दीनानाथ के दो साल के बच्चे को साँप ने काट लिया था। गाँव के सारे लोग मिलकर साँप को लाठी से पीट रहे थे। शायद बच्चे ने साँप की पूँछ पकड़ ली थी या उस पर पैर रख दिया था। जिस कारण साँप ने बच्चे को काट लिया। कुछ महीने पहले की बात है दीनानाथ के बच्चे ने चूल्हे में रखा कोयला उठा लिया था और उसका हाथ जल गया था पर तब किसी ने भी चूल्हे को न तो तोड़ा, न घर से बाहर फेंका। दोनों ही बार गलती शायद बच्चे की थी।
एक और घटना गाँव के किसी बच्चे की पतंग बिजली के तार में फँस गयी और उसे जोर का करंट लगा। सारे गाँव वाले पहुँच गये बिजलीघर और वहाँ कर्मचारियों की पिटाई कर दी। जबकि गलती चीनी माँझे की थी। घर पर अपनी गलती के कारण करंट लगने पर हम घर में किसी को नहीं पीटते।
गाँव में किसी की शादी थी। पैसा बचाने के लिए उसने काम चलाऊ बिजली की फिटिंग करा ली। जिससे शॉर्ट सर्किट के कारण टैंट में आग लग गई। इससे आसपास बने घरों में भी संकट आ गया पर वहाँ किसी ने अपने को सजा नहीं दी। ये तो चलता ही रहता है। सब यही सोचकर अपने कामों में लग गये। हमारी आदत है दूसरों की गलती ढूढ़ने की व अपनी गलती माफ करने की।