पता नहीं इस मोहल्ले को किस की नजर लग गयी थी। तीन साल में यह तीसरे बच्चे की मौत थी। एक बच्चे पर बन्दरों ने हमला कर दिया था जिसकी बाद में मृत्यु हो गई थी। दूसरे बच्चे को कुत्तों ने मार डाला था। सब बहुत दुखी थे। पर रज्जो बुआ इसके लिए मोहल्ले वालों को ही जिम्मेदार मानती थी।
वह मोहल्ले की सबसे बृद्ध महिला थी। उनका कहना था कि मोहल्ले के लोगों ने अपने बच्चों की हर जिद्द पूरी कर करके उनको बिगाड़ रखा है। बच्चा कितनी भी गलती करे कोई उन्हें कुछ नहीं कहता था। अगर कोई उनकी शिकायत करे तो माँ-बाप उल्टे ही उस आदमी पर चढ़ बैठते थे। माँ-बाप की ऐसी हरकतों से ही बच्चे बहुत बिगड़ गये थे। वो जानवरों को तंग करते रहते। उनको पत्थर मारते। बड़े बच्चों ने तो कुछ जानवरों को घायल भी कर दिया था। राजू और उसका गैंग कुछ दिनों से उस पागल को परेशान कर रहा था। बच्चे कभी उसे पत्थर मारते कभी गर्म पानी उस पर डाल देते फिर ताली बजाकर बहुत खुश होते। बच्चों के माँ-बाप भी अपने बच्चों को खुश देखकर खुश होते। वो उन्हें न तो समझाने की कोशिश करते न ही मना करते कि ऐसा मत करो। पर इस बार किसी बच्चे ने पागल के साथ ऐसा व्यवहार किया था जो उसे अच्छा नहीं लगा और वो उन बच्चों के पीछे भागा। राजू उसके हाथ लग गया और छोटा होने के कारण वो उस पागल की पिटाई झेल नहीं पाया।