भारत की विदेश नीति में गांधी वाद की अहमियत कम होती जा रही है
डॉ शोभा भारद्वाज
भारत के दो पड़ोसी देश जिनसे कई किलोमीटर सीमा मिलती है दोनों ही दुश्मन हैं देश दो तरफा संघर्ष झेल रहा है| पाकिस्तान द्वारा बढ़ती आतंकी गतिविधियाँ और चीन द्वारा पाकिस्तान का समर्थन करना, चीन का भारत से सीमा विवाद | भूटान के क्षेत्र डोकलाम पठार में चीन ने सड़क बनाने की कोशिश की , क्षेत्र भारत के लिए सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है यदि सड़क बन जाती चीन भारत के बीस किलोमीटर चौड़े मार्ग जो चिकननेक कहलाता है पहुंच जाता| चिकननेक भारत को नार्थ ईस्ट से जोड़ता इससे यहाँ चीन अपना प्रभाव बढ़ा लेता लगभग 73 दिन कर दोनों देशों में तनाव रहा| चीन दक्षिण चीन सागर पर भी दावा करता है उसका वियतनाम ,जापान और फिलिपीन से भी विवाद है, भारत को वह हिंदमहासागर में चारो तरफ से घेरना चाहता है मिडिल ईस्ट पर अधिकार बढ़ा कर क्षेत्र के तेल ,गैस व आयरन के भंडार पर कब्जा चाहता है| वह विश्व की सुपर पावर बनने की राह पर है|
पाकिस्तान की विदेश नीति के केंद्र में सदैव भारत रहा है | आर्थिक स्थिति खराब है फिर भी कश्मीर के अलगाववादियों के लिए अलग बजट है धन बल का सहारा लेकर पढ़ने वाले छात्रों के हाथ में पत्थर पकड़ा दिये वह सुरक्षा बलों पर पथराव करते हैं |भारत के खिलाफ छद्म युद्ध निरंतर चलता है |गोलाबारी की आड़ में ,रात के अँधेरे में पाकिस्तान से आतंकियों की खेप निरंतर योजना बद्ध तरीके से सीमा में प्रवेश करती है| इंसानों का कत्ल करना भारतीय सैनिक छावनियों पर आतंकी हमला करना जेहाद है| पाकिस्तानी बार्डर एक्शन फ़ोर्स दो सैनिकों के सिर काट कर ले गयें जेहादी मानसिकता से ग्रस्त मौत को जन्नत समझने वाले आतंकियों का इलाज क्या हो सकता है ?शांति की भाषा आतंकी आकाओं को कैसे समझा सकते हैं जबकि पाकिस्तान अपने नागरिकों (आतंकियों) के शव लेने से भी साफ़ इंकार करता है लेकिन हमारी सरकार की नीति अलग है मौलवियों द्वारा विधिवत् उनका अंतिम संस्कार करया जाता है | क्या ऐसे वहशी, धर्म के नाम पर आतंक फैलाने वालों को भारत की भूमि में कब्र मिलनी चाहिए ?
गांधी जी 21 वर्ष बाद दक्षिणी अफ्रिका से भारत लौटे प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत थी गांधी जी ने ब्रिटेन द्वारा जर्मन सम्राट विलियम कौसर की साम्राज्यवादी नीति के खिलाफ लड़ने का समर्थन किया लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के समय महात्मा गाँधी समझ चुके थे बिर्टिशर हमें आजादी नहीं देंगे अत: क्यों न अवसर का लाभ उठाया जाये पूर्ण स्वतन्त्रता हमारा हक है उन्होंने देश वासियों को करो या मरो का नारा दिया | 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ आजादी के साथ ही कश्मीर वैली पर अधिकार करने के लिए पाकिस्तान ने कबायलियों की फौज भेज दी कश्मीर के राजा हरी सिंह की प्रार्थना पर भारतीय सेनायें कश्मीर वैली पहुंची श्री नगर की रक्षा हो गयी लेकिन लार्ड माउन्टबेटन भारत के आखिरी गवर्नर जनरल के प्रभाव में नेहरू जी कश्मीर की समस्या को यूएन में ले गये| गाँधी जी का पाकिस्तान की इस हरकत पर भी अहिंसा के सिद्धांत से विश्वास नहीं उठा वह एक ऐसे भारत और पाकिस्तान की कल्पना कर रहे थे दोनों देश प्रेम से रहें | गांधी जी की हत्या हो गयी लेकिन गाँधीवादी अध्याय समाप्त नहीं हुआ था |
द्वितीय युद्ध के अंत के बाद विश्व दो भागों में बट गया एक और वारसा पैक्ट के मेंबर दूसरी तरफ मित्रराष्ट्र अमेरिकन गुट |तत्कालीन प्रधान मंत्री नेहरू जी ने गुटनिरपेक्षता की नीति को अपनाया हमारी विदेश नीति का मुख्य सिद्धांत पंचशील था हर देश की सम्प्रभुता की रक्षा की जायेगी किसी भी देश के आंतरिक मामले में हस्ताक्षेप न हो | हमारी सांस्कृतिक विरासत, हजारों वर्ष पुराने इतिहास में शान्ति अहिंसा और सहनशीलता में ही विश्व कल्याण संभव है की भावना रही है साधन और साध्य दोनों की पवित्रता में विश्वास यही हमारी विदेश नीति है | लेकिन क्या हम शाति से रह सके? चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया यह भारत चीन के बीच में तटस्थ प्रदेश था |श्री दलाईलामा के साथ तिब्बती शरणार्थियों ने भारत में शरण ली लेकिन नेहरू जी के संबंध चीन से बढ़ते रहे | भारत में हिंदी चीनी भाई -भाई के नारे लगे उसी भाई ने 1962 में भारत की पीठ में छुरा भोंका | भारत के एक भूभाग पर कब्जा कर स्वयं ही युद्ध विराम की घोषणा की | देश की अहिंसात्मक सोच पर आघात था गाँधी वाद इस संबंध में मौन ही है |
