दीपावली एक त्योहार नहीं आत्मज्ञान का प्रतीक है जैसे एक छोटा सा दीपक तिमिर अंधियारे को अपने प्रकाश को मिटाने में सक्षम होता है वैसे छोटा सा ज्ञान दीप भी मानव मन के अंधकार को मिटाने में सक्षम होता है ।
दीपावली पर्व इस समाज में समाजिक कुरीतियों और रूढ़िवादी भावनाओं के कलुषित विचार को
सद्भावना सौहार्द्र बंधुत्व रूपी दीपक जलाकर इन अज्ञानता भरी विचारधारा को समूल विनाश करने का महापर्व है ।
बर्षाऋतु के पश्चात घरों व मकानों में शीलन व बदबू सी आने लगती है इस लिए दिपावली से पहले हर एक मनुष्य अपने घरों में रंग रोगन लगा कर सफाई करता और करवाता है ।
उसके दो कारण हैं एक तो वर्षा बाद घरों में हुई बदबू और शीलन दूर हो जाती है और दूसरी तरफ घर की मरम्मत और साफ सफाई भी हो जाती है ।
जब घर नया सा होता है तो मन में उत्साह सा भी नया हों जाता है वैसे दीपावली जगमगाते हुए दीप के प्रकाश का त्योहार है उस प्रकाशमय पर्व में मानव का उत्साह भी दोगुना हो जाता है।
हमारे एक कवि ने कहा है ..
जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना अंधेरा धरा पर कहीं रह न जाए ।।
चाहे अज्ञानता का अंधकार हो या फिर धरा का अंधकार यह पर्व तो प्रकाश पर्व है मन से घृणा और दुर्व्यसन मिटाने का पर्व ..
इसलिए इसकी तैयारी हर्षोल्लास के साथ करनी चाहिए सरसों के तेल या घी के दीपक जलाकर प्रेम पूर्वक न कि पटाखे जलाकर प्रदूषण पैदा कर ध्यान रहे ..पर्व को घी न तेल मोमबत्ती दीप जलाकर कर महापर्व बनाए न कि पटाख़ों से प्रदुषित वातावरण कर बिमारी का उपहार लोगों में बांटें ..
राजन मिश्र
अंकुर इंक्लेव
करावल नगर दिल्ली 94
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