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भाषा : संस्कृति की अभिव्यक्ति

7 नवम्बर 2015

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भाषा : संस्कृति की अभिव्यक्ति

 

प्रकृति हाँ की कलाकार

संस्कृति स्वयं है वैज्ञानिक

विश्व-गुरू कहलाता राष्ट्र

सुपुत्र हुए हैं जहाँ दार्शनिक ।।

महिमा इस भारत-भूमि की

गायी स्वयं परमेश्वर ने ही।

जननी जन्म भूमिश्च

स्वर्गादपि गरीयसी ।।

 

भारतीय संस्कृति पूर्णत: वैज्ञानिक है। भारतीय परम्पराएं विज्ञान विरोधी नहीं, वरन् विज्ञान सम्मत हैं भारतीय धर्म का प्राचीन स्वरूप, विकसित विज्ञान का ही पर्याय था, परन्तु आज इस धर्म का वैज्ञानिक पहलू लुप्त हो चका है यही कारण है कि आज की पीढ़ी यत्र-तत्र-सर्वत्र इसका उपहास करती दिखलाई पड़ती है। आज आवश्यकता है कि हमारा युवा-वर्ग वास्तविकता को समझे और अपने पूर्वजों के गौरवपूर्ण शोधकार्यों को आत्मसात कर सर्वथा उचित मार्गदर्शन ले, जिससे केवल हमारी यह अमूल्य निधि संरक्षित रहे, वरन् इससे भारत सहित सम्पूर्ण विश्व लाभान्वित हो।

 

संस्कृति तथा भाषा में बहुत हरा संबंध है ये दोनों एक दूसरे पर आश्रित हैं। अपनी सस्कृति का ज्ञान होने से भाषा का भी ज्ञान होगा और तब संस्कृति का फिर से मंथन होगा। भाषा का भी मंथन होगा। यह मंथन केवल सरकारी प्रयत्नों से हो, संभव नहीं हो सकेगा

 

प्राचीन काल से ही भारतीय सिद्धांत 'आत्मनों मोक्षर्यम् जगत हिताय्' अर्थात् 'अपने लिए मोक्ष और जगत के लिए कल्याणका रहा है। अपने से इतर का भी कल्याण चाहना और करना, पूरे विश्व को कुटुंब मानना हमारे राष्ट्र की गौरवमय परंपरा है :-

सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दु:खभाग्भवेत्।

 

हमारा राष्ट्र आत्मा से ही धर्मनिरपेक्ष है। मूल सिंद्धांत को जाने बिना अगला और उससे अगला कदम बढ़ाया ही नहीं जा सकता भाषा के संदर्भ में भी यही सत्य है। यदि भारतीय, राष्ट्रीय अखंडता की रक्षा चाहते हैं तो कदाचित संस्कृत भाषा और अपने प्राचीन ग्रंथो की ओर लौटना होगा।

 

अंग्रेजी भारतीय संस्कृति के पतन का कारण बन सकती है

 

भारतीयों ने अपनी संस्कृति को कभी ढंग से प्रस्तुत ही नहीं किया,क्योंकि जो भारतीय, अंग्रेजी के प्रति मोह रखता है,वह भारतीय संस्कृति की सुंदर छवि प्रस्तुत करने में सर्वाधिक अक्षम है। हमें यह जान लेना बहुत आवश्यक है कि कोई भी संस्कृति अपनी भाषा में ही लती-फूलती है। हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति, संस्कृत भाषा में फली-फूली और दर्शन से आयुर्वेद, काव्य से गणित तक हमारे समस्त चिंतन संस्कृत की गोद में पले और विकसित हुए। आज हिन्दी का विकास अवरुद्ध हो गया है। यह समस्या अत्यंत गंभीर है। अगर समय रहते उपाय किये गए तो इसके दूरगामी और घातक परिणाम होंगे। अंग्रेजी कितनी भी शक्तिशाली क्यों हो, उसमें भारतीय संस्कृति नहीं पनप सकती। यही हाल रहा तो एक समय ऐसा आएगा जब भारत अपनी संस्कृति भूलकर मात्र अमरीका और इंग्लैण्ड की नकल बन कर उभरेगा और नकल कभी भी असल से उत्तम नहीं हो सकती। इस प्रकार पश्चिमी संस्कृति की देन भारतीय संस्कृति को समाप्त कर रही है।

