आसमा के आने से जाने तक।
मां की आंखो में उसका चेहरा, काम से घर लौटे कदमों की आहट कानों में समा रहे थे।
वह काम से नही लौटी, यह खबर पूरे पड़ोस में फैल गई।
पड़ोस में अफरा तफरी, हम उम्र लड़कियों की कानाफूसी।
वह गांव से मां का इलाज कराने शहर आई थी।
सोची थी कमाकर मां का इलाज करा लूंगी।
वह बिन बताए, मां से काम खोजने चली गई।
गांव की थी, सड़क पार करते समय ट्रक से टकरा गई।
अचेत अवस्था में, पुलिस मर्चरी ले गई।
यह खबर शाम तक कही छपी नही।
शाम तक यही हवा, वह कही चली गई।
शाम थाने से खबर आई आसमा किसकी लड़की?
यह सुन बीमार मां, पुलिस के सामने चकरा गई।
उसका इंतकाल हो गया, लाश मर्चरी में रखी गई।
अब हमउम्र लड़कियों के आंखो में आँसू आ गए।
उसकी मैयत आने तक आंखो के आँसू सूख गए ।
सुबह के पहले पहर,आसमा सफेद कफ़न में लिपटी हुई।
गली में घर की चौखट के सामने आसमा रखी गई।
कोई नही था रोने वाला उसकी मां के सिवा।
वह रोती चिल्लाती, उसे देखने के लिए।
कफ़न में लिपटी थी, बंधी थी। सर से पैर तक।
कुछ वक्त के लिए लाई गई घर की चौखट पर।
अब उसका लिबास बदल गया, जब वह गई जानजे से।
सुर्ख हरा कपड़ा पड़ा था उसके जनाजे में इत्र की खुशबू लिए।
गली में अब सहेलियां और खातून कुरान हाथो में लिए हुए।