परमाणु शक्ति सम्पन्न देश बनना ईरान की इस्लामिक सरकार की महत्वकांक्षा है |
डॉ शोभा भारद्वाज
ईरान पहले से ही परमाणु शक्ति सम्पन्न देश बनने का इच्छुक रहा है उसकी दलील थी वह शान्ति पूर्ण उद्देश्य के लिए परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाना चाहता है लेकिन ईरान के विपक्षी गुट जो विदेशों में बैठे हैं उन्होंने 2002 में खुलासा किया गया था ईरान की महत्वकांक्षी इस्लामिक सरकार के निर्देश पर गुपचुप तरीके से सेंट्रल ईरान में परमाणु कार्यक्रम निरंतर चल रहा है यहाँ यूरेनियम का भंडारण एवं वै ज्ञान िक हेवी वाटर रिएक्टर के निर्माण कार्य में लगे हैं जिससे परमाणु बम भी बनाया जा सकता है | इस्लामिक सरकार के मंसूबे से विश्व परिचित है वह समाचार पत्रों में सदैव वह समाचार पत्रों में सदैव सुर्ख़ियों में बनी रहती थी| रजा शाह पहलवी के कार्यकाल में शाह से अमेरिका की नजदीकियां सर्व विदित हैं| ईरान में अमेरिका एवं ब्रिटिश कम्पनियों को तेल की कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा मिल रहा था जिसका लाभ इमाम आयतुल्ला खुमैनी ने शाह के विरुद्ध ईरानी जन मत निर्माण में जम कर उठाया| ईरानी कहते थे हमें समझाया गया था देश में इतनी दौलत है यदि प्रति व्यक्ति बाटी जाये तो हर व्यक्ति के हिस्से में पाँच तुमान और पाँच लीटर घर बैठे आता है |शाह के काल में तूमान बहुत मजबूत था पाँच तूमान की बहुत वैल्यू थी|
1979 की क्रान्ति के बाद शाह की हकूमत खत्म हो गयी |अमेरिका की दुश्मनी के प्रभाव से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद एवं अंतर् राष्ट्रीय समुदाय ने ईरान पर कड़े आर्थिक एवं ईरानी कच्चे तेल की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगा दिये | तेल एवं गैस के जैसे काले सोने के बाद भी व्यापार के मोर्चे पर ईरान पिछड़ता चला गया देश में पूरी तरह सस्ते राशन की व्यवस्था की गयी आवश्यकता का सामान कार्ड पर शिरकतों ( सहकारी स्टोर ) पर मिलता था |सर्द एरिया में मिटटी के तेल पर भी राशन था| सरकार प्रतिबंधों से भी नहीं डरती ईरान ईराक युद्ध के दौरान उन्होंने ईरानियों को बैल्ट टाईट कर केवल जरूरतों पर जीना सिखा दिया है |तानाशाही में न दाद न फरियाद | इस्लामिक गणराज्य में राष्ट्रपति के चुनाव में हसन रूहानी की मई 1917 में दूसरी बार विजय हुई इनकी छवि उदारवादी एवं सुधारवादी (मौड्रेट ) की है वह नौजवानों में खासे प्रिय हैं |ईरान में राष्ट्रपति की शक्ति सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खमैनी के बाद दूसरे नम्बर पर है |ईरान में चुनाव मौलानाओं के बीच होता है| आगा हसन रूहानी ने ईरान में परमाणु कार्यक्रम को फिर से चलाने के लिए मध्यस्त देशों का सहारा लिया|
ओबामा सरकार के कार्यकाल में अमेरिकन वार्ताकार उनके विदेश मंत्री जाँन कैरी एवं सुरक्षा परिषद के पाँच स्थाई सदस्यों (रूस,अमेरिका, चीन ,इंग्लैंड फ्रांस )एवं जर्मनी के साथ ईरान ने 24 नवम्बर 2013 को जनेवा में परमाणु समझौता किया गया समझौते के अनुसार 1. ईरान अपने यूरेनियम भंडार जो नौ टन के करीब है को कमकर 300 ग्राम तक करेगा |उसे अपने मौजूदा परमाणु सेंट्रीफ्यूज का दो तिहाई भी हटाना पड़ेगा| इसे वह रूस को देगा इसके बदले में रूस 140 टन प्राकृतिक यूरेनियम येलो केक के रूप में ईरान को दिया जाएगा इस कम्पाउंड का इस्तेमाल बिजली घरों के लिए परमाणु छड़ें बनाने के लिए होता है ईरानी परमाणु कार्यक्रम को सीमित करना आसान नहीं था माना जा रहा है इससे परमाणु कार्यक्रम की गति धीमी पड़ जायेगी | 2. समझौते के अनुसार ईरान पर हथियार खरीदने के लिए लगाये गये प्रतिबन्ध पाँच वर्षों तक बरकरार रहेंगे लेकिन मिसाईलों की खरीद आठ वर्ष तक प्रतिबंधित रहेगी| 3. ईरान के कच्चे तेल, गैस का कारोबार ,वित्तीय लेनदेन ,उड्डयन और जहाजरानी के क्षेत्रों पर लगाये प्रतिबंधों पर तब ढील दी जायेगी जब ईरान अपने परमाणु संयंत्रों को निगरानी के लिए खोल देगा ,वह जांच कर सकेंगे ईरान संधि का सही ढंग से पालन करेगा |
