दास्ताने कश्मीर
डॉ शोभा
भारद्वाज
कश्मीर की कहानी भारत की आजादी के साथ शुरू होती है |3
जून 1947 के प्लान के अनुसार हिंदुस्तान और पाकिस्तान
(पूर्वी पाकिस्तान जो आज बंगला देश के नाम से सम्प्रभु राष्ट्र है ) दो राष्ट्रों
का निर्माण होगा और आजादी के दिन से ब्रिटिश साम्राज्य में विलीन रियासते भी आजाद
हो जाएँगी वह चाहें तो आजाद रह सकतीं हैं या हिन्दुस्तान या पाकिस्तान में विलय कर
सकती हैं| रियासतों का विलय कराना आसन
नहीं था परन्तु सरदार पटेल के प्रयत्नों से जूनागढ़ , हैदराबाद
और जम्मू कश्मीर को छोड़ कर 529
रियासतों ने भारत में विलय स्वीकार कर लिया ,सख्ती के बाद जूनागढ़ और हैदराबाद का भी भारत में विलय हो गया लेकिन कश्मीर की भौगोलिक स्थिति के कारण एंग्लो अमेरिकन ब्लाक
की उस पर नजर थी | माउन्टबेटन
चाहते थे कश्मीर या तो पाकिस्तान के साथ जाये या स्वतंत्र रहे उनकी रुचि कश्मीर के गिलगित प्रदेश में थी यह क्षेत्र उनकी नजर
में roof of the world है उसका सामरिक महत्व था क्योंकि यह पांच राष्ट्रों की सीमाओं के बीच का क्षेत्र था
यहाँ सोवियत लैंड ( अब वारसा पैक्ट के सदस्य सोवियत लैंड से अलग हो गये हैं ),चीन ,अफगानिस्तान
,भारत और पाकिस्तान की सीमाए मिलती थी | इसे केंद्र बना कर पांच राष्ट्रों पर निगाह रखी जा
सकती थी |यही भगौलिक स्थिति पाकिस्तान की
है| पाकिस्तान की सीमा ईरान के प्रदेश जाह्दान से भी
मिलती है |
माउन्टबेटन
जानते थे राजा हरिसिंह हिन्दू डोगरा राजा होने के नाते कभी भी पाकिस्तान के साथ
विलय नहीं करेगे ,अत:
राजा हरिसिंह के विचारों को बदलने के लिए वह स्वयं कश्मीर गये वह राजा को मजबूर
करना चाहते ,उन्हें भारत या पाकिस्तान में से किसी के साथ
विलय स्वीकार कर लेना चाहिए वह अपनी सलाह अकेले में महाराज को दे कर उन्हें अपने
अनुसार बदलना चाहते थे ,यदि महाराज ने विलय स्वीकार नहीं
किया तो वह सत्ता परिवर्तन के बाद वह मुश्किल में पड़ सकते हैं महाराजा उनसे मिलना
नहीं चाहते थे|अत: उन्होंने बहाना किया वह बीमार हैं और
बिस्तर पर हैं,उनके द्वारा बुलाई मीटिंग में आने में
असमर्थ हैं माउंट बैटन का महाराजा पर पाकिस्तान में विलय करने का बहुत दबाब था वह
निश्चय नहीं कर पाए कि क्या करें 21 अक्टूबर को 5000 कबायली लड़ाके, पाकिस्तान के नार्थ वेस्ट फ्रंटियर के सैनिक थे कश्मीर की और प्रस्थान
कर गये और श्री नगर से केवल 35
किलो मीटर की दूरी पर रह गये थे
कश्मीर सरकार ने भारत से जल्दी मदद की गुहार लगाई सैनिक सहायता मांगी, अब माउन्ट बेटन का कूटनीतिक खेल शुरू हो गया उन्होंने कहा कश्मीर एक आजाद देश है हम कैसे दखल दे सकते
हैं अत: पहले कश्मीर भारत में विलय के लिए अपनी सहमती दे | उसी समय कृष्णा मेनन कश्मीर के
