प्रत्याशा
नव वर्ष, नयी पवन,
नव जीवन, नव मानव मन,
नव उमंग, नव अभिलाषा,
करते ये ज्यों स्वागत-सा।
नव शीर्षक नव परिभाषा,
नव दृष्टि नव जिज्ञासा,
शून्य से अनंत तक,
नयी आशा, नयी प्रत्याशा।
मंजरी यह एक तुलसी की ?
या फल एक साधना का ?
है अरुणिमा रुपी आशा ?
या जननी की अमृताशा ?
फैली आज ब्रह्माण्ड में,
नव आशा की प्रत्याशा,
परचम राज्भाषा का,
लहराने की यह प्रत्याशा॥