जहर खुरानी ( जहर खिला कर मरणासन्न कर लूटने वाले ) लुटेरों से सावधान )
डॉ शोभा भारद्वाजसुना है अंग्रेजों के समय में कई धतूरिया गैंग थे उनके लुटेरे धतूरे के बीजों को पीस कर कभी – कभी उनमें भांग या अफीम मिला कर जहरीला बनाते थे शिकार को बातों में उलझा कर प्रशाद या किसी खाने की चीज में मिला कर प्रेम से खिला देते थे (मीठी वस्तु में मिलाने पर भी उसका स्वाद नहीं बदलता ) खाने वाला बेहोश हो कर कौमा में चला जाता था या मर जाता था उसे लूट कर भाग जाते थे |अब मारने का जहर बदला है अब तरह – तरह के ड्रग है लूटने का तरीका वही है | परिचित आनन्द कुमार गुप्ता जी एक सभ्रांत व्यक्ति हैं उन्होंने अपने साथ होने वाली लूट का किस्सा सुनाया कैसे वह मरते-मरते बचे | उन्होंने कहा लूट के अनेक किस्से सुने हैं लुटेरे कैसे ठग कर लूट लेते हैं | ठगे जाने वाले व्यक्ति सोच में पड़ जाता है क्या मैं इतना मूर्ख हूँ अजनबी मुझे बेवकूफ बना कर चला गया और मैं बन गया |उन्होंने अपनी आप बीती सुनायी, वह चाहते हैं और लोग भी जाने उनके साथ लूट ऐसी जगह हुई जहाँ वह बड़ी परेशानी की हालत में थे उनकी बेटी अपनी सुसराल से मायके डिलीवरी के लिए आई थी उन्होंने 10 दिसम्बर को उसे लोकनारायण अस्पताल में भर्ती कराया ईश्वर की कृपा से उनकी बेटी ने दो जुड़वाँ बच्चों को जन्म दिया|
वह बेटी के लिए बहुत परेशान थे अस्पताल में ही रहते थे न जाने कब किस चीज की जरूरत पड़ जाये उनकी पत्नी घर गयी हुई थी |उनके पास वेटिंग रूम में अच्छे कपड़े पहने दिखने में भद्र पुरुष बैठा था| उसने भी उन्हें अपनी परेशानी की कहानी सुनाई मैं मेरठ में रहता हूँ मेरा इकलोता बेटा है बहू पांच महीने की प्रिगनेंट है बच्चा 70% उलटा है उनका पूरा घर परेशान है पहला बच्चा है पता नहीं क्या होगा , उन्हें उसके साथ बहुत हमदर्दी हुई उसको समझाया भगवान का भरोसा रखो जब अपने बस में न हो ऊपर वाले पर छोड़ दो सब कुछ ठीक हो जायेगा आप सही अस्पताल में आये है बस कुछ समय का कष्ट है’ |
इतवार को वह उनके साथ ही था | उसे 100 रु० की जरूरत थी लेकिन उसके पास 500 का नोट था उन्होंने उसे 100 रु दिये जब छुट्टा होगा वापिस कर दीजिएगा लेकिन फिर वह नजर नहीं आया सोमवार को रात के दस बजे थे उन्होंने कहा , मैं सोने के लिए लेटा तभी वह आया उसने 100 का नोट मुझे लौटाया और कुछ देर बैठ कर चला गया अबकी बार लौटा उसके हाथ में दो कप चाय थी मैं उनींदा सा था उसने जबरदस्ती मुझे चाय पिलाई चाय पीने के बाद मुझे अजीब सा लगा मैं सो गया | जब आँख खुली मैं एमरजेंसी वार्ड में था 26 घंटे के बाद होश आया ,बाद में ऑब्जरवेशन में रखा गया 80 घंटे बाद उन्हें छुट्टी मिली | उनके पास 2 सेल फोन और 7500 रु० थे लेकिन मेरे घरवालों को मेरी जेब खाली मिली’ |पूछने पर उन्होंने बताया उनकी पत्नी बेटे के साथ घर से आई उसने उन्हें बेसुध देखा वह घबरा गयी वेटिंग रूम में उपस्थित लोगों ने बताया अभी तो वह अधेड़ से आदमी से बात कर रहे थे वह उनके लिए चाय लाया था| बेटी को उनकी जरूरत थी और वह इस हाल में पहुँच गये | लोकनारायण अस्पताल वालों ने वहाँ की पुलिस चौकी में मामला दर्ज कराया | होश में आने पर उन्होंने अपना ब्यान दर्ज कराया उन्हें अपने आप पर गुस्सा आ रहा था इतना वह समझ गये थे जिसे वह भद्र पुरुष समझ रहे थे उसी की करतूत थी परन्तु क्या कर सकते थे ? उनका पूरा परिवार सकते में था यदि समय पर उनकी पत्नी और बेटा नहीं पहुंचता क्या होता ?
लगभग पाँच महीने के बाद उन्हें अस्पताल आना पड़ा उनकी बेटी का बच्चा, बच्चों के 15 नम्बर बार्ड में भर्ती था |वह हैरान रह गये वही व्यक्ति सफारी सूट में वोटिंग रूम में बैठा दूसरों को अपनी पुरानी कहानी सुना रहा था जो उन्हें पाँच महीने पहले सुनायी थी सबकी सहानुभूति बटोर रहा था पहली कहानी और अब वाली कहानी में कोई फर्क नहीं था अभी भी उसकी बहू पांच महीने की प्रिगनेंट थी | मन तो हुआ उसकी कालर पकडू पुलिस चौकी ले चलूँ जहाँ उनकी तरफ से शिकायत और MLC रिपोर्ट दर्ज थी कैसे उन्हें मरणासन्न अवस्था में एमरजेंसी में दाखिल किया गया था | डाक्टरों की कृपा से उनके प्राण बचे थे| उन्होंने क्रोध को नियन्त्रण में किया श्रोताओं में उसके पास ही बैठ कर टिफिन की आड़ में उसका वीडियो बनाने लगे वह उन्हें पहचाना या नहीं पता नहीं परन्तु चेहरे पर कोई भाव नहीं लाया |उसकी कहानी सबके साथ सुन कर पुलिस चौकी आये उनके पास प्रूफ था मामला पहले से उस व्यक्ति की कहानी के साथ दर्ज था | उन्होंने वीडियो पुलिस चौकी में दिखाया पहले की कहानी और अब की कहानी हुबहू वही थी पुलिस चौकी में वीडियो देखा सारी बात सुनी एक्शन लेने का आश्वासन देकर भेज दिया | वह दरियागंज के थाने में गये उन्होंने सादा कागज पर रिपोर्ट लिख कर उनका पता ,मोबइल नम्बर भी लिया |पुलिस क्या करेगी? क्योकि वह अस्पतालों में घूमने वाला जहर खुरानी लुटेरा है जहर की चीज खिला कर लूटने वाला ठग है मरीजों के तीमारदारों की परेशानी के साथ अपनी परेशानी मिला कर लूटता है |वह सबको सावधान करते हैं उनका जो नुक्सान होना था हो गया वह इतना मायने भी नहीं रखता लेकिन उनके जीवन पर बन आई थी अस्पताल वालों ने बचा लिया | |उनका सबसे आग्रह है आप लोग ऐसे सफेदपोश लुटेरों से सावधान रहें जो अस्पतालों में भी तीमारदारों के बीच घुसे हुए हैं जिनके लिए कुछ रुपयों के लिए किसी को मार देना या मरने की हालत कर देना खेल है |