गणपति बप्पा मोरया
डॉ शोभा भारद्वाज
श्री
गणेश की पौराणिक जन्म कथा के अनुसार पार्वती जी स्नान करने जा रहीं थीं उन्होंने अपने बदन से उतरे उबटन से गणेश जी की
मूर्ति बनाई उनकी प्राण प्रतिष्ठा कर उन्हें आदेश दिया जब तक वह स्नान कर रहीं है किसी
को अंदर आने न दिया जाये| समय से पूर्व शिव जी पधारे द्वार पर अति सुंदर बालक गणेश
ने उन्हें रोकते हुए विनय पूर्वक कहा मेरी माता स्नान कर रही हैं आप भीतर नहीं जा
सकते बाल हठ से क्रोधित होकर शिव जी ने त्रिशूल से बालक का सिर धड़ से अलग कर दिया अपने
पुत्र को पृथ्वी पर धड़ से सिर विहीन पड़ा देख कर माता क्रोधित हो गयीं उनके क्रोध
से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया शिव जी ने किसी तरह उन्हें शांत किया वह बालक
को जीवित कर देंगे धरती पर किसी बालक का सिर ढूँढा जाने लगा हर माँ अपने बच्चे को
अपने से चिपका कर सो रहीं थीं केवल एक हथनी ऐसी थी जिसकी पीठ अपने शिशू की तरफ थी
शिव जी के गण हाथी के शिशु का सिर काट कर
ले आये उसे बालक के धड़ से जोड़ दिया बालक जी उठा शिव जी ने आशीर्वाद दिया यह बालक
गजानन कहलायेगा एवं अपनी बुद्धि के बल से देवों में सबसे श्रेष्ठ है अत : सबसे
पहले पूजा जाएगा |
ऐसे
ही एक कथा और प्रचलित है | भगवान शिव एवं पार्वती के घर सुंदर बालक ने जन्म लिया
सभी देवता बालक को आशीर्वाद देने आये नव ग्रहों में शनी भी पधारे लेकिन उनकी
दृष्टि नीचे थी पार्वती जी ने उनसे पूछा आप आये लेकिन आपने मेरे बालक को आँखें उठा
कर देखा भी नहीं नजरे नीची क्यों किये हैं ?शनी देव ने उत्तर दिया मैं शापित हूँ
जिसपर अपनी दृष्टि डालूँगा वह नष्ट हो जाएगा पार्वती ने हठ पूर्वक कहा मेरे बेटे
के साथ ऐसा कुछ नहीं होगा जैसे ही शनी की दृष्टि पड़ी बालक का सिर धड़ से अलग हो गया
शिशू के लिए हाथी का सिर ही उपलब्ध हो सका |
गणपति जी की
हर शुभ कार्य में प्रथम पूजा की जाती है एक प्रचलित कथा के अनुसार समस्त देवता
विचार विमर्श कर रहे थे हम सबमें कौन सा देव श्रेष्ठ है ,धरती पर किस देवता की
सबसे पहले पूजा होनी चाहिये सभी देव गण अपने प्रश्न का उत्तर ढूँढने के लिए शिव
धाम पहुंचे| शिव जी ने सर्वश्रेष्ठ देवता
का निर्णय लेने से पहले एक प्रतियोगिता का आयोजन किया आप सबमें वही श्रेष्ठ देवता
माना जायेगा जो सबसे पहले समस्त ब्रम्हांड की परिक्रमा लगा कर लौटेगा वही अग्र पूजा का अधिकारी माना जाएगा | समस्त
देवता अपने तीव्र चलने वाले वाहनों पर बैठ कर परिक्रमा लगाने चले गये लेकिन गणपति
कुछ समय ध्यान मग्न रहे कुछ समय बाद अपने
वाहन चूहे पर बैठ कर अपने माता पिता की परिक्रमा करने लगे शिव जी ने पूछा गणपति आप
हमारी परिक्रमा कर रहे हैं जब कि सभी देव ब्रम्हांड की परिक्रमा करने गये हैं ऐसा
क्यों ? गणेश जी ने उत्तर दिया आप मेरे माता पिता हैं आपसे ही मेरा अस्तित्व बना है
मेरे लिए आप पूजनीय एवं समस्त ब्रम्हांड हैं अत: आपकी परिक्रमा कर मैने समस्त
ब्रम्हांड पा लिया गणपति के उत्तर के मर्म को शिव जी ने समझा तभी से गणपति
अग्रपूजा के अधिकारी माने जाते हैं|
वेद
व्यास महाभारत कथा लिखना चाहते थे लेकिन उनके लिए एक साथ सोचना एवं लिखना कठिन था बुद्धि
की तीब्रता का कलम साथ नहीं दे रही थी वह चाहते थे वह धारा प्रवाह बोलते रहें