 

अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ

1835 में लॉर्ड मैकाले ने अपनी रिपोर्ट में यह लिखा था कि "हमें भारत में एक ऐसा र्ग तैयार करना चाहिए जो रक्त और वर्ण में भारतीय हो, किंतु विचार, आचरण और विद्वत्ता में अंग्रेज हो" इसका परिणाम यह हुआ कि भारत में मातृभाषाओं में लेखन छोड़कर अंग्रेजी में लेखन शुरू हुआ।

 

यूनान, मिश्र, रोमाँ, सब मिट गए जहाँ से

अब तक मगर है बाकी नामो निशाँ हमारा।

   

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी,

सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-जहाँ हमारा

 

यह जो बात है, वह कुछ और नहीं, भारतीय संस्कृति ही है।

 

विश्व का इतिहास गवाह है कि विजेता राष्ट्र विजित राष्ट्र की अस्मिता को मिटने के लिए उसकी राष्ट्रभाषा के स्थान पर अपनी भाषा आरोपित करते हैं क्योंकि जागरूक एवं आत्माभिमानी राष्ट्र तो अपनी भूमि पर किए गए विदेशी अधिकार को देर-सवेर बेदखल कर सकता है, सिंहासन को उलटकर अपनी मातृभूमि के शरीर पर आग्नेयास्त्रों से बने घा को

रनेह-श्रम के मरहम से मिटा सकता है, किन्तु राष्ट्रभाषा संवाद के अभाव में मूक, निश्चेतन एवं विश्रंखलित राष्ट्र, आत्मविश्वास खोकर भयभीत मन से पराधीनता के आवरण को ही रक्षा कवच मानते हुए ओढ़ कर सदियों तक गुलामी की गहरी नींद में सोया रहता है।

 

इसी संदर्भ में भारत को गुलाम बनाने से पूर्व ब्रिटिश संसद में मैकाल द्वारा दिए गए उदबोधन का अंश लिखना प्रासंगिक है। जिसमें उसने कहा था "मैंने सम्पूर्ण भारत का भ्रमण किया एवं मैने एक भी व्यक्ति को भिखारी या चोर नहीं पाया । मैंने उस देश में जो भी सम्पदा, उच्च नैतिक मूल्य एवं व्यक्तियों की क्षमता देखी इससे इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि हम इस देश को तब तक नहीं जीत सकते जब तक कि हम इस देश की रीढ़ यानि कि यहाँ की आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत को तोड़ दें। अत: मैं प्रस्ताव रखता हूँ कि हम इसकी पुरानी एवं प्राचीन शिक्षा प्रणाली तथा संस्कृति को परिवर्तित कर दें ताकि भारतीय यह सोचें कि हर विदेशी चीज एवं अंग्रेजी ही अच्छी एवं उनसे श्रेष्ठ है । वे अपना आत्मसम्मान, अपनी संस्कृति को खो देगें एवं तब वे वैसे ही बन जाएंगे जैसा कि हम चाहते हैं यानि वास्तविक रूप से गुलाम राष्ट्र”।

 

मैकाले के मंतव्य की पुष्टि सन् १८८० में अलैक्जेन्डर आविरनाट ने इस प्रकार की “भारत में शिक्षा प्रणाली इस प्रकार की होनी चाहिए कि लोग ब्रिटिश शासन को अपना सौभाग्य मानें और उसमें किसी प्रकार के परिवर्तन को अपने लिए दुर्भाग्यपूर्ण समझें”।

 

ऐसे अनेक उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि देश का गौरव राजभाषा के अभाव में देश की एकता एवं अखण्डता कमजोर पड़ती जाती है एवं राष्ट्र प्रगतिहीन होकर गुलामी की राह पर चलने लगता है। भारत मे विदेशी अंग्रेजी शासन के खिलाफ स्वराज की लड़ाई स्वभाषा हिंदी में ही लड़ी गई थी। तत्कालीन भारतीय नेता अंग्रेजी भाषा व साहित्य से जुड़े दुष्चक्र व उसके घातक परिणामों को भांप गए थे। वे राष्ट्र की अस्मिता का प्रतीक राष्ट्रभाषा के इस महत्व को समझ गए थे।

