भारत में होली उत्सव , विदेशों में भी होली जैसे मनाये जाने वाले पर्व
डॉ शोभा भारद्वाज
बनारस की होली भगवान शिव पार्वती जी की कथा से जुड़ी है फागुन के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन भोले बाबा पार्वती जी को विदा कराने अपने सुसराल जाते हैं विश्वनाथ गली में उनकी गौने की बरात पर अबीर गुलाल उड़ाया जाता है शंखनाद और डमरू के संगीत के साथ भोले बाबा चांदी की पालकी में विराजमान होते हैं पार्वती जी को विदा कराने के बाद अगले दिन भोलेबाबा मणिकर्णिका के श्मशान घाट पर गणों के साथ होली खेल ने के लिए बिराजते हैं | आरती के बाद उनके गण चिता की भस्म से होली खेलते हैं| “खेलें मसाने में होली दिगम्बर खेलें मसाने में होली” अद्भुत दृश्य एक और उल्लास जीवन, उमंग आनन्द , दूसरी तरफ जीवन का अंत “अंतिम क्रिया” अद्भुत होली को देखने विदेशों से लोग आते हैं | इसके बाद बनारस में धूम धाम से होली खेली जाती है |
केवल भारत में ही नहीं विश्व के कई देशों में होली से मिलते जुलते उत्सव मनाये जाते है अंतर केवल मनाने के ढंग में है लेकिन उल्लास की कहीं कमी नहीं होती | अधिकतर यह नये वर्ष और नई फसल से जुड़ा उत्सव है | भारत में बसंत के बाद लहलहाते खेतों में पकती फसल और होली के रंग का साथ हैं उत्सव से एक दिन पहले होली जलाई जाती है इससे होलिका और भक्त प्रहलाद की कहानी भी जुड़ी है | साथ ही होली की अग्नि में जों या गेहूं की पाँच बालें भून कर अपने परिचितों को दे कर होली की शुभ कामनाएं देते हैं और छोटे बड़ों के पैर छू कर आशीर्वाद लेते हैं | घरों में मेहमानों के स्वागत के लिए तरह – तरह पकवान बनाये जाते हैं जिनमे गुझिया का अधिक चलन है |अगले दिन रंग खेला जाता है | होली का उत्सव भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं से भी जुड़ा है |
आज भी बरसाने की होली प्रसिद्ध है उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने राजनीति क होली खेली साथ ही पर्यटन उद्योग को बढावा दिया | वृंदावन से श्री कृष्ण बरसाने की राधा के साथ होली खेलने जाते थे उसी परम्परा के अनुसार मथुरा के युवक (गोप ग्वाल) श्री राधा के जन्म स्थान बरसाने में होली खेलने जाते हैं उनका स्वागत भांग और ठंडाई से किया जाता है सिर पर पगड़ी बांध कर कान्हा रूप धारी युवक सब मिल कर रंगीली गली में इकठ्ठे होते हैं वहीं महिलायें हाथ में पोले बांस के लठ्ठ लेकर तैयार रहती है | युवक होली के गीत गा कर गोपियों रूपी महिलाओं को रंग खेलने के लिए ललकारते हैं और रंग लगाने की कोशिश करते हैं गोपियाँ लठ्ठ मारती है गोप ढाल से बचाव् करते हैं | होली की ऐसी घूम मचती है जिसे देखने यहाँ विदेशी से भी बड़ी मात्रा में लठ्ठमार होली देखने आते हैं इससे बड़ा कान्हा की नगरी में महिला सशक्तिकरण का उदाहरण और क्या हो सकता है ? डिस्कवरी चैनल ने लठ्ठमार होली की एक घंटे की रील बनाई हैं यह विदेशों में बहुत प्रसिद्ध है|
