महिला समाज का गौरव कस्तूरबा गांधी
डॉ शोभा भारद्वाज
महिला दिवस के अवसर पर श्रीमती कस्तूरबा गांधी की महानता को नमन हैं यदि महात्मा गांधी जी महान थे उनकी धर्म पत्नी कस्तूरबा उनसे कम नहीं थी महात्मा गांधी के साथ चलना तलवार की धार पर चलने जैसा था वह चलीं | एक साधारण गृहस्थ महिला गाँधी जी के साथ से असाधारण हो गयी |गाँधी जी के समान उनकी कर्म भूमि भी दक्षिणी अफ्रिका बनी |भारत में अपने भाषणों द्वारा गाँधी जी ने साउथ अफ़्रीकी गोरी सरकार द्वारा प्रवासी भारतीयों के प्रति किये गये व्यवहार की भारतीय जनसमाज को जानकारी दी जिसे नेटाल में तोड़ मरोड़ कर पेश किया इससे गोरों में रोष फैल गया जैसे ही गाँधी जी ( दूसरी यात्रा थी) पहली बार अपने परिवार के साथ साउथ अफ्रीका आये | उनका जहाज नेटाल पहुंचा उन पर हमले की आशंका पहले से ही थी अत: उन्होंने ने अपने परिवार को गाड़ी में पहले ही रुस्तम जी के घर रवाना कर दिया लेकिन गांधी जी को पहचान कर गोरों ने उन पर जान लेवा हमला किया उनका बचाव पुलिस सुपरिटेंडन्ट की पत्नी ने किया उन्होंने पुलिस को सूचित किया यदि वह नहीं की होती गांधी जी के जीवन का अंत हो जाता|पुलिस द्वारा रक्षा हो जाने के बाद भी भीड़ ने उनके ठहरने के स्थान को पहले ही घेर लिया घर को जलाने की धमकियां दी जा रही थी गांधी जी को परिवार सहित चुपचाप निकाला गया कस्तूरबा समझ गयी अब उनके पति साधारण नहीं रहे थे |
गाँधी जी डरबन में वकालत करते थे उनके सहायक साथ रहते थे उनमें हिन्दू और इसाई भी थे मार्डन घर था इन घरों में नालियाँ नहीं बनाई जाती हर कमरे में लघु शंका के लिए बर्तन रखा जाता था कमरे में ठहरे व्यक्ति स्वयं बर्तन को बाहर खाली करते थे उनके सहायकों में एक ईसाई भी था उनके माता पिता दलित थे वह नया था उसका बर्तन कस्तूरबा या गाँधी जी को उठाना था बर्तन उठाया लेकिन कस्तूरबा की आँखों में शिकायत का भाव था गाँधी जी नाराज हो गये उन्होंने कहा मेरे घर में यह सब नहीं चलेगा कस्तूरबा चिढ़ कर बोलीं “अपना घर अपने पास रखों “गाँधी जी के तेवर बदल गये उन्होंने पत्नी का हाथ पकड़ कर दरवाजा खोला उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया लेकिन कस्तूरबा ने अद्भुत सहन शीलता का परिचय देते हुये पूछा परदेस में मैं कहाँ जाउंगी बापू को अपनी भूल का अहसास हो गया|
कस्तूरबा को बबवासीर का रोग था उनका बिना क्लोरोफार्म दिए आपरेशन हुआ असहनीय दर्द लेकिन गजब की सहनशीलता उन्हें डाक्टर ने सख्ती से स्वास्थ्य लाभ करने के लिए बीफ का शोरबा पीने की सलाह दी |बापू ने कहा यदि वह पीना चाहती है उन्हें एतराज नहीं है लेकिन कस्तूरबा का उत्तर था मैं मर जाऊँगी लेकिन ऐसा सूप नहीं पीऊंगी |ऐसे ही गांधी जी थे गाँधी जी का पेट खराब हुआ अतिसार से बेहाल हो गये उन्होंने गाय या भैंस का दूध छोड़ दिया था गांधी जी किसी भी तरह दूध या दहीं लेने के लिए राजी नहीं थे कस्तूरबा ने उन्हें बकरी का दूध सुझाया जीवन भर वह बकरी का ही दूध पीते रहे|
