*हमारा देश भारत आध्यात्मिक सांस्कृतिक एवं वैज्ञानिक दृष्टि से आदिकाल से ही सर्वश्रेष्ठ रहा है | संपूर्ण विश्व भारत देश से ही ज्ञान - विज्ञान प्राप्त करता रहा है | संपूर्ण विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है जहां समय-समय पर ईश्वरीय शक्तियों ने अवतार धारण किया जिन्हें भगवान की संज्ञा दी गई | भगवान धरा धाम पर अवतरित हो करके दुष्ट शक्तियों का संहार करके धर्म की स्थापना करते हुए समस्त मानव जाति को एक सूत्र में बांधने का कार्य संपादित करके स्वधाम गमन कर जाते हैं | भगवान के अतिरिक्त सन्त - महंथ , ऋषि - महर्षि एवं महापुरुषों ने हमें जीने के कौन से मार्ग नहीं दिखाए ? मानवता का कौन सा पाठ नहीं पढ़ाया ? जीवनचर्या कैसी होनी चाहिए , परस्पर सामाजिक संबंध कैसे हों , क्या अच्छा-क्या बुरा , क्या पाप तो क्या पुण्य , क्या सद्कर्म तो क्या दुश्कर्म कौन सा क्षेत्र हमारे प्राचीन धर्मगुरुओं अथवा धर्मग्रंथों से अछूता रहा ? शायद कोई भी विषय हमारे महापुरुषों ने अछूता नहीं छोड़ा है | इन महापुरुषों के द्वारा प्रदत्त ज्ञान हमारे धर्म ग्रंथों में भरा पड़ा है जिन्हें पढ़कर उसे जीवन में धारण करके एक साधारण मानव भी महामानव बन सकता है | इस नकलची संसार में पूर्वकाल में भी अनेकों ऐसी महाशक्तियां हुई जो स्वयं को भगवान घोषित करने का प्रयास करती हुई देखी गईं परंतु उनके कर्म मानवता के सर्वदा विरुद्ध थे , यही कारण हुआ की ऐसी अनेक शक्तियां असमय काल के गाल में समाहित हो गई | कहने का तात्पर्य है कि भगवान बन जाना या स्वयं को भगवान कहलवाना तो आसान है परंतु भगवान के तुल्य कर्म करना बहुत कठिन है | यह तथाकथित भगवान यहीं पर परास्त हो जाते हैं और काल कवलित हो जाते हैं |*
*आज कलयुग चल रहा है अभी बहुत समय तो नहीं व्यतीत हुआ है परंतु हमारे धर्म ग्रंथों में कलयुग के विषय में जो लिखा गया है वह धीरे-धीरे घटित होने लगा है | आज के आधुनिक युग में तथाकथित सन्त - महन्थ एवं स्वयंभू भगवान यत्र - तत्र देखने को मिल जा रहे हैं | जहां संतों का कार्य मानव कल्याण बताया गया है वहीं आज के तथाकथित स्वयंभू महंथ / भगवान मानव मात्र की भावनाओं का शोषण करके अपना कल्याण कर रहे हैं | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" यह स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि आज यदि इन तथाकथित भगवानों एवं संतों का बोलबाला समाज में दिख रहा है तो यह सभ्य समाज की मूर्खता एवं भोलापन ही कहा जाएगा | इसमें यह यमाज भी दोषी है | प्रत्येक व्यक्ति जिस प्रकार इन स्वयंभू भगवानों के बताएं उपायों के चक्कर में फंसकर अनेकों प्रकार के उद्योग करता है उसी प्रकार यदि अपने विवेक का थोड़ा सा प्रयोग करके इन तथाकथित महापुरुषों के पिछले जीवन के विषय में जानने का उद्योग करें तो शायद मानव समाज इन के कुचक्र से बच जाय , परंतु आज अंधभक्ति एवं चमत्कार का बोलबाला है इन तथाकथित महापुरुषों के समक्ष पहुंच जाने के बाद ऐसा लगता है कि मनुष्य विवेक हीन हो जाता है | उसका विवेक तब जागृत होता है जब इन महापुरुषों के पाप समाज में प्रकट होते हैं | आखिर कौन सा ऐसा विषय है जो हमारे धर्म ग्रंथों में नहीं है क्या जानने के लिए ऐसे ढोंगी व्यक्तियों के पास समाज जाता है , यही नहीं समझ में आता | इन तथाकथित महापुरुषों एवं भगवानों से कोई भी धर्म संप्रदाय अछूता नहीं रह गया है | आज प्रत्येक संप्रदाय इनके द्वारा ठगा जा रहा है | आवश्यकता है जागरूक होने की एवं अपने पूर्वज महापुरुषों की बातों को हृदयस्थ करते हुए संत असंत के पहचान करने की |*
*आए दिन देश में किसी न किसी धर्म / संप्रदाय का कोई न कोई तथाकथित धर्माधिकारी अनेक प्रकार के अपराधों में लिप्त होकर के पकड़ा जा रहा है | स्वयं को भगवान घोषित करने वालों का यही परिणाम होता रहा है और आगे भी होता रहेगा |*