ईरान एवं ट्रम्प सरकार के बिगड़ते रिश्ते ( कोम की मस्जिद पर लहराया लहराया लाल झंडा)
शोभा भारद्वाज
पहली बार ईरान के अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट मेहराबाद ( इमाम खुमैनी अंतर्राष्ट्रीय
एयरपोर्ट )से बाहर निकलते ही वहाँ लगे बहुत बड़े बोर्ड पर नजर पड़ी लिखा था ‘वी
एक्सपोर्ट रिवोल्यूशन ‘ दूसरी तरफ के बोर्ड में एक महिला प्रजनन की मुद्रा में
बैठी शहीदों को जन्म दे रही है वह शहादत के लिए जा रहे हैं अजीब लगा | ईरान में
मर्ग बा अमरीका के नारे गूंजते थे अमरीका का झंडा सरकारी इदारों बैंकों के प्रवेश
द्वारों के पायदान पर पेंट किये गये थे लोग उस पर से गुजरें |अमेरिका के खिलाफ
फरवर बनाया जाता था |
1953 में ईरान के शाह का विरोध हुआ था अमेरिका की मदद से शाह को ईरान का राज फिर से
मिला अत :शाह का अमेरिका की तरफ झुकाव सर्वविदित था| |ईरान में अमेरिका एवं ब्रिटिश कम्पनियों को तेल
की कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा मिल रहा था यही नहीं यहाँ अमेरिकन सभ्यता को फलने फूलने
दिया गया जगमगाते तेहरान में रातें रोशन रहती थी |जिसका लाभ इमाम
आयतुल्ला खुमैनी ने शाह के विरुद्ध ईरानी जन मत निर्माण में जम कर उठाया। ईरानी
कहते थे हमें समझाया गया देश में इतनी दौलत है यदि प्रति व्यक्ति बाटी
जाये तो हर व्यक्ति के हिस्से में पाँच तुमान और पाँच लीटर मिटटी का तेल घर बैठे
आता है।उन दिनों तुमान बहुत मजबूत था बिना सोचे ईरानी मान गये |
ईरान के शाह
मोहम्मद रजा पहलवी , पहलवी डायनेस्टी
के आखिरी शाह नें आर्य मिहिर की उपाधि धारण की जम कर जश्न हुआ | क्रूड आयल से
आई सम्पन्नता से ईरान के बड़े शहरों की तरक्की हुई उनकी तस्वीर बदल गयी लेकिन देहातों
की तरह ध्यान नहीं दिया गया अत : शाह के खिलाफ असंतोष बढ़ता गया उनके खिलाफ देश
में व्यापक विरोध हुआ | इसे ईरानी आजादी की लड़ाई कहते थे देश के बुद्धिजीवी वर्ग राज
शाही के खिलाफ थे वह प्रजातांत्रिक व्यवस्था चाहते थे |16 जनवरी 1979 शाह को वतन की
मिट्टी को चूम कर ईरान को अलविदा कह गये | दो हफ्ते बाद शियाओं के
सर्वोच्च नेता आयतुल्ला खुमैनी ईरान पधारे उनके स्वागत में तेहरान में जन सैलाब
उमड़ पड़ा सत्ता पर मुल्ला सवार हो गये ईरान अब इस्लामिक रिपब्लिक था|
‘ईरान की एक कहावत है मुल्ला खर सवार एक मुल्ला गधे पर सवार
हो कर पहाड़ी नदी रुद्खाना पार करना चाहता था (पहाड़ी क्षेत्रों में गधा सवारी का एक
साधन रहा है )छोटी पहाड़ी नदी की धारा बहुत तेज थी गधा ठिठक कर पीछे हट गया मुल्ला
ने गधे से कहा मैं तुझ पर सवार हूँ मुझे नदी पार करा नहीं तो मेरे नीचे मर | कहावत मौलानाओं की लगन की प्रतीक है|
अमेरिका ईरान के सम्बन्ध बिगड़ते गये अमेरिका का नया नामकरण कर दिया “शैताने
बुजुर्ग अमरीका”| नवंबर 4, 1979 को तेहरान
की अमेरिकी एम्बेसी पर हमला कर 66 लोगों को बंदी बनाया गया कुछ को छोड़ दिया गया लेकिन
बचे 52 लोगों को तेहरान
की अमेरिकी एम्बेसी में पूरे डेढ़ साल रहते हुए मानसिक कष्टों से गुजरना पड़ा उनकी
आँखों पर पट्टी बांध कर पासदारों ने उनके जलूस निकाले | अमेरिका में कैंसर का इलाज
करवाने गये शाह के बदले उनकी सौदेबाजी की कोशिश भी की जाती थी इन 52 बंधकों को 20 जनवरी, 1981 में
छुड़वाया गया था. लेकिन राष्ट्रपति जिमी कार्टर को अपनी सत्ता गंवानी पड़ गई थी अब भूला बिसरा
प्रसंग फिर से उठ खड़ा हुआ |
अमेरिका की दुश्मनी के प्रभाव से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा
परिषद एवं अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने ईरान पर कड़े आर्थिक एवं ईरानी कच्चे तेल की
