वह सड़क पर औधा पड़ा हुआ था आते जाते हुए कुत्ते उसको चाट चाट कर चले जाते थे फिर भी बीचोबीच सड़क पर वह ऐसे पड़ा हुआ था जैसे कोई शहंशाह अपने आरामगाह मे ऐशो आराम फरमा रहा हो ..
आप कौन..खिलखिलाती धूप पड़े हुए अजनबी से रवि ने पूछा।
इंसान .. क्या आप को कम दिखाई पड़ता है .. अजनबी ने जबाव दिया।
वह तो मुझे भी दिखाई पड़ रहा है ..पर इस सड़क के किनारे पड़े क्या करें हो ..रवि ने सवाल किया ।
देख नहीं रहे हो .. शहंशाह अकबर अपने दरवारियो के साथ अपने आरामगाह में आराम फरमा रहे हैं .. अजनबी ने मुस्कुराते हुए कहा।
इन कुत्तों के साथ .. लगता है तुमने शराब पी रखी है .. रवि ने पास आकर पूछा।
सही फरमाया आपने .. हां मैंने शराब पी है मैं शराबी हूं ..
जीं हां जी जनाब पीता हूं,
बेवजह वे हिसाब पीता हूं
लोग औरों का खून पीते हैं
मैं तो केवल शराब पीता हूं..
और इन्हें कुत्ते मत कहो जनाब ए इंसानों से ज्यादा वफादार हैं .. अजनबी ने फूंके हुए अंदाज में कहा ।
क्या बात है ..बहुत फूके हुए लग रहे हो इस दुनिया से जनाब .. मैंने तो सिर्फ आपका नाम ही पूंछा था वो तो बताया नहीं और बाते सुना दी.. रवि ने सवाल किया ।
नाम कौन सा नाम .. मां बाप घर वालों का या फिर दुनिया वालों ने जो रखा है.. अजनबी ने फिर सवाल किया।
दोनों बता दो .. और पता भी ..ताकि तुम्हें तुम्हारे घर तक छोड़ सकूं..रवि ने पूछा।
इतनी मेहरबानी किस लिए .. ताकि मेरे घर पर पहुंच कर इसी बहाने आराम से चाय नाश्ता कर सको ..
नही भाई मैं तो तुम्हारी सहायता करना चाहता हूं क्योंकि तुम नशे में हो .रवि ने समझाते हुए कहा।
नशे में कौन नहीं है जनाब .. किसी को दौलत का नशा किसी को शोहरत का नशा किसी को मुहब्बत का नशा ,तो किसी को यौवन का नशा,
इन सब नशें के आगे शराब का नशा कहां टिकता है..इस नशें बहके लोग किसी को क्या ख़ुद को भी नहीं पहचानते..मैं तो इतने नशें में खुद को आपको भी पहचान रहा हूं .. अजनबी ने मुस्कुराते हुए जबाव दिया।
आप इतने समझदार है फिर भी शराब पीते हैं . यह शराब किसी को भी बर्बाद किए बिना नहीं छोड़ती..तन मन धन मान-सम्मान सब का सत्यानाश कर देती है .. रवि ने समझाते हुए कहा।
यह सभी बातें अगर सही है तो दुनिया में शराब बनाई और बेची क्यूं जाती है और फिर आज से नहीं पुरातन काल से ही शराब बनाई और पी भी जाती थी.. समुद्र मंथन से भी शराब निकली थीं देवता जिसे पीते थे उसे सुरा कहा जाता थी और दानव उसी को पीते तो मदिरा कहा जाता था..
फिर आप क्यों मेरे पीछे पड़े हैं .. अजनबी ने कहा ।
मैंने आपका नाम पता पूछा तो बताया नहीं दूसरी कहानी सुना रहे हो भाई ..रवि ने पूछा ।
आप मुझे मेरे घर क्यूं छोड़ना चाहते हैं थोड़ी सी रात ढलने दो मै खुद ही चला जाऊंगा .. आप इतनी देर से हमारे क़रीब खड़े हैं मेरे मुंह से निकलती हुई शराब की महक आपके सांसों में समा रहीं है उसकी खूशबू आपके मुंह से आने लगेगी ..आप घर जल्दी जाओ नहीं तो घर वाले आपको शराबी समझ लेंगे और बार बार टोकने या शक करने पर आप धीरे धीरे शराब पीने लगेंगे और एक दिन आप मेरी तरह सड़क के किनारे पड़ेंगे होंगे और मेरी तरह आपकों भी कोई यही शिक्षा दे रहा होगा मैं नहीं चाहता कि मेरे हिस्से की शराब एक बूंद कम हो .. अजनबी ने कहा और दूसरी तरफ मुंह फेरते हुए कहा।
रवि सोच रहा था कि जाने अंजाने में बहुत सही बात कह गया शराबी ..
राजन मिश्र
अंकुर इंक्लेव
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