भारत चीन संबंध श्री जिनपिंग घात से विश्व शक्ति बनना चाहते हैं
डॉ शोभा भारद्वाज
माओत्सेतुंग चीनी क्रान्ति के जनक की मृत्यू के बाद 1978 में चीनी जनवादी गणराज्य में सुधारों की जरूरत महसूस की गयी विकास के लिए कई क्षेत्रों में ढील दी गयी सत्ता को सम्भालने वाले दांग जियोपिंग ने साम्यवादी व्यवस्था में खुले बाजार की नीति को समय की आवश्यकता समझ कर उन्होंने राजनीतिक एवं आर्थिक सुधारों पर बल दिया श्री दांग के आथिक उदारीकरण को राजनीतिक उदारीकरण भी कहते हैं वह बाहरी दुनिया से हट चीन को आर्थिक शक्ति बनाना चाहते थे |25 वर्ष तक राज किया वह चीन में एक व्यक्ति के हाथ में सत्ता सौपने के हिमायती नहीं थे बल्कि कम्यूनिस्ट पार्टी आफ चायना के हाथ में सत्ता की पकड़ मजबूत करने के समर्थक थे |शी जिनपिंग से राष्ट्रपति पद संभाला उन्हें आर्थिक रूप् से मजबूत चायना मिला उन्होंने सबसे पहले सम्पूर्ण शक्ति अपने हाथ में लेने की कोशिश की | कम्यूनिस्ट पार्टी में अपने विरोधियों को पूरी तरह नष्ट कर दिया चीन में कम्यूनिस्ट पार्टी पर जिसका नियन्त्रण होता है उसी की सत्ता पर मजबूत पकड़ होती है अत : सत्तारूढ़ कम्यूनिस्ट पार्टी आफ चाइना द्वारा प्रस्तावित संविधान संशोधन को बहुमत के समर्थन से शी जिनपिंग को आजीवन देश का राष्ट्रपति चुना गया उन्हें माओ के बराबर सम्मान देकर उनकी विचारधारा को भी संविधान में शामिल कर लिया गया वह धीरे - धीरे देग जियोपिंगा की विरासत को खत्म करने लगे चायना के म्यूजियम से उनका स्टैचू हटा दिया उनके द्वारा किये आर्थिक सुधारों एवं विकास को अपने नाम कर लिया उनके स्पॉट चेहरे पर हल्की मुस्कराहट उनके हृदय के भावों को समझने नहीं देती | आंतराष्ट्रीय नीति में अपना प्रभाव जमाने लगे नॉर्थ कोरिया का तानाशाह किम सिंगापुर में अमेरिकन राष्ट्रपति ट्रम्प से वार्ता करने जा रहा था जिनपिंग ने उन्हें पहले अपने पास बुलाया |अब जिन पिंग के अपने हर पड़ोसी से सीमा विवाद हैं |नॉर्थ चायना की सीमा मंगोलिया से मिलती हैं वहां के उइगर मुस्लिम को वह अपना दुश्मन समझते हैं उनकी दुर्दशा विश्व जानता है |
देश की सीमाओं पर जब भी संकट आया हैं सम्पूर्ण भारत की जनता नें एक स्वर में दुश्मन का विरोध किया है विपक्ष ने सदैव सरकार का साथ दिया केवल 1962 में भारत चीन के युद्ध में सीपीआई के स्वर अलग थे | अब बामपंथियों के स्वर ढीले हैं लेकिन कांग्रेस सोनिया गांधी एवं राहुल के नेतृत्त्व में मोदी सरकार से प्रश्न पूछ रहे हैं इन दिनों चुनाव भी नहीं है अजीब लगता हैं एस परिवार के अनुसार चीन ने भारतीय सीमा का अतिक्रमण किया है मोदी जी ने चीन के सामने आत्म समर्पण कर दिया देश में भ्रम की स्थिति फैलाने की कोशिश करना दुखद लगता है |