 

फादर कामिल बुल्के के अनुसार “ यह खेद की बात है कि हिंदी भाषियों में भाषा के प्रति स्वाभिमान नहीं जगा”। फादर कामिल बुल्के बेल्जियमवासी थे। यहां आगमन के बाद उन्होंने भारत को ही अपना देश बना लिया और हिंदी भाषा एवं साहित्य की अमूल्य सेवा में अपना जीवन अर्पित कर दिया।

 

“अपने विचारों का मधुर स्वर अपने कंठ से ही निकलता है, दूसरे की जिह्वा से कदापि नहीं”।

   

शिक्षा नीति एवम् रोजगार के संबन्ध में राष्ट्रीय स्तर निर्णय लिए जाने को आवश्यकता है।

भारतीय संदर्भ

 

संसार में प्रत्येक राष्ट्र के अपना अस्तित्व बनाये रखने के लिए एक निशान, एक विधान और एक जुबान का रखना अत्यन्त आवश्यक है। इन्हीं से राष्ट्र की पहचान की जाती है। हमारे राष्ट्र निर्माताओं ने भी निशान के रूप में राष्ट्रीय तिरंगा झंडा, कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए भारतीय संविधान तथा हिन्दी भाषा को जुबान के रूप में स्वीकार किया।

 

भारत एक विकासशील देश है, भी भी हमारी जनसंख्या का सत्तर प्रतिशत से अधिक भाग ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करता है सूचना एवं संचा के क्षेत्र में भी भी उच्च शिक्षित लोगों का अधिकार है - जिनकी अंग्रेजी भाषा में अच्छी पक है। लेकिन 70 करोड़ से ज्यादा हमारी जनसंख्या ऐसी है जोकि ज्यादा शिक्षित नहीं है और अंग्रेजी भाषा की उनको जानकारी नहीं है। देश की भाषा ही देश का स्वाभिमान, आत्मविश्वास प्रकट करती है। भाषा से ही देश की अखंडता का उदघोष होता है। राष्ट्रभाषा किसी प्रदेश की होती है किसी जाति की, वह तो सारे राष्ट्र की होती है। इसके साथ संस्कृति जुड़ी होती है। उसके माध्यम से राष्ट्र भावनात्मक रूप से जुड़ा रहता है उससे सांस्कृतिक चेतना अभिव्यक्त होती है

 

हमारा सौभाग्य है कि देश में कुछ वैज्ञानिक तथा साहित्यकार हिंदी में विज्ञान के प्रबल समर्थक थे। फलत: 1850 के आस-पा हिन्दी में विज्ञान लेखन की शुरुआत हुई। यह विडंबना है कि वर्तमान समय में भारत का प्रत्येक उच्चस्तरीय सम्मेलन विदेशी भाषा के माध्यम से ही सम्पन्न होता है। जिस भाषा के ज्ञाता भारत में केवल 2 या 3 प्रतिशत ही हैं।

       

हे भाइयो सोये हुत, अब तो उठो, जागो अहो।

देखो जरा अपनी दशा, आलस्य को त्यागो अहो।।

है पार क्या-क्या समय के उलट फेर हो चुके।

अब भी सजग होगे क्या, सर्वस्व तो हो खो चुके ।।

                        

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की इन पंक्तियों से ऐसा लग रहा है जैसे वे राष्ट्रीय स्वातंत्र्य के लिए ही राष्ट्रजन को ही नहीं चेता रहे थे, बल्कि राष्ट्र भाषा के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा भी दे रहे थे।

 

देवनागरी लिपि : वैज्ञानिक लिपि

 

संत विनोबा भावे के अनुसार नागरी लिपि से बढ़कर वैज्ञानिक लिपि मैंने दुनिया में नहीं पाई”

 

देवनागरी लिपि की विशेषता, प्रसिद्ध कवि श्री दयाशंकर द्विवेदी जी के शब्दों में -

 

" 'त्रिभुज़ लिखो तो पढ़त्ते हैं 'तरभुज और उर्दू की 'प्रणाली पढ़ी जाय परनाली' है।

 

