मई का महीना था। आसमान से मानो आग बरस रही थी। सड़क पर सन्नाटा पसरा हुआ था। बाबू लाल जी पेड़ के नीचे खड़े होकर रिक्शे का इंतजार कर रहे थे।इस भरी दोपहर में रिक्शा मिलना मुश्किल था। तभी उन्हें एक रिक्शा आता दिखा। उन्होंने रिक्शा रोककर पूछा- शिव चौक चलोगे। रिक्शेवाले ने कहा- बैठो साहब। वहाँ मंदिर पर उतरकर उन्होंने शंकर जी के दर्शन किए। उन्हें बीस रुपये चढाये और फिर उसी रिक्शे में बैठकर अपने घर आ गए। रिक्शेवाले ने कहा 50 रुपये हो गये साहब। बाबूलाल जी सुनते ही भड़क गये और उसे 30 रुपये देकर वहाँ से भगा दिया।
भगवान पर 20 रुपये चढ़ाकर बाबूलाल जी खुश थे और रिक्शेवाला....