समझौते के तुरंत बाद इजराईल के नित्यानाहू ने कहा ईरान की सरकार विश्वास के लायक नहीं है| अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी का हाउस आफ रिप्रजेंटेटिव में बहुमत हैं उन्होंने भी बराक ओबामा द्वारी किये समझौते की आलोचना की थी |
लेकिन समझौता अमेरिकन एवं योरोपियन देशों की मजबूरी थी मिडिल ईस्ट के हालात बदल गये थे आईएस की विचार धारा से विश्व को खतरा था ईराक एवं सीरिया में बगदादी के बनते ठिकानों से योरप में इस्लामी आतंकियों एवं जेहादी विचारधारा निरंतर बढ़ रही है नीति कारों के अनुसार सुन्नियों के विरोध में शिया विचार धारा को प्रोत्साहित करना जरूरी है और ईरान विश्व के शियाओं का नेतृत्व करता है | दोनों को लड़ा कर आईएस को कमजोर किया जा सकता है |समझौते के बाद योरोपियन देशों जिनमें इटली , फ़्रांस जर्मनी प्रमुख है ने ईरान में निवेश किया भारत ने भी चाबहार में पैसा लगाया यहाँ से भारत की सेंट्रल एशिया में पहुंच बढ़ती है| लेकिन ट्रम्प समझौते के विरुद्ध हैं उन्होंने अपने चुनावी भाषणों में पहले ही परमाणु समझौते का विरोध किया था अब उन्होंने समझौते से हटने का एलान कर दिया ट्रम्प सरकार ने ईरान से हुए परमाणु समझौते जिसके साथ कई व्यापक कार्य योजनायें बंधीं थी उनसे अपने आप को अलग कर लिया यही नहीं उन्होंने ईरान के बेलेस्टिक मिसाईल कार्यक्रम को रोकने के लिए नये आर्थिक प्रतिबन्ध लगाये हैं |
ट्रम्प सरकार के कूटनीतिक फैसले की आलोचना हो रही है | ट्रम्प का आरोप है ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को विश्व के राष्ट्रों से छिपा कर जारी रखा हैं राष्ट्रपति के इस कदम पर ईरान के विदेश मंत्री मु० जावेद जाफरी का ब्यान आया अमेरिका का समझौते से हटना और प्रतिबन्ध लगाना परमाणु समझौते का उल्लंघन है| फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने समझौते से अमेरिका के कदम हटाने को दुखद बताया| चीन एवं रूस के साथ ईरानी सरकार की नजदीकियां बढ़ेंगी |एक बार फिर तेहरान में ‘जलूस निकले "मर्ग- बा अमरीका के नारे गूँजे" |
निष्कर्ष - इस्लामिक सरकार की महत्वकांक्षा रहीं है वह शियाओं के रक्षक, पैरोकार शक्ति बनें | वह अपने इतिहास को कभी नहीं भूलना चाहते कर्बला में इमाम हुसेन की कुर्बानी को उन्होंने आत्मिक शक्ति बनाया है |उनकी नीति थी पर्शियन गल्फ के दोनों तरफ इराक में भी शिया सरकार बने| सदाम हुसेन आयतुल्ला खुमैनी की महत्वकांक्षा से परिचित थे अत :नई बनी सरकार को उखाड़ने, अपनी सत्ता और सुन्नी सरकार को बचाये रखने के लिए ईरान पर हमला किया था |इस्लामी सरकार नें इसी हमले को आधार बना कर सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी युद्ध में ईरानियों की कुर्बानियों की पूरी गाथा है लेकिन अंत में आयतुल्ला खुमैनी को इराक से युद्ध बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा था | ईरान की कमर ईराक से चलने वाली कोरिया से खरीदी गयी मिसाइलों नें तोड़ी थी | मिसाइल जब तेहरान पर छोड़ी जाती थी कुछ समय तक मिसाइल अपना निशाना ढूँढने के बाद गिरती और बाद में मिसाईल का मलवा ऐसी दहशत जिससे बड़े – बड़ों के हौसले पस्त हो गये थे ईरान के आसमान असुरक्षित थे | ईरानी सरकार की हृदय से इच्छा है वह जब परमाणु शक्ति सम्पन देश बनेगा उनके पास बैलिस्टिक मिसाईल होंगी तभी इस्लामिक जगत में उनका झंडा बुलंद होगा अत : ट्रम्प प्रशासन द्वारा ईरान के साथ परमाणु समझौता खत्म करना उनके बुलंद इरादों पर पानी फेरने जैसा है इसे सहना इस्लामिक सरकार द्वारा बहुत मुश्लिल है|
दोनों तरफ मरण है ईरान यदि परमाणु शक्ति सम्पन देश बन जाएगा इस्लामिक देशों की सुन्नी सरकारों पर खतरा मंडरायेगा वह भी किसी भी कीमत पर परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र बनना चाहेंगे रोकने पर ईरानी सरकार का फुंकारना, चीन के साथ उसकी नजदीकियाँ और बढ़ जायेंगी चीन की विश्व शक्ति बनने की महत्वकांक्षा से विश्व आँखें नहीं मूंद सकता | ईरान के राष्ट्रपति रूहानी ने घोषणा की अमेरिका के बिना भी न्यूक्लियर डील में बना रहेगा वह अमेरिकन फैसले पर योरोप के देशों एवं रूस चीन से विचार विमर्श करेंगे |