1913 में साउथ अफ्रिका में काला कानून पास हुआ प्रवासियों को अपनी उँगलियों की छाप वाला प्रमाण पत्र साथ रखन पड़ता था जैसे वह मुजरिम हों | अन्य कानून द्वारा ईसाई पद्धति के विवाह को ही मान्यता दी गयी हर हिन्दू मुस्लिम और पारसी भारतीय का विवाह नजायज करार दे दिया गया भारतीय संस्कृति का घोर अपमान था |गाँधी जी की विरोध की हर कोशिश बेकार गयी वह सत्याग्रह में महिलाओं को भी शामिल करना चाहते थे लेकिन गाँधी जी की शर्त थी सत्याग्रह का निर्णय स्वयं लें ,जेल के कष्ट सहन कर लेंगी, जज के सामने अदालत में कांपेंगी नहीं , डर कर माफ़ी नहीं मांगी जायेगी कस्तूरबा महिलाओं के साथ स्वेच्छा से तैयार हो गयीं |जेल का खाना उनके बस की बात नहीं थी सबने फलाहार करने का निर्णय लिया मेरित्सबर्ग जेल का जेलर सख्त था कस्तूरबा भी गांधी जी की कम नहीं थी उन्होंने साथी महिलाओं के साथ भोजन छोड़ दिया पांच दिन बाद सरकार झुकी फलाहार की व्यवस्था की गयी लेकिन बहुत कम फल दिए गये तीन महीने बाद जब वह जेल से बाहर आयीं हड्डियों का ढांचा मात्र थीं उनका शरीर सूज गया खाना देखते ही उलटी आती थी बड़ी मुश्किल से गांधी जी की कठिन नेचुरल पैथी से स्वास्थ्य लाभ हुआ | 1
6 अगस्त 1908 , एक विशाल जन सभा हुई जिसमें काले कानून का विरोध किया गया | कस्तूरबा के नेतृत्व में महिलाओं का जत्था भी गिरफ्तारी देने आगे बढ़ा उन्होंने गिरफ्तारियां दी| गाँधी जी की इच्छा थी अपनी पत्नी को पढ़ायें लेकिन असफल रहे | साउथ अफ्रिका में नव विवाहित श्रीमती पोलक श्री पोलक उनके घर ठहरे कस्तूरबा उनसे टूटी फूटी अंग्रेजी में बात करती गोरे मेहमानों का भी ऐसे ही स्वागत करतीं श्री मती पोलक से अंग्रेजी लिखना पढ़ना सीख रहीं थी उनकी अंग्रेजी yes I know my husband . He always mischief गाँधी जी का सम्पूर्ण परिचय था|
गांधी जी को अब भारत भूमि बुला रही थी कस्तूरबा भी पूरी तरह उन्हीं जैसी हो चुकी थीं | बिहार के चम्पारण और गुजरात के खेडा के सत्यागृह में कस्तूरबा, गांधी जी के साथ थीं |गाँधी जी का आन्दोलन जन आन्दोलन होता था | यहाँ गांधी जी का भारत में पहला सत्याग्रह था यहाँ के किसानों को नील की खेती के लिए विवश किया जाता था लेकिन मूल्य अंग्रेज तय करते थे सबकी दयनीय दशा थी | कस्तूरबा महिलाओं से मिलना चाहतीं थी लेकिन महिलाये मिलने नहीं आयीं गांधी जी ने उन्हें कारण जानने के किये भेजा उन्होंने एक घर का दरवाजा खटखटाया घर मुखिया ने उन्हें बताया हम आपसे मिलना चाहती हैं लेकिन घर की स्त्रियाँ फटे हाल हैं ठंडी रातें पुआल बिछा कर उस पर सो कर