अंग्रेजी राज में गरीबी से बेहाल लोग रोजी रोटी की खोज में अपना देश छोड़ने के लिए विवश थे | भारतीय मजदूर जहाँ भी गये अपने पर्व और रीतिरिवाजों को नहीं भूले | सबके पास रामायण का गुटका और हनुमान जी का नाम था जहाँ भी बसे हनुमान बाबा का झंडा घर पर लगाया| कैरिबियाई देशों गुआना सूरीनाम ,त्रिनिदाद और प्रशांत महासागर में बसे फिजी द्वीप समूह में धूमधाम से होली का उत्सव मनाया जाता है यहाँ होली को फगुआ के नाम से जाना जाता है आज भी ढोलक की थाप पर गीतों और संगीत से परम्परागत रूप से ही मनाते हैं | होली के दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है हिन्दुओं की आबादी भी यहाँ बहुत है अत: सार्वजनिक रूप से नृत्यगान का आयोजन किया जाता है रंगों को पानी में घोल कर एक दूसरे पर डालते हैं उन्हें एक गीत भी याद है दे सरारा रा रा रा रा वाह जी वाह वाह खिलाडी वाह – आगे वह तुकबन्दियाँ करते हैं शायद जोगीरा का रूप है अपनी मातृभूमि से दूर उत्सव को उमंग से मनाते हैं उन्हें श्री कृष्ण की लीलाएं भी याद हैं ऐसा उल्लास प्रवासियों की तीसरी और चोथी पीढ़ी को स्वदेश से जुड़ा महसूस कराता है |
सिंगापूर में प्रवासी भारतीय जापानी बाग़ में इकठ्ठा होकर एक दूसरे पर रंग लगाते हैं जरूरी नहीं है होली का ही दिन हो एक दिन की सुविधानुसार सरकारी छुट्टी भी होती है |
स्पेन का ला टोमा टीना उत्सव टमाटरों से खेली जाने वाली होली है अगस्त माह के आखिरी बुधवार को सब खुले मैदान में इकठ्ठा होते हैं एक दूसरे पर जम कर ताजा टमाटर मारते हैं इसे देखने देश विदेशों से भी पर्यटक आते हैं इससे इसकी लोकप्रियता का पता चलता है जिस तरह टनों टमाटर की बरसात की जाती है सब तरफ कीचड़ हो जाता है लोग कीचड़ में फिसलते हैं लगभग तीन घंटे तक यह खेल चलता है हम भारतीय खाने की बर्बादी पसंद नहीं करते स्पेन आर्थिक मंदी से जूझ रहा है लोगों के पास रोजगार नहीं है लेकिन खेल पर रोक उन्हें पसंद नहीं है टमाटर की बोछार करने से पहले वह इसे मसलते है जिससे चोट न लगे |उत्सव की शुरुआत 1950 में ब्युनाल शहर में हुई थी | स्पेन का बुल फाईट भी प्रसिद्ध है | फलों से खेले जाने वाले यूँ कहिये फलों की बर्बादी के और भी उत्सव हैं | ग्रेप थ्रोईन्ग फेस्टिवल यह भी स्पेन में ही मनाया जाने वाला उत्सव है सितम्बर के महीने में बेलें अंगूरों से भर जाती हैं अंगूरों के गुच्छे एक दूसरे पर मार कर किसान अंगूर की उपज की ख़ुशी मना कर खुश होते हैं |
इटली में जनवरी के महीने में टमाटर से खेली जाने वाली होली की तरह ओरेंज फाईट नामक त्यौहार मनाया जाता है दो टीमें आमने सामने आ कर एक दूसरे पर संतरे की बारिश करती है लेकिन पहले संतरों को पिचकाते हैं जिससे चोट न लगे | 1994 से आस्ट्रेलिया के क्वींस लैंड में फरवरी के महीने में तरबूज को एक दूसरे पर मारते हैं चारो तरफ पके लाल लाल तरबूज फैल जाते हैं कहते हैं इस उत्सव की शुरुआत तरबूज की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए की गयी थी लेकिन हमारी भारतीय संस्कृति इस प्रकार के उत्सवों को पसंद नहीं करती | एक फिल्म में टमाटरों का होली की तरह प्रयोग करने की कोशिश की गयी थी लेकिन यह फ़िल्मी बन कर ही रह गयी |
और भी ऐसे देश हैं जहाँ होली रंगों से खेली जाती है अर्थात रंगों के उत्सव हैं पोलेंड में आर्सिना और चकोस्लोवाकिया में बलिया कनौसे के नाम से होली की तरह उत्सव मनाते हैं जिसे फूलों से बने रंगों से मनाया जाता है इसमें लोग टोलियां बनाकर एक-दूसरे पर रंग और गुलाल मलते हैं और गले मिलते हैं। ये रंग फूलों से निर्मित होने के कारण काफी सुगंधित होते है। भारत की तरह ही दुश्मनी को भुला कर आपस में गले मिल कर मेल मिलाप बढाते हैं नाच गाने के कार्यक्रमों से उत्सव रोचक हो जाता है |
