नियति की दादी उसके घर आई हुईं थीं। उनके खाने के लिए आज गोलगप्पों का कार्यक्रम बना था। नियति की मम्मी ने घर में गोलगप्पे बनाये थे। मम्मी गोलगप्पे प्लेट में सजाकर दादी के सामने रख गईं। प्लेट देखकर नियति सीधे अपने कमरे की ओर भागी। दादी को कुछ समझ नहीं आया। वो प्लेट लेकर पूजाघर गईं। वहाँ गोलगप्पों का भोग लगाया और वापस कमरे में आकर अपने हिस्से के गोलगप्पे खा गईं। थोड़ी देर में वहाँ नियति अपना फोन लेकर आई तो प्लेट की सजावट खराब हो चुकी थी। यह देखकर नियति बोली,'दादी आपको तो खाना खाना भी नहीं आता। ऐसे भी कुछ खाया जाता है क्या ?' दादी ने पूछा,'तो फिर कैसे खाते हैं आजकल।' नियति ने बताया कि दादी पहले खाने की दो-चार फोटो खींचते हैं फिर उन फोटो को एफ बी, इंस्टा आदि पर डालते हैं। उसके बाद खाते हैं।