प्यार था या खुदगर्जी पार्ट 2 आत्मविश्वास
डॉ शोभा भारद्वाज
कहानी यहीं खत्म नहीं हुई थी कई वर्ष बीत गये बरखा मेरे जेहन में छाई रही | कुछ दिन पहले वर्षों बाद वह मेरे घर आई | उसकी सुन्दरता वैसी ही थी लेकिन जिन्दगी के थपेड़ों के निशान उसके चेहरे पर साफ़ नजर आ रहे थे वह उम्र से कुछ जल्दी बड़ी लगने लगी थी उसने मुझसे पूछा आंटी क्या आपने मुझे पहचाना उसे गले लगाते हुए मैने कहा तुम्हें कैसे भूल सकती हूँ तुम्हे देख कर कितनी खुश हूँ बयान नहीं कर सकती बच्चे कैसे हैं ?आंटी पहले बतायें मैं कैसी लग रही हूँ मैने उसे देखते हुए उत्तर दिया स्वाभिमान से भरी हुई| में उसके संघर्ष की कहानी जानना चाहती थी उसने बताया मैं यही पास में माता जी के साथ आयीं हूँ उनके संबंधी की मौत हो गयी है आपसे मिलना चाहती थी लेकिन दूरी ? कौन तुम्हारी माँ ?नहीं आंटी मेरी माँ का स्वर्गवास हो गया माता जी के घर में मैं किरायेदार हूँ वह मेरी माँ से बढ़ कर हैं |
हाँ आंटी मैं जब यहाँ से गयी मेरी दोनों बहनों ने मेरी बहुत मदद की एक हल्की बस्ती में कई कमरे बने हुए हैं वहीं एक कमरा किराए पर ले लिया वहाँ रहना आसान नहीं थी कई फेक्ट्री के वर्कर परिवार सहित रहते थे आप सोच भी नहीं सकती थोड़ी सी तनखा में कैसे गुजारा करते थे उनके घर में कभी दूध नहीं आया था काली चाय कभी – कभी बिना चीनी की |मेरे बारे में जानने के लिए वहाँ की औरतें बहुत उत्सुक रहती थीं मेरी सूनी मांग और बिना बिछुये के पैरों को देख कर प्रश्न करती भी भाई साहब को क्या हुआ था क्या बीमार थे ?मैं मुस्करा देती बच्चों से भी सवाल करती पापा को क्या हुआ था बच्चे नसीर को अब्बू कहते थे उनकी समझ में नहीं आता था क्या पूछ रही हैं | आपने मुझे समझाया था अब तुम्हारा असली समाज से पाला पड़ेगा याद रखना हर बात का जबाब नहीं होता किसी को आप बीती सुनाने की जरूरत नहीं है सामने वाले की दया मन के संकल्प को घटाती है |
मेरी बहनों ने अपनी किटी पार्टी की सहेली की गारमेंट फैक्ट्री में नौकरी लगवा दी मुझे सीना पिरोना नहीं आता था मैं तैयार कपड़ों की चैकिंग करती हूँ जरा से डिफेक्ट पर सिला कपड़ा रिजेक्ट माल में डाल दिया जाता| बेटी स्कूल जाने की उम्र की थी उसका दाखिला करवा दिया बेटे को साथ ले जाती थी मेरे बच्चों ने मेरे साथ बहुत सहयोग किया बेटा रिजेक्ट कपड़ों के ढेर में सो जाता जागने के बाद चुपचाप मुझे देखता रहता |मैं सुबह घर से निकलती शाम को आठ बजे बच्चों के साथ घर पहुंचती छुट्टी के दिन भी ओवर टाईम करती थी अब मुझे सवालिया आँखों का सामना नहीं करना पड़ता था फैक्ट्री की मालकिन ने मेरे लिए नया घर देखा एक वृद्धा महिला की कोठी का सर्वेंट क्वाटर माता जी के दो बेटे विदेश में रहते हैं एक कनाडा दूसरा अमेरिका में ,दोनों शादी शुदा थे परिवार सहित हर चौथे वर्ष माँ से मिलने भारत आते रहते थे | माता जी अकेली रहती थीं लेकिन दबंग महिला थीं उन्होंने मेरे सामने शर्त रक्खी बच्चे न उधम करेंगे न शोर शराबा न मुझे तंग नहीं करेंगे मैने हँस कर कहा माता जी आप चिंता न करें |
अब दोनों बच्चे स्कूल जाते थे मुझे अक्षर ज्ञान सिखाने की जरूरत ही नहीं पड़ी साथ में काम करने वाली फैक्ट्री वर्करों का शुगल बच्चों को कुछ न कुछ सिखाना था |बच्चों के पिता की जगह मैने अपना नाम लिखा था |माता जी जल्दी ही बच्चों से घुल मिल गयीं अब उन्हें मेरे साथ फैक्ट्री में रहना नहीं पड़ता था घर जाते खाना स्वयं खा कर सो जाते जगने पर होम वर्क करते या शान्ति से खेल ते रहते | माता जी खबरों और टेलीवीजन में होने वाले वाद विवादों की बहुत शौकीन थी वह बच्चों को अपने पास बैठा लेती मेरे बच्चों की देश विदेश की नालेज बढ़ती रही उसने हँस कर कहा | मैं मेहनत से काम करती थी उसने बताया मेरी बेटी बहुत जहीन है अच्छे कालेज में पढ़ी ग्रेजुएट है |
