फिदेल कास्त्रो क्यूबा के जननायक तानाशाह साम्यवादी नेता
डॉ शोभा भारद्वाज
फिदेल कास्त्रो क्यूबा के जननायक ,तानाशाह, साम्यवादी नेता पूर्व राष्ट्रपति ने 25 नवम्बर 2016 की रात को सदैव के लिए आँखें मूंद ली| कास्त्रो के न प्रशंसको की कमी है न विरोधियों की इनका जन्म 13 अगस्त 2016 को स्पेनिश प्रवासी क्यूबा के धनिक किसान के घर हुआ था| जहाँ से नौर्थ अमेरिका की सीमा खत्म होती है लगभग 100 मील की दूरी पर मछली के आकार का द्वीप है क्यूबा, यहाँ मुख्यतया गन्ने की खेती होती है| कास्त्रो बहुत कुशाग्र बुद्धि थे लेकिन उनका मन खेल कूद में अधिक लगता था ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी आफ हवाना के ला स्कूल में एडमिशन लिया यहाँ उनकी विचारधारा पूरी तरह पूंजीवाद के खिलाफ मार्क्सवाद एवं लेनिनवाद से प्रभावित होती गयी अब उनका रूझान राजनीति में था | क्यूबा के शासन की बागडोर अमेरिका समर्थित तानाशाह फुल्जेसियो बतिस्ता के हाथ में थी |कास्त्रो ने 1956 में अपने साथियों के साथ बतिस्ता के खिलाफ असफल क्रांति की कोशिश की उनके सभी साथी मारे गये उन्हें कैद कर 15 वर्ष की सजा सुनाई गयी | एक समझौते के तहत शर्तों के साथ आजाद कर दिया गया | अबकी बार सन 1959 में उन्होंने हिंसक क्रान्ति का नेतृत्व करते हुए भ्रष्ट तानाशाह बतिस्ता के हाथों सत्ता हथिया ली और क्यूबा के प्रधान मंत्री बने | क्यूबा में दमन चक्र की भी शुरुआत थी प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर रोक लगा दी विरोधियों को जेल में बंद कर दिया कट्टर विरोधियों को मृत्यू दंड दिया गया| पेशेवर ,टेक्नीशियन, डाक्टर अनेक क्यूबन भयभीत होकर यू एस जाने लगे लगे प्रतिभा का पलायन देश की तरक्की के लिए उचित नहीं होता | कास्त्रो ने अगला कदम उठाया अमेरिकन स्वामित्व वाले उद्योगों ,तेल रिफाइनरियो कारखानों कैसिनों का बिना मुआवजा दिये राष्ट्रीयकरण कर दिया निजी व्यापार समाप्त कर दिया | वह समाजवादी व्यवस्था के कट्टर समर्थक थे, पक्ष में लम्बे भाषण देते थे उनका खुला चैलेंज था विश्व का कोई भी देश ऐसा नहीं है जहाँ पूंजी वादी व्यवस्था को सफल होते देखा जा सके उनका नारा था ‘समाजवाद या मौत’ कानून की दृष्टि से सभी समान हैं ग्रामीण क्षेत्रों के उत्थान के लिए बिजली की सुविधा और पूर्ण रोजगार देने की कोशिश की |सबके लिए शिक्षा ,आज क्यूबा में लगभग सभी शिक्षित हैं किसी भी कीमत पर महिलायें उच्च शिक्षा ग्रहण करें, सबके लिये उत्तम चिकित्सा की व्यवस्था की गयी |आईजन हावर का कार्यकाल समाप्त हो रहा था लेकिन उन्होंने 1960 में क्यूबा से आये 1400 क्यूबन की भर्ती कर उन्हें सैन्य प्रशिक्षण दे कर कास्त्रो को जड़ से उखाड़ने की कोशिश की | कास्त्रो ने भी उसी वर्ष मई के महीने में अमेरिकन रुख भांप कर सोवियत संघ से राजनयिक सबंध जोड़े अमेरिका की अवमानना करते हुए कई मार्क्सवादी और लेनिन वादी देशों से सम्बन्ध बनाये |संयुक्त राज्य अमेरिका में चीनी के आयात पर रोक लगा कर क्यूबा की अर्थव्यवस्था को हानि पहुँचाने की कोशिश की लेकिन सोवियत संघ ने क्यूबा की अस्सी प्रतिशत चीनी खरीदने के लिए सहमती दी | हैरानी की बात थी क्यूबा की आर्थिक स्थिति बरकरार रखने के लिए के इतनी दूर से चीनी का आयात करना जो उसे महंगी पड़ती थी आयल का क्यूबा में आयात होता था |जबकि अमेरिका पास पड़ता था |कास्त्रो ने टूरिज्म को बढावा दिया अफ़्रीकी और अमेरिकी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए क्यूबा की प्राकृतिक सुन्दरता के विज्ञापन दिये | कैस्ट्रो और चे ग्वेरा अपने समय के