उनके यहाँ होली केवल गुलाल से खेली जाती थी लेकिन छोटे छोटे बच्चे जिद कर रहे थे तो उन्होंने एक बाल्टी में रंग घोल दिया। उनकी पड़ोसन होली खेलने उनके यहाँ आई तो बाल्टी में रंग देखकर उनको ड्राई होली व पानी बचाने का लम्बा सा लेक्चर (भाषण) सुनाया। थोड़ी देर में पड़ोसी के यहाँ भी होली खिलना शुरू हो गई। सब एक दूसरे को पक्के रंग लगा रहे थे। कोई काला, कोई हरा तो किसी ने बालों में भी पक्के रंग की शीशी उड़ेल दी।
होली खत्म होने के बाद इनके यहाँ तो सब थोड़े थोड़े पानी से ही नहा लिये पर पड़ोसी के यहाँ पक्का रंग छुड़ाने के लिए बाल्टी पर बाल्टी पानी खर्च हो रहा था। पक्के रंग से होली खेलने वाले सबको सूखी होली बनाने की सलाह देते फिरते हैं। पक्के रंग (जो केमिकल से बनते हैं) त्वचा को भी नुकसान पहुंचाते हैं।