शेरू गली के सभी बच्चों का चहेता कुत्ता था। मोहल्ले के सभी बच्चे शेरू के साथ आकर खेलते थे। एक दिन शेरू ने किसी बच्चे को काट लिया। कुछ महीनों बाद की बात है शेरू ने फिर से किसी दूसरे बच्चे को काट लिया। पूरे मोहल्ले में सनसनी फैल चुकी थी। पूरे मोहल्ले की मीटिंग बुलाई गई। उसमें यह तय किया गया कि शेरू मोहल्ले के लिए खतरनाक हो गया है, उसे मार देना चाहिए। इसके बाद शेरू को मार दिया गया।
ऐसे ही समाचार अखबारों में भी आते रहते हैं कि बन्दर के काटने के कारण उसे मारने का फैसला लिया गया या हिंसक सांड को मारने का निर्णय लिया गया, पर हमारी कहानी है पुण्डीर साहब के कुत्ते की।
पुण्डीर साहब ने एक कुत्ता पाला था। बड़ा होने पर वह कुत्ता खतरनाक हो गया। वो गली में आने वाले बच्चों को डरा के दौड़ाता। वह कई लोगों को काट भी चुका था। कोई कुत्ते की शिकायत करता तो पुण्डीर साहब कहते गली किसी की जागीर नहीं है। उनका कुत्ता गली में घूमता रहता और बच्चों में दहशत फैलाता। एक-दो लोगों ने पुलिस में शिकायत की पर पुण्डीर साहब पर कोई फर्क नहीं पड़ा। उनका कुत्ता आज भी लोगों को काट लेता है और पुण्डीर साहब लोगों से लड़ लेते हैं। काश शेरू भी किसी का पालतू कुत्ता होता।