होली का दिन था, किसी ने उस कार पर गुब्बारा फेंक के मारा। गुब्बारा लगते ही वो कार रुक गई। उसमें से बहुत अच्छे कपड़े पहने हुए एक आदमी निकला। जिसने बिल्कुल सफेद कपड़े पहन रखे थे। माथे पर दो-तीन रंग के गुलाल का टीका लगा हुआ था और गालों पर गुलाल की दो-तीन लाइनें खिंची हुईं थीं। वह जोर से चिल्लाया किसने मारा ये गुब्बारा, तभी 13-14 साल के एक लड़के ने उसके ऊपर पक्का रंग डाल दिया। रंग पड़ते ही वो आदमी गुस्से से पागल हो गया और उस लड़के पर चिल्लाने लगा, तुम छोटे लोगों को होली खेलनी भी नहीं आती। ये भी नहीं पता रंग कैसे लगाया जाता है। मेरे इतने महँगे कपड़े खराब कर दीये।
उसके पीछे-पीछे आती और कारों से भी लोग उतर आये जो शायद उसकी जान-पहचान के थे। उस आदमी की बात सुनकर उन सभी ने उस लड़के को पीट दिया, जिसने उस आदमी के होली के कपड़े खराब कर दिये थे।