कटती हैं | घर में एक ही धोती है जिसे पहन कर मैं आपसे मिलने आई हूँ बस किसी तरह जिन्दा हैं कस्तूरबा सहम गयीं यह थी उस समय के भारत की तस्बीर | गांधी जी की आत्मा हिल गयी उन्होंने कहा हमारे खेतों में कपास उगती है | हम स्वयं कातें अपने जुलाहों के हाथ के बने कपड़े पहनें यहीं से चरखे की शुरुआत हुई उन्होंने यहाँ के लोगों को चरखे का महत्व समझाया कस्तूरबा को अब खादी पहननी थी मोटा सूत उस समय की खड्डी पर 37 इंच की धोती बनती थी आश्रम की महिलाओं को दिक्कत होती थी धीरे – धीरे खादी में सुधार आने लगा लेकिन कस्तूरबा ने खादी को सहर्ष अपना लिया |
अब कस्तूरबा “बा” कहलाती थीं जिस तरह बापू को बापू बनाये रखने में बा का हाथ था इसी तरह आश्रम को आश्रम उन्हीं के प्रयत्नों ने बनाया था| गांधी जी के नजदीक रहना कठिन तपस्या से कम नहीं था संयुक्त रसोई आश्रम में पैदा होने वाली सब्जी वह भी उबला कद्दू बिना मसाले का फीका जिसको जरूरत हो नमक डाल ले बापू से बा ने कद्दू छोंकने के लिए मेथी और कुछ मसाले डालने की आज्ञा ली | महिलाओं को साबुन कम पड़ता बकायदा बा ने बापू को अर्जी दी साबुन का प्रबंध हुआ आश्रम में साफ़ सफाई रखना अनुशासन बनाये रखना उनका काम था जब भी बापू जेल जाते बा का दायित्व बढ़ जाता वह रोज साढ़े तीन बजे जगती उनकी दिन चर्या शुरू हो जाती बापू का भी ध्यान रखती थीं हर मिनट का सदुपयोग करतीं |नागपुर के हरिजनों ने बापू के विरुद्ध सत्याग्रह किया उनका तर्क था मध्यप्रदेश के मंत्री मंडल में एक भी हरिजन मंत्री नहीं है |वह प्रतिदिन पांच के जत्थे में आते चौबीस घंटे बापू की कुटिया के सामने बैठ कर उपवास करते बापू उनका सत्कार करते थे उन्होंने बैठने के लिए बा का कमरा चुना बा ने निसंकोच दे दिया उनके पानी अदि का भी प्रबंध करतीं वह पूरी तरह बापू मय हो चुकी थीं |
बा का सबसे बड़ा दुःख उनका बड़ा पुत्र हरिलाल था वह पढ़ कर बैरिस्टर बनना चाहता था लेकिन बापू का कठोर अनुशासन उनके सिद्धांत अपने परिवार के लिए पहले थे उन्हें मिशनरी स्कूलों में नहीं भेजा आश्रम का जीवन |एक बार गांधी जी और बा ट्रेन से सफर कर रहे थे कटनी के स्टेशन पर जयघोष सुना अकेला हरिलालभाई कपड़े मैले फटे हुए थे उन्होंने जेब से मुसम्बी निकाल कर बा को दी बस तुम ही खाना बापू से बात नहीं की उनसे इतना कहा आज तुम जो भी हो बा के प्रताप से हो बेटे को फटे हाल देख कर बा उन्हें कुछ फल देना चाहती थी लेकिन गाड़ी चल दी | हरिलाल को मौलवियों ने भड़का कर उनका धर्म परिवर्तन करने की कोशिश की बा नें उन्हें पत्र लिख कर समझाया बाद में वह आर्यसमाजी हो गये |
