विषय-मां सिद्धिदात्री
विधा-कविता
मंगलमय शुभदायक सुर मुनि मन हारणि
मोक्षदायिनी नवकन्या हो कल्याण करें
जगजननी भवानी जय काली भद्रकाली
मन वांछित फल देसुख जीवन विस्तार करें ।।
अष्टभुजा अष्टसिद्धि नव निधि की दाती
मां सिद्धिदात्री जगजीवन का कल्याण करें
आदिशक्ति नवदुर्गा रूपणी सिंहवाहिनी
वरदहस्त सिर पर रख भक्तों का त्राण हरे।।
वरदायनी कमलनैनी कांति मुखमंडल
अंबे कल्याणी मां जन्म मरण से मुक्ति करें
जगदंबा कलि समनं आए शरणं भयहरणं
संसय दुःख तरणं भव बंधन निर्वाण करें।।
शिव पटरानी ऋधि सिद्धि की महारानी
करुणानिधि दाती मोक्षदायिनी शरण पड़े
करो कृपा अघारी हरो क्षमा चूक हमारी
आए शरणागत दीन जान के प्राण करें।।
हे बरदायनी प्यारी नव दुर्गा रूप अघारी
मां स्वरूपा सुर नर मुनि जै जै कार करें
हम करते पूंजा बदन नित नव अभिनंदन
जननी राजन भक्ति पथ का निर्माण करें ।।
राजन मिश्र
अंकुर इंक्लेव
करावल नगर दिल्ली 94