फसल का त्यौहार लोहड़ी हर्ष उल्लास का पर्व
डॉ शोभा भारद्वाज
“सुन्दरिये नी मुन्दरिये हो ,तेरा कौन बचारा हो ,दुल्ला भट्ठी वाला”
लोहड़ी के अवसर पर गाया जाने वाले लोकप्रिय गीत के पीछे कहानी प्रचलित है | दिल्ली के मुगल बादशाह अकबर का विशाल साम्राज्य था उनके राज्य के पंजाब प्रांत में दुल्ला भट्टी नाम का नायक राजपूत था | उन दिनों संदल बार पंजाब का क्षेत्र जो पाकिस्तान के हिस्से में आया के चौराहे पर उठा कर लायी गयी कन्यायें बिकती थीं जिन्हें आमिर लोग गुलाम की तरह खरीद लेते थे दुल्ला भट्टी पंजाब का राबिन हुड माना जाता है वह इन कन्याओं को मुक्त ही नहीं कराता था उनका सम्मान बचा कर उनकी सुयोग्य वर से शादी करवाता था | दुल्ला ने दो अनाथ कन्याओं सुन्दरी और मुंदरी को अपनी बहन मान कर उनकी शादी करवाई | छुड़ाई गयी लड़कियों के जंगल में आग जला कर फेरे करवाता एक सेर शक्कर विवाह के अवसर पर नव विवाहिताओं की झोली में डालता |उसके सम्मान में आज भी लड़के गीत गाकर प्रश्न और उत्तर शैली में गाते हैं दुल्ला भट्टी पंजाबियों का नायक है |लोहड़ी का पर्व पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भी धूम धाम से मनाया जाता है |
एक और पौराणिक कथा शिव पुराण से ली गयी है दक्ष प्रजापति की पुत्री सती शिव जी से ब्याही थी एक दिन सती ने देखा देव गण अपने –अपने विमानों पर एक ही दिशा में जा रहे थे |सती ने शिव जी से पूछा यह देवगण क्यों और कहाँ जा रहे हैं शिव जी ने बताया तुम्हारे पिता दक्ष प्रजापति के घर विशाल यज्ञ का आयोजन है सभी उसी यज्ञ में भाग लेने जा रहे हैं | शिवजी और दक्ष प्रजापति के आपसी सम्बन्ध अच्छे नहीं थे अत : उनको न्योता नहीं दिया गया | सती भी अपने पिता के घर जाना चाहती थी पति के मना करने पर भी उन्होंने हठ ठान ली उनका तर्क था बेटी को अपने मायके जाने के लिए न्योते की क्या जरूरत है? सती के हठ से लाचार होकर शिव जी ने अपने गणों के साथ उन्हें भेज दिया| सती अपने मायके पहुंची घर में किसी ने उनका स्वागत नहीं किया केवल माँ नें कुशल क्षेम पूछी |सती खिन्न थी यज्ञ में आहुति देने का समय आया शिव जी का नाम आने पर दक्ष ने मना कर दिया सती आहत हो गयीं उन्होंने कहा मेरे पति का अपमान , देवाधिदेव पूज्य शिव का ऐसा अपमान वह यज्ञ कुंड में कूद गयीं यज्ञ विध्वंस हो गया | मान्यता है आज कुवारी कन्याएं घर-घर जा कर लोहड़ी का गीत गा कर लोहड़ी के लिए चंदा जुटाती हैं| माता पिता, मायके में किये गये सती के अपमान को भूल मान कर अपनी विवहित बहन और बेटी को मायके बुला कर सम्मान देते हैं|
यह उत्सव पंजाब हरियाणा हिमाचल और जम्मू में धूमधाम से मनाया जाता है| कृषि प्रधान देश भारत में यह त्यौहार फसल का त्यौहार हैं खेती गेहूं सरसों मटर चने की फसल खेतों में लहलहाती है गन्ना रसीला हो जाता है भट्ठियों में ताजा पकते गुड़ की सुगंध चारों फैलती है सर्दी भी जोरों पर होती है एक ख़ास चौराहे पर लकड़ियाँ और उपले जिन्हें लडके लडकियाँ घर – घर से मांग कर लाते हैं उन्हें व्यवस्थित कर आग जलाई जाती है आज कल उपले उपलब्ध नहीं है अत :लकड़ियाँ जलाई जाती हैं लोग अपने घरों में भी लोहड़ी की अग्नि जला कर पूजा करते हैं | असली समाजवाद –अमीर और गरीब की बेटियाँ कुछ दिन पहले से ही इक्कठी हो कर लगभग हर घर के दरवाजे पर शुभ गान गाती हुई अनुनय करती हैं
