कोरोना कि तीसरी लहर चल रही थी। सरकार सभी नागरिकों से बार-बार कोरोना व्यवहार करने की अपील कर रही थी। लेकिन इस बस में मानक से ज्यादा सवारी थीं। कोई भी शारिरिक दूरी का पालन करता नहीं दिख रहा था। इक्का- दुक्का लोगों ने ही मास्क लगा रखा था। ऐसा लग रहा था सब कोरोना की दूसरी लहर की मार भुला चुके थे।
उसी बस में एक बीमार सा युवक भी सफर कर रहा था।बातों ही बातों में उसने बताया कि वो दिल्ली में इलाज कराने जा रहा है, उसे एड्स है। उसकी बात सुनकर पूरी बस में तहलका सा मच गया। लोगों ने तुरंत बस रुकवाई और बस से कूद-कूद कर बाहर आ गये। जब तक वो युवक बस में था कोई भी उसके संग उस बस में बैठने को तैयार नहीं था। आखिर में कन्डेक्टर ने युवक से कहा कि तुम किसी दूसरी बस से आ जाना और उसे बीच रास्ते में छोड़कर पूरी बस आगे चली गई।