ईरान एव चीन के बढ़ते संबंध पार्ट -1
डॉ शोभा भारद्वाज
ईरान के शाह रजा पहलवी के अमेरिका से बहुत अच्छे संबंध थे शाह के बाद इस्लामिक सरकार में अमेरिका के खिलाफ नारें गूंजने लगे मर्ग-बा अमरीका , शैतान -ऐ- बुजुर्ग अमरीका अमेरिका का झंडा सरकारी कार्यालयों के प्रवेश द्वार पर पेंट कर दिए गये जिससे हर आने जाने वालों के झंडे पर पैर पड़े देश में हर समस्या की जड़ ईरान के शाह एवं अमेरिका है जनता को समझाया जाता शाह ने ईरान के युवाओं को अमेरिका एवं योरूप उच्च शिक्षा के लिए भेजा लेकिन लौटने के बाद उनमें भावना जगी ईरान में प्रजातंत्र की स्थापना हो ईरान मिली इस्लामिक सरकार मौलानाओं ने सत्ता पकड़ ली|
चीन पाकिस्तान के ग्वादर बन्दरगाह को वन बेल्ट-वन रोड प्रोजेक्ट के तहत चीन विकसित कर रहा है इससे चीन की पहुंच अरब सागर तक हो जायेगी चीन के शिनजियांग से पाकिस्तान के ग्वादर तक चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) बन रहा है। सीपीईसी, पाक के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से गुजरेगा। भारत इसे संप्रभुता का उल्लंघन बताता है कोई भी देश अपनी क्षेत्रीय अखंडता को नजरअंदाज करके इस परियोजना से नहीं जुड़ सकता।
भारत ने भी कूटनीति का परिचय देते हुए ग्वादर से कुल 72 किलोमीटर की दूरी पर पाकिस्तान के समीप स्थित ईरान के चाबहार पोर्ट के विकास के लिए ईरान से 2018समझौता ही नहीं 1000 करोड़ रूपये का निवेश भी किया | दक्षिण पूर्व ईरान में स्थित चाबहार से भारत को समुद्री मार्ग से अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक सामान भेजने का सुरक्षित मार्ग मिल जाएगा | यह बन्दरगाह सीधा ओमान की खाड़ी से जुड़ता है|चाबहार ऐसा पहला विदेशी बन्दरगाह है जिसके विकास से भारत सीधा जुड़ा हैं |
लेकिन इसी बीच जब दुनिया कोविड-19 क महामारी से संघर्ष कर रही थी चीन एवं ईरान के बीच में एक महात्वाकांक्षी डील हुई है,दोनों देशों के बीच रणनीतिक एवं ब्यापारिक समझौता चुपचाप हुआ अमरीकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार तक़रीन 400 अरब डॉलर की इस डील के तहत, ईरान चीन को अगले 25 वर्षों तक बेहद सस्ती दरों पर कच्चा तेल देगा और बदले में चीन ईरान में बड़े स्तर पर निवेश करेगा ईरान को लगता है कि वो पश्चिम के नुक़सान को चीनी निवेश और उसे तेल बेचकर भरपाई कर लेगा ईरान का तूमान बहुत भारी था लेकिन जब से इस्लामिक सरकार आई है तूमान की हालत खराब है अब और भी खराब हो रही है |
ईरान ने चाबहार रेल प्रोजेक्ट से भारत को अलग कर दिया है| ईरान कह रहा है चाबहार प्रोजेक्ट से भारत को अलग नहीं किया भारत के साथ चाबहारपोर्ट तैयार करने के लिए केवल दो समझौते हुए थे इनमें रेल प्रोजेक्ट शामिल नहीं है |जबकि कहा जाता है ईरान और भारत के बीच चार साल पहले चाबहार से अफ़ग़ानिस्तान सीमा पर ज़ाहेदान तक रेल लाइन बिछाने को लेकर समझौता हुआ था. अब ईरान ने अपने आप ही इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का फ़ैसला लिया है और इस पर काम शुरू कर दिया है.उसने इसकी वजह भारत की ओर से फंड मिलने में देरी को बताया है |भारत अमेरिका के बढ़ते सम्बन्ध अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाये प्रतिबन्ध यद्यपि अमेरिका ने चाबहार बन्दरगाह से जायेदान तक रेल लाइन बिछाने को प्रतिबंधित नहीं किया है लेकिन जिन सप्लायरों की जरूरत है वह अमेरिका के प्रतिबंधों के भय से इस काम में जुड़ना नहीं चाहता |
लगता है चाबहार ईरानी सरकार चीन को लीज पर दे सकती है | चीन की आज तक की राजनीति के अनुसार वह गरीब आर्थिक दृष्टि से पिछड़े देशों को विकास के नाम कर्ज के बोझ से लाद देता है वह उसके सामने मजबूर हो जाता है | लेकिन ईरान ? अलग सोच का मुल्क है मौलानाओं की अपनी महत्वकांक्षायें हैं वह शियाओं का लीडर मिडिल ईस्ट का लीडर बनना चाहता है |
चीन की आज तक की राजनीति के अनुसार वह गरीब आर्थिक दृष्टि से पिछड़े देशों को विकास के नाम कर्ज के बोझ से लाद देता है वह उसके सामने मजबूर हो जाता है | लेकिन ईरान ? अलग सोच का मुल्क है मौलानाओं की अपनी महत्वकांक्षायें हैं वह शियाओं का लीडर मिडिल ईस्ट का लीडर बनना चाहता है | उसने अमेरिका जैसे देश से टक्कर ली थी सत्ता में आते ही अमेरिकन एम्बेसी के कर्मचारियों को पकड़ लिया था चीन के हाथ में नहीं आने वाला हाँ उससे फायदा उठाएगा | उसके पास वफादार पासदारों की फौज है पूरी तरह मौलानाओं के वफादार हैं | ईरान के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बोर्ड लगा था ‘वी एक्सपोर्ट रिवोल्यूशन ‘ सीरिया तक उसकी पहुंच है | हर सुन्नी स्टेट पर उसकी नजर रही है उसने अपने नागरिकों को कम में जीना सिखा दिया है | उसको ईरान में फैलते कोरोना संक्रमण की भी चिंता नहीं है मेरी नजर में ईरान के मौलाना जिनपिंग की काट हैं उन्होंने पूरे ईरान में पत्ता भी फड़कने नहीं दिया यदि चीन समझ ईरान में वह पैर फैला सकेगा मुश्किल है ईरान को अपनी विदेश नीति मजबूरी में परिवर्तन तक चीन की तरफ झुकना पड़ा कारण
अमेरिका की दुश्मनी के प्रभाव से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद एवं अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने ईरान पर कड़े आर्थिक एवं ईरानी कच्चे तेल की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगा दिये |