भुला दिए गये फिरोज गांधी
डॉ शोभा भारद्वाज12 सितम्बर 1912 स्वर्गीय इंदिरा जी के पति ,राजीव गांधी ,संजय गांधी के पिता , वरुण गाँधी ,राहुल एवं प्रियंका गांधी के दादा थे फिरोज गांधी का जन्म दिन था 8 सितम्बर 1960 को 48 वर्ष की उम्र में हार्ट अटैक से उनकी मृत्यू हो गयी थी लेकिन परिवार में किसी ने उनको याद नहीं किया जबकि कहते हैं सन्तान से वंश चलता है |वह कांग्रेसी थे उनके लिए भी यह नाम भूला बिसरा हैं फिरोज गाँधी साधारण शख्शियत नहीं थे उन्होंने देश के स्वतन्त्रता संग्राम में भाग हिस्सा लिया था उत्तम सांसद कुशल वक्ता अपने समय के नामी व्यक्ति फिर उन्हें क्यों भुला दिया गया ?
फिरोज गांधी मुम्बई
निवासी पारसी परिवार से सम्बन्धित थे उनके पिता का नाम जहाँगीर , जहांगीर ( प्राचीन
समय से ईरान का प्रचलित नाम है जिसका अर्थ जहान मी गिरे दुनिया जीतने वाला )और
माता का नाम रतिमई था। फिरोज जहांगीर का महात्मा गांधी से कोई संबंध नहीं था उन्होंने
अपना सरनेम उन्हें दिया था | इनका इंदिरा जी से प्रेम विवाह हुआ था वह देश के पहले
प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू की पुत्री थी लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यू के
बाद वह देश की प्रधान मंत्री बनीं |
फिरोज
गांधी कांग्रेसी कार्यकर्ता थे नेहरू जी के घर में स्वतन्त्रता आन्दोलन का माहौल रहता
था उन्होंने कांग्रेसी नेताओं के नेतृत्व में स्वतन्त्रता आन्दोलन में सक्रिय रूप से
भाग लिया था वह लन्दन स्कूल आफ इकोनोमिक से इंग्लैंड में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे
लेकिन अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ दी वह जेल गये वह नेहरू जी के साथ भी काम किया भूमि
गत होकर स्वतन्त्रता आन्दोलन चलाया इंदिरा जी की माता कमला नेहरु स्वास्थय अच्छा
नहीं रहता था वह एक बार धरने के लिए गयीं वहाँ वह बेहोश हो गयीं वह उन्हें वह
आनन्द भवन उनके घर लाये उनकी देखभाल में लगे अब वह आनन्द भवन जाते रहते थे यहीं से
उनकी इंदिरा जी से नजदीकियां बढ़ने लगी दोनों
विवाह करना चाहते थे लेकिन जवाहरलाल नेहरू
इस विवाह के लिए राजी नहीं थे इंदिरा जी पंडित नेहरू की इकलौती सन्तान थीं। नेहरू जी कश्मीरी सारस्वत
ब्राह्मण थे। लेकिन उनकी मर्जी के खिलाफ 16 मार्च 1942 को दोनों ने वैदिक रीति से
विवाह किया। अब वह फिरोज गाँधी थे |बाद में नेहरूजी ने भी विवाह को स्वीकार कर
लिया। फिरोज गांधी का 1960 में 48 वर्ष की उम्र में देहांत हो गया। उनकी प्रयागराज के पारसी कब्रिस्तान में कब्र है यह पारसी कब्रिस्तान
प्रयागराज में नेहरू परिवार के पैतृक घर आनन्द भवन के पास है लेकिन उनका परिवार
कभी वहाँ नहीं गया एक बार रात के समय राजीव गाँधी सोनिया गाँधी को लेकर वहाँ गये
थे |
पारसी दादा से इतनी दूरी क्यों क्या उन्हें अपना समझने में
उनका धर्म आड़े आया लेकिन राजीव गांधी जी की पत्नी सोनिया गांधी रोमन कैथोलिक हैं उनका जन्म स्थान
इटली है । 1968 में उनका भारत आकर वैदिक विधि
से राजीव गांधी से विवाह हुआ| कांग्रेस अध्यक्षा कांग्रेस की