बिक्री पर प्रतिबन्ध लगा दिये | तेल एवं गैस के जैसे
काले सोने के बाद भी
व्यापार के मोर्चे पर ईरान पिछड़ता चला गया देश में पूरी तरह सस्ते राशन की
व्यवस्था थी आवश्यकता का सामान कार्ड पर शिरकतों ( सहकारी स्टोर ) पर मिलता था, सर्द एरिया में मिटटी के तेल पर भी राशन
था। सरकार प्रतिबंधों से भी नहीं डरती ईरान ईराक युद्ध के दौरान उन्होंने ईरानियों
को बैल्ट टाईट कर केवल जरूरतों पर जीना सिखा दिया था, “तानाशाही में न दाद न
फरियाद”।
इस्लामिक सरकार की महत्वकांक्षा रहीं है वह शियाओं के
रक्षक,
पैरोकार शक्ति बनें | वह अपने इतिहास को कभी नहीं
भूलना चाहते कर्बला में इमाम हुसेन की कुर्बानी को उन्होंने आत्मिक शक्ति बनाया है
|उनकी नीति थी
पर्शियन गल्फ के दोनों तरफ इराक में भी शिया सरकार बने क्योकि यहाँ शिया बाहुल्य था सद्दाम सुन्नी थे उन्होंने सत्ता को
निरंकुशता से पकड़ रखा था सदाम हुसेन आयतुल्ला खुमैनी की महत्वकांक्षा से परिचित
थे अत :नई बनी सरकार को उखाड़ने,अपनी सत्ता और सुन्नी सरकार को बचाये रखने के लिए ईरान
पर हमला किया था |इस्लामी सरकार नें इसी हमले को आधार बना कर सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत
कर ली थी युद्ध में ईरानियों की कुर्बानियों की पूरी गाथा है लेकिन अंत में
आयतुल्ला खुमैनी को इराक से युद्ध बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा था उन्होंने
कहा था ‘मन जहरे मार खोर्दम’ मुझे विषपान करना पड़ा|
ईरान के शाह सेना के बल पर
मजबूत थे इमाम खुमैनी ने सत्ता पर पकड़ मजबूत करने के लिए पासदार ( रिवोल्यूशनरी गार्ड
) इन्हें पासदाराने इंकलाब कहा जाता था का संगठन बनाया कुछ ही समय की ट्रेनिग के
बाद उनके हाथों में कलाश्निको पकड़ा दीं जाती यह इमाम आयतुल्ला खुमैनी के वफादार थे
मर मिटने को तैयार रहते यह अधिकांशतया गावों से आये गरीब वर्ग के किशोर एवं नौजवान
थे कई टूटे घरों के बच्चे थे ईरान में तलाक प्रथा और कई बीबियाँ लाने का चलन था
तलाकशुदा खानमों की शादी आसानी से हो जाती थी बच्चे पिता की जिम्मेदारी थे पिता दूसरी बीबी ले आया टूटे
घरों के बच्चे भी पासदार की लाइन में लग जाते थे अक्सर कहते थे ‘न मादर न पिदर
सिर्फ बिरादर’ न माँ है न पिता हम सब भाई
हैं उन्हें जिधर चाहे मोड़ लो |
कभी – कभी 14- 15 वर्ष के नौजवान कलाश्निको से
लैस दिखाई देते थे 3000 तुमान पर इनकी भर्ती हो जाती थी यह उत्साहियों की फौज अलग
यूफोरिया में रहती थी वह विश्व में शियाइज्म फैलाने का स्वप्न देखते थे ‘चकत खूब
मिशे गर जहान इस्लाम मिशे ( कितना अच्छा हो दुनिया इस्लाम हो जाए ) कैसे दुनिया
जीतेंगे बकायदा एक नक्शा था उन्हें विश्व की जनसंख्या का ज्ञान नहीं था यह अपने
शिया धर्म गुरु के आदेश पर शहादत को तैयार ईराक से जंग शरू हुई ईराक नें माईन्स बिछा दी थी यह ;महंदी बिया’ (
शिया मजहब में मान्यता है इमाम महंदी आयेंगें ) चीखते हुए माईन्स पर चलते फट जाते
थे लेकिन कतार रूकती नहीं थी | यह जम्हूरिये ईरान की अंदरूनी हालत थी |
1980 में ईरान ईराक के युद्ध के समय कुद्स
फोर्स का गठन किया गया था जिसका अर्थ था जेरुसलम सेना द्वारा जेरूसलम की रिहाई
इस्लाम के अनुसार यह पवित्र धरती है यहाँ से पैगम्बर स्वर्ग जा कर खुदा से आदेश
लेकर आये थे यहाँ मस्जिद अक्सा है |सीधे लड़ाई सम्भव नहीं है इसलिए छद्म रूप में
शिया समाज को धर्म युद्ध के लिए प्रेरित कर ईरान के विदेशी मिशन को अंजाम देना था
|ईराक ईरान की जंग के समय ईराकी खुर्दों की आजाद खुर्दिस्तान की विचारधारा को बल