बापू ने लिखा था वह मेरी माँ सेविका रसोईया सब कुछ थीं | बापू ने ब्रम्हचर्य का व्रत लिया बा ने साथ दिया | बापू की अनुगामिनी हर सेवा और रचनात्मक कार्य में हिस्सा लेतीं वह साबरमती और सेवा ग्राम के आश्रम वासियों के लिए देवी थीं ग्राम वासियों में जीवन का संचार करती, गांधी जी की जेल यात्रा के बाद सभी कार्यक्रम वही चलाती थीं उनके आदेशों का अक्षरश: पालन करतीं उन्होंने कहा सभी स्त्रियां अपने हाथ से कते सूत के वस्त्र पहने चरखा राष्ट्रिय कर्तव्य है और व्यापार ी विदेशी कपड़ें न खरीदें न बेचें बा ने यही संदेश दिया | असहयोग आन्दोलन समाप्त होने के बाद 1922 में कांग्रेस के अधिवेशन में सभी उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाना चाहते थे उनका नाम प्रस्तावित किया लेकिन बा ने नाम वापस ले लिया |कई बार जेल यात्रायें की राजकोट के आन्दोलन में जेल गयी नमक आन्दोलन के लिए स्त्रियों के जत्थे का नेतृत्व किया| 1929 बापू बनारस गये वहां जैसे ही वह मंच पर पहुंचे सनातनी हिदूओं ने उनका विरोध किया पत्थर चल रहे थे बा तुरंत वहाँ पहुंची सबके मना करने पर भी वह बापू के पास मंच पर पहुंच गयीं | 9 अगस्त 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में जेल न जा कर भारतवासियों को करो या मरो का संदेश देती रहीं लेकिन उन्हें भी बापू के साथ ही जेल भेज दिया गया उनका स्वास्थ्य धीरे धीरे खराब होता गया ऊपर से दिल की बिमारी अंतिम समय में दवा और इंजेक्शन स्वीकार नहीं किये |
अंत –फरवरी का दिन देश में महाशिवरात्रि का दिन बा का अंत आ चुका था बापू चिंतित थे जानते थे इस जन्म का साथ छूटने वाला है| बा ने बापू को बुलाया बापू ने कहा मत सोचना मुझे तेरी चिंता नहीं है बा ने बापू की गोद में सिर रख दिया वह बोलीं हमने एक साथ सुख दुःख भोगे हैं अब अलग हो रहे हैं शोक मत करना मेरे मरण पर ख़ुशी मनाना ‘हे राम गिरधर गोपाल’ तीन हिचकियाँ ली प्राण पखेरू अनंत में विलीन हो गये बापू विचलित हो कर सम्भल गये उन्होंने राम धुन प्रारम्भ कर दी बा को स्नान के बाद बापू के हाथ की काती गयी धोती पहनाई गयी सुहागन थी नारंगी शाल उढ़ाई माथे पर कुमकुम गले और हाथों में बापू के हाथ की कती माला |जमीन गोबर से लीप कर उनके पार्थिव शरीर को लिटाया गया सभी उनके अंतिम दर्शन कर अपने को धन्य मान रहे थे अंतिम यात्रा मे आश्रमवासियों कंधा दिया थी कुछ ने कहा बा की चंदन की लकड़ी की चिता होनी चाहिए लेकिन बापू ने कहा में दरिद्र मेरे पास चन्दन कहा? एक दरोगा ने कहा मेरे पास चन्दन हैं बा की चिता पर ब्राह्मण के द्वारा अंतिम क्रिया के मन्त्र पढ़ने के बाद गीता ,कुरआन की आयते बाईबल एवं उपनिषदों का पाठ किया गया | पुत्र देवदास ने चिता की तीन परिक्रमा कर बा के नश्वर शरीर को अग्नि दी बा का पंच तत्वों से बना शरीर उन्हीं में विलीन हो गया शोक से सूर्य नारायण पर बदली छा गयी| कस्तूरबा गांधी महिला जगत के इतिहास में सदैव अमर रहेंगीं |