देश आजाद हुआ स्वर्गीय श्री जवाहर लाल नेहरु देश के पहले प्रधान मंत्री थे वह अपनी छवि विश्व नेता की बनाना चाहते थे विश्व की हर समस्या के निदान में उनकी उपस्थिति दर्ज होती थी चीन को नेहरू जी आगे लेकर आये तटस्थ राष्ट्रों के सम्मेलनों में चीन एवं भारत के प्रधानमंत्री ने हिंदी चीनी भाई-भाई के नारे लगाये ,देश का माहौल भी ऐसा बना दिया गया लगता था एक समय ऐसा आएगा दोनों राष्ट एशिया का नेतृत्व करेंगे लेकिन सीमा विवाद की आड़ मे चीन ने हमारी सीमा पर हमला कर ऐसा खंजर देश के सीने पर घोपा इसकी चुभन आज तक है अंतर्राष्ट्रीय मंच पर चीन आगे बढ़ गया था नेहरू जी पीछे रह गये ताकतवर को दुनिया प्रणाम करती हैं |अब स्थिति बदल गयी है भारत एक मजबूत देश बन कर उभरा है चीन को कई बार कूटनीतिक स्तर पर भारत ने पछाड़ा है |
1959 को चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया तिब्बत भारत एवं चीन के बीच आजाद देश था चीन की नीति का नेहरू जी को विरोध कर चीन के खिलाफ विश्व में जन मत बनाना चाहिए था तिब्बत के शरणार्थी भारत आ गये नेहरु ने इस स्थिति का लाभ उठाने के बजाय चुप्पी साध ली चीन के हौसले बढ़ गये परिणाम 1962 ने हमारी सीमाओं पर हमला कर अक्साईचिन को अपने अधिकार में लेकर स्वयं युद्ध विराम की घोषणा की | तिब्बत पर अधिकार करने के बाद तिब्बत की सीमा से जुड़ने वाले प्रदेशों पर हक जमाने लगा सिक्किम ,लद्दाख ,अरुणाचल प्रदेश को अपना क्षेत्र बता रहा है |धारा 370 ,35 a की समाप्ति के बाद लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने से चीन बौखला गया |
चीन का अपने हर पड़ोसी से सीमा विवाद है पड़ोसी देश उससे परेशान हैं वियतनाम पर चीन ने पैर पसारने चाहे छोटे से देश ने ऐसा सबक सिखाया इनके पैर उखड़ गये वियतनाम चीनी सामान नहीं खरीदता , ईस्ट चायना सी में जापान के पास एक द्वीप है इसे जापान सेंकाकुस कहता है, चीन इस पर अपना दावा करता है इसका नाम दियाओयुस बताता है। उसके अनुसार उन्नीसवीं शताब्दी से द्वीप पर चीन के राजवंश का अधिकार था वर्ष 1972 से जापान का कब्जा है। दोनों देशों के रिश्तों में 2012 से उस समय तल्खी आ गई थी जब जापान ने द्वीप का राष्ट्रीयकरण कर लिया अक्सर चीनी पनडुब्बी द्वीप के पास मंडराती हैं जिन्हें जापान अपने क्षेत्र से हटाता है |
दक्षिण चीन सागर एक वैश्विक व्यापारिक रास्ता है यहाँ के तटवर्ती देश प्राकृतिक ,गैस ,ऊर्जा ,मछली पर निर्भर है यहाँ अनेक छोटे द्वीप हैं जिन पर मिटटी डाल कर द्वीपों का क्षेत्र बढ़ा कर नौसैनिक अड्डे बना लिए हैं चीन के इस कृत्य से वियतनाम ,फिलिपीन ब्रुनेई ,इंडोनेशिया मलेशिया चीन के एकाधिकार के दावे से परेशान हैं ताईवान को चीन अपने अधिकार में लेना चाहता है |
