मां बाबा हम को उड़ने दो ।
जब तक हम छोटे थे, तब तक आपने बहुत लाड लड़ाए
बहुत जिंदगी के पाठ पढ़ाएं।
हमको आपने इस लायक बनाया कि हम इस खुले आसमान में विचरण कर सकें।
और अपना आसमां हम खुद बना सकें।
दे कर अच्छी शिक्षा तरक्की की सीढ़ियां तुमने खोली।
अब उन पर तुम रोक मत लगाओ। हमको अपना आसमान खुद चुन लेने दो।
खुद ढूंढ लेने दो ।
हमारे साथ तुम्हारे दिए शिक्षा संस्कार चलेंगे।.
आखिर में तो हम वापस तुम्हारे पास ही आएंगे।
क्योंकि एक चिड़िया के बच्चे चार। घर से निकले पंख पसार।
घूम घाम जब घर को आए,
बोले मां पापा देख लिया जब हमने जग सारा ।
अपना घर है सबसे न्यारा ।
अपना घर है सबसे प्यारा।
इसीलिए मां बाबा हमको भी थोड़ा उड़ने दो।
खुले आसमान में अपना जीवन खुद चुनने दो।
अपनी मंजिल ढूंढ कर वापस हम अपने घर ही आएंगे।
साथ तुम्हारा कभी ना छोड़ेंगे।
जब आवाज लगाओगे।
तब तुम्हारे सामने हमको पाओगे।
स्वरचित कविता 19 अक्टूबर 21