आजादी आजादी किससे आजादी कैसी आजादी ?
डॉ शोभा भारद्वाज
15 अगस्त 1947 को आजाद भारत में
तिरंगा फहराया गया था वतन आजाद हुआ था फिर आजादी के नारे क्यों ? इंकलाब ज़िंदाबाद
क्यों? कैसी आजादी चाहिए? क्या पड़ोसी देश चीन या पाकिस्तान जैसी? या 56 मुस्लिम
देशों जैसी वहाँ किसी को नागरिकता नहीं देते सुउदिया में एक रोबोर्ट को नागरिकता
दी थी |ऐसा कौन सा देश है जहाँ कोई भी घुसपैठिया घुस कर यहीं बस जाये शादी कर
परिवार बना ले |किसी देश में रोजगार पाने का तरीका है वर्क परमिट , वर्क परमिट
खत्म गुडबाई |’विरोध के नाम पर विरोध’ प्रजातांत्रिक व्यवस्था का ऐसा मजाक न कहीं देखा
न सुना| धर्मनिरपेक्ष भारत संविधान से चलता है जिसकी रक्षा के लिए सर्वोच्च
न्यायालय है देश के संविधान में मौलिक अधिकारों एवं कर्त्तव्यों का वर्णन है लेकिन
सबको केवल अधिकार चाहिए |
पाकिस्तान से शाहीन बाग़ जैसे विरोधों के समर्थन के लिए वक्तव्य आ रहे हैं
कितना हास्यास्पद है| चीन में पढ़ने गये पाकिस्तानी छात्र अपनी सरकार से जीवन रक्षा
की गुहार लगा रहे हैं यहाँ खतरनाक करौना वायरस फैला हुआ है वायरस से मौते हो रहीं
है मौत का सिलसिला बढ़ता जा रहा है , सबसे अधिक असर बुहान शहर में है बच्चे चाहते
हैं उनकी सरकार उन्हें वहाँ से निकालें परदेसियों को किसी से क्यूं दर्द होगा लगभग
कैम्पस खाली हो गया | चीन में पाकिस्तानी सरकार ने उन्हें ईश्वर के भरोसे छोड़ दिया
उनकी एम्बेसी उन्हें ज्ञान दे रही है मौत तो कहीं भी आ सकती है |जो किसी तरह दूसरे
रास्ते से पाकिस्तानी स्वदेश आ गये उनके इलाज की कोई व्यवस्था नही है | इमरान को
अपने देश के बाशिंदों की चिंता नहीं है भारत के नागरिक मुस्लिम की चिंता है |पहले
चुनावी फतवे भारतीय मौलवी देते थे अब पाकिस्तान के मंत्री किसको वोट दें समझा रहे
हैं |पाकिस्तानी मीडिया की टीआरपी भारत विरोधी खबरों से बढ़ रही है |विश्व में कहीं
भी मुस्लिम को परेशानी होती है भारत में मुस्लिम समाज में विरोध के स्वर उठते हैं
लेकिन पाकिस्तानी बच्चों के लिए एक भी शब्द नहीं अजीब लगता है |
पाकिस्तान भारत से धर्म के
आधार पर अलग हुआ था यहाँ बुद्धिजीवियों की जुबान पर ताले है वह कितने मजबूर हैं वहीं
जानते हैं वहां आतंकियों के आकाओं को बढ़
चढ़ कर बोलने की आजादी, भारत के खिलाफ जेहाद का नारा देने की आजादी |नौजवान बच्चों
को एक रोजगार दिया जा रहा है आतंकी ,जेहादी ,फिदायीन बनों |भारत के सीमावर्ती क्षेत्र कश्मीर में निरंतर गोले दागे
जा रहे है आतंकियों की खेप कश्मीर की धरती को खून से रंगने के लिए निरंतर आ रही है
लेकिन मरने के बाद उनकी लाशों को नकार दिया जाता है |दुखद संसद ने नागरिकता संशोधन
बिल द्वारा हिन्दू ,सिख ,बौद्ध जैन ईसाई एवं पारसियों को भारत की नागरिकता देने की
प्रयत्न किया गया जिनका धर्म के आधार पर उत्पीडन हो रहा है उनका कुछ भी सुरक्षित
नहीं है भारत के अलावा उनका कहीं ठिकाना नहीं है |उसकी आड़ में राजनीति का खेल शुरू
हो गया खास कर शाहीन बाग में औरतें, बच्चे बिठा कर सड़क रोक दीं| कुछ
विश्वविद्यालयों के नौजवान छात्र भी देश के टुकड़े करने और ले के रहेंगे आजादी के
नारे लगा रहे हैं कैसी आजादी अराजकता फैलाने की आजादी ? देश के टुकड़े –टुकड़े करने
की आजादी कैरियर की परवाह नहीं ढपली की थाप पर नारे लगाये जा रहे हैं क्या जिन्दगी
भर ढपली बजायेंगे | कल नारा लगेगा सरकार बेरोजगारों के लिए कुछ नहीं कर रही है देश
बेबस ,दोहरा दंश झेल रहा है |
बाम पंथी
विचारधारा के छात्र क्या नहीं जानते जहाँ से कम्यूनिज्म की विचारधारा निकली थी
वहीं खत्म हो रही है चीन की ‘दोहरी नीति’ उन्हें दिखाई नहीं देती उनके यहाँ अल्पसंख्यकों उरगन मुस्लिम पर जुल्म होता है | मुस्लिम बहुल क्षेत्र शिनजिंयांग प्रदेश के 10 लाख मुस्लिमों को
नजर बंद कर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है| मुस्लिम पर जुल्म
की नीति अपनाता है चीन सफाई भी देता है कई आतंकियों ने चीनी महिलाओं से शादी कर ली
है उनके पतियों के चीन में प्रवेश पर रोक लगानी पड़ी विश्व मीडिया एवं
मानवाधिकारवादियों के अनुसार उरगन मुस्लिम नजर बंद हैं जबकि इस्लामिक देशों के
बाजार चीनी सामानों पटे हुए हैं जबकि चीनी सामानों का बहिष्कार होना चाहिए |पहले
भी चीन पर आरोप हैं चीन में मुस्लिमों के नमाज ( मस्जिदों में सामूहिक नमाज ) ,रोजों एवं धार्मिक कार्यों पर बैन लगाया गया है उनकी मस्जिदों को अपने हिसाब
से तोड़ा जा रहा विदेशों से शिक्षा गृहण कर लौटने वाले मुस्लिम छात्रों को कैद कर
उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है कई गायब कर दिये गये है | चीन का मीडिया कहता है उन्हें देश प्रेम सिखाया जा रहा तानाशाही में
प्रजातंत्रिक मूल्यों की कोई जगह नहीं होती |
शाहीन बाग़ में औरतें बच्चे बिठा दिए गये है जैसे ही आशंका होती है गरीब महिलाओं
,बुढ़ियों बच्चों की मानव कतार खड़ी कर दी जाती है उनकी निगरानी कौन करते हैं ?
दिखाई देते है इन धरना देने वालों को सरकार की बात समझ नहीं आती हाँ गुमराह करने
वालों की बात अधिक समझ आती है कल नन्हा बच्चा ठंड एवं बिमारी से मर गया उसकी माँ
समझ रही है वह धरने पर आने वाली जनरेशन के लिए बैठी है असलियत सामने आते ही अफ़सोस
होगा अपना मासूम कुछ लोगों के झूठे प्रचार पर खो दिया | कहते हैं एस आन्दोलन का
कोई नेता नहीं है बैठने की व्यवस्था नियमित रूप से खाना चाय का इंतजाम कैसे हो रहा
है ?