दूसरा लिपि बद्ध करता रहे उन्होंने श्री गणेश का स्मरण किया गणेश जी प्रकट हुए उन्होंने
महाभारत कथा को लिखना स्वीकर कर लिया लेकिन उनकी शर्त थी वह निरंतर लिखते रहेंगे
जैसे ही आपका भाव प्रवाह रुकेगा वह आगे नहीं लिखेंगे |श्री महर्षि वेदव्यास नें
शर्त स्वीकार कर ली लेकिन गणपति से
प्रार्थना की वह हर श्लोक को समझने के बाद यदि लिखे अतिशय कृपा होगी | गणेश जी ने
उनकी विनय स्वीकार कर ली | वेदव्यास निरंतर महाभारत कथा के एक –एक प्रसंग को लिखवा
रहे थे जहाँ लगता था उन्हें सोचना पड़ेगा वह श्लोक की भाषा को दुरूह कर देते थे|
गणेश जी वचन बद्ध थे वह निरंतर लिखने के साथ हर श्लोक पर विचार कर रहे थे जहां
श्लोक की ग्रामर में उलट फेर लगता विवश होकर सोचने लगते थे वेद व्यास तब तक अगले
प्रसंग की तैयारी कर लेते |महाभारत की समाप्ति पर वेद व्यास ने गणपति से पूछा आप
पूरी कथा लिखने के दौरान एक शव्द भी नहीं बोले गणपति ने उत्तर दिया महाभारत की अमर
गाथा लिखना महान कार्य था अपनी समस्त शक्तियों का संचय कर ध्यान लगा कर मैने ग्रंथ
लिखा है | यही लगन एकाग्रता हर विद्यार्थी का धर्म है|
गुलामी
की जंजीरों से जकड़ी भारत की दुखी सोई हुई जनता में चेतना का संचार कैसे किया जाये
? कांग्रेस के गर्म दल के नेता श्री बाल गंगा धर तिलक ने कांग्रेस के नरम पंथी
नेताओं के विरोध के बाद भी गणेशोत्सव का प्रारम्भ किया घर में मनाये जाने वाले
धार्मिक पर्व को राजनीतिक रंग देने की सफल कोशिश की | 1893 में शुरू किया गया गणपति पूजन केवल
धार्मिक कर्मकांड न रह कर समाज को संगठित करने , हर जाति वर्ग के लोगों को जोड़ने,
जन जागरण का माध्यम एवं ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध एक हथियार बन गया पेशवाओं के
पूज्य देवता गणपति माहराष्ट्र में घर से बाहर लाये गये धूमधाम से सामूहिक पूजन
किया गया अब श्री गणेश धर्म की परिधि से
ऊपर उठ कर राष्ट्रीय एकता के प्रतीक बन गये| अंग्रेज भी सामूहिक शक्ति प्रदर्शन
एवं जन चेतना से डरने लगे |
यह पर्व भादों मॉस , गणेश शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से
चतुर्दशी तक दस दिन तक चलने वाला पर्व है आंध्रप्रदेश
, कर्नाटक , मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात राजधानी दिल्ली में बड़ी धूम धाम से
मनाया जाता है गणेश जी पंडालों में भी विराजते है घरों में भी, इनकी प्रतिमा को
बड़े ही श्रद्धा भाव से घर लाया जाता है समस्त
परिवार इनका स्वागत करता है गणेश जी की मूर्ति की भक्ति भाव से स्थापना की जाती है
विधि विधान से प्रतिदिन इनकी पूजा होती है
गणेश जी को मोदक बहुत प्रिय है अत :फूल ,धूप ,दीप ,कपूर, रोली, चन्दन, दूर्वा से
पूजन कर मोदक का भोग लगाया जाता है |दस दिन तक पूजन के बाद नाचते गाते भक्ति भाव
से गणपति जी को नदी तालाब समुद्र में विसर्जित करने से पहले उनसे अनुरोध किया जाता
है वह अगले वर्ष फिर से उनके घर पधार कर दर्शन दें बप्पा के विदा होते ही उदासी छा
जाती है अगले वर्ष फिर उनके पधारने का इंतजार किया जाता है | दिवाली पूजन के अवसर
पर गणपति के एक तरफ लक्ष्मी दूसरी तरफ सरस्वती के साथ विराजते हैं आज के युग में
विद्यार्थी सरस्वती ज्ञान की देवी के माध्यम से लक्ष्मी की प्राप्ति के इच्छुक
रहते हैं |