आओ आज एक स्वर्ग बनाएँ
मिलजुल कर भेदभाव मिटाएँ।
जाति, धर्म, बंधन को तोड़ें,
गले लगें और, हाथ मिलाएँ।
आओ आज एक स्वर्ग बनाएँ।
“मैं”, “तुम” को “हम” बनाएँ
मेरे-तेरे को हमारा।
उसको भी दे आज निमंत्रण,
अपने स्वर्ग को और बढ़ाएँ।
आओ आज एक स्वर्ग बनाएँ॥
देना सीखें, लेना भूलें
प्रेम वारि से अरि-अनल बुझाएँ।
स्पर्धा की स्वस्थ परम्परा,
की आज नींव रख आएँ
आओ आज एक स्वर्ग बनाएँ॥
आओ एक अभियान चलायें
निज भाषा में शिक्षा दिलवाएँ ।
स्वप्न देखना सिखलायें,
साकार करने का मार्ग दिखायें॥
पुरखों की विरासत को सहेजें,
अंधियारे में दीप जलायें।
निराशा को आशा में बदलें
आशावादी पाठ पढ़ायें॥