कुलगाम के 23 वर्षीय लेफ्टिनेंट उमर फैयाज अपने मामा की लड़की की शादी में शामिल होने के लिए छुट्टी लेकर घर आये थे उनका आतंकियों ने अपहरण कर दूर ले जाकर पास से गोलियां मारीं सुबह उनका शव मिला वह निहत्थे थे यदि हथियार होता तो बता देते भारतीय सेना का अफसर क्या होता है | छह जम्मू कश्मीर पुलिस के जवानों की घात लगा कर चेहरे के पास गोलियां मार कर हत्या कर दी क्या इसलिए उन्होंने आतंकियों का साथ नहीं दिया ? बडगाम जिले के पोलिंग बूथ को भीड़ ने घेर लिया एक मस्जिद से अपील होने पर भीड़ बढ़ने लगी |भीड़ में लगभग 1200 लोग जिनमें औरतें और बच्चे भी थे |भीड़ में कुछ लोग पोलिंग स्टेशन को पेट्रोल बम से जलाने की कोशिश कर रहे थे पथराव भी चल रहा था मेजर गोगोई के पास जैसे ही सूचना आई वह अपनी क्विक रिस्पोंस टीम के साथ पहुंचे उनपर भीड़ पथराव करने लगी |
पत्थरबाज टीम का नेतृत्व एक युवक कर रहा था उन्होंने युवक को पकड़ने की कोशिश की युवक भीड़ का सहारा लेकर भागने लगा भागते युवक को जैसे ही उनकी टीम ने पकड़ा पत्थरबाजी रुक गयी |मेजर भीड़ पर बल प्रयोग कर निकलना नहीं चाहते थे इससे कई जानें जाती उन पर अपनी टीम और पोलिंग बूथ में काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों की रक्षा का भार था उन्होंने अपनी सूझ से फारुख अहमद डार नामक उस युवक को जीप के बोनट पर आराम से बिठा कर बांध दिया | जब ड्राईवर गाडी लेकर चला पत्थर बाजों के समझ में नहीं आया क्या करें? वह युवक को ढाल बना कर काफिले को सुरक्षित निकाल लाये और दार को सुरक्षित पुलिस के हवाले कर दिया| जैसे ही समाचार वायरल हुआ मीडिया हरकत में आया | एक अंग्रेजी समाचारपत्र ने युवक का इंटरव्यू लिया, इंटरव्यू में अहमद डार ने प्रश्न उठाया ऐसा कौन सा कानून है एक इन्सान को मानव ढाल बनाने की इजाजत देता है? लेकिन क्या कोई ऐसा कानून है जो इन्सानों को पत्थर मारने की इजाजत देता है ? स्त्रियों और बच्चों को ढाल बना कर आतंकियों को बचाने की इजाजत देता हैं ?
इस्लाम के अनुसार काफ़िर या शैतान को पत्थर मारते हैं यह तो उनके अपने कश्मीरी कर्मचारी और सुरक्षा सैनिक थे | जीप से बाँधने का वीडियो वायरल होते ही राजनीति शुरू हो गयी |गोगई के खिलाफ थाने में एफ आई आर भी दर्ज की गयी लेकिन मेजर को उसकी सामयिक सूझ पर क्लीन चिट देकर थल सेना अध्यक्ष की और से सम्मानित किया गया | मानवाधिकारवादियों ने बच्चों के हाथों में किताबों के बजाय पत्थर देने ,उनके स्कूल जलाने का विरोध कभी नहीं किया लेकिन मेजर गोगई द्वारा इंसानों की रक्षा के लिए मानव ढाल बनाने पर एतराज था | कश्मीर के अलगाववादियों के हाथ से अवसर निकल गया कुछ जानें जाती हंगामा होता जनाजे उठते वह बंद बुला कर लोगों को भड़काते जलूस निकालते | देश के विपक्षी दल हो हल्ला करते |आज तक एक भी अलगाव वादी के बेटे या बेटियों के हाथ में पत्थर नहीं देखा उनका भविष्य उन्हीं की तरह सुरक्षित है |