सबसे शक्ति शाली महिला हैं उन्हीं के इर्द गिर्द कांग्रेस जन मंडराते हैं वह 2009
,कांग्रेस की जीत के बाद कांग्रेस अध्यक्षा प्रधान मंत्री पद करीब थीं लेकिन
विदेशी मूल का विषय आड़े आ गया फिर उनके परिवार का माहौल ऐसा नहीं है जिसमें धर्म
आड़े आयें इंदिरा जी के दूसरे बेटे स्वर्गीय संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी सिख
हैं|
फिरोज का फ़ारसी में अर्थ जीत अर्थात विजय है | ‘फिरोज’ नाम मुस्लिम समाज में भी
प्रचलित है इसलिए लोग उन्हें मुस्लिम समझ लेते हैं जबकि वह जोराष्ट्रीयन (पारसी ) थे
आज का ईरान जिसे फारस कहा जाता था पर्शियन गल्फ से मध्य एशिया तक विशाल साम्राज्य
फैला था। यहीं पैगम्बर जरथुस्त्र ने एकेश्वरवाद का संदेश देते हुए पारसी धर्म की
नींव रखी। ईरान ने पहले सिकन्दर के हमले को झेला बाद में अरब आक्रमणकारियों को।
अत: पर्शियन साहित्य और संस्कृति नष्ट होती रही अब शिलालेख मिलते हैं जिनकी भाषा अवेस्ता है प्राचीन
ऋग्वेदकालीन संस्कृत से मिलती जुलती है उसी से पर्शियन भाषा का चलन हुआ |
मुस्लिम आक्रमणकारियों ने पहले इराक फिर ईरान पर हमला किया
ईराक एवं ईरान पर मुस्लिम का कब्जा हो गया
ईरान के राजवंश ने इस्लाम धर्म कबूल लिया अत :हर बाशिंदे को धर्म बदलने के लिए
मजबूर किया गया | जोराष्ट्रीयन(पारसी ) के लिए धर्म संकट का समय था यहाँ के मूल
बाशिंदे अग्नि पूजक हैं यहाँ तीन प्रकार की पवित्र अग्नि मानी जाती है। आज भी ईरान
के ‘यज्द ‘ शहर में फायर टेम्पल है
पहले फायर
टेम्पल में पवित्र अग्नि जलती रहती थी अब उसे नष्ट कर दिया गया, धार्मिक ग्रन्थ
जला दिए गये| गया।
पारसी लोग भाग कर रेगिस्तानों और पहाड़ों में छुप गये, काफी लोग भाग कर
हर्मोंज की खाड़ी (शतल हार्मोंज )और प्राचीन राज्य पर्शिया में छुपे रहे | यहाँ रहने वालों ने 100 वर्षों की मेहनत से पालदार जहाज
तैयार किया जिससे अपने वतन से पलायन कर गुजरात के तट पर उतर कर काठियावाड़ ( गुजरात
) में बस गये यहाँ यह पारसी कहलाये| पारसी शब्द का अर्थ पर्शिया से
आया बाशिंदा हैं |यह भारत
में ऐसे घुल मिल गये जैसे पानी में दूध | अपने
धर्म को बचाने के लिए अपनी सरजमीं से पलायन करने के लिए विवश वह कहते थे मर जायेंगे पर
धर्म नहीं बदलेंगे| विश्व
में जितनी पारसियों की संख्या हैं उनमें आधे भारत में रहते हैं |
पारसी समाज के कई महापुरुषों ने भारत की आजादी की जंग में
हिस्सा लिया जैसे दादा भाई नौरोजी, फिरोज शाह मेहता
,उद्योग
जगत का प्रसिद्ध नाम जमशेदजी नौशेरवानजी टाटा हैं, होमी जहांगीर भामा
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त परमाणु वैज्ञानिक टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल
रिसर्च और भारतीय परमाणु आयोग के संस्थापक थे | यही नहीं दाराशां भूगर्भ
शास्त्र के जाने माने नाम हैं | जरनल मानिक शाह को कौन नहीं जानता? समाज में घुले मिले और भी कई
महानुभाव हैं | नौरोज इनका
नववर्ष है इनके मूल स्थान ईरान (पर्शियन संस्कृति) में धूमधाम से मनाया जाता है यह
धर्म परिवर्तन में विश्वास नहीं करते लेकिन अपने धर्म के प्रति आस्थावान हैं |
हमारे संविधान में कहीं नहीं लिखा केवल हिन्दू ही देश का
