एक जुलाई ' डाक्टर्स डे ,प्रमुख कोरोना योद्धा'
डॉ शोभा भारद्वाज
एक जुलाई 1991 , भारत में डाक्टर्स डे की शुरुआत देश के महान चकित्सक भारत रत्न से सम्मानित पश्चिमी बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डा०बी .सीे राय को उनके जन्म दिवस के अवसर पर सम्मानं एवं श्रद्धांजली देने केलिए डाक्टर्स डे मनाया जाता है इनके नाम पर आई टी ओ दिल्ली में बच्चों के लिए बी सी राय लायब्रेरी हैं |
डाक्टर्स को समाज में सदैव सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है उनके नाम के साथ साहब लगाया जाता है छोटे बच्चों से पूछो आप बड़े होकर क्या बनोगे वह अधिकांशतया डाकर बनूंगा कहते हैं कुछ समय से उनके रुचिकर विषय रियलिटी शो में भाग लेकर आकर्षक ईनाम जीतना ग्लैमर की दुनिया का सितारा बनना | लड़कियों को माडलिंग , फेशन डिजाईनर , फ़िल्मी दुनिया ,सीरियल में काम करना मीडिया हॉउस एंकरिंग भाने लगी है |
डाक्टर बनना आसान नहीं है कठिन साधना है पहले मेडिकल में सिलेक्ट होना ही आसान नहीं है सिलेक्ट होने के बाद पढ़ना डाक्टरी की शिक्षा पूरी करने के बाद अच्छा डाक्टर बनना |पढाई केवल डाक्टरी तक सीमित नहीं है स्पेशलाई जेशन करना , सिद्धस्त डाक्टर बनना |मेडिकल साईंस का अंत नहीं है नित्य नये प्रयोग होते हैं नई बीमारियाँ उनको समझना उनका इलाज करना |डाक्टर के हाथ में मरीज की जान होती है उसे तभी संतोष मिलता है जब वह किसी को ठीक करता है |किसी असाध्य मरीज को ठीक करने के बाद जिस तरह मरीज एवं परिवार जन डाक्टर को धन्यवाद करते हैं उसका कोइ मोल नहीं हैं |
कोरोना काल में डाक्टरों का महत्व चरम सीमा पर है बीमारों की सेवा करते डाक्टर सबको भाने लगे हैं उनको कोरोना योद्धा का नाम दिया गया मेडिकल स्टाफ पर हेलीकॉप्टरों से फूल बरसाए ज्गए उन्हें सलूट कर सम्मानित किया गया अमेरिका के दक्षिणी विंडसर अस्पताल में भारतीय मूल की डॉक्टर उमा मधुसूदन ने कई कोरोना पीड़ितों का इलाज किया है. उनके काम को प्रोत्साहन देने के लिए स्थानीय पुलिस, पड़ोसी और लोकल फायरमैन ने उनके घर के सामने जाकर सम्मानित किया.उनके घर के सामने से 100 गाड़ियां गुजरी |
बच्चों के मन में डाक्टरों का सम्मान बढ़ गया वह अब डाक्टर बनना चाहते हैं उन्हें सफेद कोट पहने डाक्टर भाने लगे हैं |
जिस तरह से कोरोना से सम्पूर्ण विश्व पीड़ित है डाक्टर निरंतर कोरोना महामारी समाज कृतज्ञ है कई डाक्टर सेवा करते करते कोरोना पीड़ित हो कर शहीद हो गये लेकिन डाक्टरों का सेवा भाव निरंतर चलता रहता है |वह अपनी जान जोखिम में डाल कर कोविड-19 के मरीजों के इलाज में दिन रात एक कर रहे हैं | अपनी सुरक्षा के लिए प्रोटेक्टिव इक्किपमेंट अर्थात इसे पीपीई कहते हैं पहनते हैं जब तक विशेष प्रकार की ड्रेस में रहते हैं पांच घंटों तक पानी नहीं पी सकते इस ड्रेस को पहनने के बाद मरीज की तीमारदारी की जाती उसके पास जाते हैं मरीज को छूते हैं यदि गलती से अपने चेहरे को हाथ से छू लिया संक्रमित होने की सम्भावना रहती हैं इसी लिए डाक्टर का मुहँ पूरी तरह शील्ड से ढका रहता है काम खत्म होने के बाद पीपीई को उतार कर नहा कर ही खा पी सकते हैं |