वाल्क वाकहोत और टाल्क कहलाता सीजी बने कागा ऐसी, इंग्लिश भी जाली है।

 

'चैन,चना, चूना, चून, चीनी' के चक्र को, चीरती सर्राफी की प्रणाली है।

 

जैसा लेख लिखो, उसको पढ़ लो वैसा ही, ऐसी सर्वगुण आगरी देवनागरी निराली है"

 

देवनागरी लिपि में जैसा लिखा जाता है, वैसा ही उसे पढ़ा जाता है जबकि अन्य भाषाओँ के साथ ऐसा नही है।

 

अन्य भाषाओं की तुलना के सा यही उपरोक्त कविता में दर्शाया गया है।

 

सच तो यह है कि हिन्दी इतनी महान, समृद्ध और समर्थ भाषा है कि कोई भी दूसरी भाषा न तो इसका मुकाबला कर सकती है और ही इसके मार्ग की बाधा बन सकती है। शब्द-भंडार, वैज्ञानिकता, प्रयोग में सरलता, अभिव्यक्ति की स्पष्टता और यहां तक कि हदय छू लेने की क्षमता, यह सब हिन्दी में ही संभव है। इसमें तो कोई संदेह नहीं कि देवनागरी एक ऐसी लिपि है जो दुनिया की किसी भी भाषा के ब्द को लिपिबद्ध करने और उच्चारित करने की क्षमता रखती है। अब समय आ गया है कि हम अपनी भाषा की शक्ति और सामर्थ्य को पहचानें एवम् उसको समुचित स्थान ग्रहण कराने की दिशा में यथाशक्ति प्रयास करें। यह एक विश्व भाषा के रूप में विकसित हो सकती है।

आशा क्षमा

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ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

भाषा-संस्कृति की अभिव्यक्ति पर विस्तृत एवं उत्कृष्ट लेख ! हार्दिक आभार ! दीपों के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं !

9 नवम्बर 2015

चंद्रेश विमला त्रिपाठी

चंद्रेश विमला त्रिपाठी

इस बेहद शोधपरक उत्तम लेख हेतु शब्दनगरी की ओर से धन्यवाद तथा धनतेरस-दीवाली हेतु हार्दिक शुभकामनाएं !!!

9 नवम्बर 2015

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रचनाएँ
amritaasha
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हिंदी में लेख !
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@ "आशा का पाठ"

13 अक्टूबर 2015
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आशा का पाठ पढ़ाना तो सरल है,आशा जगाना ही कठिन है।आशा करना तो सरल है,आशा बनना ही कठिन है।अपना जानना तो सरल है,अपना बनाना ही कठिन है।जिसको अपना कहते हो,वह देन है तुमको ईश्वर की।तुमने कितनों को अपना बनाया,गिनती होगी उँगली-भर की।आशा करना.............................। अपना बनाने जिस दिन चलोगे,पराया न तुम्

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@ “आह्वान: अहम् से वयम् की ओर”

16 अक्टूबर 2015
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आत्मकल्याण के लिए विश्वकल्याण आवश्यक है । विश्वकल्याण के बिना आत्मकल्याण असंभव है । जब मनुष्य केवल अपने लिए ही सभी 'भोगों की चाह रखता है, तो तनाव बढ़ता है, जिसकी विभीषिका आज विश्व भोग रहा है । विश्व के प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक आवश्यकताएं समान हैं। देश, क्षेत्र, जाति, भाषा धर्म की दीवारें खींचकर मन

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भाषा : संस्कृति की अभिव्यक्ति

7 नवम्बर 2015
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भाषा : संस्कृति कीअभिव्यक्ति प्रकृतिजहाँकी कलाकारसंस्कृति स्वयं है वैज्ञानिक ।विश्व-गुरूकहलाता राष्ट्रसुपुत्रहुए हैं जहाँ दार्शनिक ।।महिमाइस भारत-भूमि कीगायीस्वयं परमेश्वर ने ही।जननीजन्म भूमिश्चस्वर्गादपि गरीयसी।। भारतीयसंस्कृति पूर्णत: वैज्ञानिक है।भारतीय परम्पराएं विज्ञान विरोधी नहीं, वरन्विज्ञान