प्रधान मंत्री बन सकता है लेकिन इंदिराजी की मृत्यु के बाद राजीव गांधी अपनी माता
के अंतिम संस्कार के समय मीडिया के कैमरे उनके जनेऊ पर फोकस कर रहे थे| 21 मई 1991 पेरम्बटूर में राजीव गांधी रैली
स्थल पर पहुंचे। भयानक धमाका हुआ। ‘राजीव गांधी’, गांधी परिवार की दूसरी शहादत | स्वर्गीय राजीव गांधी का अंतिम
संस्कार हिन्दू रीति रिवाज से हुआ था। राहुल ने अपने पिता को मुखाग्नि दी।
इंदिरा परिवार के पुराने पंडित ने अंतिम संस्कार कराया फोकस
में फिर जनेऊ था गुजरात में चुनाव प्रचार चल रहा
है कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी मन्दिरों में दर्शनार्थ जा रहे थे
हिंदुत्व कार्ड | चुनाव के समय हर बात का महत्व
होता है। वैसे धर्मनिरपेक्ष देश में किसका क्या धर्म महत्वहीन है लेकिन चुनाव का
समय है कांग्रेस की तरफ से प्रवक्ताओं ने प्रचार किया राहुल गांधी हिन्दू ही नहीं
जनेऊधारी है। उनके अनेक चित्र जिसमें वह जनेऊ पहने हुये है दिखाये | स्वर्गीय नेहरू के गोत्र से अपने को जोड़ लिया अपना गोत्र
दत्तात्रेय अर्थात कश्मीरी कौल ब्राह्मण बताया जिसकी राजनीतिक हलकों में जम कर
चर्चा हुई |
फिर दादा से दूरी
का कारण क्या था ?देश की आजादी के बाद फिरोज गाँधी नेशनल हेरल्ड समाचार पत्र के
प्रबंध निदेशक बन गये। राजनैतिक परिवार
से जुड़ने के बाद भी उनकी अपनी पहचान थी 1950 में अस्थाई संसद में सांसद थे 26 जनवरी 1950
को भारतीय संविधान लागू किया गया लोकसभा का पहला चुनाव उन्होंने रायबरेली से जीता
जिसमें उनके प्रतिद्वंदी की जमानत जब्त हो गयी 1951 -52 में हुआ जिसमें वह विजयी
होकर पांच वर्ष के लिए सांसद बनें | फिरोज गांधी संकोची स्वभाव के थे लेकिन जब
उन्होंने लोकसभा में पहला भाषण दिया सांसद उन्हें मन्त्र मुग्ध होकर सुन रहे थे
उन्होंने पहला प्रहार निजी बीमा कम्पनियों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर किया सटीक
प्रश्न उठा कर कम्पनियों में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर किया सभी सांसद इससे
प्रभावित हो गये दो महीने बाद ही राष्ट्रपति के अध्यादेश द्वारा बीमा कम्पनियों का
राष्ट्रीयकरण विधेयक जारी किया गया , जीवन बीमा निगम का निर्माण हुआ |उन्होंने राजनीति में व्याप्त भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ने
की कोशिश की थी | यहाँ स्वर्गीय प्रधान मंत्री राजीव गाँधी की याद आती है उन्होंन
खरखोन में अपने भाषण के दौरान कहा था केंद्र से एक रुपया आता है लेकिन गाँव तक
केवल 10 पैसा पहुंचता है जबकि भारत में अधिकतर उनके अपने दल की सरकार रही थी अपने
पिता के समान बेबाक बोल उनकी मिस्टर क्लीन की छवि थी बाद में उनपर बोफोस तोपों की
खरीददारी में भ्रष्टाचार के दाग लगे |
अपने संसदीय
क्षेत्र रायबरेली के लोगों से वह जुड़े हुए थे |उस समय प्रचलित था कांग्रेसी होते
हुए भी वह विपक्ष की भांति सत्ता की कमियों को उजागर करते थे संसद के लिए रणनीति बनाया करते थे उन दिनों विपक्ष
बहुत कम था वह संसदीय बहसों का स्तर ऊंचा उठाते , आधी अधूरी तैयारी के साथ कभी बहस में नहीं उतरते थे
