे वामपंथी हैं) के मध्य शास्त्रार्थ तो चलता हि रहता है।  मेरे वामपंथी मित्र बुराइयाँ ढूंढ ढूंढ कर लाते हैं पर जब उसका उदगम उन्हीं

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सतीप्रथा सनातन धर्मी और वामपन्थी में शास्त्रार्थ भाग्-५

6 जून 2023
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मित्रों एक बार पुन: जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथ अनुगामी मेरे मित्र मार्ग में मुझे देखते ही मेरे साथ हो लिए  कुशलक्षेम का आदान प्रदान करने के पश्चात तुरंत अपने मुख्य उद्देश्य " सनातन धर्म की अ

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निंदक नियरे राखिये आंगन कुटी छवाये। बिन साबुन पानी बिना, निर्मल करत सुभाय।।"

6 जून 2023
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हे मित्रों जब महाकवि कबीरदास जी ने उक्त दोहे की रचना कि थी, तब निंदा करने वाले व्यक्ति भी कुछ मर्यादा के साथ गुण और अवगुण पर विचार कर निंदा या आलोचना करते थे। उस वक़्त के म्लेच्छ वर्ग को छोड़ दिया जाए

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मनुस्मृति में नारी का स्थान! सनातन धर्मी का एक वामपंथी से शास्त्रार्थ भाग्-४

6 जून 2023
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मित्रों जैसा कि आप अब तक हमारे वामपंथी मित्र को जान चुके होंगे, जो कि जन्म से तो ब्राह्मण है, परन्तु कर्म से  वामपंथी हैं ।उन्हें एक बार पुन: सनातन धर्म में बुराई दिखाने कि महत्वकान्छा और उनकी प्रवृ

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सनातन धर्म और विज्ञान। एक सनातन धर्मी का वामपन्थि के मध्य शास्त्रार्थ -८(क)

6 जून 2023
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हे मित्रों मेरे मित्र के विष्य में तो आप जानते हि होंगे, जी हाँ वहीं मित्र जो जनम से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी और धुर सनातन विरोधी हैं। वो सदैव कि भांति एक बार पुन: मेरे घर आ धमके और शास्त्रार्थ

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सनातन धर्म और विज्ञान एक सनातनी और वामपंथी के मध्य शस्त्रार्थ्- ८(ख)

6 जून 2023
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मित्रों पिछले अंक में आपने देखा था कि जन्म से ब्राह्मण पर कर्म से वामपंथी हमारे मित्र ने सनातन धर्मीयो को अनपढ़, अंधविश्वासी, कर्मकांडी और विज्ञान से परे बताते हुए जबरदस्त आलोचना कि थी। उन्होंने सनात

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सनातन धर्म और विज्ञान सनातन धर्मी और वामपन्थ के मध्य शास्त्रार्थ भाग-८(ग)

6 जून 2023
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हे मित्रों, जब हमारे जन्म से ब्राह्मण और कर्म से वामपंथी मित्र तुलसी के पौधे और नीम के वृक्ष में सनातन धर्मीयों के आस्था का मजाक उड़ाने में जब असफल हो गए तो एक दिन फिर हमारे घर पर उपस्थित हुए और इस ब

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सत्य की जीत:- श्री एकनाथ शिंदे।

6 जून 2023
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जी हाँ मित्रों, दिनांक १९जुन १९६६ को जब स्व. बाळासाहेब ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना का गठन हुआ, तो इसके पीछे केवल २ उद्देश्य थे, जिसमें से एक था भूमिपूत्रों का विकास और दूसरा था हिंदुत्व की अवधारणा।

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सनातनी और वामपंथी के मध्य मनुस्मृति को लेकर शास्त्रार्थ। भाग्-१

6 जून 2023
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मित्रों मैं एक सनातनी हूँ कल अंग्रेजी वर्ष २०२२ का अंतिम दिन था और अचानक मार्क्स को अपना पिता, लेनिन को अपना मार्गदर्शक और माओ को अपना सगा मानकर उनका गुणगान करने वाला एक वामपंथी मित्र मुझसे टकरा गये।

