दास्ताने जम्मू ,कश्मीर लद्दाख की पार्ट -1
5 अगस्त 2019 संसद द्वारा पारित कानून द्वारा धारा 370 ,35 a की समाप्ति पार्ट -2
डॉ शोभा भारद्वाज
कश्मीर समस्या नेहरू जी की भूल लार्ड माउंटबेटन की देन थी विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद मित्रराष्ट्रों एवं कम्यूनिस्ट ब्लाक के बीच शीत युद्ध की शुरूआत हो गया काश्मीर की भौगोलिक स्थिति के कारण एंग्लो अमेरिकन ब्लाक की उस पर नजर थी | माउन्टबेटन चाहते थे कश्मीर या तो पाकिस्तान के साथ जाये या स्वतंत्र रहे माउन्टबेटन की रुचि कश्मीर के गिलगित प्रदेश में थी यह एरिया उनकी नजर में roof of the world था यह पांच राष्ट्रों की सीमाओं के बीच का क्षेत्र था यहाँ सोवियत लैंड ( अब वारसा पैक्ट के सदस्य सोवियत लैंड से अलग हो गये हैं ),चीन ,अफगानिस्तान ,भारत और पाकिस्तान की सीमाए मिलती थी | इसे केंद्र बना कर पांच राष्ट्रों पर निगाह रखी जा सकती थी |यही भगौलिक स्थिति पाकिस्तान की है| पाकिस्तान की सीमा ईरान के प्रदेश जाह्दान से भी मिलती है |
आज के सन्दर्भ में चीन द्वारा निर्माण किया जा रहा चीन पाकिस्तान इकोनामिक कारिडोर भारत के पाक अधिकृत कश्मीर से गुजर रहा है जबकि पाक अधिकृत कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। ऐसे में भारत की संप्रभुता और अखंडता प्रभावित होती है।नेहरू जी नहीं रहे उनकी कश्मीर के सन्दर्भ में की गयी भूल भारत के लिए समस्या बन गयी है | अब पाक अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद शहर में स्थानीय लोगों ने चीन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया है। इन लोगों का कहना है कि चीन अवैध तरीके से नीलम और झेलम नदियों के ऊपर बांध बना रहा है। सोमवार को बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने विशाल विरोध रैली निकाली। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि इन बांधों से पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचा है।
‘ माउन्टबेटन जानते थे राजा हरिसिंह हिन्दू डोगरा राजा होने के नाते कभी भी पाकिस्तान के साथ विलय नहीं करेगे ,अत: राजा हरिसिंह के विचारों को बदलने के लिए वह स्वयं कश्मीर गये वह राजा को मजबूर करना चाहते वह अपनी सलाह अकेले में महाराज हरी सिंह को दे कर उन्हें अपने अनुसार बदलना चाहते थे ,यदि महाराज ने विलय स्वीकार नहीं किया तो वह सत्ता परिवर्तन के बाद वह मुश्किल में पड़ सकते हैं महाराजा उनसे मिलना नहीं चाहते थे|अत: उन्होंने बहाना किया वह बीमार हैं और बिस्तर पर हैं| 21 अक्टूबर को 5000 कबायली लड़ाके, पाकिस्तान के नार्थ वेस्ट फ्रंटियर के सैनिक थे कश्मीर में घुस गये और श्री नगर से केवल 35 किलो मीटर की दूरी पर रह गये कश्मीर सरकार ने भारत से जल्दी मदद की गुहार लगाई | पाकिस्तान ने गिलगित और बाल्टिस्तान में कबायली भेजकर लगभग आधे कश्मीर पर कब्जा कर लिया।
