रात गुजर गई लोरी में,
रात गुजर गई लोरी में, वह लोरी अभी बाकी है।
तेरे फन के गुलाम हम, उसे बताना अभी बाकी है।
करवटों से सिकुड़ी चादर को, झाड़ना अभी बाकी है।
बिखरी हुई जुल्फों को, कंघे से सुलझाना अभी बाकी है।
रातभर जगाया मुझे, घर में धूप जलाना अभी बाकी है।
आंखों में नींद न आने दिया तूने, नोचता रहा मेरे स्तनों
को, अभी दूध पिलाना बाकी है।
रात गुजर गई लोरी में, वह लोरी अभी बाकी है।
सोजा अब तू , किचन में नाश्ता बनाना अभी बाकी है।
वह भी तैयार बैठे है, बना दू उन्हे भी खाने के लिए,
उनका ऑफिस जाना अभी बाकी है।
रात गुजर गई लोरी में, वह लोरी अभी बाकी है।