*आदिकाल से इस धराधाम पर भाषा का बड़ा महत्त्व रहा है | सभी भाषाओं की उत्पत्ति संस्कृत भाषा से ही हुई है | प्राय: एक शब्द बोला जाता है "आधुनिक" या आधुनिकता | इसका अर्थ बहुत ही विस्तृत है | संस्कृत का एक शब्द है "अधुना" जिसका अर्थ है - अब | इसी अधुना शब्द से आधुनिक शब्द बना | प्राय: सभी लोग आधुनिकता का संबंध आधुनिक युग को समझ लेते हैं परंतु यह सत्य नहीं है | यदि आधुनिकता का वास्तविक अर्थ खोजा जाय तो आधुनिकता विशिष्ट अवधारणा की निर्णायक है | आधुनिकता वह है जो मानवमात्र को अज्ञानता एवं तर्कहीनता से मुक्त करके एक प्रगतिशील एवं बोद्धिक समाज का निर्माण करने की राह दिखाये | आधुनिकता हमें स्वतंत्रता तो प्रदान ही करती है इसके साथ ही यह बहुआयामी बौद्धिक विचार को सरलता से समाज के पटल पर रखकर कुछ सकारात्मक परिवर्तन करने में सक्षम है | आधुनिक होने का यह अर्थ कदापि नहीं है कि हम अपने संस्कारों को ही भूल जायं यदि सच माना जाय तो आधुनिकता का अर्थ है अपने पुरातन / सनातन संस्कारो का नवीनीकरण करके सुदृढ़ता से उसे समाज में स्थापित किया जाय | आधुनकिता का अर्थ परिवर्तन कहा जाय तो अतिशयोक्ति न होगी | आदिकाल में जब हमारे पूर्वज आधुनिकता को ग्रहण करने लगे तो उन्होंने साधारण मनुष्य से आध्यात्मिक होना प्रारम्भ किया | यही मानव की आधुनिकता है क्योंकि जब तक हम अध्यात्मिक दृष्टिकोण नहीं अपनाते तब तक परिपूर्णता की चाहत पूरी नहीं हो सकती | अध्यात्मिकता में ही संपूर्ण जीव में एक ईश्वर, मानवीय एकता एवं समता का भाव दिखता है और साथ ही साथ वर्तमान के संपूर्ण आधुनिक विरोधाभाषों की पूर्णाहुति भी हो जाती है | परंतु वर्तमान आधुनिक कहे जाने वाले युग में आधुनिकता की परिभाषा ही बदलकर रह गयी है |*
*आज के वर्तमान समय में स्वच्छंदता को ही आधुनिकता मान लिया गया है | ऐसा भासित होता है कि इस नवीनतम आधुनिकता ने भारतीय परंपरा एवं संस्कृति को समाप्त करने का संकल्प ले लिया है | यह आधुनिकता की नई परिभाषा का ही परिणाम है कि लोग पारंपरिक सद्भाव और मानवीय मूल्यों को त्याग कर अपने परिवारों को छोड़कर एकाकी जीवन जीने में सुखद अनुभव कर रहे हैं | इसके साथ ही आधुनिकता का उदाहरण देते हुए नई युगल जोड़ियों ने तो सारी सीमाएं ही पार कर दी हैं | आज के युवा लोगों को फूहड़ता एवं अश्लीलता में ही आधुनिकता दिखाई पड़ती है | यही नहीं आज अधिक से अधिक धन कमाने के चक्कर में प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी फूहड़ एवं अश्लील कथा तथा द्विअर्थी संवादों वाले कार्यक्रमों को परोस रहा है | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" समाज के बुद्धिजीवियों से पूछना चाहता हूं कि क्या आज की आधुनिकता मानव मात्र एवं आने वाले भविष्य को अंधकार की ओर नहीं ले जा रही है ?? यह ओछी आधुनिकता का ही परिणाम है कि आज चारों ओर सामूहिक दुष्कर्म एवं महिला उत्पीड़न जैसी घटनाएं साधारण सी बात हो गई है | इस आधुनिकता को आत्मसात करने वाले आज के कुछ मनुष्य विकृत मानसिकता का शिकार होकर के अनेकों प्रकार की भयानक बीमारियों से जूझ रहे हैं | विचार कीजिए यदि इसी प्रकार का परिवेश चलता रहा , जिसमें दिन प्रतिदिन वृद्धि होती ही दिखाई पड़ रही है तो आने वाला समय कैसा होगा ?? आज जिस प्रकार हमको चारों ओर अश्लीलता फूहड़ता एवं आधुनिकता के नाम पर महिलाओं द्वारा किया जाने वाला अनावश्यक अंग प्रदर्शन दिखाई पड़ रहा है वह हमें किस और ले जा रहा है ?? आधुनिकता के सच्चे अर्थों को समझने की आवश्यकता है अन्यथा आज की अश्लील आधुनिकता के चक्कर में हम अपना सब कुछ गंवा बैठेगे | आज के परिवेश में ज्यादा कुछ ना करके यदि अपने बच्चों को संस्कारी बना दिया जाय , उनमें संस्कार भर दिए जायं तो इस आधुनिकता से कुछ हद तक बचा जा सकता है |*
*आज की आधुनिकता का विरोध करने कोई विदेश से नहीं आएगा | यह हमारे देश के बुजुर्गों एवं समाज के ठेकेदारों को ही करना पड़ेगा | अभी समय है जागृत होने का , अन्यथा आज की ओछी आधुनिकता के नाम पर फैल रहे कुसंस्कार हमारी भारतीय संस्कृति का लोप कर देंगे |*