अब माउन्ट बेटन का खेल शुरू हो गया उसने कहा कश्मीर एक आजाद देश है हम कैसे दखल दे सकते हैं अत: पहले कश्मीर भारत में विलय के लिए अपनी सहमती दे | उसी समय कृष्णा मेनन कश्मीर के लिए प्लेन से रवाना हो गये वह वहाँ के पूरे हालत का जायजा ले कर साथ ही महाराजा का accession letter जिस पर उनके हस्ताक्षर थे लेकर अगले ही दिन दिल्ली पहुंच गये इस पत्र के साथ शेख अब्दुल्ला की सहमती भी थी शेख साहब कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस ,कश्मीर का सबसे बड़ा दल था के प्रेसिडेंट थे |सरदार पटेल बहुत बेचैन थे| पत्र प्राप्त करते ही वह डिफेंस कमेटी की मीटिंग जो 26 अक्टूबर की शाम को होनी थी पहुंच गये |अगले दिन ही मिलिट्री और सैन्य सामान श्रीनगर के लिए रवाना कर दिया गया अब भी माउन्टबेटन इस इंतजार में थे किसी तरह देर हो जाये पकिस्तानी सेना श्रीनगर पर कब्जा कर ले वह चाहते थे | उन्होंने नेहरू जी को समझाया इस विलय को कंडीशनली स्वीकार करें जैसे ही शन्ति स्थपित हो जनता की राय के नाम पर मामले को उलझाया जाये जनमत संग्रहं |
नेहरू जी कश्मीर की समस्या को स्वयं सुलझाना चाहते थे अत: उन्होंने माउन्टबेटन के सुझाव को मान लिया | नेहरु जी पूरी तरह माउन्ट बेटन के प्रभाव में थे अत: सरदार पटेल यहाँ कुछ नहीं कर सकते थे भारतीय सेना ने जैसे ही कश्मीर में पांव रक्खा जिन्ना ने पाकिस्तानी सेना भेज दी कश्मीर युद्ध क्षेत्र बन गया | माउन्टबेटन लाहौर में जिन्ना से मिलने गये जिन्ना ने उनसे शर्त रक्खी यदि भारत अपनी सेना हटा लेगा वह भी पीछे हट जायंगे माउन्ट बेटन ने सलाह दी कश्मीर में जनमत संग्रह UN के द्वारा कराया जाये, जबकि जिन्ना चाहते थे दोनों प्रेसिडेंट की अध्यक्षता में जनमत संग्रह कराया जाये | आजादी के बाद पाकिस्तान ने अपना गवर्नर जरनल जिन्ना को बनाया लेकिन भारत ने माउन्ट बेटन को गवर्नर जरनल स्वीकार किया। जिन्ना मुस्लिम लीग के भी प्रेसिडेंट थे उनकी जैसी हैसियत माउनटबेटन की नही थी |
भारतीय सेना पाकिस्तानी सेना पर भारी पड़ी , उनके द्वारा कब्जा किए गए कश्मीरी क्षेत्र को पुनः प्राप्त करते हुए तेजी से आगे बढ़ रही थी कि स्वर्गीय प्रधान मंत्री श्री नेहरू की ऐतिहासिक भूल लार्ड माउंटबेटन की सलाह पर 1 जनवरी 1948 कश्मीर का विषय सुरक्षा परिषद में भेज दिया गया उसी समय से कश्मीर समस्या का अंतर्राष्ट्रीयकरण हो गया युद्धविराम हो गया और भारतीय सेना के हाथ बंध गए जिससे पाकिस्तान द्वारा कब्जा किए गए शेष क्षेत्र को भारतीय सेना प्राप्त करने में फिर कभी सफल न हो सकी। आज कश्मीर में आधे क्षेत्र में नियंत्रण रेखा है तो कुछ क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सीमा। अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगातार फायरिंग और घुसपैठ होती रहती है।