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गीता और विज्ञान

27 नवम्बर 2015
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गीता औरविज्ञान गीता  के शब्द  आज  भी  हैं,  गूँजते गगन मेंकृष्ण की वाणी है  छिपी  ध्वनि-तरंग  में।हे विज्ञान !  तू ही बन जा, ईश का आविष्कारक,एकत्र कर,  वह  संचित  शब्द-कोष  पुनश्च।। ऊर्जा नष्ट न होती,  यह  है विज्ञान का सिद्धांतध्वनि-ऊर्जा  का  संभव  रूपांन्तरण  मात्र ।खोज लो कृष्ण के  शब्द,  उदगम क

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जीवन

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मनुष्य

10 दिसम्बर 2015
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"बचपन"

10 दिसम्बर 2015
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समझ ऐ मानव-मन

14 दिसम्बर 2015
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निमंत्रण

14 दिसम्बर 2015
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कविता की सार्थकता

15 दिसम्बर 2015
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"आओ स्वर्ग बनाएँ"

18 दिसम्बर 2015
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"फकीर या फरिश्ता"

19 दिसम्बर 2015
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हमारा कश्मीर !

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जब सिखाया तुमने मुझे .....

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"अपना परिचय"

27 दिसम्बर 2015
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"जिंदगी"

27 दिसम्बर 2015
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मेरा भारत महान.......

28 दिसम्बर 2015
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बलात्कार की सजा - अमेरिका : - पीड़िता की उम्र और क्रूरता को देखकर उम्रकैद या 30 साल की सजा दी जाती है। रूस :- 20 साल की कठोर सजा.चीन - No Trial, मेडिकल जांच मे प्रमाणित होने के बाद मृत्यु दंड. पोलेंड - सुवरो से कटवा कर मौत Death thrown to Pigs इराक - पत्थरो से मार कर हत्या .Death by stone till last

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आखिर कैसे लटके नभ में

28 दिसम्बर 2015
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28 दिसम्बर 2015
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प्रत्याशा

9 जनवरी 2016
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हम एक हैं

26 जनवरी 2016
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मानव – धर्म

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जानना

26 जनवरी 2016
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आत्म साक्षात्कार

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आत्म साक्षात्कार स्वच्छ एवं निर्मलजलउसमें और कुछभी नहीं होताजब कोई इंसान उसमें और कुछ खोजता हैवह खोजता रहता हैउसकी मानसिकतायह मान ही नहीं पाती किआज केदूषित वातावरण में भीइतना स्वच्छ और निर्मल जलउसे दिखायी दे सकता हैजिसमें सिर्फ स्वच्छ्ता हैनिर्मलता हैऔर वह जल हैसिर्फ जल, और उसमें वह नहींजो वह खोज रह

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आशाओं के पंख

9 फरवरी 2016
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ये देश अब नई दिशा की ओर चल पड़ा है।तो समाज का जन-जन लिए आँखो में सपना खड़ा  है॥है नया कुछ भी नही, फिर भी नया सब लग रहा है।आशाओं के मार्ग में हमे अब नही कोई ठग रहा है॥मन ये विचलित उड़ने को बेचैन और बेताब है।चिङियों के पंखो में भी जोश लाजवाब है॥क्यों ना थाम हाथ उस चिङियाँ का हम भी उङ चलें।और ठान ले की ना

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आशाओं के पंख

9 फरवरी 2016
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आया वसंत आया वसंत

10 फरवरी 2016
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आया वसंत आया वसंतछाई जग में शोभा अनंत।सरसों खेतों में उठी फूलबौरें आमों में उठीं झूलबेलों में फूले नये फूलपल में पतझड़ का हुआ अंतआया वसंत आया वसंत।लेकर सुगंध बह रहा पवनहरियाली छाई है बन बन,सुंदर लगता है घर आँगनहै आज मधुर सब दिग दिगंतआया वसंत आया वसंत।भौरे गाते हैं नया गान,कोकिला छेड़ती कुहू तानहैं स

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अनेकता में एकता

16 मार्च 2016
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जय हिंद जय हिंदी

26 मार्च 2016
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जय हिंद, जय हिंदी अब हिंदी भाषा को अनिवार्य कर ही देना चाहिये प्रशासन के सारे कार्य हिंदी मे होने चाहिये.भारत का हर बच्चा- बच्चा, नर, नारी हर भारतीय यही कहता, यही सोचता, भाषा हिंदी होनी चाहिये[1] हिंद, हिंदी, हिंदुस्तान, भारत, भारतीय, भारती,हर देशभक्त की पुकार, भाषा हिंदी हिंदुस्तान कीस्वदेश मे हिंद

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मेरा भारत महान.......