जर्मनी में रैनलैंड नामक स्थान पर होली जैसा त्योहार पूरे सात दिन तक मनाया जाता है। इस अवसर पर यहां के निवासी ऊटपटांग पोषाक पहनते हैं और अटपटा सा व्यवहार करते हैं और एक दूसरे का मजाक उड़ाते हैं। मजाक और मस्ती में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई व्यक्ति छोटा है या बड़ा और न ही कोई इसे बुरा मानता है। बैल्जियम में भी होली जैसा त्योहार मनाए जाने का रिवाज है। लोग इसे मूर्ख दिवस के रूप में मनाते हैं। इस अवसर पर पुराने जूतों की होली जलाई जाती है और लोग आपस में हंसी-मजाक करते हैं। इस अवसर पर जुलूस भी निकालते हैं। जो व्यक्ति इस जुलूस में शामिल नहीं होता उसे गधा बनाकर उसका मुंह रंग दिया जाता है।
साईबेरिया बर्फीला प्रदेश है यहाँ घास-फूस और लकड़ी से होलिका दहन जैसी परिपाटी देखने में आती है। नार्वे और स्वीडन में सेंट जान का पवित्र दिन होली की तरह से मनाया जाता है। शाम को किसी पहाड़ी पर हमारे देश की होलिका दहन की भांति लकड़ी जलाई जाती है और लोग आग के चारों ओर नाचते गाते परिक्रमा करते हैं। इंग्लैंड में मार्च के अंतिम दिनों में लोग अपने मित्रों और संबंधियों को रंग भेंट करते हैं ताकि उनके जीवन में रंगों की बहार आए।
ईरान में नौरोज नये वर्ष का पहला दिन है इस्लामिक सरकार से पूर्व शाह के समय में नोरोज से एक दिन पहले शाम को अग्नि जलाई जाती थी उसके ऊपर छलांग मारने का रिवाज था इसअवसर पर बर्फ पिघल जाती है नई कोम्पले फूटती हैं प्रकृति की छटा निराली देखने लायक होती है जमीन पर रंगबिरंगे फूलों जिसमें लाल रंग के फूल प्रमुख है बिस्तर की तरह बिछ जाते हैं पेड़ पर लगा हर फूल फल है पहले खुशबूदार पानी भी एक दूसरे पर डालने का रिवाज था अब इसे समाप्त कर दिया है लेकिन शोर शराबा हमारी होली की तरह होता है |
अपने पड़ोसी देश बर्मा यानी म्यांमार मे इस त्योहार को ‘तिजान’ नाम से जाना जाता है। यह चार दिन तक मनाया जाता है। यहां भी भारतीय होली की ही तरह पानी के बड़े-बड़े ड्रम भर लिए जाते है और उसमें रंग तथा सुगंध घोलकर एक-दूसरे पर डालते है। श्रीलंका में तो होली का त्योहार बिल्कुल अपने देश की तरह ही मनाया जाता है। आपसी मित्रता एवं हंसी-खुशी का यह त्योहार श्रीलंका मे अपनी गरिमा बनाए हुए है। यहां भी रंग-गुलाल और पिचकारियां सजती हैं। हवा में अबीर उडता है। लोग गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे के गले मिलते हैं। होली प्रमुखतया नेपाल और भारत में मनाई जाती है होलिका दहन के साथ अगले दिन रंगो की फुहारें और अबीर और गुलाल की धूम मचती है |
आजकल फूलों की पंखुड़ियों अर्थात सूखी होली अधिक लोकप्रिय हो रही है |होली से कुछ दिन पहले ही सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं |होली के दिन कुछ घंटे रंग खेल कर नहा धोकर लोग अपने परिचितों के घर जाते हैं | होली का अर्थ ही विशुद्ध मनोरंजन और मेलमिलाप बढ़ाना है इसी लिए किसी न किसी रूप में अलग-अलग समय पर विश्व के अनेक देशों में प्रचलित है |