लिए प्लेन से रवाना हो गये वह वहाँ के पूरे हालत का जायजा ले कर साथ ही महाराजा का
accession letter जिस पर उनके हस्ताक्षर थे लेकर अगले ही
दिन दिल्ली पहुंच गये इस पत्र के साथ शेख अब्दुल्ला की सहमती भी थी शेख साहब कश्मीर
नेशनल कांफ्रेंस ,कश्मीर का सबसे बड़ा दल था के प्रेसिडेंट
थे |सरदार पटेल बहुत बेचैन थे| पत्र
प्राप्त करते ही वह डिफेंस कमेटी की मीटिंग 26 अक्टूबर की शाम को होनी थी पहुंच गये | अगले दिन ही मिलिट्री और सैन्य
सामान श्री नगर के लिए रवाना कर दिया गया अब भी माउन्ट बेटन इस इंतजार में थे किसी
तरह देर हो जाये पकिस्तानी सेना श्रीनगर पर कब्जा कर ले वह चाहते थे इस विलय को
कंडीशनली स्वीकार किया जाये जैसे ही शन्ति स्थपित हो जनता की राय के नाम पर मामले
को उलझाया जाये | नेहरू जी कश्मीर की समस्या को स्वयं
सुलझाना चाहते थे अत: उन्होंने माउन्टबेटन के सुझाव को मान लिया | नेहरु जी पूरी तरह माउन्ट बेटन के प्रभाव में थे अत: सरदार पटेल यहाँ
कुछ नहीं कर सकते थे भारतीय सेना ने जैसे ही कश्मीर में पांव रक्खा जिन्ना ने
पाकिस्तानी सेना भेज दी कश्मीर युद्ध क्षेत्र बन गया | माउन्टबेटन
लाहौर में जिन्ना से मिलने गये जिन्ना ने उनसे शर्त रक्खी यदि भारत अपनी सेना हटा
लेगा वह भी पीछे हट जायंगे माउन्ट बेटन ने सलाह दी कश्मीर में प्लेबीसिट (जनमत
)संग्रह UN के द्वारा कराया जाये, जबकि जिन्ना चाहते थे दोनों प्रेसिडेंट की अध्यक्षता में जनमत संग्रह
कराया जाये | आजादी के बाद पाकिस्तान ने अपना गवर्नर जरनल
जिन्ना को बनाया लेकिन भारत ने माउन्ट बेटन को गवर्नर जरनल स्वीकार किया जिन्ना
मुस्लिम लीग के भी प्रेसिडेंट थे उनकी जैसी हैसियत माउनटबेटन की नही थी |
माउन्ट
बेटन की सलाह पर जनवरी 1948
में कश्मीर का विषय सुरक्षा परिषद में भेज दिया गया अब कश्मीर समस्या का अंतर्राष्ट्रीयकरण हो गया कश्मीर
की भोगोलिक स्थिति को देखते हुये अमेरिका की इस
क्षेत्र में रूचि थी आज तक कश्मीर
समस्या का कोई हल नहीं निकल पाया | कश्मीर पर कई U.Nमे प्रस्ताव पारित हुये
सुरक्षा परिषद में बहस हुई तीसरे पक्ष द्वारा समझौता कराने का प्रस्ताव दिया गया | आजाद कश्मीर का भी सुझाव दिया
गया | इस बीच सारा परिद्रश्य ही बदल गया यह शीत युद्ध का
समय था पाकिस्तान एंग्लो अमेरिकन ब्लाक के साथ पैक्ट कर SEATO और बगदाद पैक्ट का मैंबर बन गया उसे खुल कर हथियारों की सप्लाई होने
लगी | पाकिस्तान को किसी से कोई खतरा नहीं था वह पैक्ट का
मैंबर अपने आप को भारत के खिलाफ मजबूत करने के लिए बना था |भारत ने अपनी विदेशी नीति तटस्थता की नीति अपनाई, सोवियत यूनियन भी हमारा मित्र था दिसम्बर 1955 में बुल्गानिन और ख्रुश्चेव भारत आये उन्होंने एक