बच्चों को खेल में डाक्टर बनना भाता है कुर्सी पर बैठे डाक्टर साहब गले में स्टैस्कोप उनका सफेद कोट हरा पर्दा क्लीनिक सब कुछ आकर्षित करती थी डाक्टर डाक्टर खेल में मरीज बने बच्चे का मुआयना करना मुहं खोलो झूठी दवाई देना सुई लगाने की एक्टिंग करना भाता था फिर भी बच्चे डाक्टर साहब से बहुत डरते क्लीनिक दरवाजे पर जाते ही चीखने लगते थे उन्हें डाक्टर साहब की सुई से अक्सर डराया जाता था अत : डाक्टर उनके अनजाने दुश्मन है इंजेक्शन जरूरी नहीं है बच्चों को लगाये जाएँ लेकिन वैक्सीन तो मजबूरी है |
हम ईरान में रहते थे उन दिनों इराक ईरान में युद्ध चल रहा था मेरा छोटा लड़का वैक्सीन लगाने वाले इंचार्ज का दुश्मन था जब भी उसके वैक्सीन लगाई जाती कुछ घंटों तक युद्ध में चलने वाले सारे हथियार रो - रो कर उन पर चलाता रहता उन पर एंटी एयरक्राफ्ट गन से लेकर तोप तक चलाने का दावा करता मजाक में लोग पूछते आगा हमीद ने तुम्हारे सूई लगाई वह शुरू हो जाता |
नाम के आगे डॉ ० लिखा होना ,सफेद कोट पहने डाक्टर गले में लटकता स्तेस्कोप सभी को आकर्षित करते हैं वार्ड में राऊंड लेते डाक्टर मरीजों में आशा का संचार करते हैं |
कुछ समय से डाक्टरों की छवि खराब होने लगी कारण इलाज महंगे होते गये सरकारी अस्पतालों में भीड़ बढ़ गयी प्राईवेट अस्पताल में जितनी सुविधा उससे अधिक खर्च महंगी दवाएं मोटे बिल आम जनता की कमर तोड़ने लगे मरीज डाक्टर के पास जाने से डरने लगे आम गरीब आदमी नीम हकीमों से इलाज लेते हैं ऐसे नकली डाक्टर गली कूचों में अपने नाम के साथ डाक्टर लिख कर मरीजों के इलाज करते आम देखे जा सकते हैं कुछ दवाई की दुकानों के कैमिस्ट से दवाई लेने लगे उनका तर्क है कैमिस्ट के पास स्पेशलिस्टों के नुख्से आते हैं जबकि मर्ज को समझ कर इलाज किया जाता है |
आयुर्वेद यूनानी डाक्टरों ने अंग्रेजी मेडिसन की इतनी निंदा की मरीजों को दवाई में कैमिकल नजर आने लगा लेकिन जब मरीज सीरियस होते हैं लगभग मरना सन्न हालत में तब मरीज को अस्पतालों या नर्सिंग होम ले कर जाते हैं आशा करते हैं डाक्टर उनमें प्राण फूक देगें तब तक देर हो जाती है डाक्टर मरीज को ठीक कर दे तो उस क्षण के लिए भगवान नहीं तो डाक्टर ने सही इलाज नहीं किया अक्सर परिवार के लोग अस्पतालों की खिड़कियाँ तोड़ना लड़ना हाथ तक उठा देना आम बात हैं |डाक्टर की सुरक्षा संकट में पड़ती जा रही हैं |अक्सर आम आदमी डींगे हांकता सुना जा सकता हमने मरीज पर गल्लन पैसा लगा दिया डाक्टर लूट कर खा गये मेडिकल साईंस का कमाल है लोगों की आयू बढ़ रही है आसाध्य रोग में भी डाक्टर हार नहीं मानते |प्रसव पीड़ा से तड़पती जननी को सामने खड़ी डाक्टर हिम्मत देती हैं |
कोरोना संक्रमितों से परिवार जन दूर भागते हैं यहाँ तक परिवार के लोग शव लेने नहीं आते सामने मौत नाचती दिखाई देती हैं लेकिन डाक्टर अब फिर से देवदूत नजर आते हैं |जब कोई साधन नहीं होता तब भीं डाक्टर उपचार का रास्ता खोज लेते हैं | भारतीय डाक्टर विश्व में कहीं भी सेवा करते नजर आते हैं | भारत में विदेशों से इलाज करवाने डाक्टर आते हैं | डाक्टर को भगवान बेशक न मानियें लेकिन उनका सम्मान करना चाहिए |