चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को विस्तारवाद एवं बाजार दोनों चाहिए ? डॉ शोभा भारद्वाज राष्ट्रपति जिनपिंग की गिद्ध दृष्टि विश्व के बाजार पर हैं चीन आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न देश बन चुका है चीनी सामानों से बाजार पटे हुए हैं कारण चीनी सामान सस्ता है क्योकि चीनी सरकार कारखानों को कच्चे माल पर सब्सिडरी देती हैं वहाँ श्रमिकों के कर्त्तव्यों की व्याख्या की गयी हैं लेकिन अधिकार नगण्य हैं | श्री जिंगपिंग की नीति, जहाँ भी चीन द्वारा निवेश करते हैं,कर्ज देते है वहीं सुरक्षा के नाम पर चीनी जमीन खरीदते जाते हैं वहीँ उनकी कलौनियाँ बस जाती हैं उनकी जरूरतें पूरी करने के लिए अपने सस्ते बाजार तैयार हो जाते हैं |मेरी एक मित्र एक वर्ष के लिए कनाडा गयी उसने बताया बसों में केवल एक दो लोकल दिखाई देते हैं बाकी चीनी भरे रहते है उनके अपने बाजारों में उनके खान पीने एवं जरूरत की सस्ती चीजें मिलती हैं उनकी चीनी मकान मालिक ने उन्हें बताया चीनी बाजार सस्ते हैं आप वहाँ जरूरत की चीजे खरीद सकते हैं वह एक खरीददारी करने चीनी बाजार गयीं बेसन में पकौड़े तले जा रहे थे उन्होंने समझा बैंगन के पकौड़े होंगे जब प्लेट में सास के साथ सज कर आये खाने के लिए काँटा गड़ाया देखा छिपकली के पकौड़े थे उनका हाल बेहाल हो गया |अब कनाडा को भी जिनपिंग आँख दिखा रहे हैं कनाडा में एक चीनी महिला जासूसी करती पकड़ी गयी थी कनाडा सरकार ने उन्हें अमेरिका को सौंप दिया | भारत को आँख दिखाता चीन -द्वितीय विश्व यद्ध का इतिहास उपनिवेश बढ़ाने की दौड़ में जर्मन चांसलर हिटलर एक के बाद एक देश निगलता गया केवल पोलेंड जैसे कमजोर देश ने उसका मुक़ाबला करने की हिम्मत की लेकिन जब रशिया पर हमला किया यूक्रेन की धरती की एक एक इंच जमीन रशियन ने ऐसी कुर्बानी दी विश्व का इतिहास सदैव याद रखेगा यहीं थे हिटलर की अजेय सेना के पैर उखड़ते गये | अमेरिका को पीछे धकेल कर जिनपिंग चीन को विश्व शक्ति बनाना चाहते है उनकी नीति आक्रामक है मोदी जी के अनुसार विस्तार वादी , वह उग्र चीनी राष्ट्र वाद के समर्थक हैं चीन साऊथ सी में मैन मेड द्वीप बना कर व्यापारिक मार्ग पर कब्जा करना चाहता है अब समय बदल गया है पुरानी गलती बिश्व नहीं दोहराएगा |भारत अमेरिका और जापान ने मिल कर चीन को जतलाया भारत अकेला नहीं है| भारत के विश्व के देशों के साथ भी मधुर सम्बन्ध हैं चीन के विरुद्ध युद्धाभ्यास चल रहे हैं | कौटिल्य के अर्थशास्त्र के अनुसार “शत्रु के साथ युद्ध केवल रणक्षेत्र में व केवल हथियारों से ही नहीं लड़ा जाता; युद्ध अपने व शत्रु देश के मानस मे उसकी मानसिकता को हथियार बनाकर भी लड़ा जाता है”। चीन की सेना --गोरो चिट्टे नौजवान छोटीआँखे लगता है आँखें बंद है डिसिप्लिन से खड़े लम्बी कतारों में आप देख सकते हैं देखने में बड़ा अच्छा लगता है | ज्यादातर अपने माता पिता के इकलौते हैं कई जबरदस्ती मिलिट्री ट्रेनिंग में भेजे गये हैं वियतनाम जैसे छोटे देश के साथ लड़ाई में पिट गये हैं उन्हें अपने लोगों पर जुल्म करने में महारथ हासिल है उईगर मुस्लिम पर इतने जुल्म किये मानवता भी शर्मा जाएँ अभी तक दर्शनी हुंडी सिद्ध हुए हैं | उन्हें केवल 1962 में चीन के सामने पराजय की कहानियाँ सूना कर भारत के खिलाफ जोश भरा जाता है |उन दिनों की बात अलग थी अब कहानी बदल गयी है | भारतीय सेना -- पाकिस्तान निर्माण से ही भारत के खिलाफ खुला दुश्मन है सीमापार से निरंतर आतंकी भेजे जाते हैं आये दिन सीमा पार से गोले बरसते हैं जिनका हमारी सेना निरंतर जबाब देती है भारतीय सेना एवं अर्द्ध सैनिक दल निरंतर आतंकियों से जूझती रहती है आतंकियों में फिदायीन आत्मघाती दस्ते सबसे खतरनाक है उन्हें सीमा में प्रवेश करवाने से पहले पाकिस्तान की सीमा गोलाबारी करते हैं उसकी आड़ मेंआतंकी कश्मीर घाटी में प्रवेश करते हैं पहले आतंकियों के साथ सुरक्षा बलों की मुठभेड़ होती थी 500 रूपये में गुमराह नौजवान अलगाववादियों की शह पर पथराव करते थे सेना बिना विरोध के अपना काम करती रहती है | भारत ने आजादी के साथ कश्मीर में बढ़ते कबायलियों के वेश में पाकिस्तानी सैनिकों से युद्ध किया 1965 ,1971 , करगिल की ऊंची पहाड़ियों पर हमारी सेना पाकिस्तान की सेना से लड़ी सेना ने निरंतर आतंकियों को घेर कर उनका सफाया किया है ऐसी सेना से लड़ना आसान नहीं हैं उसी प्रकार भारत की जनता सदैव सेना का मान करती है शहादत को प्रणाम करती हैं शहीद की अंतिम यात्रा में दूर - दूर से लोग शामिल होते हैं | अर्द्ध सैनिक दल निरंतर नक्सलाईट एरिया में नक्सलियों से लड़ते -लड़ते शहादत देते हैं ऐसी कर्मठ सेना से लड़ना आसान नहीं हैं | पाकिस्तान की विदेश नीति पहले एंग्लो अमेरिकन ब्लॉग से जुडी हुई थी उनसे भरपूर सैनिक साजो समान लेकर अपने आप को अजेय समझने लगे | लेकिन 1962 चीन द्वारा भारत की पराजय बाद उनका चीन की और झुकाव हो गया उसे चीन से मिलिट्री सहायता एवं कश्मीर में उसके सपोर्ट की जरूरत महसूस की पाकिस्तान भारत से युद्ध करना चाहता था युद्ध के समय चीन उसके साथ चट्टान की तरह अड़ जाए अपने साथ जुड़ने वाली सीमा पर आक्रमण कर दे | जुल्फिकार अली भुट्टो ने अपने एक भाषण में कहा था भारत और पाकिस्तान के युद्ध में चीन हमारा साथ देगा पाकिस्तान को हर प्रकार की मदद देंगे चीन द्वारा पाकिस्तानी सेना को गुरिल्ला युद्ध की ट्ट्रेनिंग दी गयी थी अब उलटा हो रहा है आज चीन पाकिस्तान के आतंकियों से अपने लोगों को ट्रेंड करवाना चाहता है अल बदर के आतंकी उन्हें आतंक की ट्रेनिंग देंगे जिससे पीओके को भारत से बचाया जा सके | पाकिस्तान भारत की दुश्मनी में चीन के हाथों बिकता जा रहा है |ग्वादर बन्दरगाह पर चीनी सुरक्षा गार्डों का जमावड़ा है चीन कूटनीतिक चालें चलने में माहिर है विश्व को उसी ने कोरोना की सौगात दी है वुहान से निकला वायरस विश्व के लिए सिर दर्द बना हुआ है महामारी के संकट से दुनिया के अधिकाँश देश परेशान है | हर मुल्क की सरकारी मशीनरी कोरोना संकट से जूझ रही है बीमारों की संख्या बढ़ी