28 दिसम्बर 2015
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बलात्कार की सजा - अमेरिका : - पीड़िता की उम्र और क्रूरता को देखकर उम्रकैद या 30 साल की सजा दी जाती है। रूस :- 20 साल की कठोर सजा.चीन - No Trial, मेडिकल जांच मे प्रमाणित होने के बाद मृत्यु दंड. पोलेंड - सुवरो से कटवा कर मौत Death thrown to Pigs इराक - पत्थरो से मार कर हत्या .Death by stone till last

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बलात्कार की सजा - अमेरिका : - पीड़िता की उम्र और क्रूरता को देखकर उम्रकैद या 30 साल की सजा दी जाती है। रूस :- 20 साल की कठोर सजा.चीन - No Trial, मेडिकल जांच मे प्रमाणित होने के बाद मृत्यु दंड. पोलेंड - सुवरो से कटवा कर मौत Death thrown to Pigs इराक - पत्थरो से मार कर हत्या .Death by stone till last

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मेरा भारत महान.......

28 दिसम्बर 2015
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बलात्कार की सजा - अमेरिका : - पीड़िता की उम्र और क्रूरता को देखकर उम्रकैद या 30 साल की सजा दी जाती है। रूस :- 20 साल की कठोर सजा.चीन - No Trial, मेडिकल जांच मे प्रमाणित होने के बाद मृत्यु दंड. पोलेंड - सुवरो से कटवा कर मौत Death thrown to Pigs इराक - पत्थरो से मार कर हत्या .Death by stone till last

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कोरिया का यह कदम चिंताजनक हैं,,

2 अप्रैल 2016
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आज सुबह जब अखबार का पहेला पन्ना देखा तो ऐसा लगा कि ईश्वर ने मनुष्य को बनाकर बहुत बड़ी भुल की हैं,,मनुष्य से अधिक तो पशु -पक्षी प्रेम की परिभाषा समझते हैं,माफ करना •--ऐसे शब्द बोलने उचित नहीं है लेकिन क्या करें मनुष्य की यह मनमानी लिखने पर मजबूर कर देती हैं,,एक रोटी के लिए दस कुत्

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वैज्ञानिकों का दावा कि खोज लिया पाताललोक जहां पहुंचकर भगवान हनुमान ने श्रीराम-लक्ष्मण को अहिरावण के चंगुल से मुक्त कराया था

2 अप्रैल 2016
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वैज्ञानिकों ने उस स्थान को खोज निकालने का दावा किया है जिसका वर्णन रामायणमें पाताललोक के रूप में है। हनुमानजी ने यहीं से भगवान राम व लक्ष्मण कोपातालपुरी के राजा अहिरावण के चंगुल से मुक्त कराया था। यह स्थान मध्य अमेरिकीमहाद्वीप में पूर्वोत्तर होंडुरास के जंगलों के नीचे दफन है। अमेरिकी वैज्ञानिकोंने ल

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अवसर: डाक विभाग के साथ खोलिए कंपनी, कमाइए लाखों

2 अप्रैल 2016
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यदि आप बेरोजगार हैं या बिना लागत आमदनी करके सफलता के शिखर पर पहुंचना चाहते हैं तो डाक विभाग आपकी मदद कर सकता है। डाक विभाग की कैश ऑन डिलीवरी सुविधा का लाभ उठाकर आप मोटी आमदनी कर सकते हैं। आपको करना बस इतना है कि ऑनलाइन अपने शहर की चुनिंदा दुकानों की खास-खास चीजों का प्रचार कीजिए, आर्डर मिल

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अपनी सर्च हिस्ट्री को स्टोर होने से कैसे रोकें

