अभी तो जी लें’ योगी जी इनको पढ़ना सिखा देंगे
डॉ शोभा भारद्वाज
मनोरंजन के इतने साधन हैं पढ़ना सबको अच्छा नहीं लगता |आज दो तरह के विद्यार्थी हैं एक अपने कैरियर के प्रति समर्पित परीक्षा के दिनों से पहले ही उनके ओंठ सूख जाते हैं | पूरा कोर्स कई बार दोहरा लेने के बाद भी उनको संतोष नहीं मिलता एक भी नम्बर गवाना नहीं चाहते दूसरी तरफ ऐसे भी छात्र हैं जिनका कथन हैं अभी तो जी लें उन्हें इम्तहान बोझ लगते हैं किताब खोलते ही नींद आती है अत : सोचते हैं इम्तहान पास करने का कोई तो रास्ता होगा | इम्तहान का सीजन चल रहा है कुछ राज्यों में इम्तहान खत्म हो गये कुछ के चल रहे हैं | यूपी हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में विद्यार्थी परीक्षा छोड़ कर भाग रहें थे |
क्या करें उन्होंने परीक्षा में नकल के सभी साधनों पर रिसर्च कर ली थी अब तक दसवीं तक कैसे पहुंचे पता नहीं परीक्षा वह भी बोर्ड की क्या करें ?योगी सख्त मुख्यमंत्री हैं | उन्होंने नकल रुकवाने की हर चंद कोशिश की नकल के हर सम्भावित तरीके की काट पहले ही कर ली गयी |इम्तहान सेंटर में सीसीटीवी कैमरे लगे थे चेकिंग भी मुस्तैदी से हो रही थी |नकल के करने वालों ने नये पुराने तरीके अपनाये फर्रे, पर्ची या 'चिट' बनाने की तैयारी उन पर बारीक अक्षरों में उत्तर लिखे जाते ताकि कम जगह में नकल की ज्यादा सामग्री लाई जा सके | यही नहीं नकल के पुर्जे कहां छुपाये जायें जिससे आराम से उनको देखा जा सके| लड़कियों के लिए और भी आसान है| नकल की हाई टेक तकनीकों पर रिसर्च कर ली गयी थीं अफ़सोस उनको हाई टेक से ही रोक दिया गया | नकल माफिया हैरान परेशान हैं परीक्षा में नकल के ठेके उठते रहे हैं नकल माफिया क्या नकल का व्यवसायी करण किया गया था सब बेकार 11 लाख छात्र परीक्षा छोड़ गये इनमें सबसे अधिक दूसरे प्रदेशों से आये महानुभाव थे उनके लिए नकल से पास होने का स्वर्ग यूपी था यहाँ पास ही नहीं अच्छे नम्बर लाने का पूरा भरोसा था अब क्या करें ?
अपने स्थान पर किसी और को परीक्षा देने के लिए भेजना | नवीन तकनीक इसके लिए पहले से नकली पहचान-पत्र और प्रवेश-पत्र आदि तैयार करवाने के लिए स्कूल-कॉलेज के लोगों पर ही निर्भर रहना पड़ता था, अब कलर लेजर प्रिंटर जैसे उपकरणों ने काम भी आसान कर दिया है। इसके अलावा काम करने-कराने वाले परीक्षार्थी आमतौर पर अपने नकली पहचान-पत्र आदि का 'लैमिनेशन' भी करवा लेते हैं। जिससे अगर कागज आदि की कहीं कोई छोटी-मोटी कमी रह भी गई होती है, तो वह भी छिप सकती है। देखने वालों को यही लगता है कि लैमिनेशन हो चुके पहचान-पत्र में कोई कैसे गड़बड़ी कर सकता है? साइंस के अनगिनत प्रयोग जिनमें नकल के संसाधन जुटाना भी शामिल है | इंटरमीडियेट के बाद डाक्टरी और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षायें शुरू हो जाती हैं अक्सर आईआईटी में दाखिला लेना हर मेघावी विद्यार्थी की चाह होती हैं ,सुरक्षित भविष्य देश विदेशों में मोटे पे पैकेज पर मिलने वाली नौकरियां आदि डाक्टर बन कर शानदार अस्पताल या नर्सिंग होम का मालिक बनना डाक्टरी में एडमिशन के लिए चर्चित व्यापम घोटाला कैसे भूला जा सकता है |