पा नी माईये पा काले कुत्ते नू वी पा काला कुत्ता देवे बधाईयाँ
तेरे जीवन मझ्झी गाइयां , मझ्झी गाइयां दित्ता दूध
तेरे जीवन सत्तो पुत्तर, सत्तो पुत्रां दी कमाई सानू बौता बौता पाईं |
ऐ माँ काले कुत्ते को भी खाने को दो | काल कुत्ता तुम्हारी शुभ मनायेगा तुम्हें बधाई देगा तुम्हारे पशु धन की ख़ैर मनायेगा तुम्हारी गाय भैंसे जियें खूब दूध दें दूध पी कर तुम्हार्र सातों बेटे हृष्ट पुष्ट होंगे | खेतिहर समाज में बेटों का बहुत महत्व रहा है अनुनय की जाती है हें तुम्हारे सातों हष्ट पुष्ट बेटों की कमाई घर में आयें तुम हमें अधिक से अधिक दो | आज कल सात बेटे सुन कर पसीना आ जाता हैं पंजाब के लोग चाहते हैं उनका बेटा विदेश जाये एनआरआई हो कर परिवार और परिचितों को वीजा दिलवायें खूब कमाये विदेश में उनका पिंड (गाँव )बस जाये| शहरी चाहते हैं उनके बच्चे बेस्ट डिग्री लेकर मल्टीनेशन कम्पनी में मोटा पैकेज लें या एवन वीजा लेकर यूएस जायें मम्मा पापा भी विदेश बसें |
बेटी और बहन की शादी की पहली लोहड़ी पर उनके सुसराल लोहड़ी पर्व पर रेवड़ी, गजक, मिठाई और अन्य सामान के साथ सुसराल वालों को अपनी हैसियत के अनुसार उपहार देने का चलन है |पुत्र के विवाह के बाद पहली लोहड़ी के अवसर पर वर पक्ष का परिवार बहू के मायके वालों को सम्मान सहित बुलाते हैं उनका आदर करते हैं अब उन्हें उपहार देने का भी चलन है | बेटे के जन्म और नौकरी के उपलक्ष में लोहड़ी घर में जला कर अपने जानकारों को न्योता दिया जाता है आजकल समय बदल रहा है एक दो ही बच्चे हैं बेटी की भी लोहड़ी लोग मनाते हैं और खुश होकर कहते हैं हमारी नजर में बेटा बेटी समान हैं गांवों में अभी इतनी दरियादिली नहीं है |
समूहिक अग्नि के चारो तरफ लोग बैठ कर अग्नि प्रज्वल्लित करते हैं परिवार अपने घर से थाली में में तिल गुड भुनी मक्का रेवड़ी लाकर अग्नि की अर्पित करे हैं कहावत है “तिल चटका पाला खिसका” अर्थात आज से धीरे –धीरे सर्दी खत्म होने लगती है| यह उत्सव 12 या 13 जनवरी को मनाया जाता है 14 जनवरी को मकर सक्रांति का पर्व होता है जिसमें खिचड़ी का दान दिया जाता है घर में भी खिचड़ी बनती है गंगा स्नान अथवा अपने पास बहने वाली नदी में स्नान का बहुत महात्तम हैं |अबकी बार इलाहाबाद में कुम्भ का शुभ स्नान है
पंजाब के गावों में अग्नि को गन्ने भी अर्पित करते हैं गन्ने के रस की खीर बनाई जाती है जिसे अगले दिन खाने का विधान हैं | पूरी तरह से फसल और खेती से जुड़ा पर्व| मान्यता है अग्नि के चारो तरफ सात बार परिक्रमा करते समय जो भी मन्नत मानी जाये पूरी होती है |लोग बड़े उत्साह से अग्नि के चारो तरफ बैठ कर अग्नि की गर्मीं और रेवड़ियों मक्का जिसे आजकल पौप कोर्न कहते हैं भुनी मूंगफली का आनन्द लेते हैं जैसे ही ढोल बजता है हर उपस्थित का अंग अंग थिरकता है मर्द और औरतें सामूहिक भंगड़ा नृत्य करतें हैं |गिद्दा औरतों का नृत्य है जिसमें तरह तरह से बोलियाँ डाली जाती हैं
जैसे बल्ले बल्ले दी टोर पंजाबन दी जुत्त्ती खल दी मरोड़ा नहीं झलदी टोर पंजाबन दी |
बड़ी धूम धाम से लोग लोहड़ी का आनन्द लेते हैं आज कल ढोल वाले बोलियाँ डालते हैं एक ढोल बाला प्रश्न करता उसका प्रति उत्तर दिया जाता है हर्ष उल्लास से लोहड़ी की रात गहरी होती जाती है कोई घर जाना नहीं चाहता लकड़ियों का अलाव सूर्योदय तक जलता और सुलगता रहता है |