दिसंबर का महीना था और शाम का समय था। पड़ोस में वर्मा जी की पत्नी की मृत्यु हो गई थी। उनकी खबर सुनकर कालोनी की महिलाओं ने मीटिंग बुलाई और उसमें तय हुआ कि अभी कोई वर्मा जी के यहाँ नहीं जायेगा क्योंकि फिर रात में घर पर आकर नहाना पड़ेगा। सभी कल दोपहर में उनके घर जायेंगे।
ये कैसा विश्वास और रिवाज है यहाँ लोग किसी के घर जाकर उसको सांत्वना देना तो खत्म कर सकते हैं पर नहाना कैन्सल नहीं कर सकते।