अमेरिकन ऐड और भारत के चीन के सामने घुटने टेकने की स्थिति का फायदा उठाते हुए 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया जबाबी कार्यवाही में हमारी सेनाओं ने लाहौर सियालकोट का बार्डर खोल कर वह कर दिखाया जिसकी पाकिस्तान ने कल्पना भी नहीं की थी लाहौर से भारतीय सेनायें केवल 16 किलोमीटर दूर शहर में प्रवेश करने में समर्थ लाहौर भारतीय तोपों की जद में था | लार्ड माउंटबेटन ने भविष्यवाणी की थी पाकिस्तान के दो हिस्से 25 वर्ष में अलग हो जायेंगे | पाकिस्तान में होने वाले चुनाव में मुजीबुर्रहमान की आवामी लीग को स्पष्ट बहुमत मिला लेकिन भुट्टो किसी भी तरह सत्ता को हाथ से जाने नहीं दे रहे थे जिन्हें प्रधान मंत्री के पद पर आसीन होना था उन्हें जेल में डाल दिया गया ,यहीं से पाकिस्तान के विभाजन की नीव पड़ गई |मुजीब-उर-रहमान ने हर नागरिक को बंगलादेश के निर्माण में सहयोग देने का आह्वान किया |1971 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति जरनल याहिया खान थे उन्होंने पूर्वी पाकिस्तान के हालात सुधारने की जिम्मेदारी जरनल टिक्का खान को सौंप दी 26 मार्च से पूर्वी पाकिस्तान में ऐसा खूनी संघर्ष हुआ स्त्रियों तक को नहीं बख्शा गया पूर्वी पाकिस्तान में मुक्ति वाहिनी सेना का गठन किया गया जिसके सदस्य आधिकतर बंगलादेश का बुद्धिजीवी वर्ग और छात्र थे जिन्होंने भारतीय सेना की मदद से अपनी भूमि पर पाकिस्तानी सेना से संघर्ष किया अंत में पाकिस्तानी सेना का मनोबल इतना गिर गया जनरल नियाजी ने भारतीय सेना के समक्ष आत्म समर्पण कर दिया 93 000 युद्ध बंदी|साउथ ईस्ट एशिया में नये राष्ट्र का उदय हुआ ‘बंगलादेश’ जिसको भारत सरकार ने मान्यता दी|
पाकिस्तान की विदेश नीति में जबर्दस्त बदलाव आया वह जानते थे युद्ध में भारत को हराना आसान नहीं हैं अत:अफगानिस्तान की समस्या हल हो जाने के बाद आतंकी संगठन लश्करे तैयबा का रुख भारत की तरफ मोड़ दिया इन्हें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद प्राप्त है | इस्लामिक स्टेट की विचार धारा के बाद आतंकवाद विश्व की समस्या बन चुका है |समय की जरूरत को देखते हुए भारत की विदेश नीति भी बदली है डॉ मनमोहन सिंह जी के समय से ही प्रो अमेरिकन हो रही हैं देश को निवेश की जरूरत हैं और दुनिया के देश भारत को बाजार के रूप में देख रहे हैं | 19 फरवरी 1999 को अटल जी ने दिल्ली से लाहोर की बस सेवा शुरू की वह और कई नामी हस्तियाँ बस की प्रथम यात्री थीं सम्बन्ध सुधारने का राजनीति क कदम अच्छा प्रयत्न था यात्रा की बहुत चर्चा हुई लेकिन परिणाम करगिल युद्ध, 13 दिसम्बर 2001 में भारतीय संसद पर आतंकवादी हमला हुआ शायद नागरिकों को आतंकी बनाते – बनाते पाक नेतृत्व आदिम काल में पहुंच रहा हैं |
पकिस्तान न शांति से जीता है न भारत को शांति से विकास की राह पर चलने देता है | चार शक्तियां देश चलाती है जनता द्वारा चुनी सरकार है, सेना, आईएसआई और हाफिज सईद जैसे दबाब समूह जिनकी रूचि देश कल्याण की अपेक्षा जेहाद में अधिक है अब तो वह सत्ता पकड़ने के लिए प्रयत्नशील हैं देश की नोजवान पीढ़ी को भारत के खिलाफ भड़का कर आतंकवाद के रास्ते पर ले जाना उनका उद्देश्य है | गांधीवादी विचार धारा आतंकियों या आतंकी आकाओं के सामने बेकार है सरकार ने सख्त नीति अपना कर सुरक्षाबलों को आतंकियों को मारने का अधिकार दिया सर्जिकल स्ट्राईक कर आतंकियों में भय पैदा किया क्या शठ के साथ शठ जैसा व्यवहार नहीं होना चाहिये ? यही कूटनीति है|