बरखा ने बताया माता जी ने मेरे सामने एक प्रस्ताव रक्खा उनकी पहचान के परिवार के बेटे की पत्नी की सन्तान के जन्म के समय आपरेशन टेबल पर मृत्यू हो गयी नवजात शिशु बच गया बहुत सभ्रांत परिवार का अकेला बेटा केवल 27 वर्ष का था बड़ी अच्छी पोस्ट है मैं माता जी के साथ उनके घर गयी उस परिवार से इतनी प्रभावित हुई मैने अपनी बेटी से बात की अबकी बार वन्दना और माता जी के साथ फिर उनके घर गयी बेटी ने बच्चे को उठाकर गाल से लगाया बच्चा ओंठ खोल कर गाल से चिपक गया| मैने उनसे कुछ नहीं छिपाया उनको अपनी पूरी कहानी बताई लड़के के माता पिता बताई उनका उत्तर था हमें अच्छी लड़की चाहिए मेरा लड़का मन से टूट गया है फिर नन्हा बच्चा |सादा समारोह में बेटी की शादी हो गयी| बच्चे के नाना नानी बच्चे को ले जाना चाहते थे लेकिन बेटी ने मना कर दिया आज मेरी बेटी को वह अपनी बेटी की तरह मानते हैं और नद्दू मैने पूछा बेटे का नाम नदीम था वह अब नवल है कैंपस के अच्छे कालेज में एमएससी कर रहा है साथ ही ट्यूशन पढ़ाता है उसके स्वप्न बहुत ऊंचे हैं |
मैं कुछ और भी जानना चाहती थी | बरखा ने बताया आंटी मैं घर पर थी कालबेल बजी दरवाजा मैने ही खोला सामने नसीर खड़ा था लेकिन पहचानना मुश्किल था सिर पर सफेद टोपी पाकिस्तानी सूट मोटा हो गया था उसने दाढ़ी रख ली थी मैं खड़ी रह गयी उसने कहा क्या घर में आने के लिए नहीं कहोगी मैने उसे माता जी के ड्राइंग रूम में बिठाया कुछ देर चुप रहा क्या घर आये को पानी पूछना तुम्हारी तहजीब में नहीं है ?मैने उसे पानी दे दिया अब तक मैं अपने आप को संयत कर चुकी थी मैने पूछा कैसे आये उसका उत्तर था क्या आ नही सकता ?मुझे बड़ी मुश्किल से तुम्हारा पता मिला तुम्हारे जीजा की दूकान में गया था उनके नौकर से पता पूछा बड़े अच्छे घर में रह रही हो क्या शादी कर ली ?मैने कोई जबाब नहीं दिया अब वह बच्चों के बारे में जानना चाहता था नजमा ( अब वन्दना ) कैसी है बचपन में बहुत ख़ूबसूरत थी उसके लिए बहुत बढ़िया रिश्ता है दुबई का शेख है उसके तेल के कुए हैं मेरी बेटी राज करेगी |उसकी शादी हो गयी दो बच्चों की माँ है एक बेटा दूसरी बेटी वह भड़क गया बिना मेरी इजाजत के तुमने उसकी शादी कैसे कर दी मैं नहीं था अम्मी का पता तो नहीं बदला है |मुझे आपकी बात याद आई हर बात का जबाब नहीं होता और नद्दू उसको भी ब्याह दिया क्या ?नहीं वह पढ़ता है क्या पढ़ता है ?
ख़ैर जो भी पढ़ता हो उसे मैं अपने साथ दुबई ले जाऊँगा उसकी जिन्दगी बन जायेगी मेरा जबाब था बालिग़ है अपना भविष्य खुद बनाना जानता है ख़ैर उससे बात करूंगा तुमने बच्चों के मन में मेरे खिलाफ जहर भर दिया होगा याद रक्खो मैं तुम्हारा शौहर हूँ तुम अच्छे खासे खाते पीते घर की बेटी हो वही तुम्हारे सरपरस्त होंगे |मैं चुप रही वह बोला क्या आने वाले को चाय भी नहीं पूछ सकती मेरा उत्तर था दूध नहीं है | उसने कहा क्या मेरे बारे में तुम जानना नहीं चाहती ?मैं मुस्करा दी अब तक माता जी भी आ गयी उन्होंने नसीर को घूरा उसके सलाम का जबाब नहीं दिया कुछ देर बैठी रहीं अबकी बार नसीर का अगला सवाल था बच्चों से कब मिला रही हो ?
माता जी ने जबाब दिया सम्मान से अपने आप जाओगे या इज्जत से धक्के दूँ| नसीर के अहम पर चोट लगी मुझे कमजोर मत समझना लेकिन में झगड़ना नहीं चाहता क्योंकि परदेस में रहता हूँ पुलिस केस के लफड़े में नहीं पड़ना चाहता चला गया |आंटी मैने दो कमरों का डीडीए फ्लैट ले लिया है लेकिन माता जी ने मुझसे बचन लिया है उनके दुनिया छोड़ने के बाद ही मैं अपने घर जाऊं मैं अपनी फैक्ट्री की मालकिन का दायाँ हाथ हूँ वह मुझ पर बहुत विश्वास करती हैं मेरी तकदीर अच्छी थी मैं आपसे मिली आपने मुझे जीने की राह दिखाई वह बार –बार मुझसे गले मिली अंत में पैर छू कर चली | मेरे दिल पर पड़ा बोझ भी हट गया|