बचपन
बचपन
जीवन का अनुपम वरदान
जिसकी मधुर स्मृतियाँ
बन जातीं भविष्य का संबल !
बचपन
मासूमियत का पर्याय
जीवन के अर्थ खोजती मासूम दृष्टि
समय नित्य ही जैसे
जीवन का नवीन पृष्ठ बाँचता
और बचपन उसमें खो जाता ।
बचपन
तेरी पृथक परिभाषाएँ
न्यारी आकांक्षाएँ
तेरे लिए सब कुछ असीम
किंतु तू अवश
ममता के सामने।
बचपन
समय भी थमा-थमा तेरे साथ
पशु, पक्षी, पेड़, पौधे
आकाश, धरती, चाँद सितारे
सब बातें करते तेरे साथ
सच, जगत तेरे लिए ही।
बचपन
मस्त बचपन
बहुत याद आता है तेरा विचरण
एक ऐसे कल्पना लोक में
जो तेरे लिए
अपनी वास्तविकता से भी अधिक
वास्तविक था ।
बचपन
तुम सचमुच जीवन का आधार हो
चलो
हम एक बार पुन:
उन्ही मधुर स्मृतियों में
खो जाएँ
क्षण-भर के लिए ही सही
हम जीवन के
सबसे प्यारे
सबसे न्यारे
अंश को अपनी
कल्पना में ही एक बार
फिर से जी जाएँ।
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