एक इतिहास कार पार्था चटर्जी ने अपने लेख में मेजर गोगई की सूझ की प्रशंसा और क्लीन चिट दे करसम्मानित करने के लिए सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की तुलना जलियावाला बाग में निहत्थों पर गोलियां बरसाने का आदेश देनेवाले क्रूरता के पर्याय रहे अंगरेज अफसर जनरल डायर से कर डाली | कैसा इतिहास कार जिसने इतिहास के पन्ने पलट कर देखने का कष्ट नहीं किया शायद सस्ती लोकप्रियता के लिए ऐसा किया | 13 अप्रेल 1919 बैसाखी का दिन था पंजाब में नव वर्ष का त्यौहार मनाने हर समुदाय के लोग स्वर्ण मंदिरके करीब जलियाँ वाला बाग़ में इकठ्ठे हुए लोग नहीं जानते थे अमृतसर में दफा 144 लगी हुई थी |बाग़ चारों तरफ से ऊंचे घरों से घिरा है केवल आने जाने का एक ही मार्ग है मुख्य द्वार पर सत्ता के मद में चूर ब्रिटिश जनरल ने तोपें लगा कर मार्ग अवरुद्ध कर दिया बिना किसी चेतावनी के निहत्थे लोगों पर गोलियां चलने लगीं घबरा कर अपनी जान बचाने के लिए लोग भागने लगे कुछ मैदान में बने कुएं में कूद गये जब असलहा खत्म हो गया तोपें भी शांत हो गयीं जरनल डायर को अफ़सोस था उसके पास यदि गोलियां खत्म नहीं होतीं और चलवाते | मैदान लाशों और जख्मियों से पट गया पूरे देश में इस कृत्य की घोर निंदा हुई| आज भी जलियांवाला बाग़ डायर की बर्बरता का जीता जागता सबूत है |
पार्था चटर्जी का विरोध हुआ लेकिन वह अपने वक्तव्य पर अड़े रहे उनका खुल कर समर्थन करने वालों में भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी और त्रिन मूल कांग्रेस जैसे राजनीतिक दल भी है |सौगत राय ने विभिन्न चैनलों में पार्था चटर्जी का खुल कर समर्थन किया| हैरानी होती है अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता और प्रजातंत्र में राजनीति का स्तर इतना गिर जाती हैं |सेना मोर्चे पर दुश्मनों से लोहा लेने के लिए है हमारी सेना पाकिस्तान द्वारा भेजे आतंकवादियों और कश्मीर के भीतर छिपे आतंकियों से लड़ती है, पत्थर बाज जिनमें अब पढ़ने वाली लडकियाँ भी शामिल की जा रही हैं ,सैनिकों के मौरल का अनुमान लगाईये बच्चे और किशोर उन्हें घेर कर पत्थर मार रहे हैं यदि वह प्रतिकार करते हैं उनके खिलाफ राजनीतिक पार्टियाँ आ जाती है बुद्धिजीवी भी नैतिकता का पाठ पढ़ाते हैं | माकपा नेता मोहम्मद सलीम सेनाध्यक्ष के विरोध में जम कर बोले लेकिन तब निशाने पर आ गए जब उन्होंने कहा कि अगर भारतीय सेना प्रमुख मानव ढाल के इस्तेमाल को इनोवेटिव करार देते हैं, तो ‘उनकी क्षमता तथा भारतीय समाज की समझ और नए तरीके की उनकी परिभाषा पर सवाल उठता है अटपटा वक्तव्य |
1971 में यही सेना थीं जिसने बंगलादेश बनाया पाकिस्तानी सेना को घुटने टेकने पर विवश किया था विश्व के इतिहास में सबसे सैन्य समूह ने भारतीय सेना के सामने समर्पण किया था | एक पूर्व सांसद पर हंसी भी आई और ग्लानी भी उनकी अपनी मुख्य योग्यता दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित का सपुत्र होना है |संदीप दीक्षित महाशय ने अपने ब्यान में कहा पाकिस्तान जब अजीबोगरीब ब्यान देता है बुरा लगता है लेकिन हमारे थल सेनाध्यक्ष सड़क के गुंडे की तरह ब्यान क्यों देते हैं हमारे यहाँ सभ्यता है सौम्यता है गहराई और शक्ति है दुनिया के देशों में आदर्श देश है | श्री दीक्षित भूल गये वह थल सेनाध्यक्ष पर टिप्पणी कर रहे हैं आज तक देश में सेना पर प्रश्न चिन्ह किसी ने नहीं लगाया |जब कांग्रेस ने उनके ब्यान से पल्ला झाड़ लिया उन्हें होश आया वह पीछे हट गये अपने शब्दों पर माफ़ी मांग ली | राहुल गांधी ने 24 घटे के बाद संदीप दीक्षित की हर और से निंदा होने पर कहा सेनाध्यक्ष पूरे देश के हैं उन पर विवादित ब्यान न दें |देश में लम्बे समय तक कांग्रेस ने राज किया है सेना का सम्मान जानते हैं लेकिन दिल्ली में सत्ता बदलते ही सेना पर भी टिप्पणियाँ होने लगीं |
कुछ कश्मीरी बच्चों के हाथों में किताबों के बजाय पत्थर क्यों ?
डॉ शोभा भारद्वाज