भारत की पाकिस्तान के प्रति विदेश नीति में पलटवार ( बलूचिस्तान पार्ट -2)
डॉ शोभा भारद्वाज
मोदी जी ने पकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढाया था शपथ ग्रहण समारोह में सार्क देशों के साथ पाकिस्तानी प्रधान मंत्री को भी न्योता दिया नवाज शरीफ मोदी जी के न्योते पर भारत आये ऐसा लग रहा था दोनों देश वार्ता द्वारा आपसी झगड़े सुलझाने की कोशिश करेंगे| यहाँ तक मोदी जी अचानक नवाज शरीफ के पारिवारिक उत्सव में मेहमान बने |लेकिन भारत की विदेशी नीति को पकिस्तान ने हमारी कमजोरी समझा| कश्मीर में पकिस्तान की गतिविधियाँ इतनी बढ़ गयीं कश्मीर के हालात बिगड़ने लगे| मजबूरन मोदी जी पाकिस्तान के प्रति विदेश नीति में इंदिरा जी जैसा सख्त कूटनीतिक रुख अपनाते दिखे| कूटनीति की माहिर महिला प्रधान मंत्री ने पूर्वी पकिस्तान से निरंतर आने वाले रिफ्यूजियों और सेना के जुल्मों के विरुद्ध पहले विश्व में जनमत बनाया फिर पकिस्तान से मुक्ति के इच्छुक जन समूह और नेतृत्व की बंगला देश के निर्माण में मदद की| आज तक पकिस्तान इस दर्द को भूल नहीं सका| आर्थिक दृष्टि से जर्जर पाकिस्तान अमेरिकन मदद पर ज़िंदा है जबकि भारत शक्ति शाली पड़ोसी है |वहाँ के कूटनीतिज्ञ भारत के सामर्थ्य को जानते और मानते हैं वह क्या नहीं कर सकता ? भारत के कूटनीतिक कदम से पाकिस्तान की सरकार ,सेना और आतंकवादी सरगनाओं में खलबली मच गयी | आजतक कश्मीर में मुस्लिम बहुल का मुद्दा उठा कर कश्मीर पर हक जमा रहा पकिस्तान भूल गया बंगलादेश मुस्लिम बाहुल्य प्रदेश था उस पर इतने जुल्म क्यों ढाये गये ?यही हाल बलूचों का किया गया| बलूचों पर पकिस्तान के हमले निरंतर बढ़ रहे है हमलों के साथ सिन्धी और पंजाबियों को बलूचिस्तान में अधिक मात्रा में बसाये जाने की कोशिश जारी है जिससे वहाँ के मूल बाशिंदे अल्प मत में आ जायें |जबकि अपने यहाँ होने वाले चुनावों का भी बहिष्कार करते हैं केवल 15% मतदाता ही वोट देने आते हैं |पाकिस्तान निर्माण के बाद से सबसे अधिक में लाभ में पंजाबी रहे हैं| उनका सेना में भी वर्चस्व है सत्ता पर भी पकड़ | बलूच ,नार्थवेस्ट फ्रंटियर और सिंध के लोगों का निरंतर पाकिस्तान से विरोध चल रहा है यदि देश टूटा तो केवल पंजाबियों का पाकिस्तान बन कर रह जाएगा |पाकिस्तान अपना इतिहास 23 मार्च 194o पाकिस्तान की घोषणा से मानता है| इतिहास की किताबों में बलूचियों का जिक्र ट्राईबल के रूप में किया जाता है | ईरान की सीमाएं पकिस्तान के कब्जे वाले बलूचिस्तान से जुडी हुई हैं |बलूचों में शिया समुदाय के लोग जिनकी संस्कृति ईरान से मिलती है निवासी हैं | पहले ईरान ही अकेला शिया देश था, ईराक में शिया बाहुल्य था लेकिन सद्दाम के नेतृत्व में सुन्नी सैन्य बल से राज करते थे | सद्दाम के पतन के बाद यद्यपि ईराक में शांति नहीं है फिर भी ईराक भी शिया प्रदेश बन गया है पकिस्तान के सुन्नी मौलाना शियाओं के खिलाफ फतवा दे कर शियाओं के संहार के लिए उकसाते रहते हैं, नरसंहार से भयभीत काफी शिया पलायन कर रहे हैं | अरब की खाड़ी में प्रभाव जमाने की सोवियत रशिया ,अमेरिका और चीन सदैव उत्सुक रहे है | पाकिस्तान की विदेश नीति का मुख्य उद्देश्य भारत विरोध रहा है चीन भी भारत को घेरना चाहता है अत : दोनों देशों के आपसी सम्बन्ध प्रगाढ़ रहे हैं |पाकिस्तान ने 30 वर्ष के लिए ग्वादर का बन्दरगाह चीन को सौंप दिया जिसे चीन ने 46 बिलियन डालर का निवेश कर विकसित कर रहा है | चीन के शिनचियांग प्रांत को बलूचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह तक जोड़ने के लिये पाकिस्तान के आधीन कश्मीर (पीओके) से सड़क मार्ग बनाया गया और रेल मार्ग पर भी काम चल रहा है अब चीन का अरब की खाड़ी से सीधा सम्बन्ध है जिससे उसका सामान कम खर्च में आ जा सकेगा | भारत ने भी कूटनीति का परिचय देते हुए ग्वादर से कुल 72 किलोमीटर की दूरी पर पाकिस्तान के समीप स्थित ईरान के चाबहार पोर्ट के विकास के लिए ईरान से समझौता ही नहीं 1000 करोड़ रूपये का निवेश भी किया और भी करेगा | चाबहार प्रोजेक्ट का काम ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर प्रतिबन्ध लगने के कारण बेहद धीमी गति से चल रहा था अमेरिका की लीडर शिप में लगाये गये प्रतिबंधों के बावजूद दोनों देशों के सम्बन्धों में फर्क नहीं आया, ईरान को प्रतिबंधों से काफी परेशानी हुई लेकिन वहाँ की सरकार जनता को कम खर्च में जीवन चलाना सिखाना जानती हैं | दक्षिण पूर्व ईरान में स्थित चाबहार से भारत को समुद्री मार्ग से अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक सामान भेजने का सुरक्षित मार्ग मिल जाएगा | समुद्र के नीचे से गैस की पाईप लाइन जुड़ जाने से भारत को तुर्कमिस्तान ओमान से भी गैस सप्लाई होने लगेगी |चाबहार ऐसा पहला विदेशी बन्दरगाह है जिसके विकास से भारत सीधा जुड़ा हैं | कई बलोच संगठन पाकिस्तान और चीन की आर्थिक कोरिडोर से जुड़ी महत्वाकांक्षी परियोजना का विरोध कर रहे हैं अब तो जब से ग्वादर बन्दरगाह चीन के हवाले किया है चीनी सैनिक वहाँ नजर आते हैं | 2002 से निर्माण कार्य हो रहा है| ग्वादर पर पाकिस्तान का नियन्त्रण है लेकिन निर्माण कार्य में चीनी इंजीनियर और कारीगर लगाये गये हैं कहते हैं आसपास की जमीनें बलूचों से सरकारी अधिकारियों ने सस्ते भाव में खरीद कर महंगे दामों पर बेचा जिससे बलूचों में असंतोष फैलने लगा | 2004 बलूच अलगाव वादियों ने तीन चीनी इंजीनियर मार दिए इसके बाद बलूचिस्तान में संघर्ष और उनका दमन बढ़ता जा रहा है| कुछ दिनों पहले ही एक आत्मघाती हमलावर ने खुद को भीड़ में उड़ा लिया जिससे कम से कम 70 लोगों की मौत हो गई थी। यह विस्फोट क्वेटा के एक अस्पताल में हुआ था जहां वकील अपने एक सहकर्मी की मौत पर शोक जताने के लिए अस्पताल में पहुंचे थे। इस हमले की जिम्मेदारी आईएसआईएस और स्थानीय तालिबान, दोनों ने ली। पाकिस्तान के इस सर्वाधिक अशांत सूबे में फिर से विद्रोह पनपने लगा और सभी बलूची नेताओं को एक मंच पर ला दिया | लाल किले से मोदी जी ने सरकार के बदले रुख के स्पष्ट संकेत दे दिए है ‘पिछले कुछ दिनों में बलूचिस्तान, पाक अधिकृत कश्मीर, गिलगित-बल्तिस्तान के लोगों ने मेरा आभार जताया है. दूरदराज बैठे लोग हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री का आदर करते हैं यह मेरे सवा सौ करोड़ देशवासियों का सम्मान है | मैं उन लोगों का आभारी हूं’| दिल्ली स्थित पाक एम्बेसी के राजदूत अब्दुल वासिद ने अपने मुल्क की आजादी को कश्मीर की आजादी से जोड़कर भारत को चुनौती दी| किसी भी देश का राजदूत जो बोलता है वह उस देश की नीति होती है |सरताज अजीज ने मोदी जी का विरोध करते हुए बलूचिस्तान को पाकिस्तान का अभिन्न अंग बताया और कहा मोदी जी के वक्तव्य से स्पष्ट होता है भारत अपने खुफिया संगठन के जरिये आतंकवाद को हवा दे रहा है | पाकिस्तान ने इसके लिए हमेशा ही अफगानिस्तान और भारत को दोषी ठहराया है। लेकिन पाकिस्तान अपने आरोपों को कभी भी सिद्ध नहीं कर सका । 