20 अप्रैल 2016
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ज्ञातव्य है कि इंटरनेट पर आप जोभी सर्च करते हैं, गूगल उसे नौ महीने तक स्टोर करके रखता है. अगर आप बिंग नाम के ब्राउज़र काइस्तेमाल करते हैं तो माइक्रोसॉफ्ट की पॉलिसी के अनुसार उसे 18 महीने तक सेव करके रखाजाता है. विकीपीडिया के मुताबिक़, हर दिन गूगल पर करीब 300 करोड़ से ज़्यादा सर्च किए जाते हैं. स्मार

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प्रथम बूंद अर्ध्य की

20 अप्रैल 2016
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मनुष्य

20 अप्रैल 2016
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प्रेम और विश्वास

20 अप्रैल 2016
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ई-ईश्वर

2 अगस्त 2017
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गीता और विज्ञान

2 अगस्त 2017
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ईश्वर की दृष्टि

2 अगस्त 2017
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शून्य से अनंत तक

2 अगस्त 2017
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मेरा गाँव, मेरा देश

17 अगस्त 2017
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मेरा गाँव, मेरा देशएक दिन अचानकमिल गयेरामू काका शहर में,“ सब ठीक तो है गाँव में ” ?......पूछा मैने……… अचम्भे से जन्मजात शहर – विरोधी - रामू काकाकैसे टहलते शहर में ?“ क्या बतायें बेटा ”,कहने लगे दबी जुबान में....... बच्चों से न रहा जाता अब गाँव मेंनिरर्थक आकर्षण शहर का ही अर्थपूर्ण उनके लिये !अस्वस

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जय हिंद, जय हिंदी

17 अगस्त 2017
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जयहिंद,जयहिंदीअबहिंदीभाषामेंकार्यआरम्भकरनाचाहिये,प्रशासनकेसारेकार्यहिंदीमेहोनेचाहिये|भारतकाहरबच्चा-बच्चा,नर,नारीहरभारतीययहीकहता,यहीसोचता,भाषाहिंदीहोनीचाहिये|| [1]हिंद,हिंदी,हिंदुस्तान,भारत,भारतीय,भारती,हरदेशभक्तकीपुकार,भाषाहिंदीहिंदुस्तानकी|स्वदेशमेहिंदीभाषीकोक्योंअपमानसह

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पहचानो स्वयं को

17 अगस्त 2017
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पहचानोस्वयं कोमन चाहताहै समय को थाम लू मैं पर वह निकलताही चला जाता है। मन करता हैसमय-चक्रको थाम लूँ हर प्रयासविफल हो जाता है दिनरात, रातदिन गुजरते गये।सप्ताहमहीनों मे बदलते गये।कबदशक गये,बच्चेसे युवा हुए। कबभविष्य,भूतमें बदल गया,समय चक्रतो पूरा घूम गया।बस इस पर नकिसी का र

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हिंदी - एक अंतरराष्ट्रीय भाषा

25 अगस्त 2017
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रेखांकित

29 अगस्त 2017
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मेरे सात वर्षीय बेटे ने पूछा -मम्मा, रेखांकित किसे कहते है ?मै जब तक बताती ,मेरी बेटी बोल पड़ी - रेखांकित मतलब "अन्डर लाइंड"सुनते ही,मेरा बेटा खुश,एक ही बार में वह समझ गया,उसने होमवर्क समाप्त कर लिया,जब तक मैं सोच पाती,कि मैं उसे ‘अंडरलाइन्ड’ एक्सप्लेन कैसे करूं,वह तो जा चुका था.होमव

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हिंदी राजभाषा है

29 अगस्त 2017
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शक्तिएक विदेशी आकरहमकोनित ललकार रहीऔरहम व्यस्त हैं,हमकृतसंकल्प हैं -हिंदीहमारी भाषा है,हिंदीराज भाषा है ।राजकाजइंग्लिश में ही होगाहमकोनित पुचकार रहीऔरहम देशभक्त हैं,अनुवादमें व्यस्त हैं ।हिंदीहमारी भाषा है,हिंदीराज भाषा है ।उच्चशिक्षा इंग्लिश में ही रहेगी,प्राथमिकमें भी इ

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