एक फिल्म आई थी मुन्ना भाई एमबीबीएस फिल्म हास्य व्यंग से भरपूर थी फिल्म ने जम कर हंसाया था नायक की जगह मेडिकल कालेज के लेक्चरर को परीक्षा देने के लिए मजबूर किया जाता है यह कहानी हकीकत बन गयी है दिनरात उत्तम कैरियर के लिए दिए की लो की तरह जलने वाले छात्र पिछड़ जाते हैं धन बल से एडमिशन पाने वाले सफल ऐसे महानुभाव सरकारी संस्थानों में नौकरी पा जाते हैं नकली डाक्टरों पर कार्यवाही की जा सकती है लेकिन इन नकली डिग्री धारियों का क्या किया जाये | समझ में आता है ऐसे ही कई डिग्रीधारी बेरोजगार डिग्रियां लेकर घूम रहे हैं कहा जा रहा है भारत में बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है डिग्रीधारी बेरोजगार जूते चटका रहे हैं | एक लड़की ने बिहार बोर्ड की परीक्षा में टाप किया था हैरानी हुई जब उसे अपने सब्जेक्ट क्या हैं इसका भी ज्ञान नहीं था था | नकल के लिए रोज नई तकनीकें निकाली जाती है | नकल के पारंगत लोगों का आई क्यू कम नहीं होता कमी केवल उनमें पढने की रूचि कम होती है हमारे देश में मौलिक अधिकारों के प्रति सभी जागरूक हैं| उनकी रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट हैं कुछ नेताओं का बस चले वह नकल के अधिकार पर संविधान में संशोधन कर मौलिक अधिकारों की सूची में विशेष स्थान दें |
हैरानी होती है क्या यह परीक्षार्थी इतने पढ़ाई में हल्के हैं या उनसे पढ़ा ही नहीं जाता या पढ़ाई इनकी समझ में नहीं आती कुछ स्टूडेंट ऐसे हैं उनकी बुनियाद ही कमजोर थी उन्हें ढंग से अक्षर ज्ञान ही नहीं कराया गया या किया नहीं स्पेलिंग मिस्टेक इतने होते हैं जिससे उनका लिखा समझना मुश्किल है| किसी तरह इंटर पास हो जाने के बाद कालेज पहुंच गये वहाँ के पढ़ाई के स्तर को कैसे समझे क्लास में हाजरी लगवा कर बंक मार लेना |प्रोफेसर भी जानते हैं यह पढ़ने नहीं केवल हाजरी लगाने आते हैं जो छात्र पढ़ने के इच्छुक है उन्हें पढ़ा देते हैं बाकी सस्ती पाठ्य पुस्तकों के सहारे नैया पार करने की कोशिश करते हैं फिर वही नकल पर निर्भरता कालेजों की लायब्रेरी में एक तरफ बड़े सपने संजोये छात्र पढ़ते दिखाई देते हैं दूसरी तरफ लायब्रेरी का वैसे ही चक्कर लगाने वालों भी हैं |
योगी जी का सख्त कदम अब पढने पर मजबूर कर छात्रों को पढ़ना सिखा देगा इसमें दो राय नहीं है जब नकल का अवसर खत्म हो जाएगा हल्की डिग्री धारी न के बराबर हो जायेंगे वह जल्दी ही स्किल एजुकेशन की तरफ मुड़ जायेंगे अक्सर नेताओं के साथ बेरोजगारों की फौज देखी जा सकती है उनकी प्रजा वह इस चक्कर में उनके आगे पीछे घूमते हैं उनकी कृपा से सरकारी नौकरी मिल जाये | यह अदलते बदलते रहते हैं कई काफी समय तक चक्कर काट कर समझ जाते हैं समय बर्बाद किया कितनी गलती की थी लेकिन अब क्या हो सकता है कई पढ़ाई छोड़ें युवक अपराध की दुनिया की तरफ रुख कर गये | पढ़ना इतना मुश्किल नहीं है जरूरत है हर विषय के महत्व समझने की है पढने वालों के पास समय का अभाव होता है न पढने वालों के पास समय ही समय है | नकल रोकने के लिए लिए गये सख्त कदम यूपी की शिक्षा व्यवस्था को उत्तम बना देंगें डिग्री का महत्व देश में ही नहीं विदेशों में भी प्रभाव शाली हो जाएगा |