स्टेटमेंट दिया “ कश्मीर
भारत का अभिन्न अंग है “ भारत की कश्मीर नीति का समर्थन
किया
भारत और
पाकिस्तान के बीच 1965 और
1971 में दो युद्ध हुये पूर्वी पाकिस्तान , पाकिस्तान से अलग हो कर एक आजाद
राष्ट्र बंगलादेश बन गया| भारत और पाकिस्तान के बीच हुये
शिमला समझौते में यह तय हुआ अब हर
समस्या का हल आपसी बातचीत द्वारा किया जायेगा कश्मीर समस्या का अंतरराष्ट्रीयकरण
नहीं होगा |पाकिस्तान. में
जियाउलहक ,मिलिट्री जरनल नें तख्ता पलट कर पाकिस्तानी
सत्ता की कमान सम्भाल ली अब कश्मीर हथियाने के लिए छद्म युद्ध का सहारा लिया ,भारत में आतंकवादी भेजना | I.S.I. को खुला फंड दिया गया | कश्मीरी युवकों को
भारत के खिलाफ बरगला क्र , उनके हाथ में
हथियार दे कर बदमनी फैलाना ,विश्व में भारत की बदनामी
करना है | पाकिस्तान के ट्रेंड आतंकवादी हरी भरी कश्मीर
घाटी में खून की होली खेलने लगे | पाकिस्तान का जो भी
हाकिम आया है सबकी पॉलिसी कश्मीर में एक सी रही है धीरे –धीरे
इतना आतंक फैलाया कश्मीरी पंडितों को अपने घर द्वार छोड़ कर पलायन करना पड़ा कश्मीरी
मुस्लिम समुदाय के लोग भी दिल्ली और अन्य शहरों में बसने लगे |
जम्मू कश्मीर
में अपनी जनता की चुनी हुई सरकार है धारा 370 के अंदर विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है|प्रतिदिन घुसपेठिये घाटी में
घुसने की कोशिश करते है उनके लिए सेना सतर्क है यदि भारत सरकार सतर्कता न बरते
पूरी घाटी बाहर से आये आतंकवादियों का स्वर्ग बन जायेगी |पाकिस्तान
ने जिस आतंक वाद को भारत के खिलाफ हथियार बनाया था वह आज उसके लिए समस्या बन गया
हैं कई आतंकवादी संगठन इस्लाम के नाम पर सत्ता पकड़ना चाहते हैं जैसे हाफिज सईद कई लश्कर बनते
बिगड़ते रहते हैं ,पाकिस्तान
आर्थिक रूप से भी खोखला हो गया है | कश्मीर घाटी के लोग आतंकवाद का परिणाम भुगत चुके हैं अत: वह शांति
चाहते थे |उन्होंने भारी संख्या में आ कर मतदान में हिस्सा लिया भाजपा और पीडीपी की मिली
जुली स्वर्गीय मुफ़्ती मुहम्मद के नेतृत्व में सरकार बनी | उनकी मृत्यु के बाद उनकी बेटी महबूबा मुफ़्ती ने मुख्यमंत्री
पद की कमान सम्भाली सुरक्षा सैनिकों ने नामी आतंकवादी को मार गिराया | इसका बहाना लेकर अलगाववादियों ने कश्मीर की जनता को भड़काना
शुरू किया आज कश्मीर फिर से अशांत है अलगाववादी जलूस निकालते हैं उनके पीछे आतंकवादी,
नौजवान और बच्चे सुरक्षा सैनिकों पर पथराव करते है पाकिस्तान इसे कश्मीरियों
द्वारा विद्रोह कह कर समस्या का अंतराष्ट्रीयकरण करना चाहता है | लेकिन कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है देश का एक राज्य है |