या घटी कितने ठीक हुए कितने शव गिनने पड़े फिर भी रोग थमने का नाम नहीं ले रहा रोग का कोई इलाज नहीं जहां चहल पहल रहती थी जीवन चलता था अब सब कुछ थम गया चीन में तानाशाही ने जानने ही नहीं दिया कितने लोग मर गये उनके शव ? दुनिया के विकसित एवं विकासशील देश कोरोना के वैक्सीन की रिसर्च में लगे हैं | लॉक डाउन मजबूरी है लेकिन इसके साथ उद्योग जगत रुक गया भारत में बेरोजगार प्रवासी अपने घरों की और लौटने लगे लाक डाउन में उन्हें उनके घरों में पहुंचाया गया कोशिश की उनके निवास के पास उनके लिए रोजगारों का सृजन किया जाए कोई भूखा न रहे आसान काम नहीं है | भारत कोरोना महामारी , पाकिस्तान के आतंकी हमले सभी से जूझ रहा है ऐसे में चीन ने सुअवसर समझ कर अपनी विस्तारवादी सोच के साथ लद्दाख में वास्तविक नियन्त्रण रेखा गलबान घाटी पेंगोंग त्सो झील में पैर पसारने लगा| चीन के साथ वार्ता भी चल रही थी चीनी सेना के जवानों ने भारतीय सैनिकों पर हमला किया हिंसक झडप हुई एक गोली नहीं चली भारतीय सैनिकों ने गलबान घाटी में अद्भुत शौर्य दिखाया हमारे 20 जवान शहीद हुए अनुमान है चीन के 43 से 50 के करीब सैनिक मारे गये चीन के रक्षा मंत्रालय ने अपने मृतक सैनिकों की संख्या छुपा ली उनकी अंतेष्टि कैसे हुई माता पिता को पता नहीं | झड़प का मनोवैज्ञानिक असर पड़ा उसके बाद सेना का जमावड़ा रहा था लेकिन झडप नहीं हुई अब् दोनों देश नियन्त्रण रेखा से पीछे हट रहे है | ऐसे में मोदी जी नियन्त्रण रेखा पर चीन से सीमा विवाद के बीच लेह के दौरे पर पहुंचे उनके साथ सीडीएस जनरल विपिन रावत सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाने भी थे मोदी जी ने सैनिकों से मुलाक़ात की घायल सैनिकों से भी मिले अपने बीच अपने प्रधान मंत्री को पा कर सेना का गर्व से सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है |चीन समझ गया अब पहले वाला भारत नहीं है चीन के डर से सीमांत क्षेत्रों में विकास से भी डरता था अब निरंतर सड़कें पुल बन रहे हैं जिससे सैनिक अभियानों में रुकावट न आये | | देश की सीमाओं पर जब भी संकट आया हैं सम्पूर्ण भारत की जनता नें एक स्वर में दुश्मन का विरोध किया है विपक्ष ने सदैव सरकार का साथ दिया केवल 1962 में भारत चीन के युद्ध में सीपीआई के स्वर अलग थे | अब बामपंथियों के स्वर ढीले हैं लेकिन कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ,पुत्र राहुल पुत्री प्रियंका मोदी सरकार से प्रश्न पूछ रहे हैं कांग्रेसी उन्हें दोहरा रहे हैं इन दिनों चुनाव भी नहीं है अजीब लगता हैं इस परिवार के अनुसार चीन ने भारतीय सीमा का अतिक्रमण किया गया है मोदी जी को सरेंडर मोदी का नाम दे दिया देश में भ्रम की स्थिति फैलाने की कोशिश करना दुखद लगता है देश की जनता बहुत जागरूक हैं जबकि अब विश्व जनमत बनाने के लिए चीन भारत को हमलावर बता रहा है लेकिन चीन विरोध के में कुछ समर्थकों को छोड़ कर दुनिया के राष्ट्र एक हो रहे हैं चीन की नजर अपने आसपास के 250 द्वीपों पर जमी हुई है