बेइंतहा
ए सिसकारियां ए सिसकियां जो सुनी हमने
आज वो बहुत कुछ चुपचाप बयान करती है
तुम कहो न कहो यूं नजरें चुराकर के एक गुस्ताखियां बहुत कुछ कहानी कहती हैं ।।
ए मुरझाया से गुल गुलाब ए उजडा सा चमन
ए बिखरी बिखरी जुल्फें ए सूनी सूनी चिलमन
उस रात क्या हुआ होगा उसके गवाह है ए दाग
यह किसी की नहीं खुद की जुबानी कहती है।।
माना कि प्यार जंग में सब जायज़ है सुना हमने
मगर हर एक चीज की इंतहा होती न सुना तुमने
वो कोई गैर नहीं वो खुदाया किसी का था कभी
हर जवां दिल की धड़कनों में समायी रहतीं है ।।
बड़े जालिम हो तुम इस प्यार को ज़ुल्म कह बैठे
पहले मुस्कराए फिर हौले हौले से पास आ बैठे
माना कि ए दिल भी उनके लिए धड़का था कभी
वहीं उल्फत थी जो जज़्बात दिखानी कहती है।।
गलतफहमी आशिक का नाम है दूजा सब जाने
हम भी आशिक थे आज दिलवर बने हम जाने
वो सिसकारियां सिसकियां कुछ और कहती थी
बड़े बुद्धू राजन उनकी बातें बचकानी कहती हैं ।
राजन मिश्र
अंकुर इंक्लेव
करावल नगर दिल्ली 94