जिंदगी
कहीं जिंदगी बचपन की यादें हैं
कहीं यह हमसफरों के वादे हैं।
जिंदगी कैशौर्य की कहानी कहीं
कर्मों की साथी पुरानी कहीं।
जिंदगी, जिदंगी खोजती फिरती है
रोज जीती है, रोज मरती है।
आत्म-तुष्टि के लिए कर्म करती है
कहीं भागती है, कहीं घिसटती है।
हर जिंदगी की नयी कहानी है
क्या अजीब ये जिंदगानी है।
”कल मेरा सपना पूरा होगा”
बस यह आशा ही तो जिंदगानी है।