गुरिल्ला युद्ध हीरो थे| चे गवेरा अर्जेन्टीना के मार्क्सवादी क्रांतिकारी ने क्यूबा की तख्ता पलट क्रांति में मुख्य भूमिका निभाई थी यह डाक्टर थे अपनी क्रांति को आगे बढ़ाते हुए बोल्वियन सिपाहियों द्वारा पकड़ लिए गये इन्हें मृत्युदंड दिया गया उनका म्यूजियम सांता कलारा क्यूबा में बनाया गया गया है उन्हें गुरिल्ला हीरो से भी सम्मानित किया गया | राष्ट्रपति कनेडी ने जनवरी में सत्ता ग्रहण करने से पहले कास्त्रो के खिलाफ बनाये प्लान को सहमती दी उनके अनुसार कास्त्रो लैट्रिन अमेरिकन देशों के लिए भी खतरा है यदि उन्हें रोका नहीं गया वह धीरेधीरे सब- को अपने प्रभाव में ले लेगें| इसलिए सीआईए द्वारा ऐसा प्लान बनाया गया जिसमें निर्वासित प्रशिक्षित क्यूबन कास्त्रो का तख्ता पलट करेंगे 17 अप्रेल 1961 में ‘वे आफ पिग’ में दो दिन के संघर्ष में कास्त्रो के नेतृत्ववाली क्यूबा की सेनाओं ने जीत हासिल की |इसके बाद भी कास्त्रो की हत्या के अनेक प्रयास जारी रहे वह भाग्य से वह बच निकले | क्यूबा पर फ़ूड आईटम और चिकित्सा सम्बन्धी जरूरत के सामान के अलावा अन्य वस्तुओं के आयात पर रोक लगा दी | राष्ट्रपति कनेडी ने सत्ता सम्भालने के बाद फरवरी में ट्रेड एम्बार्गो और भी सख्त कर दिये | फल, फाइबर,, खाल, कच्चा तेल, उर्वरक, औद्योगिक माल, और एक 100 मिलियन डालर का ऋण सोवियत लैंड ने दिया | कास्त्रो ने अपने कार्यकाल में 10 प्रभावशाली अमेरिकन राष्ट्रपतियों का कार्यकाल देखा उनकी मौनोपोली को टक्कर दी है । कभी उनके प्रभाव में नहीं आये एक समय ऐसा भी आया जब कास्त्रो के क्यूबा में अमेरिका के लिए रशिया से परमाणु मिसाइलें लगा दीं लेकिन अमेरिकन राष्ट्रपति कनेडी अड़ गये विश्व पर परमाणु युद्ध का खतरा मंडराने लगा अक्तूबर 1962 ,शीत युद्ध तृतीय विश्व युद्ध में न बदल जाए सोवियत संघ के प्रधानमन्त्री ख्रुश्चेव ने समझदारी का फैसला लेते हुए मिसाइलें वापस हटा ली जबकि फिदेल कास्त्रो अमेरिका के विरोध में मिसाईल हटवाना नहीं चाहते थे लेकिन ख्रुश्चेव ने क्यूबा पर हमला न करने का बचन लिया |पहली बार दुनिया ने जाना यह दोनों शक्तिया कितनी भी बड़ी बातें करें लेकिन परमाणु युद्ध में विश्व को कभी नहीं झोंकेगीं अभी जापान के हिरोशिमा नागासाकी की बर्बादी की याद बाकी थी |1976 में क्यूबा की नेशनल असेम्बली ने उन्हें राष्ट्रपति चुना| कास्त्रो अधिकतर आर्मी की वर्दी में दिखायी देते थे क्यूबा का सिगार उनकी पहचान बना परन्तु उन्होंने सिगार पीना छोड़ दिया था | 1990 में सोवियत संघ का विघटन होने लगा पूर्वी योरोप के देश रशिया से अलग होते रहे लेकिन क्यूबा एकमात्र देश है यहाँ कम्युनिज्म बना रहा | रशिया के विघटन के बाद क्यूबा की स्थिति दयनीय हो गयी ऐसे समय में भारत के कम्युनिस्ट कामरेडों ने क्यूबा को दस हजार टन गेहूं और 10.000 टिकिया साबुन की मदद भेजी उस समय की बड़ी मदद थी कास्त्रो नेहरु जी से बहुत प्रभावित थे उनके मन में उनकी बेटी प्रधान मंत्री इंदिरा जी के लिए भी बहुत सम्मान था| 1983 में नई दिल्ली में गुटनिरपेक्ष सम्मेलन इंदिरा जी के नेतृत्व में भारत में हो रहा था उसकी अध्यक्षा इंदिरा जी को उन्होंने मंच पर गले लगा लिया इंदिरा जी झेंप गयी परन्तु उनके इस गेस्चर का सभी ने ताली बजा कर स्वागत किया |भारत की तरफ से क्यूबा में काफी निवेश किया गया है | उनका स्वास्थ्य खराब रहने लगा 24 फरवरी 2008 को पीपल्स पावर की नेशनल असेम्बली ने उनके छोटे भाई राउल कास्त्रो को उनका उतराधिकारी चुना |उन्होंने सत्ता अपने छोटे भाई , उनका क्रांति का साथी था उसे सौंप दी |