प्रजातांत्रिक परम्पराओं का उन्हें ज्ञान थे वह नेहरू जी के भी बहुत बड़े क्रिटिक
थे |उन दिनों संसद की गरिमा थी अच्छी बहस होती थी शोर मचा कर वाक आउट की परम्परा
तो अब शुरू हुई है | फिरोज गाँधी ने कांग्रेस के अंदर व्याप्त भ्रष्टाचार के
विरुद्ध अभियान छेड़ा उन्हीं दिनों इंदिराजी कांग्रेस वर्किंग कमेटी एवं चुनाव
समिति की सदस्य बनीं थी | वह इंदिराजी को बहुत अच्छी तरह पहचानते थे उन्होंने उनको
नेहरूजी के सामने ताना शाह कहा था कारण
1959 में इंदिरा जी अपने कांग्रेस अध्यक्ष कार्यकाल में केरला की कम्यूनिष्टों की निर्वाचित
सरकार को वर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने की पेशकश की थी| वह अभिव्यक्ति की
स्वतन्त्रता के प्रबल समर्थक थे सच्चे पत्रकार की तरह वह नेहरु सरकार की कमियों पर
लिखते उनके अनुसार संसद में सांसदों को बोलने का विशेषाधिकार है लेकिन पत्रकार यदि
उनपर कुछ लिखते हैं उन पर मानहानि के मुकदमें ठोक दिए जाते हैं वह प्रेस की
स्वतन्त्रता के प्रबल समर्थक थे सरकार के विरोध के कारण उनके अपनी पत्नी इंदिराजी के साथ संबंध भी खराब होने लगे | आखिर
में उन्होंने प्रधान मंत्री आवास छोड़ दिया सांसद आवास में रहने लगे
वित्त मंत्रालय में उस समय का
चर्चित घोटाला मूंदड़ा कांड पर व्यथित होते थे उन्होंने नेहरु सरकार पर हमला किया मुंदडा
कांग्रेस पार्टी को बहुत बड़ा चंदा देते थे लेकिन उनकी माली हालत खराब होने लगी
सरकार ने जीवन बीमा निगम के जरिये उनकी
डूबती कम्पनियों के शेयर खरीदे जिससे उनकी कम्पनियों के शेयर के अचानक भाव बढ़ गये बाद
में फिर गिर गये फिरोज गांधी ने प्रश्नोत्तर काल में सार्वजनिक धन के ऐसे अपव्यय
पर तीखे सवाल पूछे सरकार पर इतना ज़बरदस्त हमला बोला कि नेहरू के बहुत करीबी, तत्कालीन वित्त मंत्री टीटी
कृष्णामचारी को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा|
कांग्रेसी सांसद उनसे घबराए रहते
थे आज भी उन्हें फिरोज गांधी रास नहीं आते |वह नेहरु काल में हुई अनियमितता या
नेहरु जी पर अपने ही दामाद द्वारा उठाये गये प्रश्न स्वीकार नहीं हैं समझ नहीं आता ऐसे
ईमानदार सांसद से आज भी कांग्रेस को वोट बैंक के जाने का खतरा क्यों है ? उनका
अपना परिवार स्वतन्त्रता सेनानी उत्तम सांसद कर्तव्य निष्ट महान दादा को भूलना चाहते हैं
अपनी राजनैतिक जमीन अपने नाना श्री नेहरु एवं दादी इंदिरा गाँधी के सहारे बचना
चाहते हैं |
फिरोज गाँधी के अंतिम समय में
इंदिराजी उनके पास थी वह शोक से संतप्त थी दोनों के विचार नहीं मिलते थे लेकिन
दोनों के प्रेम में कहीं कमी नहीं थी तिरंगे में लिपटा फिरोज गांधी जी का पार्थिव
शरीर निगम बोध घाट की और बढ़ा उनके अंतिम
दर्शन करने सड़क के दोनों तरफ हजारों की भीड़ जमा थी यह उनकी लोकप्रियता को दर्शाता
है वह चाहते थे ,उनकी इच्छानुसार उनका अंतिम संस्कार हिन्दू रीति से किया जाए उनके
16 वर्ष के पुत्र राजीव गांधी ने उन्हें मुखाग्नि दी लेकिन उनके अवशेषों को पारसी कब्रिस्तान में
दफना दिया गया | उनकी कब्र पर बहुत लोग आते हैं लेकिन नेहरू एवं गाँधी परिवार जन उनसे
अपने को बचाए रखते हैं |