हिंदी भाषा का सम्मान दिल से होना चाहिए
डॉ शोभा भारद्वाज
हिंदी दिवस पर मैं अपनी बात लिखना चाहूंगी | मेरे कालेज में नोटिस लगा था प्रादेशिक भाषा में चलने वाली कहावतें लोकोक्तियाँ लुप्त होती जा रहीं हैं उनका संग्रह करने वालों के लिए तीन इनामों की घोषणा की गयी थी| पूजा पाठ के लिए ब्राह्मणों की जरूरत रहती है इसलिए अलग -अलग प्रदेशों से पंडित माईग्रेट करते या बुलाये जाते हैं | मेरा ननिहाल पंजाब का हैं नाना कर्नाटकी जोशी ब्राह्मण थे | दादी जी के पिता मुरादाबाद से पंजाब गये थे मेरी दादी जी बात-बात- पर चंद लाईने बोलती रहती थीं जिनमें सीख होती थी जैसे ‘खिचड़ी तेरे चार यार घी पापड़ दहीं अचार’ | मुझे अब दादी जी की जरूरत थी मैं उनकी शरण में गयी उन्होंने भी बहुत खुशामद करवाई मेरे सिर में तेल लगा कर उँगलियों से मालिश कर कमर दबा हर वक्त मैं दादी जी की सेवा में हाजिर रहती थी |उन्होंने कई कवित्त याद कर लिखवाये | पिताजी की पहली पोस्टिंग इलाहाबाद की थी उनसे भी मदद ली कुछ आज भी याद हैं जैसे ‘अहीर धौं-धों खाऊँ कि रोंदों’ कई तो जातियों पर कटाक्ष थे | हैरानी की बात हैं मुझे द्वितीय पुरूस्कार के लिए चुना गया हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ अग्रवाल 16 भाषाओं के माहिर थे वह अनेक भाषों में लिखते भी थे |प्राईज डिस्ट्रीब्यूष्ण समारोह के भाषण में उन्होंने मेरी प्रशंसा करते हुए कहा मुझे आश्चर्य हुआ एक हिंदी भाषी लड़की का पंजाबी पर इतना अधिकार मैने उत्तर दिया सर मेरी माँ और पिता पंजाब के हैं बचपन इलाहाबाद में बिता है परन्तु इंटर मीडिएट तक बंगला स्कूल में पढ़ी हूँ उन्होंने आश्चर्य से कहा तुम्हें वाद विवाद प्रतियोगिताओं में बोलते सुना है परन्तु न तुम्हारा लहजा पंजाबी है न पंजाबी के किसी भी शब्द का उच्चारण सुना |उनका अगला सवाल बंगाली में था क्या बंगला समझती हो मैने बंगला लहजे में कहा ओलप – ओलप| बंगालियों की बिशेषता हैं कितने भी परिचितों मे बैठे बातें कर रहे हों जैसे ही दो बंगाली मिलते हैं आस पास के लोगों को भूल कर बंगला में बात करते हैं आप मूर्खों की तरह उनका मुहँ देखते रह जाते हो | मैने उन्हें बताया पिता बेहतरीन उर्दू बोलते हैं गजल और लेख लिखते हैं दो उर्दू अखबारों में उनका कालम है हमारे घर में खालिस उर्दू मिश्रित हिंदी बोली जाती है | मेरा विवाह मथुरा के परिवार में हुआ घर में बृजभाषा बोलते हैं ऐसी मीठी उदाहरण – माई री माई सांकरी गली में कंकड़ी गड़तु है |जैसे ही मथुरा जंगशन पर मेरे पति उतरते हैं खालिस अंदाज से बृज बोलना शुरू कर देते हैं वैसे दिल्ली में हिंदी या अंग्रेजी में बात करते हैं | शादी के कुछ ही वर्ष बाद मेरे पति की ईरान के खुर्दिस्तान में पोस्टिंग हुई यहाँ दो भाषाओं से राबता पड़ा फ़ारसी और खुर्दी |फ़ारसी भाषा के बोलने का लहजा बहुत खूबसूरत और मीठा हैं ख़ास कर जब ईरानी खानम बोलती हैं उसमें शहद जैसी मिठास और चेहरे की भंगिमा अद्भुत होती है |दूसरा खुर्द, खुर्दी भाषा बोलते हैं उन्हें अपनी भाषा पर बहुत गर्व हैं खुर्दिस्तान में पैदा हर चीज को वह महलली कहते हैं मजेदार बात यह है ईरान में बेहतरीन फार्मी गेहूं का आटा मिलता था उनका वहाँ पैदा होने वाला लाल गेहूं अच्छा नहीं था लेकिन बड़े गर्व से कहते थे हमारे महलली आटे का नान पकता है उसकी दूर-दूर तक खुशबु उड़ती है | खुर्दी भाषा में कई हिंदी के शब्द मिलते थे जैसे दूध को क्षीर भूख के लिए गुर्शने प्यास त्रिष्ने उलटी कै और अनेको शब्द | कोशिश करनी ही नहीं पड़ी न जाने कब फ़ारसी और खुर्दी सीख ली वहाँ के मिलने वाले ईरानी कहते पूछते फ़ारसी मीदानी( जानते हो ) खुर्दी भी यही कहते खुर्दी वलदई (जानते हो ) मैं कहती बले खुर्दी फ़ारसी काती पाती( खुर्दी और फ़ारसी मिली जुली ) नमी दूनम कुजा खुर्दी कुदाम फ़ारसी ( यह समझ नहीं आता कहाँ फ़ारसी है कहाँ खुर्दी )परन्तु बच्चों की दोनों भाषाओं में महारथ थी वह खुर्दी लहजे में बात करते