देकर उन्हें सद्दाम के खिलाफ खड़ा किया गया लेबनान में हिजबुल्लाह और सीरिया में
बशर अल असद की सेना आईएस के लड़ाकों के सामने कमजोर पड़ी कुद्स सेना के शिया एवं
ईराकी खुर्द लड़ाको ने आईएस के लड़ाकों को तिकरित जैसे एरिया में धूल चटाई थी सफलता
के पीछे जरनल सुलेमानी का हाथ था | मुसलमान ने मुसलमान को मारा विश्व की ताकतों को
युद्ध का अड्डा बनाने का मौका मिला |सीरिया ने जो देखा वह दर्द भूला नही जा सकता |
मिडिल ईस्ट में इस्लामिक
सरकार शिया प्रभावित क्षेत्रों में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहती थी सुलेमानी गुप्त
अभियानों के संचालक थे मक्का में एक अलग गेट की मांग भी ईरान द्वारा
की गयी | लेबनान के हिजबुल्लाह, यमन के हूती विद्रोहियों को उनका साथ मिला |
सुलेमानी का जन्म 1957 में करमन प्रांत में एक निराश्रित किसान
परिवार में हुआ था जीवन की शुरुआत उन्होंने मजदूर के रूप में की थी | इमाम खुमैनी
से प्रभावित होकर रिवोल्यूशनरी गार्डस में शामिल हो गये तीन सप्ताह की मिलिट्री ट्रेनिंग
से उनकी पासदार के रूप में कैरियर की शुरुआत हुई हर शुक्रवार के दिन जुम्मे नमाज
में आयतुल्ला खैमेनी के जोशीले भाषणों का उन पर बहुत प्रभाव पड़ा | तेजी से सीढ़ियाँ
चढ़ते कासिम सुलेमानी 1998 में कुद्स सेना का संचालन करते हुए सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों
में शुमार हो गये सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामनई के वह नजदीकी थे उन्हीं को
अपने अभियानों सूचना देते थे उन्होंने इन्हें ‘जिन्दा शहीद’ कहा था इनकी शक्ति
राष्ट्रपति हसन रूहानी से अधिक थी |
सुलेमानी ने ईरान की विदेश नीति के
लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हर कोशिश की | ईरानी सरकार की हृदय से इच्छा
है जब ईरान परमाणु शक्ति सम्पन देश बनेगा उनके पास बैलिस्टिक मिसाईल होंगी तभी
इस्लामिक जगत में उनका झंडा बुलंद होगा | ट्रम्प प्रशासन द्वारा ईरान के
साथ परमाणु समझौता खत्म करना उनके बुलंद इरादों पर पानी फेरने जैसा था इसे सहना
इस्लामिक सरकार द्वारा बहुत मुश्लिल है| दोनों तरफ मरण है ईरान यदि
परमाणु शक्ति सम्पन देश बन जाएगा इस्लामिक देशों की सुन्नी सरकारों पर खतरा मंडरायेगा
वह भी किसी भी कीमत पर परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र बनना चाहेंगे रोकने पर ईरानी
सरकार का फुंकारना, | ईरान के राष्ट्रपति रूहानी ने घोषणा की अमेरिका के बिना भी देश न्यूक्लियर
डील में बना रहेगा |
बगदाद के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कासिम सुलेमानी
एवं इराक के शक्तिशाली हशद अल-शाबी अर्द्धसैनिक बल का उपप्रमुख अमेरिकी हवाई हमले
में मारे गये उनकी मृत्यु से ईरान में हाहाकार मच गया लाखो की संख्या में मातम
करते हुए लोग निकल आये और उनके जनाजे में शामिल हुए मौलानाओं के शहर कोम की बड़ी
मस्जिद पर युद्ध का प्रतीक लाल झंडा लहरा दिया सुलेमानी को ख़ाक सपुर्द करने से
पहले रात को 22 मिसाईलें ईराकी सैन्य ठिकानों पर दागी गयी |ईरान की सडको पर जंग –
जंग ता फिरोजी मरग बा अमरीका के नारे गूंज रहे हैं क्षेत्र के हालात पल-पल बदल रहे
हैं कई लोगों की मातम के जलूस में दब कर मृत्यु हो गयी | विचारक कहते हैं विश्व
में तीसरे विश्व युद्ध का खतरा मंडरा रहा है |रूस एवं चीन ईरान के पीछे हैं अमेरिका
अपने में शक्तिशाली है |जम कर हथियारों की बिक्री होगी| ईरान की सरकार सुलेमानी की
शहादत का बदला लेगी लेकिन ठंडा कर खाएगी विश्व में एक अलग तरह की हलचल रहेगी |