डॉ शोभा भारद्वाज
सिकंदर ग्रीक शासक विश्व विजय करने निकला लेकिन भारत से लौटते समय बिमारी से उसकी मृत्यू हो गयी वह स्वदेश लौट नहीं सका नेपोलियन , हिटलर ,मुसौलिनी काल के गाल में समा गये दुनिया जीत कर आपस में बांटना चाहते थे केवल जापान का राजा हिरोहितो बचा रहा कई वर्ष तक जापान की कार्यपालिका का नाम मात्र का सम्वैधानिक अध्यक्ष बना लेकिन जापान में राजशाही समाप्त हो गयी थी | शी जिनपिंग की आर्थिक साम्राज्यवाद के सहारे विश्व शक्ति बनने की महत्वाकांक्षा है जिस तरह ब्रिटेन की ईस्ट इंडिया कम्पनी व्यपार की नीयत से भारत एवं विभिन्न देशों में अपना साम्राज्य बढ़ाया उसी डिजाइन से निवेश एवं कर्ज दे कर जिनपिंग दूसरे देशों पर अपना अधिकार जमाना चाहते हैं।
बचपन में पढ़ी एक कहानी याद आती है जोव (zov ) एक महान योद्धा उसमें नेतृत्व की अद्भुत क्षमता एवं जीतने की इच्छा प्रबल थी अपनी सीमाओं से निकल कर एक -के बाद एक देश जीतता गया धरती का बहुत बड़ा भूभाग जीतने के बाद उसने महसूस किया अब उसकी जीतने की गति मंद होती जा रही है जिधर भी विजय के लिए निकलता उसे संगठित विरोध का सामना करना पड़ता | लूटी गयी अकूत सम्पत्ति उसके पास इकठ्ठी हो गयी लेकिन जीत की लालसा कम नहीं हो रही थी अंत में उसने सोचा बहुत हो गया अब जो है उसे संभाल कर स्वदेश लौटना चाहिए तथा अपनी माँ से मिलने की कामना बढ़ती गयी लेकिन निरंतर युद्ध लड़ते-लड़ते वह बीमार हो गया शैया पर पड़े -पड़ें अपने वतन को याद करता कई वैद्य एवं चकित्सको ने हर संभव इलाज देकर ठीक करने की कोशिश की लेकिन बेकार जितना वह अस्वस्थ होता गए उसमें अपने घर जाने की चाहत बढ़ती गयी अंत में मृत्यू शैया पर पहुंच गए |
अपना अंत नजदीक आते देख सोचने लगे भौतिक सुख साधन धन दौलत इकठ्ठा करना उसकी तृष्णा थी उनको वर्षों के संघर्षों के अनुभव से जीवन का सार समझ में आने लगा बेकार भौतिक सुख साधनों के पीछे भागते रहे अब एक इच्छा थी अंतिम सांस अपनी माँ की गोद में लेकर सुख से ले कर मर सकूं | उसका स्वास्थ्य गिरता गया आशा थी वह जल्दी स्स्वस्थ हो कर शान शौकत के साथ अपने वतन सबके साथ लौटूंगा लेकिन गिरते स्वास्थ्य ने उसे हिलने की भी इजाजत नहीं दी अंतिम समय तक घर लौटने का इंतजार करते -करते समझ गया अब यहीं उनका अंत होगा निराश होकर अपने आधीन सेना पतियों को बुला कर कहा अब मेंरा अंत नजदीक है मैं नहीं बचूँगा लेकिन तुम सब कसम खाओ मेरी अंतिम तीन इच्छाये पूरी करोगे सेनापतियों की आँखों से आंसू बहने लगे उन्हें निराशा में घिरे किंग से ऐसी आशा नहीं थी उन्होंने शपथ लेते हुए कहा आप आज्ञा दीजिये हम आपकी हर अंतिम इच्छा पूरी करंगे | यह इच्छाये नहीं मेरे जीवन के अनुभवों का सार है |
मेरी मृत्यू के बाद मेरा चकित्सक मेरे कौफिन को अकेला खींचता ले जाएगा पीछे आप लोग चलिएगा | कारण यह दर्शाने के लिए चिकित्सक अंत समय तक दिलासा देते हैं वह पूरी कोशिश से मरीज को ठीक कर देंगे कोई भी इलाज से किसी को जीवन दान नहीं दे सकता केवल दर्द तकलीफ को कम कर जीने की इच्छा जगा सकता है किसी के बस में जीवनदान देना नहीं है | इन्सान को उदार रहना चाहिए यह नहीं समझना चाहिए वह मृत्यू से बच जाएगा | मैं इसी आशा में रहा एक दिन स्वस्थ होकर अपने घोड़े पर वतन लौटूंगा लौट नहीं सका अत : मृत्यू अन्तिम सत्य है इसे सदैव याद रखो |
जब मेरा कौफिन अंतिम यात्रा के लिए कब्रिस्तान ले जाया जाए उस रास्ते पर खजाने से धन दौलत सोना जवाहरात निकाल कर रास्ते के दोनों तरफ बिछा देना इससे मतलब निकलेगा इन्सान कितना वैभव धन दौलत इकठ्ठा कर ले लेकिन अपने साथ कुछ नहीं ले जा सकता उसके लिए दुनिया की हर दौलत सब बेकार है |इन्सान जीवन काल में धन दौलत के पीछे दौड़ने से पहले सोचे |
मेरी अन्तिम इच्छा मेरे कौफिन में दोनों तरफ गोल छेद कर उनसे मेरे दोनों हाथ बाहर निकाल देना क्रिश्चियन में शव के दोनों हाथ सीने पर रखे जाते हैं |
जब मेरी शव यात्रा निकले यह दर्शाने के लिए जब में संसार में आया था मेरे दोनों हाथ खाली थे मैं जा रहा हूँ अब भी हाथ खाली है | किंग दार्शनिक हो चुका था उनके सेनापतियों ने अपने राजा की तीनों इच्छाएं पूरी की | अति सुंदर आत्मावलोकन विजयी ,लुटेरे एवं पराजितों की क्रूरता से हत्यायें करने वाले योद्धा राजा के थे |
बचपन से बड़ों के द्वारा ऐसी ही जीवन की परिभाषायें सुनी थीं धन से सब कुछ होता धनवान क्यों मरता
यदि दवा से सब कुछ होता डाक्टर नहीं मरता
यदि दुआ से सब कुछ होता संत कभी नहीं मरते |