थे| विदेशों में पाकिस्तानी और भारतियों के मधुर सम्बन्ध बनते हैं |यह सम्बन्ध संस्कृति खान पान और भाषा से जुड़ता है| हमारे आसपास पंजाब के रहने वाले पाकिस्तानी थे जैसे उन्हें पता चलता मैं पंजाबी जानती हूँ दो क्षण में भाभी से बहन का सम्बोधन करने लगते कहते अपनी पंजाबी में मुहँ भर- भर कर बात होती हैं कई डाक्टर कहते अरे अपने बच्चों को मदर टंग पंजाबी नहीं सिखाई मैं हंसती थी न मदर टंग पंजाबी न फादर टंग बृज | कई तो अटपटा प्रश्न करते बहन तुम्हारे माता पिता को तुम्हारी शादी के लिए भईया ही मिला था |वहाँ आज भी भारत से गये उर्दू भाषी मुहाजरो को भईया बोलते हैं | मैं उन्हें कहती भईया बहुत अच्छा है वह आशीर्वाद देते दोनों की जोड़ी सलामत रहे | पठान पश्तो बोलते हैं वह फ़ारसी के करीब थी | वह स्वाभाविक रूप से हममे घुल मिल जाते | ईरान में कई महिलाएं फ़ारसी और अरबी पढ़ना नहीं जानती थीं उनकी विशेष क्लास लगाई गयी दानिश आमुजिशी वहाँ पहली दानिश्जू ( छात्रा ) मैं थी उन्हें अरबी भाषा का ज्ञान कुरआन पढ़ने के लिए दिया जा रहा था | मेरे लिए फ़ारसी और अरबी लिखने पढ़ने का सुनहरा अवसर था| हमारी उस्ताद बड़ी प्यारी खूबसूरत खुर्दी लड़की थी नाम था जन्दी मैं उसको देखती रह जाती थी उसने मुझे फ़ारसी के अक्षर सिखाये उन अक्षरों को जोड़ कर लिखना सिखाया फ़ारसी में खूबसूरती से अक्षर लिखना एक कला है | जब अरबी सीखनी शुरू की समझ में आया अरबी में फ़ारसी से पांच नुक्ते अधिक है वही हमारे यहाँ मात्राएँ हैं| कभी- कभी तेहरान से इंस्पेक्टर आते उनको खुर्दियों के बीच में हिंदी खानम पहले अजीब लगती थी वह टूटी फूटी अंग्रेजी जानते थे उन्होंने मुझसे पूछा आपके देश हिन्द की अपनी भाषा समृद्ध है फिर हिंदियों की संस्कृत जुबान खुदाई जुबान ( देववाणी )है मैने उनको समझाया फ़ारसी ने हिन्द पर राज किया है दरबारी भाषा रही है | अंग्रजों का अभी राज शुरू नहीं हुआ था फ़ारसी भाषा का प्रयोग दरबारी कामों ,लेखन की भाषा के रूप में होता था दरबारों में प्रयोग होने के कारण अफगानिस्तान में इसे दारी भी कहते हैं | हमारे यहाँ कई स्टूडेंट फ़ारसी पढ़ते हैं| दिल्ली यूनिवर्सिटी में फ़ारसी की डिक्शनरी को और डवलप किया जा रहा है| उन्होंने बताया पर्शियन ग्रामर संस्कृत से ली गयी है कई संस्कृत के शब्दों का प्रयोग फ़ारसी में किया जाता है यही नहीं प्राचीन संस्कृत और ईरानी अवस्ताई दोनों बहने थीं | मैने उन्हें बताया हमारी ऊर्दू का विकास अरबी फ़ारसी से हुआ यह नस्तालीक लिपि में लिखी जाती है| इसे अरबी फ़ारसी लिपि की तरह दायें से बायीं ओर लिखते हैं | भाषा वैज्ञानिकों की दृष्टि से पर्शियन अरबी से बहुत भिन्न है लेकिन संस्कृत के पास है संस्कृत और फ़ारसी में हजारों शब्द मिलते हैं जो दोनों भाषों की सांझी धरोहर हैं |यही नहीं अनेक संस्कृत की कहानियों का अनुवाद पर्शियन में हुआ है| ईरान में सफवी वंश का शासन था भारत में मुगल साम्राज्य फल फूल रहा था वह साहित्य के आश्रयदाता थे धन की कोई कमी नहीं थी अत :अनेक पर्शियन विद्वान अपना देश छोड़ कर भारत में बस गये |उनका एक प्रश्न यह भी था हम अरबी भाषा सिखा रहे हैं खानमें अपनी पवित्र पुस्तक कुरान पढ़ सके परन्तु आपका दीन(धर्म) अलग है |मेरा जबाब था हमारे देश में विभिन्न मजहब के लोग रहते हैं सबको अपने मजहब अपने अनुसार मनाने की आजादी हैं हम हिंदी हैं इसे कुफ्र नहीं मानते | भारत आने के बाद घर में बच्चे इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ते थे अंग्रेजी का चलन बढ़ गया | लेक्चर देने में मुश्किल नहीं आई जब मैने लिखना शुरू किया मुश्किलें आयीं कई बार फ़ारसी शब्द इतना हावी हो जाता उनके लिए हिंदी में शब्द ही नहीं मिलता कभी अंग्रेजी हावी हो जाती परन्तु हमारी हिंदी की विशेषता है वह हर भाषा को ग्राह्य कर समृद्ध भाषा है जो बोली जाती है वहीं लिखी जाती है |हिंदी भारत के माथे की बिंदिया है लेकिन राज्य भाषा बन कर रह गयी है |