हांगकांग ब्रिटेन का उपनिवेश था इसे ब्रिटेन ने चीन को शर्तों के साथ 1997 को लौटाया था हांगकांग हांगकांग ब्रिटेन का एक उपनिवेश था जिसे साल 1997 में चीन को उसकी स्वायत्ता की शर्त के साथ सौंपा गया. इसके लिए दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ था।हांगकांग को 50 वर्ष के लिए अपनी स्वतन्त्रता ,सामाजिक कानूनी एवं राजनीतिक व्यवस्था बनाये रखने की गारंटी दी गयी उन्हें चीनियों से अलग लोकतांत्रिक अधिकार मिलेंगे इसी समझौते के तहत हांगकांग को अपना राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने का हक भी हासिल है।हांगकांग में रहने वाले लोग खुद को चीन का हिस्सा नहीं मानते और खुले आम सरकार की आलोचना करते हैं वह मानते हैं चीन हांगकाग में प्रजातांत्रिक व्यवस्था का गला घोटना चाहता है अत : वहां की जनता को चीनी व्यवस्था पसंद नहीं है बड़ी कंपनियां उनके अधिकारी हांगकांग छोड़ कर दूसरे देशों में चले गए | कुछ से मुझे सिंगापुर में मिलने का अवसर मिला उन्होंने बताया व्यवसायिक दृष्टि से सम्पन्न हांगकांग बर्बाद हो रहा है |
धारा 370 की समाप्ति के बाद भारत ने अपना नया राजनीतिक नक़्शा जारी किया था जिसमें लिम्पियाधुरा (उत्तराखंड का हिस्सा है ),कालापानी और लिपुलेख भारत का हिस्सा है जिन पर नेपाल अपना दावा जताता रहा है नेपाल की सरकार ने .संसद में नक्शे को पास कर इस हिस्से को अपना बताया नेपाली प्रधान मंत्री ओली का रुझान चीन की तरफ है चीन की महत्वाकांक्षी योजना वन बेल्ट वन रोड में भी वह शामिल हो गया. सार्क देशों में भूटान को छोड़ सभी देश चीन की इस परियोजना में शामिल हैं. जबकि भारत इस योजना का विरोध करता है .अपने पहले कार्यकाल में श्री ओली नेपाल के प्रधान मंत्री ने चीन का दौरा किया था , उन्होंने ट्रांज़िट ट्रेड समझौते पर हस्ताक्षर किया था. ओली चाहते हैं कि चीन तिब्बत के साथ अपनी सड़कों का जाल फैलाए और नेपाल को भी जोड़े वह भारत को जताना चाहते हैं उसकी निर्भरता कम हो.जाये नेपाल और चीन के बीच रेल लाइन भी बिछाई गई ताकि दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क बढ़े.जबकि नेपाल की कुछ दुर्गम घाटियों को रेल से जोड़ने पर भारी खर्च होगा ऐसे में नेपाल को ये भी डर है कि वो कर्ज़ के बोझ तले दब न जाएँ अब उसकी स्वयं की हालत खराब हैं उसके गावों पर चीन कब्जा कर रहा है | नेपाल को तिब्बत की हालत से सबक लेना चाहिए |
भारत ने चीन द्वारा समर्थित वन बेल्ट एंड वन रोड का बहिष्कार किया यह सड़क पीओके से निकलती है 29 देशों ने इस प्रोजेक्ट को माना |चीन से कर्ज या मदद लेने के बाद भय है यदि वापस नहीं कर पाएंगे कहीं चीन के उपनिवेश न बन जायें श्रीलंका को हम्बनटोटा बन्दरगाह 99 वर्ष की लीज पर देना पड़ा| जिन पिंग चाहते हैं उनसे हर पड़ोसी एक - एक कर लड़े जिससे वह उन पर आसानी से अधिकार कर सकते हैं उनके चाहने से क्या होता है