एक थी रानी पद्मावती
डॉ शोभा भारद्वाज
मशहूर फिल्म निर्माता ने रानी पद्मावती पर फिल्म बनाने का एलान किया |मुझे इतिहास के पन्नों में अंकित चितौड़ की रानी पद्मावती की गाथा याद आ गयी |यह परी कथा नहीं है चितौड़ के राजा रतन सेन की रानी पद्मावती जो रूप और गुणों में अपूर्व थी जिसे पाकर राजा धन्य हो गये की गाथा है |रानी के रूप और गुणों की चर्चा दूर – दूर तक फैली हुई थी ,चर्चा दिल्ली के सुलतान अलाउद्दीन के कानों में भी पहुंची वह रानी को अपने हरम में शामिल करने के लिए उतावला हो गया| उसे चितौड के किले पर हमला करने का उचित बहाना भी समझ में आ गया वह पहले भी देवगिरी के राजा कर्ण को हरा कर उनकी बेशुमार दौलत और पत्नी कमला देवी को जीत लाया था |उसने राजा रत्न सेन को संदेश भिजवाया चितौड की रानी रूपवान और गुणी उसे उसके हवाले कर दिया जाये |संदेश पढ़ कर राजपूतों का खून खौल गया अपनी आन और सम्मान की रक्षा के लिए जीवन उत्सर्ग करने को तैयार हो गयें |सुलतान की सेना ने चितौड के आसपास मारकाट मचा दी और किले को घेर लिया लेकिन सुलतान के लिए देर तक राजधानी छोड़ना भी सुरक्षा की दृष्टि से उचित नहीं था उसने राजा के पास संदेश भिजवाया उसने रानी के अपूर्व सौन्दर्य के चर्चे सुने हैं वह केवल रानी को देखना चाहता है |राजा ने कूटनीति से काम लिया उन्होंने संदेश का उत्तर देकर कहा चितौड़ में सुलतान का स्वागत है लेकिन रानी किसी के सामने नहीं आती है | चितौड़ के किले में सुलतान का विधिवत स्वागत किया गया अलाउद्दीन ने देखा किला में पूरा शहर ही बसा हुआ है, किला पूरी तरह सुरक्षित है | रानी उसे कहीं भी नजर नहीं आई दबाब देने पर अलाउद्दीन को तालाब के किनारे बैठी रानी का प्रतिबिम्ब शीशे में दिखाया गया अपूर्व सौन्दर्य देख कर सुलतान की आँखे फट गयी वह पद्मावती की कामना और चितौड़ के दुर्गम किले पर अधिकार की इच्छा मन में लेकर लौट गया दूसरी बार सुलतान विशाल सेना लेकर आया और किले पर घेरा डाल दिया |
धीरे- धीरे किले की रसद खत्म होने लगी बाहर भयंकर मारकाट मची थी अब कोई चारा न देख कर रानी ने सुलतान के हाथों पड़ने से उचित जौहर करने की ठानी राजपूतों ने अंतिम युद्ध की तैयारी की केसरिया पाग पहनी एक – एक राजपूत कट मरने को तैयार था |दुर्ग के मैंदान में विशाल चिता सजाई गयी रानी के लिए वहीं बंद स्थान पर चिता बनाई गयी | 16000 राजपूतानियों ने जौहर का व्रत लिया सौलह श्रृंगार से सजी राजपुतानियाँ जिनके खुले केश हवा में लहरा रहे थे कुमकुम उडाती , नारियल उछालती हुई वीरता के गीत गाती अपने निवासों से निकलीं उनके चेहरे पर मौत का भय नहीं था उनका नेतृत्व स्वयं रानी पद्मावती कर रहीं थी उनके मुख पर अपूर्व तेज था |सबसे पहले अपने लिए बनाये स्थान पर रानी चिता में कूदीं उसने साथ ही राजपुतानियाँ चिता में कूद गयीं चितायें धूं-धूं कर जलने लगीं | चिताओं की ऊँची लपटें देख कर अपना सब कुछ खो चुकी राजपूतों की सेना गढ़ का द्वार खोल कर बाहर निकलीं अब वह जीवन मरण का अंतिम युद्ध ,हर सैनिक कटने को तैयार खून की होली खेल ी गयी दुश्मन की विशाल सेना को काटने और कटने लगे भयंकर रक्त पात हुआ | युद्ध की समाप्ति के बाद सुलतान अलाउद्दीन ने किले में प्रवेश किया सामने सुलगती हुयी चितायें उनकी गर्म राख थी सब कुछ समाप्त था किले मे कोई नहीं था रानी ने जिस बंद स्थान की चिता में प्रवेश किया था वहाँ हड्डियाँ भी राख हो चुकी थीं | सामूहिक जौहर को देख कर सुलतान सहम गया चितौड़गढ़ अवश्य हासिल हुआ बाकी राख ही राख थी | सम्मान की रक्षा के लिए जौहर कर रानी इतिहास के पन्ने पर अमर हो गयीं आज भी गाईड चितौड के किले को दिखाते हुए रानी की गौरव गाथा गाते हुए जौहर स्थल की और इशारा करते हुए कहता है यहाँ रानी चिता में कूदी थी ऐसी थी रानी पद्मावती और राजपुतानियाँ जिनके जीवन काल में दिल्ली का सुलतान जीते जी किले में प्रवेश नहीं कर सका था | यह उस समय का महिला सशक्तिकरण था |1857 में अंग्रेजों के खिलाफ क्रान्ति में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई दोनों हाथों में तलवार ले कर लड़ी थीं उनकी बहादुरी को अंग्रेज जरनल ने प्रणाम किया था |
आज के युग में बगदादी के इस्लामिक स्टेट के जेहादियों द्वारा घेर कर पकड़ी गयी यजीदी हर उम्र की लड़कियाँ नारकीय जीवन भोगती है उनके ऊपर होने वाले जुल्मों की दास्तान समाचार पत्रों में पढ़ कर आज के सभ्य समाज की आँखों में पानी आ जाता है | बगदादी के इस्लामिक स्टेट के जेहादियों के खिलाफ खुर्द महिलाओं की ब्रिगेड तैयार की गयी हैं यह जांबाज जेहादियों को बहादुरी का असली मतलब समझा रहीं हैं जिनका मानना है औरतों के हाथों मरने से दोजख मिलता है बहिश्त नसीब नहीं होता जैसे ही इनसे लड़ने आती है यह जेहादी इनको अपनी तरफ हथियार लेकर आते देखते ही डर कर भागते हैं |