स्वर्गीय नेहरू की भयंकर भूल कश्मीर की भोगोलिक स्थिति को देखते हुये अमेरिका ने इस क्षेत्र मे रुचि लेना प्रारम्भ कर दिया कश्मीर समस्या उलझती गयी | कश्मीर पर कई U.Nमे प्रस्ताव पारित हुये सुरक्षा परिषद में बहस हुई तीसरे पक्ष द्वारा समझोता करने के प्रस्ताव दिए गये | आजाद कश्मीर का भी सुझाव दिया गया | सोवियत रशिया ने वीटो द्वारा प्रस्तावों को रोका सारा परिदृश्य बदलता रहा यह शीत युद्ध चरम पर पहुंच रहा था कभी भी युद्ध का खतरा था | पाकिस्तान ने एंग्लो अमेरिकन ब्लाक के साथ पैक्ट कर SEATO और बगदाद पैक्ट का मैंबर बन गया उसे खुल कर हथियारों की सप्लाई होने लगी | पाकिस्तान को किसी से कोई खतरा नहीं था वह पैक्ट का मैंबर अपने आप को भारत के खिलाफ मजबूत करने के लिए बना था |भारत ने अपनी विदेशी नीति तटस्थता की नीति अपनाई, सोवियत यूनियन भी हमारा मित्र था दिसम्बर 1955 में बुल्गानिन और ख्रुश्चेव भारत आये उन्होंने एक स्टेटमेंट दिया “ कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है “ भारत की कश्मीर नीति का समर्थन किया।
स्वर्गीय प्रधान मंत्री की दूसरी भूल -
शेख अब्दुल्ला की धारणा थी पाकिस्तान में इस्लामिक ताकते सिर उठा लेंगी उनकी राजनीति भारत में ही चल सकेगी| नेहरू जी को प्रभाव में लेकर वह कश्मीर के लिए विशेषाधिकारों के लिए दबाब डाल रहे थे जबकि संविधान निर्माता डॉ अम्बेडकर दूरदर्शी थे उन्होंने शेख अब्दुल्ला का विरोध करते हुए विशेषाधिकार का समर्थन नहीं किया| शेख फिर नेहरूजी से मिले उन्होंने उन्हें गोपाल स्वामी आयंगर के पास भेजा |नेहरू जी ने शेख के प्रस्ताव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया अंत में वही हुआ जो शेख चाहते थे |यह धारा 370 शेख अब्दुल्ला के प्रभाव से जोड़ी गयीं थी 370 धारा को अधिकांश विशेषज्ञ राजनीतिक भूल मानते हैं | धारा 370 को 27 अक्टूबर 1949 को संविधान में शामिल किया गया इसमें कश्मीर को धारा 370 द्वारा विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है जबकि यह संविधान के पार्ट 21 का अस्थायी कुछ समय के लिए दिया गया विशेषाधिकार था | 14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था. इस आदेश के जरिए धारा 370 में एक नया आर्टिकल 35A जोड़ दिया गया. यानी कि इस प्रस्ताव के लिए संसद में न तो कोई वोटिंग हुई और ना ही कोई चर्चा. बिना संसद से पारित हुए ही इसे राष्ट्रपति के आदेश से संविधान में शामिल कर लिया गया था.
35 A के तहत कश्मीर की विधान सभा को अन्य राज्यों की विधायिका से अधिक अधिकार प्राप्त हैं वह राज्य के स्थायी निवासियों और उनके विशेषाधिकारों को तय करती है| यह धारा उस समय के राष्ट्रपति श्री राजेन्द्र प्रसाद जी द्वारा जारी अध्यादेश से अस्थायी रूप से संविधान में जोड़ी गयी थी| इसका जम कर विरोध हुआ था | इसे पारित करने के लिए धारा 368 के अंतर्गत संविधान संशोधन की प्रक्रिया को अपनाया नहीं गया था | संविधान में संशोधन के लिए संसद के दोनों सदनों का दो तिहाई बहुमत और आधे से अधिक विधान सभाओं का बहुमत आवश्यक है| बार-बार लगभग 40 बार राष्ट्रपति के अध्यादेश से धारा को बचाये रखा गया है |