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हिंदू नूतनवर्ष:- वामपंथी और सनातन धर्मी के मध्य शास्त्रार्थ भाग-२

6 जून 2023
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मित्रों मैं सनातन धर्मी हूँ और मेरे एक मित्र हैं जो केवल जन्म  से सनातनी हैं और कर्म से वामपंथी हैं,  अंग्रेजी मान्यता के अनुसार नए वर्ष के आगमन पर मुझसे पुन:  शास्त्रार्थ की अभिलाषा से आ टपके और आते

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श्रीरामचरितमानस: - सनातन धर्मी और वामपंथी के मध्य शास्त्रार्थ भाग्-३

6 जून 2023
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मित्रों  मेरे मित्र जो जन्म  से तो सनातनी  हैं परन्तु कर्म से महा वामपंथी, आज अपने चेहरे पर कुटिल मुस्कान लेकर आए और अपने सिकुड़ चुके छाती को फुलाने का असफल प्रयास करते हुए मुझे ललकारा कि अब बोलो बड़ा स

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पीसा कि मीनार विश्व धरोहर पर रत्नेश्वर मंदिर का कोई स्थान नहीं।

7 जून 2023
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मित्रों हमारे शास्त्रों ने हमें शिक्षित करते हुए बताया है कि:- न विश्वसेदविश्वस्ते विश्वस्ते नातिविश्वसेत्। विश्वासाद् भयमभ्येति नापरीक्ष्य च विश्वसेत्।। अर्थात जो विश्वसनीय नहीं है, उस पर कभी

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परम बलिदानी बच्चे :- कोटी कोटी नमन।

7 जून 2023
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🌹🌸🌻🌼🙏 शुभप्रभात 🙏🌹🌸🌻🌼 दो बच्चे निर्भीकता से उस स्थान पर अपने तेज और शौर्य का प्रकाश फैलाये खड़े थे।उनको चारों ओर से म्लेच्छ प्रजाति के भयानक और डरवाने लोगों ने घेर रखा था। वे सैकड़ो कि संख्या

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हाँ तुम सावरकर कभी नहीं हो सकते क्योंकि:- "सावरकर बनने के लिए"

7 जून 2023
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१:- भोगी नहीं योगी बनना पड़ेगा; २:+ राष्ट्रद्रोही नहीं राष्ट्रवादी बनना पड़ेगा; ३:- अंधकार नहीं प्रकाश फैलाना पड़ेगा; ४:-अधर्म के साथ नहीं धर्म के साथ खड़ा रहना पड़ेगा; ५:+ असत्य या झूठ नहीं सत्य क

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भारत और विश्व कि अर्थव्यवस्था।

7 जून 2023
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हे मित्रों, ईश्वर की असीम अनुकम्पा है हम भारतीयों के ऊपर कि हमने सही समय पर सही निर्णय लिया और किसी के बहकावे में ना आकर हम अपने निर्णय पर अडिग रहे। आइये हम एक विश्लेषण करते हैं कि, हमारा निर्णय

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जार्ज सोरोस, कांग्रेस और इनके पालतू भारत विद्रोही।

7 जून 2023
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मित्रों शीर्षक से हि आपको लेख के तथ्यों के विषय में आभाष हो गया होगा, आइये देखते हैँ की किस प्रकार जार्ज सोरोस और कांग्रेस तथा उनके पालतू भारत विद्रोही, भारत की बढ़ रही वैश्विक साख और विश्वसनीयता क

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कौन सा पठान?

8 जून 2023
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मित्रों हमारे बॉलीवुड को घटिया, अश्लील और् अतिहिन्सक बनाकर उसे हम सनातन धर्मीयों की दृष्टि से पूर्णतया गिरा देने वालो में से एक शाहरुख़ खान, एक "पठान" नामक चलचित्र लेकर आ रहा है, सुना है ये चलचित्र प

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