1980 से सोवियत सेनाओं के खिलाफ बलूचिस्तान युद्ध क्षेत्र बनाया गया था यहीं तालिबानों का जन्म हुआ था जिन्होंने पाक सेना के साथ सोवियत सैनिकों को अफगानिस्तान से निकलने के लिए मजबूर कर दिया | नवाज शरीफ ने फिर से कश्मीर का पुराना राग अलापा| सबसे अधिक आतंकवादियों की हर बार नई खेप भेजने वाले हाफिज सईद ने चिंघाड़ते हुए अपनी सरकार को जिन्ना की नीति की याद दिलाई वह कश्मीर को पकिस्तान के गले की नस मानते थे यदि तुम कुछ नहीं कर सकते वह करें |आतंकवादी पाकिस्तान को पकड़ने के लिए तैयार है हाफिज भी शायद मन मे खलिफेट के सपने बुन रहा है ,भूल गया है विश्व आतंकवाद से त्रस्त है लेकिन अब इस्लामिक स्टेट के लिए लड़ने वालों के घुटने टूट गये हैं| कश्मीर गले की नस नहीं भारत का मस्तक है | पाकिस्तान सरकार को आतंकवादियों के सरगना ने आदेश देते हुए कहा पूरा मंत्री मंडल और सरकार विश्व में बलूचिस्तान और कश्मीर पर भारत के बदले सुरों की निंदा करे कश्मीर में अपने हक का प्रचार करे | बंगलादेश ने पाक सेना के जुल्मों को सहा है उन्होंने तुरंत बलूचिस्तान पर मोदी जी के बक्तव्य का समर्थन किया| भारत सरकार चाहती है पहले विश्व में प्रवासी बलूचियों तक उनकी अपनी मातृभूमि का दर्द पहुंचे ,बलूचियों का दर्द उन पर होने वाले जुल्म वह जानें |पाकिस्तान की कश्मीर पर काट ही भारत की आगामी बलूचिस्तान नीति है |मोदी जी ने दोस्ती का हाथ बढ़ा कर देख लिया लाभ नहीं हुआ |शठ से उसी की भाषा में बात करना ही कूटनीति है | चीन का भी ग्वादर बन्दरगाह पर पैसा लगा है उसके हित में है बलूचिस्तान शांत रहे |अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति करजई ने बलूचिस्तान पर भारत की नीति का समर्थन किया |लेकिन सरकार की नीति केवल कागजी बन कर न रह जाये | बलूचिस्तान से भारत की सीमा नहीं मिलती परन्तु बलूचिस्तान को हम मौरल सपोर्ट दे सकते हैं उनकी आवाज उठा सकते हैं | अधिकतर शिक्षित बलूच जीवन रक्षा के लिए देश छोड़ कर चले गये वह भारत जैसे मजबूत देश की तरफ आशा भरी नजरों से देख रहे हैं मोदी जी नीति का असर भी दिखाई दे रहा है पकिस्तान ने बलूच नेताओं को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है | करीमा बलोच 20,21 वर्ष की लड़की बलूची छात्रों की लीडर कनाडा में निर्वासन का जीवन बिता रही है उसने रक्षा बंधन के दिन बलूची बहनों की तरफ से मोदी जी से इमोशनल अपील की | बलूच नेता अपनी कौम पर होने वाले जुल्मीं से रक्षा और बलूचिस्तान की आजादी की अपील कर रहे हैं | यदि बलूचों पर होने वाले अत्याचारों की तरफ भारत विश्व बिरादरी का ध्यान खींचने में सफल हो गया यह विदेश नीति के पकिस्तान के प्रति बदलते रुख की जीत होगी पाकिस्तान भी विश्व बिरादरी पर अलग – थलग पड़ता जा रहा है |नर्म रुख अख्तियार कर लिया भाई चारे का संदेश दे कर देख लिया| देखते हैं पकिस्तान पर मोदी जी की कूटनीतिक चाल का क्या असर पड़ता है ?