ऐसा क्यों हुआ यह ,जानने के लिए इतिहास में जाना पड़ेगा पंडित जवाहर लाल नेहरू जी का मानना था कश्मीर की जनता विशेष दर्जा पाकर जनमत संग्रह की स्थिति में भारत के पक्ष में वोट देगी | उनकी सोच थी पाकिस्तान के साथ कश्मीर कैसे जा सकता था? क्योंकि पाकिस्तान का निर्माण धर्म के आधार पर हुआ था ? कश्मीरी उसके साथ विलय को स्वीकार नहीं करेंगे जबकि शेख अब्दुल्ला की मंशा थी आगे जाकर आजाद कश्मीर अपने परिवार की जागीर बना देंगे शेख अब्दुल्ला इंडिपेंडेंट कश्मीर का स्वप्न देखने लगे भारत पाकिस्तान के मध्य एक इंडिपेंडेट स्टेट| जबकि वह कश्मीर के वजीरे आजम थे | अमेरिका और ब्रिटिश अखबारों में शेख के प्रति गहरा झुकाव दिखाई देने लगा | भारत के अमेरिकन एम्बेसेडर और उनकी पत्नी के साथ उन्होंने अमरनाथ की यात्रा भी की शेख अब्दुल्ला अलग बोली बोलने लगे वह नेहरू जी के प्रिय मित्र थे नेहरू जी को उन्हें गिरफ्तार करना पड़ा
भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 और में दो युद्ध हुये पूर्वी पाकिस्तान , पाकिस्तान से अलग हो कर एक आजाद राष्ट्र बंगलादेश बन गया| भारत और पाकिस्तान के बीच हुये शिमला समझोते में यह तय हुआ अब हर समस्या का हल आपसी बातचीत द्वारा किया जायेगा कश्मीर समस्या का अंतरराष्ट्रीयकरण नहीं होगा अपने पिता की भूल को उनकी पुत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने सुधारने की कोशिश की लेकिन अब देर हो चुकी थी |पाकिस्तान. में जियाउलहक ,मिलिट्री जरनल नें तख्ता पलट कर पाकिस्तानी सत्ता की कमान सम्भाल ली अब कश्मीर हथियाने के लिए छद्म युद्ध का सहारा लिया ,भारत में आतंकवाद फैलाना | I.S.I. को खुला फंड दिया गया | कश्मीरी युवकों को भारत के खिलाफ बरगलाना, उनके हाथ में हथियार दे कर कश्मीर की धरती पर रक्त पात मचाना ,विश्व में भारत की बदनामी करना है | पाकिस्तान के ट्रेंड आतंकवादी हरी भरी कश्मीर घाटी में खून की होली खेलने लगे | बर्फ पड़ने से पूर्व पाकिस्तान सीमा पर हलचल तेज कर देता है वह सीमा पर फायरिंग की आड़ में आतंकवादियों को काश्मीर में प्रवेश कराना चाहता हैं | पाकिस्तान का जो भी हाकिम आया है सबकी पॉलिसी कश्मीर में एक सी रही है धीरे –धीरे इतना आतंक फैलाया कश्मीरी पंडितों को अपने घर द्वार छोड़ कर पलायन करना पड़ा कश्मीरी मुस्लिम समुदाय के लोग भी दिल्ली और अन्य शहरों में बसने लगे |जबकि जम्मू कश्मीर में अपनी जनता की चुनी हुई सरकार रही है
प्रतिदिन घुसपेठिये घाटी में घुसने की कोशिश करते है उनके लिए सेना सतर्क है यदि भारत सरकार सतर्कता न बरते पूरी घाटी बाहर से आये आतंकवादियों का स्वर्ग बन जायेगी |पाकिस्तान ने जिस आतंक वाद को भारत का हथियार बनाया था वह आज उसके लिए समस्या बन गया हैं कई आतंकवादी संगठन इस्लाम के नाम पर सत्ता पकड़ना चाहते हैं पाकिस्तान आर्थिक रूप से भी खोखला हो गया है | कश्मीर घाटी के लोग आतंकवाद का परिणाम भुगत चुके हैं अत: अब वह शांति चाहते हैं | देश के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर के लोगों में विश्वास जगाने की कोशिश की वह बुलट का जबाब बैलेट से दें |